ऐसी ऐतिहासिक मान्यताएं है कि एथलेटिक्स की क्रियाओ की उत्पत्ति यूनान में हुई थी| यूनानवासी अपने देवता जीयस को खुश करने के लिए एक उत्सव के रूप मे एथलेटिक्स की क्रियाओ का प्रदर्शन किया करते थे| यह भी ऐतिहासिक तथ्य है कि इन खेलो में केवल शुद्ध यूनानी रक्त के व्यक्ति ही हिस्सा लेते थे| स्पर्द्धओं के रूप मे इन क्रियाओ का आयोजन 776 ईसा पूर्व हुआ था| उस कालखंड में महिलाओ के लिए इन क्रियाओ को देखना तथा इनमे प्रतियोगी के रूप मे भाग लेना वर्जित था| इन क्रियाओ के खेल-स्थल को ओलंपिया के नाम से संबोधित किया जाता था|
आधुनिक ओलंपिक खेल 1896 में यूनान की राजधानी एंथेस में आयोजित किए गए थे| उस समय से लगातार एथलेटिक्स की विभिन्न क्रियाओ कि प्रतियोगिताओ का आयोजन क्रमबद्ध रूप से होता आ रहा है| प्राचीन काल में जंहा महिलाओ को इन खेलो को देखने की भी अनुमति नहीं थी, आधुनिक युग मे वे पुरुष कि भांति इन खेलो में भाग लेती है, प्रारम्भिक खेलो की अपेक्षा आज के खेलो में एथलेटिक्स की अधिक क्रियाओ का समावेश हो चुका है| पुरुषो के लिए 24 क्रियाएं और महिला वर्ग के लिए 19 क्रियाओ का समावेश हो चुका है|
एथलेटिक्स की उत्पत्ति Origin of Athletics
एथलेटिक्स कि सम्पूर्ण क्रियाओ में केवल दौड़ एवं फेंक से संबधित क्रियाए व्यक्ति की मूलभूत क्रियाए है, जो उसके दैनिक जीवन से संबधित है| ये क्रियाए तब भी एक शिशु के जीवन का हिस्सा बनी रहती है, जब वह अपनी माँ के गर्भ में रहता है| उसके गर्भ की हलचल इन्ही क्रियाओ कि घोतक है| अतः यह कहा जा सकता है कि एथलेटिक्स की उत्पत्ति व्यक्ति के जन्म से पहले ही हो जाती है|
एथलेटिक्स कि क्रियाए Type of Games in Athletics
एथलेटिक्स का अभिप्राय उन खेलो से है, जिनके दौड़ना, कूदना, फेंकना इत्यादि क्रियाए सम्मिलित होती है| उस खिलाड़ी को एथलीट कहते है, जो उन क्रियाओ में भाग लेता है|
एथलेटिक्स के अंतर्गत दो प्रकार के खेल आते है| प्रथम-ट्रैक प्रतियोगिताएं, व्दितीय- फील्ड प्रतियोगिताए| ट्रैक प्रतियोगिता के अंतर्गत आने वाली दौडो का वितरण इस प्रकार है-
100 | मीटर की दौड़ |
200 | मीटर की दौड़ |
400 | मीटर की दौड़ |
100 | मीटर की बाधा दौड़ |
110 | मीटर की बाधा दौड़ |
400 | मीटर की बाधा दौड़ |
800 | मीटर की दौड़ |
3000 | मीटर की दौड़ |
5000 | मीटर की दौड़ |
10 | कि.मी. पैदल चाल (महिलाओ के लिए) |
20 | कि.मी. पैदल चाल (पुरुषो के लिए) |
50 | कि.मी. पैदल चाल (पुरुषो के लिए) |
फील्ड प्रतियोगिताओ में आने वाली क्रियाओ का विवरण इस प्रकार है-
लंबी छलांग |
ऊंची छलांग |
बांस कूद |
भाला फेंकना |
गोला फेंकना |
चक्का फेंकना |
एथलेटिक्स प्रतियोगिताओ के लिए आवश्यक सामग्री Kit required for Athletics
ट्रैक प्रतियोगिताओं के लिए-
