
स्कीइंग खेलने के नियम हिंदी में Basic Rules Of Playing Skiing In Hindi
यह एक ऐसा खेल है, जिसमे बर्फीली ढालों पर लंबी जोड़ी के फ्लैट रनर के जूते पहनकर बर्फ पर फिसला जाता है| भारत में यह खेल अंग्रेज़ो द्वारा लाया गया है| यह भी एक रोमांचक और जोखिम भरा खेल है| प्रारंभ में यह एक मौज-मस्ती का माध्यम था| बाद में इसे खेल का रूप दिया गया| लोग केवल मनोरंजन के लिए लकड़ी के बड़े-बड़े तख्तो पर अपने आपको बांधकर फिसला करते थे| इसके लिए रबड़ के टायर अथवा ट्यूब का भी प्रयोग किया गया|
लकड़ी से बनी स्कीज का प्रचलन काफी समय पश्चात हुआ| सन् 1930 के पश्चात ये स्कीज लकड़ी की कई परते जोड़कर बनाई जाने लगी| सन् 1950 के पश्चात लकड़ी के बाहर की तरफ प्लास्टिक का प्रयोग किया जाने लगा था|
आजकाल प्रतिस्पर्धाओ में धातु, लकड़ी व प्लास्टिक से बनी स्कीज का प्रयोग किया जाता है| सन् 1961 में विश्व का प्रथम स्कीज क्लब नार्वे में स्थापित किया गया| ‘फेडरेशन इंटरनेशनल द स्की’ नामक अतंर्राष्ट्रीय संस्था इसके नियम बनाती है तथा अतंर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता आयोजित करने की अनुमति भी प्रदान करती है|
स्कीज कितने प्रकार की होती है Skeej
स्कीइंग में प्रयोग की जाने वाली स्कीज तीन प्रकार की होती है-
1. | निचली पहाड़ी की स्कीज| |
2. | उछलने अथवा छलांग लगाने वाली स्कीज| |
3. | क्रॉस काउंट्री स्कीज| |
ये स्कीज आगे से नोकदार होती है तथा इंका अगला भाग ऊपर की ओर मुड़ा हुआ होता है | पैरों के मध्य,नीचे वाले भाग से ये मोटी होती है | आखिरी किनारे से यह सबसे पतली होती है | निचली पहाड़ी की स्कीज की लंबाई 7 फीट होती है तथा चौडाई तीन इंच होती है | छलांग लगाने वाली स्कीज की लंबाई 8 फीट होती है| क्रॉस काउंट्री स्कीज वजन मे हलकी होती है|
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अन्य क्या चीजों की जरूरत होती है
जूते | निचली पहाड़ी की स्कीइंग के लिए जूते समतल व सख्त तली वाले भारी चमड़े के होने चाहिए इनसे स्कीज पर सही प्रकार से नियंत्रण रखा जा सकता है| छलांग व क्रॉस काउंट्री स्कीइंग के लिए हलके व लचीले जूते होने चाहिए| इनमे एड़ी को ऊंचा करने के लिए बंधनो को भी लगाया जाता है| |
छड़ी | स्कीइंग का खिलाड़ी दोनों हाथो में एक-एक छड़ी रखता है| इनकी सहायता से वह अपनी गति बनाता है| स्वयं को उछालने में एड़ी की सहायता लेता है तथा दिशा भी परिवर्तित कर सकता है| निचली पहाड़ी की स्कीइंग के लिए दोनों हाथो मे कम-से-कम 4 फीट लंबी धातु की बनी छड़ी प्रयोग की जाती है| खिलाड़ी की ऊंचाई के अनुसार भी छड़ी की लंबाई घटाई-बढ़ाई जा सकती है| छलांग लगाने व क्रॉस काउंट्री के लिए छड़ी का आकार भिन्न होता है| ये छड़ी खिलाड़ी को किसी भी स्तर तक उछालने व धकेलने में सहायक होती है| |
सुरक्षा संबंधी नियम Suraksha Sambandhee Niyam
आज के युग में स्कीइंग दिनोंदिन लोकप्रिय होती जा रही है| इस कारण स्कायर की संख्या बढ़ती जा रही है| अंतः स्काई रिजार्ट्स में पहुचने वाले व्यक्तियों के लिए सुरक्षा नियमावली का होना आवश्यक हो गया है| एक स्कायर के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना आवश्यक है-
1. | प्रत्येक फिसलते खिलाड़ी को दूसरे खड़े हुए खिलाड़ी को ध्यान में रखकर तथा उचित दूरी से पार करना चाहिए| |
2. | खिलाड़ी के रुकने से यदि किसी ट्रेल में बांधा पड़ती हो, तो खिलाड़ी को उसमे नहीं रुकना चाहिए| |
3. | यदि कोई खिलाड़ी ट्रेल में प्रवेश करता है, तो उसे दूसरी ट्रेल के खिलाड़ी को दाईं ओर से पार करना चाहिए| |
4. | प्रत्येक खिलाड़ी को सदव अपनी दाईं दिशा से चलना चाहिए| |
5. | गिर जाने की स्थिति में खिलाड़ी को तुरंत उठकर सुरक्षित स्थान पर निकाल जाना चाहिए, जिससे दूसरे खिलाड़ियो के रास्ते में कोई बढ़ा उत्पन्न न हो सके| |
6. | प्रत्येक ऊपर की पहाड़ी के खिलाड़ी का यह दायित्व है कि वह नीचे के खिलाड़ी को सुरक्षा प्रदान करे| |
स्कीइंग के लिए महत्वपूर्ण स्थान Important Places For Skiing
भारत में स्कीइंग के कुछ स्थान इस प्रकार है-
1. | मनाली में नरकंडा नामक स्थान पर जनवरी से मार्च तक स्कीइंग का आयोजन किया जाता है| |
2. | सोलंग घाटी स्कीइंग के लिए सबसे उत्तम स्थान है| यंहा मध्य दिसम्बर से मार्च तक स्कीइंग चलती है| |
3. | कश्मीर में स्कीइंग का आयोजन दिसम्बर से अप्रैल तक गुलमार्ग में किया जाता है| |
4. | गढ़वाल मंडल में औली भी स्कीइंग के लिए अच्छा स्थान है| |