अरविन्द केजरीवाल का जीवन परिचय Arvind Kejriwal Biography In Hindi

Arvind Kejriwal Biography In Hindi

अरविन्द केजरीवाल का जीवन परिचय (Arvind Kejriwal Biography In Hindi Language)

Arvind Kejriwal Biography In Hindi

नाम : अरविन्द केजरीवाल
जन्म : 16 अगस्त 1968
जन्मस्थान : हिसार (हरियाणा)
उपलब्धियां : ‘अशोका फैलो सिविल इन्गेजमेंट’ (2004), ‘सत्येन्द्र दुबे स्मृति पुरस्कार’ (2005), मैग्सेसे पुरस्कार (2006) |

लालफीताशाही और भ्रष्टाचार से नागरिक और प्रशासनिक व्यवस्था के चरमरा जाने का जनता पर गहरा असर पड़ता है | किसी भी विकासशील देश के लिए यह स्थिति बदलनी चाहिए | इसी बदलाव की जरूरत को अरविन्द केजरीवाल ने गहराई से समझा और एक ऐसी संस्था स्थापित की जिसका उद्देश्य जनता को लालफीताशाही और भ्रष्टाचार के दबाब से मुक्त कराना है | उन्होने इस संस्था का नाम ‘परिवर्तन’ रखा । अपने इस काम में सफलता पाने के लिए उन्होंने व्यवस्था में पारदर्शिता की मांग की ताकि सम्बन्धित नागरिक को पता लगता रह सके कि उसका काम कहाँ किस स्तर तक हुआ है । इस क्रम में उन्होने दबाब डाला और अपने सघंर्ष से उसे बतौर एक्ट पूरे देश के लिए पास करवा लिया । अरविन्द केजरीवाल के इस सचेत और दायित्वपूर्ण काम के लिए उन्हें वर्ष 2006 का मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया ।

अरविन्द केजरीवाल का जीवन परिचय (Arvind Kejriwal Biography In Hindi)

अरविन्द केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त वर्ष 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ था । वह विज्ञान के छात्र थे तथा उन्हें शुरू से ही मेधावी माना जाता था । अपने इसी उद्यम से उन्होंने आई.आई.टी. खडगपुर से मैकेनिकल इन्जीनियरिंग वर्ष 1989 में पास की और भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी में लग गए । उन्हें सफलता हासिल हुई और 1992 में वह इण्डियन सिविल सर्विस (ICS) की इण्डियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) के लिए चुन लिए गए । उनकी नियुक्ति दिल्ली में इनकम टैक्स कमिश्नर के दफ्तर में हो गई ।

इन्कम टैक्स कमिश्नर के ऑफिस में काम करते हुए अरविन्द केजरीवाल ने बहुत कुछ ऐसा देखा और समझा, जो उनको ठीक नहीं लगा । वहाँ भ्रष्टाचार है और व्यवस्था से सम्बन्धित बहुत-सी जानकारी न होने के कारण करदाता भटकते रहते हैं और परेशान होकर उन्हें अवांछित लोगों की मदद उनकी शर्तों पर लेनी पड़ती है । अरविन्द ने इस स्थिति को चिन्ताजनक माना और इस दिशा में सोच-विचार करने लगे । धीरे-धीरे उन्हें कुछ तरीके समझ में आए और उन्होंने विभाग में कुछ बदलाव कराए जिनका अच्छा परिणाम निकला । इस स्थिति से अरविन्द केजरीवाल उत्साहित हुए और अपनी इस कार्यवाही को आगे बढ़ाने की सोचने लगे ।