स्टॉप वाच | 4 से 8 |
क्लिप बोर्ड | 2 से 3 |
सीटियाँ | 2 |
झंडियाँ | 7 सफ़ेद, 7 लाल |
समापन स्तंभ | 1 जोंडी |
धागा | 1 रील |
पी.ए. सिस्टम | 1 सेट |
फील्ड प्रतियोगिताओं के लिए- | |
क्लिप बोर्ड | 2 से 5 |
झंडियाँ | 2 सफ़ेद, 2 लाल |
टेप | 2 |
फावड़ा | 1 |
कील | 20-25 |
लेवलर | 1 |
अंक तालिका | 1 |
100 मीटर की बाधा दौड़ (महिला)
प्रत्येक बाधा की ऊंचाई- 0.838 मीटर |
पार की जाने वाली कुल बांधाए- 10 |
आरंभ से पहली बाधा की दूरी – 13 मीटर |
अन्य बांधाओ के बीच के दूरी – 8.50 मीटर |
अंतिम बाधा व दौड़ समाप्त होने वाली रेखा के बीच कि दूरी- 10.50 मीटर |
100 मीटर की बाधा दौड़ (पुरुष)
प्रत्येक बाधा की ऊंचाई- 1.067 मीटर |
आरंभ से पहली बाधा की दूरी – 13.72 मीटर |
अन्य बांधाओ के बीच के दूरी – 9.14 मीटर |
अंतिम बाधा व दौड़ समाप्त होने वाली रेखा के बीच कि दूरी- 14.02 मीटर |
बाधा दौड़ की प्रक्रिया
सामान्य दौड़ो कि तुलना में बाधा दौड़ो में धावक के घुटने अपेक्षाकृत अधिक ऊपर की ओर आते है| दौड़ने की प्रक्रिया में पंजो को हो धरती पर रखा जाता है| बाधा पार करते समय उछाल लेने वाला पैर सीधा तथा आगे का पैर घुटने से ऊपर उठा हुआ होना चाहिए| बाधा पार करने के बाद अगले पैर की जांघ को नीचे दबाते रहना चाहिए| इससे पंजा बाधा से अधिक दूरी पर न पड़कर उसके पास ही जमीन पर ही पड़ता है| पीछे के पैर को घुटनों से झुकाकर बाधा के ऊपर से जमीन के समानान्तर रखकर घुटने को छाती के पास से आगे की तरफ लाना चाहिए|
लंबी कूद Long Jump Game Rules in Hindi
लंबी कूद लगाने के लिए | |
रास्ते की लंबाई | 40 से 50 मीटर |
रास्ते की चौड़ाई | 1.22 मीटर से 1.25 मीटर |
अखाड़े से फट्टी की दूरी | 1 मीटर |
अखाड़े की लंबाई | 9 मीटर |
अखाड़े की चौड़ाई | 2.75 मीटर से 3.00 मीटर |
कूदने की प्रक्रिया How To Take Jump
इस खेल में भाग लेने वाला खिलाड़ी कुछ दूरी से भागता हुआ आता है| अखाड़े के पास एक फट्टी लगी होती है| वह उस फट्टी से लंबी कूद लेकर स्वयं को अखाड़े में गिरा देता है| अखाड़े में जंहा उसके पैर पड़ते है वह से फट्टी तक की दूरी खिलाड़ी की कूद की माप होती है| जो खिलाड़ी जितनी लंबी छलांग लगाता है, वही विजयी कहलाता है| छलांग यदि फट्टी के थोड़ा आगे पैर रखकर लगाई जाती है, तो उसका यह प्रयास असफल माना जाता है|
ट्रिपल जंप Tripple Jump Game Rules in Hindi
ट्रिपल जंप लगाने की विधि लंबी कूद से थोड़ी ही भिन्न है| अंतर केवल इतना है कि लंबी कूद में तो केवल एक ही कूद होती है, लेकिन इसमे लगातार तीन छलांगे लगानी होती है| पहली छलांग लेने के बाद जब पैर धरती को स्पर्श करते है, तो वही से उसी समय दूसरी छलांग लगाई जाती है| दूसरी छलांग के पैर जंहा धरती को स्पर्श करते है, वंहा से तीसरी छलांग लगाई जाती है| तीसरी छलांग में धरती को उसके पैर जंहा स्पर्श करते है, वंहा से पहली छलांग जंहा से प्रारम्भ होती है, वंहा तक की दूरी उसका परिणाम होती है| उसी के आधार पर खिलाड़ी विजेता घोषित किया जाता है|
