
यह अपेक्षाकृत एक नया खेल है| इसकी शुरुआत सन् 1891 में अमेरिकी निवासी जेम्स स्मिथ ने की थी| सन् 1895 में पहली बार बास्केटबॉल की नियमवली का प्रकाशन किया गया| उस समय इसका आयोजन अमेरिका के वाई.एम.सी.ए. कॉलेज ऑफ फ़िज़िकल एजुकेशन में किया गया था| इस खेल से संबधित अंतर्राष्ट्रीय समिति का गठन सन् 1932 में किया गया|
यह एक ऐसा खेल है, जिसका आयोजन इनडोर और आउटडोर दोनों स्थानों प किया जा सकता है| भारत में इस खेल का प्रयोग स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद किया गया| सन् 1950 में भारतीय बास्केटबॉल संघ की स्थापना हुई| वर्तमान में इसका आयोजन विधालय,विश्वविधालय स्तर पर खूब किया जा रहा है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस खेल का प्रदर्शन निराशाजनक ही कहा जा सकता है|

बास्केटबॉल का मैदान Basketball ka maidan kaisa hota hai
इस खेल के मैदान को कोर्ट कहा जाता है| यह मैदान एक आयताकार स्थान होता है| कोर्ट के दोनों ओर आमने-सामने सो पोल लगे होते है, जिन पर बास्केट लटकी रहती है| यदि यह खेल हाँल में खेला जाए, तो हाँल की छत कम-से-कम 7 मीटर ऊंची होना चाहिए| पोल के टॉप से लकड़ी का एक बोर्ड लगा होता है, जो गेंद को बाहर जाने से रोकता है| कोर्ट के अंदर तीन सर्कल बने होते है, जिनमे एक मध्य में होता है और दो फ्री-थ्रोइंग क्षेत्र में होते है|
बास्केटबॉल मैदान की लम्बाई चौड़ाई Basketball Field Dimensions
बास्केट का रंग प्रायः सफ़ेद या नारंगी होता है| इसका अंदर से व्यास 45 से.मी होता है| इन्हे धातु के छल्ले की सहायता से बांधकर लटकाया जाता है| ये छल्ले जमीन से 3 मीटर ऊपर होने चाहिए| प्रत्येक बास्केट की गहराई 40 से.मी| बॉल धातु के छल्ले में डालकर ही गोल किया जाता है| बास्केट के पीछे लगे जोड़ का आकार 6 गुणा 4 फीट होता है|

बास्केटबॉल की गेंद कैसी होती है Type of Basket Balls
गेंद का बाहरी आवरण चमड़े का होता है| इसके भीतर रबड़ का एक ब्लेडर होता है| गेंद की परिधि 75 से.मी से 78 से.मी तक होती है| इसका भार 600 ग्राम से 650 ग्राम तक होता है| इसमे हवा का दबाव इतना होना चाहिए की यदि इसे लकड़ी के तल पर 6 फीट की ऊंचाई से गिराया जाए,तो इसकी उछाल 4 फीट 8 इंच होना चाहिए| |
बास्केटबॉल में टीम्स कैसी होती हैं Basketball Teams
खेल के दौरान प्रत्येक टीम में पाँच खिलाड़ी होते है| खेल के समय यदि कोई खिलाड़ी गंभीर रूप से घायल हो जाता है, तो उसकी जगह पर स्थानापन्न खिलाड़ी खेलने के लिए नियुक्त किया जाता है| |
खेल की तकनीक Basketball Kaise Khelte Hain
- पास देना – खेल के दौरान जब एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी तक गेंद पहुंचाता है, तो उसे पास देना कहा जाता है|
- ड्रिबल – जब बॉल को उंगलियों द्वारा जमीन पर उछाला और आगे बढ़ाया जाता है, तो उसे ड्रिबल कहते है| बॉल को नीचा रखकर घुटने तथा शरीर के ऊपरी भाग को झुकाकर ड्रिबल किया जाता है|
- शॉट लगाना –जब कोई खिलाड़ी बॉल को बास्केट में डालने के लिए उसे फेंकता है, तो इस क्रिया को शॉट लगाना कहते है| यदि खिलाड़ी कोर्ट के किसी भाग से शॉट द्वारा बॉल रिंग में डालता है, तो उसे तीन अंक प्राप्त होते है|
