कुटज के फायदे हिंदी में Benefits Of Kutaj In Hindi

kutaj ke fayde in hindi

कुटज के फायदे हिंदी में Benefits Of Kutaj In Hindi – Jaane Kutaj Ke Fayde

कुटज समस्त भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है, लेकिन हिमालय की तराई क्षेत्र में अधिकता में मिलता है। इसका वृक्ष 12 से 20 फुट ऊंचा और बहुवर्षीय होता है। तना अनेक शाखाओं से युक्त गोल, सफेद आभा लिए, कमजोर होता है। छाल एक चौथाई इंच मोटी, दानेदार उभारों के कारण खुरदरी और भूरे रंग की होती है। पते एक दूसरे के सामने 6 से 12 इंच लंबे और 2 से 5 इंच चौड़े, अंडाकार, सिरे से नुकीले, चिकने, 10 से 14 जोड़ी उभरी हुई शिराएं लिए होते हैं। पुष्प चमेली के फूलों की तरह हलकी सुगंध लिए सफेद रंग के लगते हैं। फलियां एक साथ दो लगती हैं, जो 8 से 16 इंच लंबी, आधे इंच से कम व्यास की, कुछ टेढ़े आकार की लगती हैं, जिन पर सफेद रंग के दाग नजर आते हैं।

इसमें जौ (यव) के समान मटमैले, भूरे रंग के बीज लगते हैं, जिन पर रोम पाए जाते हैं। इसीलिए इसे इन्द्रयव भी कहा जाता है। इनका स्वाद कड़वा होता है। वृक्ष पर पुष्प की बहार वर्षा ऋतु में और फल की बहार शीतऋतु में आती है। रंगभेद से कुटज दो प्रकार का होता है, श्वेत और कृष्ण कुटज। श्वेत कुटज की छाल और बीज का स्वाद अत्यन्त कटु और तीक्ष्ण होता है, जबकि कृष्ण कुटज। स्वाद रहित होते हैं। अत: इन्हें मधुर कहा जाता है।

यहाँ पर हम इनके बारे में जानेगें –

  1. सफेद दाग, कुष्ठ रोग में कुटज से उपचार white Stain, Kust Rog Me Kutaj Se Upchaar
  2. दंत रोग में कुटज से ईलाज Dant Rog Me Kutaj Se Ilaaj
  3. रक्तातिसार में कुटज का सेवन  Raktatisaar Me Kutaj Ka Sevan
  4. योनि शिथिलता में कुटल का सेवन Yoni Sthilta Me Kutal Ka Sevan
  5. खूनी बवासीर  में कुटज का सेवन Khuni Bavaseer Me Kutaj Ka Sevan
  6. कृमि रोग में कुटज के चूर्ण का सेवन  karmi Rog Me Kutaj Ke Churan Ka Sevan
  7. ज्वर में कुटज Fever Me Kutaj
  8. अतिसार में कुटज का चूर्ण Atisaar Me Kutaj Ka Churan
  9. पथरी में कुटज Pathri Me Kutaj
  10. लू लगने पर कुटज के चूर्ण का सेवन Luh Lagne Per Kutaj Ka Churan

कुटज के विभिन्न भाषाओं में नाम Kutaj Ke Vibhinn Bhasao Me Name

  •  संस्कृत में- Kutaj In Sanskrit – कुटज, इन्द्रयव।
  • हिंदी में – Kutaj In Hindi – कूड़ा, कुरैया।
  • मराठी में – Kutaj In Marathi – कुड़ा।
  • गुजराती में – Kutaj In Gujarati – कुडो।
  • बंगाली में – Kutaj In Bangali – कुरची।
  • अंग्रेजी में – Kutaj In English – कुर्ची (Kurchi)।
  • लैटिन में – Kutaj In Latin – होलेरिना एण्टीडिसेन्ट्रिका(Hollarrhena Antidysenterica) |

कुटज के गुण Kutaj Ke Gun

आयुर्वेदिक मतानुसार कुटज गुण में लघु, रुक्ष, रस में कटु, तिक्त, तासीर में शीतल, विपाक में कटु, कफ़-पित शामक, वातवर्द्धक, बीज त्रिदोष नाशक और ग्राही होती है।  यह रक़्तपित्त, प्रदर,अतिसार बवासीर, ज्वर, रक्ततिसर,सांग्रहणी, प्रवाहिक, पितातिसार, गुर्दे का दर्द, दंत रोग, कृमि रोग, कामला में गुणकारी है।

यूनानी चिकित्सा पद्धति के मतानुसार कुटज। दूसरे दर्जे की गरम और खुश्क होती है। यह रक्तस्राव को रोकने वाली, घाव भरने वाली, सिर दर्द दूर करने वाली, मसूड़ों के लिए हितकर, पौष्टिक, कटवात, पेशाब की तकलीफ, दूध वृद्धि करने वाली, ऋतुस्राव को नियमित करने वाली होती है।