दौड़ने की दूरी | 40 से 50 मीटर |
अखाड़े की लंबाई | 9 मीटर |
अखाड़े की चौड़ाई | 2.75 से 3.00 मीटर |
इस जंप में 13 मीटर पर फट्टी लगाई जाती है| यही से खिलाड़ी छलांग लगाता है, छलांग के समय घुटना लंबी कूद की अपेक्षा कम झुका होना चाहिए और दोनों बाजू भी पीछे की ओर होने चाहिए|
ऊंची कूद High Jump Athletics Game Rules in Hindi
इस खेल के लिए दो खंभे जमीन में गाड़े जाते है| खंभो के ऊपर एक छड़ राखी जाती है, जिसे क्रॉसबार कहा जाता है| इस क्रॉसबार के ऊपर से प्रतियोगी को कूदना पड़ता है| कूदने से पहले प्रतियोगी कुछ दूरी से दौड़ लगाते हुए आता है तथा उछलकर क्रॉसबार को छुए बिना उसके ऊपर से छलांग लगाता है| क्रॉसबार लकड़ी या किसी हल्की धातु की होती है| उसकी दूरी घटाई या बढ़ाई जा सकती है|
कूदने का क्षेत्र निम्नलिखित प्रकार से तैयार किया जाता है-
1. | क्रॉसबार की लंबाई – 13 फीट अधिकतम |
2. | क्रॉसबार का भार – 4 पौंड 63/8 औंस |
3. | स्तंभ पर लगे उन सहारों की लंबाई जिन पर क्रॉसबार रखा जाता है – 23/8 इंच |
4. | स्तंभ पर लगे सहारे की चौड़ाई – 11/2 |
5. | सहारे के सिरे व स्तंभ के बीच की दूरी – 3/8 इंच |
6. | अखाड़े की लंबाई – 5 मीटर |
7. | अखाड़े की चौड़ाई – 3 मीटर |
ऊंची कूद में सावधानियां
यदि छलांग लगाते समय क्रॉसबार गिर जाए, तो कूद विफल हो जाती है| छलांग लगाते समय दोनों भुजाओ को एक साथ पीछे से आगे, कोहनियो को मोड़कर ऊपर की ओर तेजी से लाया जाता है| साथ-साथ पीछे रखे पांव को भी ऊपर की ओर उछाला जाता है|
बांस कूद का खेल Pole Jump Game Rules in Hindi
बांस कूद बहुत ही साहसिक व चुनौती से भरा खेल है| थोड़ी-सी गलती होते ही चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है| इस प्रतियोगिता में खिलाड़ी बांस पकड़कर दूर से दौड़ता हुआ आता है तथा निर्धारित किए गए निशान से बांस की सहायता से ऊंची छलांग लेकर क्रॉसबार को पार करता है| इस प्रतियोगिता में अखाड़े में रबड़ मे गद्दे बिछाए जाते है, जिससे खिलाड़ी को चोट न लग सके|
कूदने का स्थान लकड़ी का संदूक होता है, जिसे जमीन में गाड़ दिया जाता है| बाएं हाथ से शरीर के सामने हथेली को जमीन की ओर रखकर बांस को पकड़ा जाता है| दायां हाथ शरीर के पीछे पुट्ठे के पास दाईं ओर बांस के अंतिम सिरे की ओर होता है| कभी-कभी ऐसा होता है कि छलांग लगाते समय बांस टूट जाता है| इस स्थिति में यदि शरीर का को अंग क्रॉसबार को स्पर्श नहीं करता, तो छलांग सफल मानी जाती है|
मैदान तथा खेल के अन्य उपकरण Field size and kit required
