ब्राह्मी के फायदे हिंदी में Benefits of Brahmi (Fayde) in Hindi

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ब्राह्मी के फायदे हिंदी में Benefits of Brahmi (Fayde) in Hindi

हिमालय की तराइयों में हरिद्वार से बद्रीनारायण तक के रास्ते में ब्राह्मी का पौधा बहुतायत में मिलता है, जो बहुत उत्तम किस्म का होता है। यों तो ब्राह्मी सारे भारत में गीली तर भूमि या जलाशय के किनारों पर आमतौर पर पाई जाती है। पौधे का तना जमीन पर फैलता जाता है, जिसके जोड़ों से जड़, पत्तियां, पुष्प और बाद में फल लगते हैं।

इसकी मांसल, चिकनी, वृक्काकार, कुछ गोल, 7-8 शिराओं से युक्त पत्तियां एक इंच लंबी और 10 मिलीमीटर तक चौड़ी होती हैं। पत्तियां स्वाद में कड़वी और सूक्ष्म काले चिह्नों से युक्त होती हैं। पुष्प छोटे, सफेद, नीले या गुलाबी रंग के लगते हैं। फलों का आकार गोल, लंबाई लिए, आगे से नोकोलेदार होता है, जिसमें छोटे-छोटे पीले बीज निकलते हैं। जड़ें छोटी और धागे की तरह पतली होती हैं। पुष्पों की बहार ग्रीष्म ऋतु में आती है, उसी के बाद फल लगते हैं।

ब्राह्मी का सुखाया हुआ पंचांग (पत्ते, फूल, फल, बीज और जड़) पंसारियों की दुकान पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। औषधि के रूप में पंचांग और पत्तियों का ज्यादा उपयोग किया जाता है।

यहाँ पर आप ये जानेंगे

  1. याददाश्त बढ़ाने के लिए  ब्राह्मी Brahmi To Increase Memory
  2.  अनिद्रा में  उपयोग करे ब्राह्मी Brahmi To Use In Insomnia
  3.  मस्तिष्क की दुर्बलता  को दूर करे ब्राह्मी से Remove The Infirmity Of The Brain From Brahmi
  4.  श्वेत प्रदर में सेवन करे ब्राह्मी का Brahmin Consumed In White Color
  5.  मूत्रावरोध में ब्राह्मी का सेवन Brahmi Intake In Urinary Disorder
  6.  रक्त विकार में ब्राह्मी से उपचार  Treatment With Brahmi In Blood Diseasec
  7.  उच्च रक्तचाप में ब्राह्मी का इस्तेमाल Use Of Brahmi In Hypertension
  8.  मिर्गी, उन्माद, पागलपन में ब्राह्मी का सेवन Brahmi Intake In Epilepsy, Mania, Madness
  9.  खांसी और गला बैठने पर ब्राह्मी का सेवन Brahmin Intake On Cough And Throat
  10.  ज्वर में ब्राह्मी का सेवन Brahmin Intake In Fever
  11. बाल झड़ने पर ब्राह्मी का सेवन करे Take Brahmi On Hair Fall

ब्राह्मी के विभिन्न भाषाओं में नाम Brahmi Ke Vibhinn Bhasaao Me Name

  1. संस्कृत (Brahmi In Sanskrit)– कपोतवंका, सोमवल्ली ।
  2. हिंदी, मराठी, गुजराती (Brahmi In Hindi, Marathi, Gujarati) – ब्राह्मी ।
  3. बंगाली (Brahmi In Bangali) – ब्राह्मी शाक, थुलकुडी |
  4. अंगेजी (Brahmi In English) – बकोपा मोनीएरा (Bacopa monniera).
  5. लैटिन (Brahmi In Latin) – सेण्टेला एशियाटिका (Centella Asiatica) |

