आनंदपुर साहिब का महत्व Anandpur Sahib History- An Important Sacred Place of Sikhs

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आनंदपुर साहिब का महत्व Anandpur Sahib History – An Important Sacred Place of Sikhs. Many Places To Visit – Information In Hindi Language

सिख धर्म के इतिहास में आनन्दपुर साहिब का विशेष महत्व (Importance of Anandpur Sahib In History) है। इसी जगह सन् 1699 में गुरु गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की नींव रखी थी और पांच वीर सपूतों के साहस की परीक्षा लेकर उन्हें ‘पंच प्यारे” कहते हुए अपना शिष्य बनाया था। तब गुरु ने उनहें सिंह नाम दिया, जो विशेष पहचान और धर्म की निडरतापूर्वक रक्षा करने का प्रतीक था।

बाद में इसी खालसा पंथ ने अपने उत्कृष्ट कार्यों और विचारधारा से सिख समुदाय का रूप ले लिया। आनन्दपुर साहिब में ही आज से 300 साल पहले गुरु गोविन्द सिंह जी ने सिखों की शिक्षा दी थी और आहूवान किया था, कि उन्हें संत सिपाही अर्थात योद्धा संत बनना है। तब इसी जगह पर अन्याय के खिलाफ पहली जंग लड़ी गयी थी।

गुरु गोविन्द सिंह ने आनन्दपुर में अपने जीवन के 25 साल बिताए और उस समय का यह छोटा सा कस्बा मुगल शासन के खिलाफ अनवरत संघर्षों का इतिहास बन गया। आनन्दपुर साहिब हमेशा सिखों की पवित्र भूमि रही है। सतलज नदी के बाएं तट पर छोटे-छोटे पहाड़ों से यह क्षेत्र 1644 घिरा है | इस क्षेत्र को उन्होंने के राजा से खरीदा था। ऐसा विश्वास है कि वशिष्ठ ऋषि ने यहां तपस्या की थी और महर्षि वाल्मीकि ने रामायण यहीं लिखी थी ।

यहां का सबसे पवित्र स्थान केशरगढ़ साहिब है, जो खालसा द्वारा बनाए गए । सिख तख्तों में से एक है। यह एक पहाड़ी पर स्थित है। श्रद्धालु यहां पैदल चलकर दर्शनों के लिए आते हैं। केशरगढ़ साहिब में संगमरमर से बना विशाल चौकोर आँगन है जिसके सामने मुख्य पूजा स्थल है। इसे पवित्र तीर्थ माना जाता है। इस सुसज्जित स्थान पर पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब रखी गयी है। इसके चारों ओर घेरे में श्रद्धालु गुरुद्वारे के नियमानुसार प्रार्थना करते हैं। आंगन के बीचों-बीच गुरु गोविन्द सिंह द्वारा प्रयोग किए गए अस्त्र-शस्त्र रखे गए हैं। ये अस्त्र-शस्त्र इस गुरुद्वारे के मुख्य आकर्षण हैं।

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यहां एक गुरु महल है, जिसका अत्यन्त धार्मिक महत्व है। यह आकार में बहुत छोटा है। इसे गुरु तेग बहादुर ने अपने आवास के रूप में सन् 1665 में बनवाया था। उनके पौत्र और गुरु गोविन्द के पुत्र यहीं पैदा हुए थे और यहीं पर पले-बढ़े थे। केशरगढ़ साहिब के पास ही मंजी साहिब गुरुद्वारा है। खालसा की लोककथाओं के अनुसार गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने अनुयायियों की यहीं पर हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया और लड़ाई के गुर सिखाए। केशरगढ़ साहिब में हर रोज विशाल लंगर चलता है। जिसमें प्रत्येक यात्री को धमार्थ स्वादिष्ट भोजन खिलाया जाता है। लोग फर्श पर बैठकर गुरु प्रसाद के रूप में इसे खुशी से ग्रहण करते हैं। आनन्दपुर साहिब में और भी कई चीजें देखने योग्य हैं, जिनका धार्मिक महत्व भी है। सिख धर्म के इस महान तीर्थ आनन्दपुर साहिब का तेजी से विकास किया जा रहा है।