लकड़ी के संदूक की लंबाई | – | 3.5 फीट |
लकड़ी के संदूक की लंबाई | – | 2 फीट |
अखाड़े की लंबाई | – | 13 फीट 2 इंच |
अखाड़े की चौड़ाई | – | 16.5 फीट |
लैंडिंग क्षेत्र की चौड़ाई | – | 10 फीट 8 इंच |
टेक ऑफ से लैंडिंग क्षेत्र की दूरी | – | 11 मीटर |
क्रॉसबार की लंबाई | – | 4.50 मीटर |
दौड़ने की दूरी | – | 40 से 50 मीटर |
फाउल कैसे होता है How is foul in the game
धरती छोड़ने के पश्चात जिस हाथ से बांस पकड़ा जाता है, उसका दूसरा सिरा यदि हाथ की पकड़ से ऊपर ले जाता है या ऊपर वाले हाथ को बास पर अधिक ऊपर ले जाता है, तो फाउल होता है| यदि छलांग लगाते समय क्रॉसबार गिर जाता है तो भी फाउल होता है| संदूक के अतिरिक्त यदि खिलाड़ी के शरीर का कोई अंग धरती को स्पर्श करता है, तो भी प्रयास असफल माना जाता है|
चक्का फेंकना के खेल Disc Throw Game Rules in Hindi
चक्का प्रायः लकड़ी का बना होता है, लेकिन इसकी परिधि पर अलग से धातु चढाई जाती है| पुरुष वर्ग के लिए चक्के का भार 1.5 कि.ग्रा. तथा महिला वर्ग के लिए 1 कि.ग्रा. होता है| जंहा से खड़े होकर यह फेंका जाता है, वह एक वृत्ताकार स्थान होता है, जिसका व्यास 8 फीट 21/2 इंच होता है| इसे एक हाथ से पकड़कर फेंका जाता है|
फेंकने कि विधि Method of Throwing Disc
चक्का फेंकने की क्रिया एथलीट की शारीरिक क्षमता पर निर्भर करती है| इसके फेंकने की प्रक्रिया को निम्नलिखित चार भांगों में बांटा जा सकता है-
1. | पकड़ |
2. | घूमकर आगे की ओर छलांग लगाना |
3. | फेंकना |
4. | स्वयं का भार संभालना |
पकड़ – इसका पकड़ना एथलीट की उँगलियो पर निर्भर करता है| चक्के के दाएं हाथ की हथेली पर रखकर इस तरह से पकड़ा जाता है| कि उँगलियो के आखिरी छोर चक्के के किनारो पर आ जाए|
घूमकर आगे की ओर छलांग लगाना – चक्का फेंकने के लिए एथलीट को अपने स्थान पर खड़े-खड़े ही चक्कर लगाने पड़ते है| एथलीट अपनी सुविधा और क्षमता के अनुसार 1 से 4 चक्कर लगाना सही मानता है| फेंकने की क्रिया प्रारम्भ करने के लिए एथलीट को दाईं भुजा को पीछे की ओर ले जाना चाहिए| दायां भाग जब पीछे जाता है, तब शरीर का भार दाएं पैर पर आ जाता है, तब तुरंत ही बायां पैर बाईं ओर घूमा लेना चाहिए| इस समय शरीर का वजन बाएं पैर पर करते हुए उछाल लेकर अप किया जाना चाहिए| इसमे दायां पैर घेरे के केंद्र के पास पहुच जाता है| उछाल के समय कुछ पलो के लिए दोनों पांव धरती से ऊपर होते है|
फेंकना – उछाल लेने की क्रिया से दायां पांव चक्र फेंकने की दिशा में आ जाता है| इस स्थिति में घुटने तन जाते है| कूल्हे दाईं ओर से बाईं ओर आ जाते है, भुजा कंधे की सीध में आ जाती है तथा उँगलियो की पकड़ मजबूत हो जाती है| चक्का क्लोकवाइज़ दिशा में हवा में नाचता हुआ धरती पर नीचे गिर जाता है|
