
भागवत चन्द्रशेखर का जीवन परिचय (Bhagwat Chandrasekhar Biography In Hindi Language)
नाम : भागवत चन्द्रशेखर
जन्म : 17 मई, 1945
जन्मस्थान : मैसूर (कर्नाटक)
भागवत सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर को भागवत चन्द्रशेखर नाम से भी जाना जाता है | वह भारत की प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी के सदस्यों में से एक रहे | उनके मित्रों के बीच वह चन्द्रा नाम से पुकारे जाते थे | वह भारतीय क्रिकेट में जादूगर के समान जाने जाते थे । उनके एक प्रयास से मैच हारने की स्थिति से जीतने की स्थिति में पहुँच जाता था और बाजी पलट जाती थी । ऐसा उन्होंने कई बार भारत के लिए कर दिखाया | जिनमें से एक उदाहरण है- जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक यादगार घटना है- जब भारत ने 1971 में ओवल में इंग्लैंड के विरुद्ध प्रथम जीत हासिल की थी । उन्हें ”पद्मश्री’ तथा ‘अर्जुन पुरस्कार’ भी प्रदान किया गया । 1972 में उन्हें विजडन द्वारा ‘क्रिकेटर आफ द ईयर’ चुना गया ।
भागवत चन्द्रशेखर का जीवन परिचय (Bhagwat Chandrasekhar Biography In Hindi)
भागवत चन्द्रशेखर भारत की प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी के सदस्यों में से एक रहे । चन्द्रशेखर जब बंगलौर के नेशनल कॉलेज में अंडरग्रेजुएट विद्यार्थी ही थे, तब उन्होंने केरल के विरुद्ध कर्नाटक टीम में रणजी ट्रॉफी के लिए खेला था । यह 1963-64 का वर्ष था । यह वर्ष चन्द्रशेखर कभी नहीं भुला सके क्योंकि इस वर्ष उन्होंने अपने प्रदेश जोन की ओर से दलीप ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी के लिए भी खेला था और फिर देश की टीम में भी शामिल हो गए थे ।
उस वक्त इंग्लैंड के माइक स्मिथ की टीम भारत के दौरे पर थी । चन्द्रशेखर को 19 वर्ष की आयु में पटौदी की कप्तानी में बम्बई में खेलने के लिए शामिल किया गया । उन्होंने उस मैच में 5 विकेट लिए । यह उनके क्रिकेट जीवन की शुरुआत थी । उन्होंने 17 वर्षों तक क्रिकेट खेला । उन्होंने अन्तिम मैच 1979-80 में पाकिस्तान में खेला । इस दौरान चन्द्रशेखर ने 58 टेस्ट मैच खेले और 242 विकेट लिए । इनमें उनका औसत 29.74 रहा ।
चन्द्रशेखर ने 16 बार एक पारी में पांच विकेट, और दो बार मैच में 10 या अधिक विकेट लेने का आश्चर्यजनक कारनामा भी किया ।
यद्यपि चन्द्रशेखर बचपन में पोलियो का शिकार हो गए थे, जिसके कारण उनका सीधा हाथ प्रभावित हुआ था । उनकी दाहिने हाथ की कलाई में इसका प्रभाव अधिक था, लेकिन इसी के प्रभाव के कारण चन्द्रशेखर की कलाई गेंद फेंकते वक्त एक बार ज्यादा ट्विस्ट हो जाती थी । वह सामान्य प्रकार के स्पिनरों से भिन्न रहे । वह वास्तव में सबसे तेज लेग-ब्रेक बॉलर रहे, जिसके कारण अच्छे-अच्छे बल्लेबाज आसानी से आउट हो जाते थे ।
19 वर्ष की आयु में टीम में शामिल हो जाने के पश्चात् उन्होंने वेस्टइंडीज व इंग्लैंड की टीमों के विरुद्ध अच्छा प्रदर्शन किया । लेकिन उरसके बाद उन्हें कुछ महत्त्वपूर्ण सीरीज में बाहर रहना पड़ा क्योंकि उनकी स्कूटर दुर्घटना हो गई थी । उसके बाद तीन वर्षों के अन्तराल के पश्चात् जब चन्द्रशेखर को 1971 में इंग्लैंड दौरे के लिए टीम में शामिल किया गया तो टीम के निर्णय पर प्रश्न उठने लगे ।
लेकिन अपने बेहतरीन प्रदर्शन से चन्द्रशेखर ने अपने आलोचकों का मुँह बन्द कर दिया । उन्होंने ओवल में (1971) इंग्लैंड की टीम के 38 रन पर 6 विकेट ले लिए और पूरी टीम 101 रनों पर सिमट कर रह गई । फलस्वरूप इंग्लैंड की धरती पर इंग्लैंड को हराकर भारत ने प्रथम जीत दर्ज की ।
चन्द्रशेखर इतने प्रतिभाशाली खिलाड़ी रहे कि उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए केवल भारतीय पिच की ही आवश्यकता नहीं होती थी । वह हर पिच पर विकेट लेने की क्षमता रखते थे । 1975-76 के वेस्टइंडीज दौरे के वक्त चन्द्रशेखर ने विवियन रिचर्ड्स का विकेट कई बार लिया और भारत की पोर्ट ऑफ स्पेन के विरुद्ध जीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की ।
1978 में चन्द्रशेखर ने मेलबर्न में 104 रन देकर 12 विकेट लिए और भारत को आस्ट्रेलिया में पहली जीत दिलाने में महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया । 1972 में चन्द्रशेखर को विज्डन द्वारा ‘क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ चुना गया ।
चन्द्रशेखर मात्र क्लॉसीकल लेग स्पिनर नहीं रहे, उनकी गेंदबाजी में तरह-तरह की ट्रिक्स रहीं । लम्बी बाउन्सिंग रन अप के बाद वह तेज गुगली गेंद फेंकते थे । चन्द्रशेखर की कुशलता के कारण ही उनका खेल कभी-कभी पहेली-सा लगता था । दिन वह बल्लेबाज के लिए बहुत आसान गेंदबाज होते थे तो दूसरे दिन बड़े खतरनाक गेंदबाज । 1974-75 में भारत में वेस्टइंडीज के विरुद्ध खेलते हुए चन्द्रशेखर, बेदी तथा प्रसन्ना ने यादगार प्रदर्शन किया ।
उपलब्धियां :
भारत की प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी में से एक रहे |
1971 में ओवल में 38 रन देकर छह विकेट जिससे इंग्लैंड मात्र 101 रन बना सका । चन्द्रशेखर के सहयोग से भारत को इंग्लैंड की धरती पर पहली सफलता मिली |
1978 में उनकी महत्त्वपूर्ण गेंदबाजी से भारत को आस्ट्रेलिया में पहली विजय मिली ।
1972 में चन्द्रशेखर को ‘पद्मश्री’ तथा ‘अर्जुन पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया |
1972 में विजडन द्वारा उन्हें ‘क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ चुना गया | वह अत्यन्त प्रतिभावान गेंदबाज रहे ।
Tags : Bhagwat Chandrasekhar Biography, BS Chandrasekhar History, Bhagwat Chandrasekhar Ka Jeevan Parichay.