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जनवरी 2000 में अरविन्द ने अपने काम से छुट्टियाँ लीं और दिल्ली के नागरिकों का आन्दोलन शुरू करते हुए अपनी संस्था ‘परिवर्तन’ की नींव रखी । इस संस्था के जरिये, दिल्ली के नागरिकों की ओर से पारदर्शी तथा जबावदेह प्रशासनिक व्यवस्था की माँग की जाने लगी । धीरे-धीरे अरविन्द केजरीवाल का आन्दोलन विस्तार पाने लगा । यह जनहित का विषय था और इसमें सभी नागरिकों की रुचि थी । यह पूरी तौर पर एक सामाजिक आन्दोलन था इसलिए इसमें उन्हें जनता का सहयोग मिलता गया । इस उत्साह को देखकर अरविन्द केजरीवाल ने फरवरी 2006 में इन्कम टैक्स विभाग से त्यागपत्र दिया और पूरी तरह अपने इस अभियान में लग गए ।

अरविन्द केजरीवाल का यह संकल्प कि वह पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासनिक व्यवस्था देने के लिए सरकार को बाध्य करें, बहुत सरल नहीं था । इसके लिए उन्हें विभाग में रहते हुए भी बहुत जूझना पड़ा । जब शुरू में उनकी बात नहीं सुनी गई तो उन्होंने इन्कम टैक्स विभाग में पारदर्शिता लाने के पाँच सूत्री कार्यक्रम के साथ, एक जनहित यायिका दायर की । उसके लिए अहिंसावादी सत्याग्रह किया । चीफ कमिश्नर के दफ्तर के आगे धरना दिया । इस बात की धमकी सामने रखी कि अगला प्रतिवाद प्रेस और मीडिया को साथ रख कर किया जाएगा । तभी उनकी बात का कुछ प्रभाव पड़ा और विभाग प्रमुख इस बात के लिए सहमत हुए कि वह पाँच सूत्री सुधार कार्यक्रम लागू करेंगे ।

इसी तरह, इन्कम टैक्स विभाग से छुट्टी लेने के बाद, अरविन्द ने ‘परिवर्तन’ के दूसरे सदस्यों के साथ बिजली विभाग के सामने धरना दिया और आने वाले उपभोक्ताओं को सलाह दी कि वे किसी काम के लिए घूस, रिश्वत न दें । इसके लिए ‘परिवर्तन’ के कार्यकर्ताओं ने खुद उपभोक्ताओं के काम अधिकारियों से मिलकर बिना कोई पैसा लिए मुफ्त में कराए । इस तरह से ‘परिवर्तन’ ने नागरिकों के 2500 मामले बिजली विभाग में हल कराए और सैकड़ों लोगों को रिश्वत देने से बचा लिया ।

‘परिवर्तन’ संस्था बनाने के साथ ही अरविन्द केजरीवाल ने अरुणा रॉय के साथ ‘सूचना के अधिकार के एक्ट’ (राइट टु इन्फार्मेशन एक्ट) के लिए अभियान चलाना शुरू किया जो एक शान्त सामाजिक आन्दोलन में बदल गया । इन लोगों तथा ‘परिवर्तन’ के अथक प्रयास से यह एक्ट दिल्ली में 2001 में पास हो गया । इस सफलता से उत्साहित होकर परिवर्तन ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू कराने का संघर्ष शुरू कर दिया ।

दिल्ली के सूचना के अधिकार का एक्ट, जो 2001 में लागू हुआ, वह प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार देता है कि वह अपने मामले से सम्बन्धित दस्तावेज देख सकें कि उस पर किस सम्बन्धित अधिकारी की क्या टिप्पणी दी गई है । उसका काम यदि कहीं रुका है, तो उस रुकावट का कारण क्या है और यदि उसका काम नहीं हो सकता तो उसके नियमगत कारण क्या हैं…इस तरह यह कानून गरीब नागरिकों, सामान्य जन तथा कामकाजी लोगों के लिए बहुत मददगार है, अरविन्द केजरीवाल इस एक्ट के जरिये जनता में वह जागरूकता पैदा करना चाहते हैं कि लोग सरकार का चुनाव सोच-समझ कर करना सीखें और सरकार से अराजकता के लिए जवाब भी तलब करें ।