भार संभालना – चक्का फेंकने के बाद यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि स्वयं को कैसे संभाला जाए| इसके लिए कुछ देर तक अपना शरीर उसी स्थिति में रखना चाहिए| इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति मे परी वृत्त से बाहर नहीं निकले|
गोला फेकने का खेल
लिंग और आयुवर्ग के अनुसार गोला तीन प्रकार का होता है, पर यह गोला पीतल या लोहे का बना होता है-
1. | 16 पौंड का गोला – यह गोला पुरुष वर्ग के लिए होता है| |
2. | 12 पौंड का गोला – यह गोला महिला वर्ग के लिए होता है| |
3. | 8 पौंड का गोला – यह गोला जूनियर वर्ग के लिए होता है| |
गोला फेंकने की पद्धतियाँ
गोला फेंकने कि तीन पद्धतियाँ है –
1. | साइड थ्रो पद्धति – | यह प्राचीन विधि है| इस विधि के अनुसार जिधर फेंकना होता है, उस दिशा में मुंह करके ही खिलाड़ी को खड़ा होना पड़ता है| |
2. | पैरिओब्रिआन पद्धति – | यह पहली विधि का ही संशोधित रूप है इसमे खिलाड़ी थ्रो करने की दिशा से विपरीत दिशा में मुंह करके खड़ा होता है| |
3. | डिस्कोपैट पद्धति – | यह आधुनिक पद्धति कहलाती है| इसमे थ्रो करने से पहले खिलाड़ी को अपने स्थान पर खड़े हुए 11/4 चक्कर लगाना पड़ता है साथ ही विपरीत दिशा में खड़ा होना पड़ता है| |
गोला फेंकने की विधि
गोला भले ही किसी भी विधि से क्यों न फेंका जाए, एक वृत्ताकार घेरे के अंदर खड़े होकर फेंका जाता है| इस घेरे का व्यास 2.135 मीटर होता है| गोला दाएं हाथ की हथेली व उंगलियों के जोड़ पर रखा जाता है| इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कनिष्ठ उंगली तथा अंगूठा आगे की ओर तथा कोहनी व कलाई बिलकुल नीचे शरीर से 450 का कोण बनाती हो| गोला फेंकने वाला खिलाड़ी घेरे के अंदर गोला फेंकने की दिशा से विपरीत दिशा में पीठ करके खड़ा होता है| बायां पैर जमीन पर टिकाकर तथा दाएं पैर से थोड़ा हटकर बायां हाथ कोहनी के ऊपर रखकर गोला फेंका जाता है| गोला फेंकते समय यह जरूरी है कि खिलाड़ी किसी भी प्रकार के तनाव से स्वयं को मुक्त रखे|
वृत्ताकार घेरे में जिस जगह से थ्रो फेंका जाता है, उसके विपरीत दिशा की गोले की आधी सीमा या क्षेत्र को एथलीट एरिया कहा जाता है, जिस जगह से थ्रो किया जाता है, उस स्थान की अर्थात शेष एथलीट क्षेत्र के बाद के आधे भाग को थ्रोइंग एरिया कहते है| घेरे के मध्य जो एथलीट व थ्रोइंग एरिया को विभाजित करने वाली रेखा होती है,उसकी जानकारी के लिए घेरे (व्रत) के बाहर 2 फीट 6 इंच लंबी एक रेखा खींची जाती है, जो इंडिकेटर रेखा कहलाती है-
थ्रो की सावधानियाँ
1. | प्रतियोगी को गोला गिरने से पहले वृत्त के बाहर नहीं निकलना चाहिए| |
2. | प्रतियोगी अपना पैर विश्राम के लिए किनारे पर रख सकता है| |