ब्राह्मी के औषधीय गुण Barhmi Ke Aushdhiy Gun

brahmi ke fayde ब्राह्मी के फायदे Benefits

आयुर्वेदिक मतानुसार ब्राह्मी स्वाद में कसैली, तिक्त, मधुर गुण में हलकी, तासीर में शीतल, विपाक में मधुर, रसायन, स्वरशोधक, बलवर्द्धक, त्रिदोष नाशक, हृदय को बल डीआरएनआर वाली, आयु और स्मृतिवध्दॅक, मूत्रल, स्तन-दुग्धवधदॅक, मस्तिष्क को  शांति देने वाली होती है। यह रक्त विकार, बुखार, उन्माद, अतिसार, पीलिया, हिस्टीरिया, मिर्गी, नाडी दौबेल्ता, स्मृतिनाश, प्रमेह, खांसी, सूजन, कोढ़, उच्च  रक्तचाप में गुणकारी है। महर्षि चरक ने ब्राह्मी को मानस रोगों की एक अचूक औषधि बताया है। जन्मजात तुतलाहट में भी ब्राह्मी लाभप्रद है।

वैज्ञानिक मतानुसार ब्राह्मी के रासायनिक संगठन का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसमें ब्राह्मीन (Bramhine) नामक एल्केलाइड 0.01 से 0. 02 प्रतिशत पाया जाता है, जिसके प्रभाव से स्नायुतन्त्र उत्तेजित होता है। इसके अलावा अल्प मात्रा में सेपोनिन, हरपेस्टिन, बोटूलक अम्ल, स्टिग्मा स्टेनॉल, टैनिन, ग्लूकोसाइड, एसियाटिक एसिड और उड़नशील तेल भी पाए जाते हैं।

ब्राह्मी एक प्रकार का नर्वटानिक माना जाता है। यह मस्तिष्क को शांति प्रदान करने के अलावा स्नायु कोषों का पोषण भी करती है, ताकि हमें स्फूर्ति का अनुभव मिले। यह मस्तिष्क विकार को दूर करने, बढ़े हुए उच्च रक्तचाप को घटाने, अनिद्रा रोग दूर करने में एक उत्तम औषधि है।

ब्राह्मी के हानिकारक प्रभाव Brahmi Ke Side Effects

निर्धारित मात्रा से अधिक ब्राह्मी का किया गया सेवन क्षुधामांद्य, सिर दर्द, घबराहट, चक्कर आना, त्वचा का लाल होना, अवसाद यहां तक कि बेहोशी का कारण भी बन सकता है। अत: सेवन में सावधानी से काम लें |

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ब्राह्मी के विभिन्न रोगों में प्रयोग एवं घरेलु उपचार Home Remedies In Various Diseases Of Brahmi

1. याददाश्त बढ़ाने के लिए  ब्राह्मी Yaaddast Badhaye Brahmi 

सदियों से ब्राह्मी का प्रयोग मस्तिस्क से सम्बंधित रोगों में किया जाता है | ब्राह्मी को याददास्त बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है | इसका इस्तेमाल करने के लिए ब्राह्मी की पत्तियों का 2 ग्राम चूर्ण 3-4 काली मिर्च के साथ पीसकर सुबह-शाम नियमित रूप से एक कप दूध के साथ सेवन करने से याददाश्त बढ़ेगी। इसका फर्क आपको 2-3 माह बाद ही नज़र आयेगा |

2. अनिद्रा में  उपयोग करे ब्राह्मी Brahmi To Use In Insomnia- Anidra Ka Upchar

जैसा कि आप जानते हैं कि ब्राह्मी का प्रयोग मस्तिस्क से सम्बंधित रोगों के इलाज में किया जाता है | नींद न आना भी मस्तिस्क से सम्बंधित है | यदि किसी को अच्छी नींद नहीं आती है तो ब्राह्मी और शंखपुष्पी का सूखा चूर्ण समभाग मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सोने से पूर्व एक कप दूध के साथ रोजाना सेवन करें और ब्राह्मी तेल को सिर के बालों की जड़ों में मलकर लगाएं। अच्छी नींद आ जाएगी।

3. मस्तिष्क की दुर्बलता  को दूर करे ब्राह्मी से Dimag Ki Kamjori Ka Upchar

ब्राह्मी का सूखा चूर्ण और बादाम की गिरी 50-50 ग्राम , लेकर 15 ग्राम काली मिर्च मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ रोजाना नियमित रूप से सेवन करने और बालों की जड़ों में बाह्मी तेल की मालिश करते रहने से मस्तिष्क की दुर्बलता, स्मृति के दोष दूर होंगे। भूली हुई बातें याद आ जाएंगी।