- बॉल रोकना – खेल द्वारा बॉल को सही ढंग से रोकना और उसे अपने नियंत्रण में करना, यह एक प्रमुख तकनीक है| बॉल रोकना इस बात पर निर्भर करता है, की अन्य खिलाड़ी ने उक्त खिलाड़ी को किस प्रकार से बॉल फेंकी है| जैसे बॉल जमीन पर पटककर फेंकी गई है, बॉल को हवा में फेंका गया है अथवा तेज ड्रिबल्स द्वारा प्रदान की गई है|
- फ्रीथ्रो – स्वेछा से किए गए फाउल के फलस्वरूप विरोधी को फ्री-थ्रो दी जाती है| जब खिलाड़ी फ्री-थ्रो लेता है,तो वह थ्रो-रेखा के पास खड़ा होता है| फ्री-थ्रो लेने के समय विरोधी टीम के दो खिलाड़ी बास्केट के पास खड़े होते है तथा बाकी के खिलाड़ी कोई भी पाँजीशन ले सकते है|
- खेल की अवधि – इस खेल की अवधि 20-20 मिनट के दो भांगों की होती है| विश्राम काल का समय 10 मिनट का होता है|
कुछ सामान्य नियम Basketball Khelne Ke Niyam
- खिलाड़ी की पोशाक पर सामने 10 से.मी एवं पीठ पर 2 से.मी आकार की संख्या को अंकित किया जाता है|
- रेफरी की अनुमति के बिना कोई खिलाड़ी क्रीडा-क्षेत्र नहीं छोड़ सकता|
- एक मैच के लिए एक रेफरी, एक निर्णायक, एक समयपाल, एक फलनकर्ता तथा एक तीस सेकंड परिचालक को नियुक्त करना अनिवार्य है|
- खेल आरंभ करने के लिए रेफरी बॉल को क्रीडा- क्षेत्र के मध्य में उछालता है|
- रेफरी व निर्णायक के निम्नलिखित कार्य होते है-
- बॉल को खेल में डालना|
- बॉल मृत होने पर सूचित करना|
- खेल को रोकने के लिए सीटी बजाना|
- दंड की व्यवस्था करना|
- टाइम आउट का आदेश देना|
- स्थानापन्न खिलाड़ी को खेल में सम्मिलित करना|
- जब बॉल बास्केट में ऊपर से जाकर रुक जाए अथवा निकाल जाए,तो गोल माना जाता है|
- क्रीडा- क्षेत्र से गोल करने पर दो अंक प्राप्त किए जाते है|
- यदि दोनों टीमो के अंक सामान है, तो पाँच मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाता है|
- स्थानापन्न के लिए 20 सेकंड से अधिक समय नहीं मिलता है|
- कोई खिलाड़ी अंतःरेखाओ के मध्य 3 सेकंड से अधिक नहीं रुक सकता|
- मृत बॉल जंहा पर होती है, वही से साइड-थ्रो करना होता है|
- यह खेल पुरुष व महिलाओ दोने के द्वारा खेला जाता है|
बॉल निम्नलिखित परिस्थितियों में मृत मानी जाती है When Basketball is Dead
- यदि गोल हो जाता है|
- किसी गलती की स्थिति के कारण|
- गेंद अवरोधन की स्थिति में|
- यदि अतिरिक्त समय समाप्त हो जाए|
बास्केटबॉल के अर्जुन पुरस्कार विजेता Arjuna Award Winner of Basketball In Hindi
नाम | वर्ष |
सरबजीत सिंह | 1961 |
खुशीरम | 1967 |
गुरदयाल सिंह | 1968 |
हरिदत्त | 1969 |
अब्बास मून्तसिर | 1970 |
मनमोहन सिंह | 1971 |
सुरेन्द्र कुमार कटारिया | 1973 |
अनिल कुमार पुंज | 1974 |
हनुमान सिंह राठौर | 1975 |
टी.विजयराघवन | 1977 |
ओमप्रकाश देओल | 1979 |
अजमेर सिंह | 1982 |
सुमन शर्मा | 1983 |
राधेश्याम विजयरानी | 1991 |
सज्जन सिंह चीमा | 1999 |
परमिन्दर सिंह | 2001 |
सत्या | 2003 |
गीतु अन्ना जोश | 2014 |
प्रशांती सिंह | 2017 |
Very very good becouse I am pt teacher