3. | गोले को जबड़े व गरदन के अंदर कॉलरबोन के पास रखना चाहिए| |
4. | गोला फेंकते समय गरदन व शरीर का संतुलन नहीं बिगड़ना चाहिए| |
5. | यदि कोई खिलाड़ी वृत्त में आने के बाद अपने किसी अंग से सेक्टर (गोले को छोड़ने वाली जगह) की रेखा को स्पर्श कर लेता है, तो वह फाउल माना जाता है| |
6. | जिस स्थान से गोला फेंका जा रहा है, उस स्थान पर जिस विधि से गोला फेंका जाना है, उस ओर मुंह करके दोनों पैरो में 1 से 11/2 फीट की दूरी रखकर खड़ा होना चाहिए| |
भाला फेंकने का खेल
भाले का आकार |
पुरुष वर्ग के लिए भाले का वजन – 800 ग्राम |
महिला वर्ग के लिए भाले का वजन – 600 ग्राम |
पुरुष वर्ग के लिए भली की लंबाई – 2.20 से 2.30 मीटर |
भाला फेंकने का रन-वे – 30 मीटर से 36.50 मीटर |
रन-वे की चौड़ाई – 4 मीटर |
सिरे की लंबाई दोनों वर्गो के लिए – 25 से.मी. से 33 से.मी. |
भाले का सिरा किसी धातु का बना होता है तथा यह इतनी पैनी नोक वाला होता है कि आसानी से जमीन के अंदर घुस सके| इसका डंडा लकड़ी का बना होता है| इसके गुरुत्व केंद्र पर एक डोरी होती है, जो चारो ओर लिपटी रहती है|
भाला फेंकने की कला
सन् 1900 से 1920 तक भाला तीन तकनीकों से फेंका जाता था| इसे स्वीडन तकनीक कहते थे| इस तकनीक से भाला तीन कदम दौड़कर पत्थर की तरह फेंका जाता है| सन् 1906 तक भाले कों पीछे से पकड़कर फेंका जाता था| उस समय भाले पर डोरी नहीं लपेटी जाती थी| 1920 से 1932 तक फेंकने की पोलिश तकनीक प्रयोग की जाने लगी थी| इस तकनीक में भाला दौड़ते समय कंधे पर रहता था और शरीर पूरी तरह कमान की भांति तन जाता था| आधुनिक भाला फेंकने की कला कों निम्नलिखित भांगों में बांटा जा सकता है-
1. | प्रारम्भिक स्थिति |
2. | परिवर्तन पग |
3. | एप्रोच दौड़ |
4. | क्रॉस पग |
5. | भाला छोड़ने वाला पग |
6. | भाला छोड़ने की क्रिया |
- प्रारम्भिक स्थिति – भाला फेंकने के लिए अधिक-से-अधिक तीव्र गति से दौड़ना पड़ता है| जंहा से भाला फेंका जाता है, वंहा 8 मीटर व्यास का एक वृत्त बनाया जाता है| उस वृत्त से उचित दूरी पर चिह्न बना लेना चाहिए| इस चिह्न पर पैरो कों सुविधानुसार स्थिति में रखकर तथा भाले सहित दौड़ने की स्थिति में खड़ा होना चाहिए|
- परिवर्तन पग – जिस स्थान से भाला फेंकने के लिए परिवर्तन पग लेते है, उस स्थान पर एक चैक चिह्न लगाया जाता है| चैक चिह्न पर पहुचने के बाद खिलाड़ी कों भाले वाली भुजा कों पीछे की ओर ले जाने तथा छड़ कों पीछे की ओर घुमाने की स्थिति में लाने के लिए प्रायः दो अथवा तीन पग लेने पड़ते है| इन्हे ही परिवर्तन पग कहते है|