4. श्वेत प्रदर में सेवन करे ब्राह्मी का Brahmin Consumed In White Color :

श्वेत प्रदर महिलाओं के लिए बहुत बड़ी समस्या होती है | यह बीमारी जल्दी ठीक नहीं होती है | लेकिन ब्राह्मी का प्रयोग इस बीमारी में कारगर है | श्वेत प्रदर के इलाज के लिए ब्राह्मी के पंचाग का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3 बार नियमित सेवन करें। 1-2 माह में यह रोग ठीक हो जाता है |

5. मूत्रावरोध में ब्राह्मी का सेवन Brahmi Intake In Urinary Disorder :

मूत्र का रुकना या रुक – रुक कर आना एक बड़ी समस्या है जो कि अधिकतर पुरुस्हीं को होती है | ब्राह्मी इस रोग के इलाज में कारगर है | इसके इलाज के लिए ब्राह्मी का रस 2 चम्मच में एक चम्मच मिस्री मिलाकर सेवन करें, और कुछ ही दिनों में इसका लाभ देखे |

6. रक्त विकार में ब्राह्मी से उपचार  Treatment With Brahmi In Blood Disease :

यदि खून में कमी हो तो कई प्रकार के त्वचा सम्बन्धी रोग हो जाते है | इसलिए खून से सम्बन्धित विकार नहीं होने चाहिए | खून के विकार को ठीक करने के लिए तुलसी की पत्तियों और ब्राह्मी की पत्तियों का रस समभाग मिलाकर त्वचा रोग जैसे-दाद, खाज, खुजली पर लगाएं।

7. उच्च रक्तचाप में ब्राह्मी का इस्तेमाल Use Of Brahmi In Hypertension :

ब्लड pressure की समस्या में भी ब्राह्मी का प्रयोग उपयोगी होता है | ब्राह्मी को विशेष रूप से उच्च रक्तचाप में प्रयोग किया जाता है | इसके इलाज के लिए ब्राह्मी के पत्तों का रस एक चम्मच की मात्रा में आधे चम्मच शहद के साथ दिन में 3 बार कुछ दिन नियमित रूप से सेवन करने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाएगा।

8. मिर्गी, उन्माद, पागलपन में ब्राह्मी का सेवन Brahmi Intake In Epilepsy, Mania, Madness :

जैसा कि आप जानते है कि ब्राह्मी मानसिक रोगों में काफी कारगर है अतः इससे मिर्गी और पागलपन का इलाज भी किया जाता है | इन रोगों के इलाज के लिए ब्राह्मी पत्तों का रस 2 चम्मच और शहद एक चम्मच मिलाकर नियमित रूप से सुबह-शाम पिलाएं। कुछ हफ्तों में लाभ मिलेगा।

9. खांसी और गला बैठने पर ब्राह्मी का सेवन Brahmin Intake On Cough And Throat:

यह एक आम समस्या है जोकि किसी को भी मौसम बदलने के साथ हो सकती है | यह समस्या होने पर एक चम्मच ब्राह्मी के पते के रस में 2 काली मिर्च और आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से कष्ट में आराम मिलेगा।

10. ज्वर में ब्राह्मी का सेवन Brahmi Intake In Fever :

ब्राह्मी के पंचांग और तुलसी के सूखे पत्तों का चूर्ण समभाग मिलाकर पीस लें। फिर इसमें एक चौथाई चूर्ण काली मिर्च का मिलाएं। तैयार चूर्ण की एक चम्मच मात्रा दिन में 3-4 बार शहद के साथ दें। ज्वर ठीक हो जाएगा।

11. बाल झड़ने पर ब्राह्मी का सेवन करे Take Brahmi On Hair Fall :

ब्राह्मी के पंचांग का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ हफ्ते सेवन करें। यही प्रयोग निर्बलता निवारण में भी लाभप्रद होता है।

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