यह भी जाने – कलौंजी खाने के फायदे और नुकसान हिंदी में Kalonji Khane Ke Fayde Hindi Me

वैज्ञानिक मतानुसार कुटज का रासायनिक विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसकी छाल में कोनेसिन (Conessin) के अलावा 17 अन्य प्रकार के अल्केलायड्स पाए जाते हैं, जिनका प्रतिशत 0.22 से 4.2 तक पाया जाता है। वृक्ष की आयु और तने की मोटाई के परिवर्तन से अल्कलाइड्स के प्रतिशत पर भी असर पड़ता है। इसके अलावा 1.44 प्रतिशत टैनिन, 9.56 प्रतिशत गोंद और 0.2 प्रतिशत राल भी पाया जाता है। बीजों से 19.30 प्रतिशत एक तेज गंध वाला तेल मिलता है। कुटज रक्तातिसार और प्रवाहिका की एक उत्तम औषधि है। मलेरिया, गुर्दे के दर्द, श्वास, भूख बढ़ाने में भी अतिगुणकारी है। प्रसव के बाद योनि को दृढ़ करने के लिए इसका उपयोग लाभप्रद होता है।

कुटज के हानिकारक प्रभाव Kutaj Ke Hanikarak Prabhav

 कुटज का अधिक मात्रा में किया गया सेवन दुर्बलता, मूच्छ, भ्रम, मुखशोथ, नपुंसकता, कब्ज़, हृदय पीड़ा, ग्लानि, पक्षाघात जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं। प्रयोग बंद कर देने से ये धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं।

कुटज के विभिन्न रोगों में प्रयोग Kutaj Ke Vibhinn Rogo Me Prayog

1.  सफेद दाग, कुष्ठ रोग में कुटज से उपचार Safed Daag, Kusth Rog Me Kutaj Se Upchaar :

कुटज के बीजों को गोमूत्र में पीसकर दागों पर रोजाना लगाएं।

2. दंत रोग में कुटज से ईलाज Dant Rog Me Kutaj Se Ilaaj :

कुटज की छाल और बीजों का चूर्ण समभाग लेकर पीस लें, नित्य इससे मंजन करने से दांत का दर्द और रक्तस्राव ठीक होगा।

जाने – मालकांगनी के फायदे हिंदी में Malkangni Ke Fayde (Benefits) In Hindi

3. रक्तातिसार में कुटज का सेवन  Raktatisaar Me Kutaj Ka Sevan :

500 मिलीलीटर पानी में कुटज की छाल 20 ग्राम और इतनी ही मात्रा में अनार के छिलके डालकर पकाएं। जब पानी 200 मि.ली. रह जाए, तब छानकर 50 मिलीलीटर की एक मात्रा 10 मिलीलीटर शहद के साथ सुबह-शाम दें।

4. योनि शिथिलता में कुटज का सेवन Yoni Dheelapan Me Kutaj Ka Sevan :

कुटज की छाल का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम खिलाएं और छाल के काढ़े से योनि में सोते समय डूश करें। इच्छित लाभ होगा।

5. खूनी बवासीर  में कुटज का सेवन Khooni Bavaseer Me Kutaj Ka Sevan :

दूध में कुटज के बीजों को डालकर काढ़ा तैयार करें और 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराएं। कष्ट शीघ्र दूर होगा।

6. कृमि रोग में कुटज के चूर्ण का सेवन  Krami Rog Me Kutaj Ke Churan Ka Sevan :

कुटज के बीजों का चूर्ण आधा चम्मच रोजाना सोते समय खिलाएं।

7. ज्वर में कुटज Fever Me Kutaj :

बीजों का चूर्ण और खस की जड़ का चूर्ण समभाग मिलाकर इसमें से 10 ग्राम की मात्रा एक गिलास पानी में उबालें। आधा बची रहने पर छानकर 2-2 चम्मच की मात्रा में 3 बार पिलाने से तेज ज्वर शांत हो जाता है।

जाने – कमल के फूल फायदे हिंदी में Kamal Ke Phool Fayde In Hindi

8. अतिसार में कुटज का चूर्ण Atisaar Me Kutaj Ka Churan :

कुटज की छाल का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में दही के साथ 3 बार दें।

9. पथरी में कुटज Pathri Nikalne Me Kutaj :

छाल का आधा चम्मच चूर्ण तक्र के साथ कुछ हफ्ते नियमित रूप से 2 बार लें।

10. लू लगने पर कुटज के चूर्ण का सेवन Luh Lagne Per Kutaj Ka Churan :

कुटज की छाल का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ 2-3 बार सेवन कराएं।