- एप्रोच दौड़ – तीव्र गति की दौड़ से ही भाला फेंका जाता है, यह एप्रोच दौड़ कहलाती है| चैक चिह्न पर अपने दाएं पैर से पहुचने के लिए खिलाड़ी कों यदि उसकी एप्रोच दौड़ के पगों की संख्या सम हो, तो उसे दाहिने पैर से अथवा पगों की संख्या विषम होने पर बाएं पैर से अपनी एप्रोच दौड़ शुरू करना चाहिए|
- क्रॉस पग – क्रॉस पग परिवर्तन पगों की संख्या के आधार पर तीसरा अथवा चौथा पग हो सकता है| यह पग लेते समय जब खिलाड़ी बाएं पैर से आगे बढ़ रहा हो, तो उसे अपना दायां घुटना प्रबल शक्ति से ऊपर ले जाकर दायां पैर बाएं के पीछे रखना चाहिए| दाएं पैर का पंजा भाला फेंकने की दिशा से 450 का कोण बनाते हुए स्थिर करना चाहिए| क्रॉस पग की यह स्थिति शरीर का भार और आगे जाने से पूर्व ले लेना चाहिए| क्रॉस पग के कारण शरीर तथा धड़ कों और अधिक पीछे झुकने में सहायता मिल सकेगी|
- भाला छोड़ने वाला पग – भाला छोड़ने के लिए खिलाड़ी कों अंतिम पग के लिए दाईं टांग मोड़कर बाईं आगे की ओर बढ़ा लेना चाहिए, जिससे भाले कों पूर्ण शक्ति से फेंकने के लिए शरीर की पीछे पूर्ण रूप से झुकाया जा सके| इस पग में बाईं टांग कों भाला फेंकने की दिशा से 5-7 इंच बाईं ओर रखना चाहिए तथा शरीर लगभग दाईं ओर मुड़ा होना चाहिए|
- भाला छोड़ने की क्रिया – भाला छोड़ने के समय खिलाड़ी के शरीर का भार आगे वाले पैर पर होना चाहिए तथा दायां कंधा ऊपर उठा रहना चाहिए| भाला छोड़ने से पहले खिलाड़ी का शरीर हवा में उठ जाना चाहिए| भाले कों किस कोण से छोड़े, इसका निर्णय वंहा प्रवाहित हवा की भांति तथा दशा कों ध्यान में रखकर करना चाहिए|
भाला फेंकने के नियम
1. | भाले कों कंडे के ऊपर से फेंकना चाहिए| |
2. | भाला छोड़ने से पहले खिलाड़ी कों अपनी पीठ पूरी तरह से फेंकने वाले वृत्तखंड की ओर नहीं करना चाहिए| |
3. | यदि वृत्तखंड तथा सिरो पर चिह्रित की गई रेखाओ कों अथवा इनसे आगे की भूमि कों खिलाड़ी अपने शरीर के किसी अंग से स्पर्श कर देता है, तो यह उल्लंघन माना जाता है। |
4. | सही थ्रो के लिए यह आवश्यक है कि भाले कि नोक उसके किसी और के भाग से पूर्व जमीन पर गिरे| |
5. | सही थ्रो के लिए आवश्यक है कि नोक अवतरण क्षेत्र के भीतरी किनारों के अंदर गिरे| |
6. | थ्रो की दूरी भाले की नोक से धरती पर बनाए गए निशान से वृत्तखंड के भीतरी किनारे तक चिह्न से वृत्त की दिशा में मापी जानी चाहिए| |
7. | इस प्रतियोगिता में प्रत्येक प्रतिभागी कों 3-3 अवसर प्राप्त होते है| उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ही मूल्यांकन का आधार बनता है| |
8. | प्रत्येक प्रतिभागी कों सर्वश्रेष्ठ फेंक एक झंडी द्वारा दर्शायी जानी चाहिए| |
9. | प्रतिभागी अपने दौड़ मार्ग के बाहर चैक चिह्न रख सकता है, परंतु दौड़ मार्ग पर नहीं| |
10. | भाले की अवधि रूप से छोड़ना उल्लंघन माना जाता है। |
