बाइचुंग भूटिया का जीवन परिचय Baichung Bhutia Biography In Hindi

Baichung Bhutia Biography In Hindi

बाइचुंग भूटिया का जीवन परिचय (Baichung Bhutia Biography In Hindi Language)

Baichung Bhutia Biography In Hindi

नाम : बाइचुंग भूटिया
जन्म : 15 दिसम्बर, 1976
जन्मस्थान : टिंकिटम, गंगटोक (सिक्किम)

1998 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ जीतने वाले बाइचुंग भूटिया अपने प्रशंसकों की बीच अंतरराष्ट्रीय फुटबाल क्षेत्र में भारतीय फुटबाल टीम के ‘टार्च बियरर’ अर्थात मार्गदर्शक के नाम से जाने जाते है | वह 1999 का ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्राप्त कर चुके हैं | वह भारतीय फुटबाल के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं, उनका खेलने का अलग अंदाज है, उनमें उत्तम दर्जे की स्ट्राइक करने की क्षमता है | वह वास्तव में अन्तरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं | वह भारत के पहले फुटबाल खिलाड़ी है जिन्हें इंग्लिश क्लब के लिए खेलने के लिए आमंत्रित किया गया था ।

बाइचुंग भूटिया का जीवन परिचय (Baichung Bhutia Biography In Hindi)

बाइचुंग भूटिया ने सर्वप्रथम 11 वर्ष की आयु में ताशी नांगियाल अकादमी, गंगटोक में भाग लेने के लिए साई स्कालरशिप जीती । उसकी उच्चतर माध्यमिक शिक्षा ताशी नांगियाल से हुई । उसने सिक्किम में अनेक स्कूल व क्लब प्रतियोगिताओं में बचपन से ही हिस्सा लिया । 1991 में सुब्रोतो कप में किया गया उसका अच्छा प्रदर्शन उन्हें प्रकाश में लाया और उसे आगे बढ़ने का मौका मिला । इस खेल में उसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया ।

उसका खेलने का उच्च स्तर तब पता लगा जब वह ‘सिक्किम गवर्नर कोल्ड कप टूर्नामेंट में 1991 में सिक्किम ब्लूज का सदस्य था । तब वह मात्र 17 वर्ष का था लेकिन पुरुषों की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहा था ।

1993 में बाइचुंग ने मात्र 16 वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ दिया और अच्छी व्यावसायिक ट्रेनिंग के लिए ईस्ट इंडिया क्लब में शामिल हो गया । 1995 में बाइचुंग ने जे.सी.टी. मिल्स, फगवाड़ा की टीम में शामिल होने का फैसला लिया और उनका यह निर्णय सही साबित हुआ जब इस टीम ने इस वर्ष का राष्ट्रीय फुटबाल लीग मैच जीत लिया । बाइचुंग इस लीग मैच में सबसे बड़ा स्कोरर था । अत: उसका चयन ‘नेहरू कप’ में खेलने के लिए भी आसानी से हो गया ।

संतोष ट्राफी के वक्त वह 5 वर्ष तक बंगाल टीम का सदस्य रहा ।

1989-1999 में वह ईस्ट बंगाल क्लब का कैप्टेन बना । उसने भारत का प्रतिनिधित्व प्रि-ओलंपिक, विश्व के क्वालीफाइंग मैचों में, नेहरू कप, एशियन खेलों में तथा सैफ खेलों में किया है । 1999 में उसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया ।

1996 में बाइचुंग भूटिया को ‘वर्ष का भारतीय खिलाड़ी’ चुना गया । भूटिया ने अन्य अनेक पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं ।

1997 में वह पुन: ईस्ट बंगाल टीम में वापस आ गया और 1998-1999 के लिए टीम का कप्तान बना दिया गया । बाइचुंग ने 35 से अधिक गोल दागे है और इस प्रकार अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय खेल को नई दिशा प्रदान की है ।

1999 में वह ”बरी फुटबाल कप” खेलने के लिए मानचेस्टर, इंग्लैंड के लिए रवाना हो गया ।

2002 में बाइचुंग भारत लौटा और एक वर्ष के लिए मोहन बागान में शामिल हो गया । एक वर्ष बाद वह पुन: ईस्ट बंगाल क्लब में शामिल हुआ और उस टीम को एशियन कप क्लब चैंपियनशिप जीतने में सहायता की । तभी उसे मलेशिया के चैंपियनशिप क्लब, एफ सी का न्योता आया, जिसे उसने स्वीकार कर लिया और अगस्त से अक्टूबर 2003 तक वह उनके साथ रहा ।

नवम्बर 2003 में भूटिया ने एडिडास इंडिया मार्केटिंग प्रा. लि. के साथ एक डील पर हस्ताक्षर किए जिससे उसने उस कंपनी को प्रोमोट किया ।

2004 में बाइचुंग ने एक समाचार पत्र को साक्षात्कार दिया । उससे पूछा गया कि जब आपको भारतीय बैकहम (लंदन का प्रसिद्ध फुटबाल खिलाड़ी) कहा जाता है तो आपको कैसा लगता है तो उसने कहा यदि मुझे कोई भारत का बेकहम बुलाता है तो निश्चय ही मुझे बहुत अच्छा लगता है ।

बाइचुंग से उनके टैम्पर के बारे में पूछा गया कि क्या वह जल्दी ही क्रोधित हो जाते हैं और वह आखिरी बार कब गुस्सा हुए थे तो वह बोले-मैं बहुत ही शान्त इंसान हूं इसलिए मुझे गुस्सा बहुत कम आता है । मुझे याद नहीं कि कब मैं गुस्सा हुआ था । बाइचुंग को फुटबाल प्रेमियों के बीच ‘सैक्स सिंबल’ कहा जाता है । इस बारे में प्रतिक्रिया जताते हुए उन्होंने कहा-किसी के ऐसा कहने पर मुझे कुछ बुरा नहीं लगता ।

उपलब्धियां :

भारतीय फुटबाल टीम में फारवर्ड के स्थान पर खेलने वाले बाइचुंग की मुख्य उपलब्धियां इस प्रकार हैं –

सुब्रोतो कप का वह सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बना ।

1997 में जे.सी.टी. के प्रथम राष्ट्रीय लीग मैच के विजेता | इसमें सर्वाधिक स्कोर बाइचुंग का रहा |

1999 में सैफ (SAFF), नेपाल में विजेता, सर्वाधिक स्कोर |

1999 में सैफ (SAFF), गोवा में विजेता, सर्वाधिक स्कोर |

मई 1999 में माह के एशियाई खिलाड़ी घोषित (प्लेयर आफ द मंथ) |

1999 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित |

1995 में नेहरु कप टूर्नामेंट में भारत के लिए गोल दागने वाला सबसे कम उम्र का खिलाड़ी बना । यह मैच उज्बेकिस्तान के विरुद्ध खेला गया |

1995 से कलकत्ता सुपर डिवीजन का सर्वश्रेष्ठ-खिलाड़ी घोषित | इसमें वह टॉप स्कोरर रहा ।

1999 में बाइचुंग वर्ष का सर्वश्रेष्ठ भारतीय खिलाड़ी घोषित |

1999 में सिक्किम राज्य पुरस्कार दिया गया ।

अक्टूबर 1999 के फुटबाल लीग में खेलने वाला भारत में जन्मा प्रथम भारतीय खिलाड़ी |

अप्रैल 2000 के फुटबाल लीग में स्कोर बनाने वाला भारत में जन्मा प्रथम भारतीय खिलाड़ी बना |

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