इस एक्ट की ताकत का उदाहरण सामने रखते हुए अरविन्द ने एक प्रयोग किया । दिल्ली के सुन्दरनगरी इलाके में ‘परिवर्तन’ के लोग गरीब जनता के साथ काम कर रहे थे । पहले उन्होंने वहाँ चल रहे सभी जनकल्याण प्रोजेक्ट्स के बारे में सरकारी रिपोर्ट हासिल की, जो इसी एक्ट के जरिये सम्भव हो सकी । फिर उन्होंने अड़सठ ऐसे प्रोजेक्ट्स की सचमुच क्या स्थिति है, इस पर निगाह रखने का काम वहाँ के रहने वालों के ही द्वारा शुरू कराया । साथ ही अरविन्द ने उस इलाके के रहने वालों में बातचीत तथा ‘नुक्कड़ नाटकों’ के सहारे जागरूकता पैदा की । इस निगाह रखने का यह नतीजा सामने आया कि अड़सठ में से चौंसठ प्रोजेक्ट्स की असलियत, कागजी दावों से मेल नहीं खाती थी और इस तरह पता चला कि उसमें सत्रह लाख रुपयों का घोटाला हुआ है । केजरीवाल ने इस जानकारी को खुल कर उजागर किया । इस कार्यवाही का नतीजा यह हुआ कि कोई भी प्रोजेक्ट अब सुन्दरनगरी में तब तक शुरू नहीं होता, जब तक उसे सही-सही जनता की जानकारी में ला न दिया जाए ।

इसी तरह, सुन्दरनगरी दिल्ली में ही केजरीवाल ने एक और काम दिखाया । सरकार की ओर से गरीब जनता को घटी दर पर राशन दिया जाता है, जिसके लिए वहाँ तयशुदा दुकानें हैं । वहाँ के रेकार्ड और असलियत को जानने पर ‘परिवर्तन’ को पता चला कि नब्बे प्रतिशत से ज्यादा मात्रा में राशन चुपके-चुपके बाहर बाजार में बिक जाता है । जिसमें राशन विभाग के कर्मचारियों तथा अधिकारियों की भी साझेदारी है । अरविन्द ने इस मामले को भी उजागर किया । उनके एक कार्यकर्ता पर हमला भी हुआ । इस पर वहाँ के पाँच हजार बाशिंदे आन्दोलन पर उतर आए और उन्होंने महीने-भर की राशन हड़ताल की और रैली निकाली । इस कार्यवाही का भी खाद्य विभाग पर असर हुआ और स्थितियों में सुधार आया ।

केवल दस कर्मचारियों के साथ ‘परिवर्तन’ काम में लगा है । अरविन्द केजरीवाल कोई बड़ा काम हाथ में नहीं लेते, लेकिन छोटे-छोटे कामों के जरिये बड़े सुधार कर दिखाना उनका मकसद रहता है । हालाँकि बड़े काम के रूप में उन्होंने वर्ष 2005 में पानी के निजीकरण का चुनौती भरा मुद्दा उठाया था और उसमें सफल भी हुए थे ।

अरविन्द केजरीवाल का विवाह 1995 में सुनीता केजरीवाल से हुआ था । उन्हीं के साथ, उन्हीं के बैच में सुनीता का चयन भी हुआ था और वह उन्हीं के साथ कार्यरत थीं । अपने दो बच्चों के साथ वह अरविन्द के काम में बराबर का सहयोग देती हैं ।

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वर्ष 2004 में अरविन्द केजरीवाल को ‘अशोका फैलो सिविल इन्गेजमेंट’ पुरस्कार दिया गया । वर्ष 2005 में उन्हें आई.आई.टी. कानपुर द्वारा ‘सत्येन्द्र दुबे स्मृति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया । यह पुरस्कार उन्हें सरकार में पारदर्शिता लाने के लिए दिया गया ।

CNN-IBN इलेक्ट्रानिक मीडिया ने उन्हें जन सेवा के लिए ‘इण्डियन ऑफ द ईयर’ की उपाधि से सम्मानित किया ।

अरविंद केजरीवाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।

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