11. | जब तक भाला जमीन कों न स्पर्श कर ले, प्रतिभागी कों दौड़ मार्ग से बाहर नहीं जाना चाहिए| भाला जमीन पर गिरने के बाद खिलाड़ी कों वृत्तकार तथा इसके सिरो पर चिह्रित रेखाओ के मध्य खड़े होने की स्थिति से पीछे से बाहर आना चाहिए| |
12. | यदि फेंकते समय भाला टूट जाए, तो यह विफल प्रयास नहीं माना जाता| |
अर्जुन पुरस्कार विजेता Arjun Award Winner of Athletics in Hindi
नाम | वर्ष |
गुरुवचन सिंह रंधवा | 1961 |
तरलोक सिंह | 1962 |
एस. डिसूजा | 1963 |
माखन सिंह | 1964 |
के.एस. पावल | 1965 |
अजमेर सिंह | 1966 |
बी.एस. बरुआ | 1966 |
परवीन कुमार | 1967 |
भीम सिंह | 1967 |
जोगिंदर सिंह 1 | 1968 |
मनजीत वालिया | 1968 |
हरनेक सिंह | 1969 |
मोहिंदर सिंह गिल | 1970 |
एडवर्ड रिस्कवेरा | 1971 |
विजय सिंह चौहान | 1972 |
श्रीराम सिंह | 1973 |
टी.सी. योहाना | 1974 |
शिवनाथ सिंह राजपूत | 1974 |
हरीचंद | 1975 |
वी. अनुसूयाबाईं | 1975 |
बहादुर सिंह | 1976 |
गीता जुल्शी | 1976 |
सुरेश बाबू | 1978 |
एंजिल मैरी जोसफ | 1978 |
रामा स्वामी ज्ञानशेखरन | 1979 |
गोपाल सैनी | 1980 |
साबिर अली | 1981 |
चार्ल्स बारोमिया | 1982 |
चांद राम | 1982 |
एम. डी. वलसम्मा | 1982 |
सुरेश यादव | 1983 |
पी.टी. उषा | 1983 |
राजकुमार | 1984 |
कु. शाइन के. अब्राहम | 1984 |
आर.एस. बल | 1985 |
ए.जे. सुमारीवाला | 1985 |
सुमन रावत | 1986 |
वंदना शानबाग | 1986 |
बलविंदर सिंह | 1987 |
वंदना राव | 1987 |
बगीचा सिंह | 1987 |
अश्वनी नचप्पा | 1988 |
मर्सी कुट्टन | 1989 |
दीना राम | 1990 |
बहादुर प्रसाद | 1992 |
के. सारम्मा | 1993 |
के.सी. रोसा कुट्टी | 1994 |
शक्ति सिंह | 1995 |
ज्योतिर्मयी सिकंदर | 1995 |
अजित भदूरिया | 1996 |
पद्मनी थॉमस | 1996 |
रीथ अब्राहम | 1997 |
सिरी चंद राम | 1998 |
नीलम जे. सिंह | 1998 |
एस. डी. ईशान | 1998 |
रचिता मिस्त्री | 1998 |
परमजीत सिंह | 1998 |
गुलाब चंद | 1999 |
गुरमीत कौर | 1999 |
रीस. मेजर | 1999 |
सुनीता रानी | 1999 |
के.एम. बीना मोल | 2000 |
विजय भालचंद्र मुनीश्वर | 2000 |
के.आर. शंकर | 2001 |
अंजुवावी जार्ज | 2002 |
सरस्वती साहा | 2002 |
सोमा विश्वास | 2003 |
माधुरी सक्सेना | 2003 |
अनिल कुमार | 2004 |
जे.जे. शोभा | 2004 |
देवेन्द्र जाड़नारियां | 2004 |
मंजीत कौर | 2005 |
के.एम. विनु | 2006 |
चित्रा के सोमान | 2007 |
सिनीमोल | 2009 |
जोसेफ अब्राहम | 2010 |
कृष्णा पुनिया | 2010 |
जगसीर सिंह | 2010 |
प्रीजा श्रीधरन | 2011 |
सुधा सिंह | 2012 |
कविता रामदास | 2012 |
दीपा मलिक | 2012 |
रामकरन सिंह | 2012 |
अमित कुमार सरीध | 2013 |
टिन्टु लुका | 2014 |
एम.आर. पुअम्मा | 2015 |
संदीप सिंह मान | 2016 |
Arokia Rajiv | 2017 |
Neeraj Chopra | 2018 |
Sundar Singh Gurjar | 2019 |
Nice informatation