
भृंगराज के फायदे (Bhringraj Benefits) हिंदी में (In Hindi). how to use bhringraj powder for hair in hindi
बालों को काला करने और उन्हें बढ़ाने की औषधि के रूप में भृगराज आयुर्वेद जगत की एक प्रसिद्ध वनस्पति है। इसके पौधे सारे भारत में जलाशयों के निकट की नम भूमि में अकसर पाए जाते हैं। इसके छोटे-छोटे पौधे झाड़ी की तरह जमीन पर फैलकर या थोड़ा उठकर 6 से 8 इंच ऊंचाई के होते हैं। शाखाएं कालापन लिए रोमयुक्त, ग्रंथियों से जड़युक्त होती हैं। पत्तियां आयताकार, भालाकार, 1 से 4 इंच लंबी और आधा से एक इंच चौड़ी, बहुत दन्तुर होती हैं,
जिनको मसलने से हरा कालापन लिए हलका सुगंध युक्त रस निकलता है, जो स्वाद में कडुवा, चरपरा लगता है। पुष्प सफेद, पीले और नीले रंगों में लगते हैं। औषधि प्रयोग के लिए सफेद और पीले फूलों वाले पौधों का उपयोग किया जाता है।
घड़ी के आकार के गोल व सफेद पुष्प छोटे-छोटे पुष्प दंड पर लगते हैं। फल एक इंच लंबे तथा अग्र भाग पर रोम युक्त होते हैं, जिसमें छोटे, लंबे, काले जीरे के समान अनेक बीज निकलते हैं। शरद् ऋतु में पुष्प और फलों की बहार आती है। रंग भेद के अनुसार कुछ जातियों में पुष्प वर्षा ऋतु में और फल हेमन्त में लगते हैं। इसकी जड़ की लंबाई 2 से 7 इंच तक होती है, जो कई छोटी-छोटी जड़ों से जुड़ी होती है।
यहा पर आप यह जानेंगे –
भृंगराज के विभिन्न भाषाओ में नाम – Bhringraj Ke NAME
भृंगराज के गुण हिंदी में Bhringraj Ke Gun Hindi Me
भृंगराज के विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलू नुस्खे हिंदी में Bhringraj Ke Gharelu Nuskhe Hindi Me
1. फोड़े-फुसी खत्म करे भृंगराज Bhringraj Se Phode – Funsi Khtam Kre
2. नए बाल उगाने के लिए भृंगराज Naye Baal Ugaye Bhringraj Se
3. बाल कालेघने, लंबे बनाने के लिए भृंगराज Baal Kaale – Ghane, Lambe Bnane Ke Liye Bhringraj
4. अनिद्रा को दूर करे भृंगराज Aniddra Ko Dur Kre Bhringraj
5. बिच्छू दंश पीड़ा के लिए भृंगराज Bichu Ke Kathne Per Bhrigraj
6. यकृत पीड़ा में इस्तेमाल करे भृंगराज Ykrat Pida Me Istemaal Kre Bhringraj
7. जीर्ण उदरशूल होने पर भृंगराज Bhringaraj On Chronic Colic
8. शक्ति वर्द्धक भृंगराज Power Warddhk Bhringaraj
9. आग से जलने पर भृंगराज का इस्तेमाल Use Bhringaraj Burns From Fire
10. भृंगराज उच्च रक्तचाप में Bhringaraj Hypertension
11. सिर दर्द में लाभकारी भृंगराज Beneficial For Headaches Bhringaraj
12. लिवर फाइब्रोसिस (यकृत तंतुरुजा) में भृंगराज Bhringaraj in liver fibrosis (hepatic fibrosis)
भृंगराज के विभिन्न भाषाओं में नाम – Bhringraj Ke Name
- संस्कृत (Bhringraj In Sanskrit) – भृगराज।
- हिंदी (Bhringraj In Hindi) – भांगरा।
- मराठी, गुजराती (Bhringraj In Marathi & Gujarati) – भागरो।
- बंगाली (Bhringraj In Bangali) – केसुरिया।
- अंग्रेजी (Bhringraj In English) – ट्रेलिंग इकिलप्टा (Tralling Eclipta)
- लैटिन (Bhringraj In Latin) – इकिलप्टा (Eclipta alba)
भृंगराज के गुण हिंदी में Bhringraj Ke Gun In Hindi
आयुर्वेदिक मतानुसार भृंगराज रस में कटु, तिक्त, गुण में हलका, तीक्ष्ण, प्रकृति में गर्म, वात-कफ नाशक, दीपन, पाचक, यकृत को उत्तेजित करने वाला, वेदना नाशक, नेत्रों और त्वचा के लिए हितकर, केशों को काला करने और बढ़ाने वाला, व्रण शोधक, बलवर्धक, रक्तशोधक, बाजीकारक, रसायन, मूत्रल होता है। यह रक्त विकारों, सिर दर्द, पाण्डु, कामला, सूजन, आंव, दंत रोग, उच्च रक्तचाप, उदर विकार, खांसी, श्वास रोग में गुणकारी है।
वैज्ञानिक मतानुसार भृंगराज की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसमें प्रचुर मात्रा में एक्लिप्टिन नामक एल्केलाइड और राल के अलावा वेडेलोलेक्टोन अल्प मात्रा में पाया जाता है।
बीजों में विशेष रूप से मूत्रल गुण पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसकी पत्तियों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, अतः कुछ लोग इसकी सब्जी बनाकर भी सेवन करते हैं। औषधि प्रयोग के लिए इसके पंचांग का प्रयोग अधिक लाभकारी पाया गया है।
सावधानी : भृंगराज के रस को गर्म करने और उबालने से इसके गुण नष्ट हो जाते हैं।
उपलब्ध आयुर्वेदिक योग
भृगराज घृत, भृगराज तेल, षड्रबिंदु तेल, भृगराजादि चूर्ण आदि।
इसके बारे में भी जाने हरा धनिया खाने के फायदे (लाभ) Hara Dhaniya Khane Ke Fayde (Benefits)
भृंगराज के विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलू नुस्खे (हिंदी में) Bhrangraj Ke Gharelu Nuskhe
1. फोड़े-फुसी खत्म करे भृंगराज :-
भृगराज की पत्तियों को पीसकर फोड़े-फुसी पर दिन में 2-3 बार लगाते रहने से कुछ ही दिन में ठीक हो जाएंगी।
2. नए बाल उगाने के लिए भृंगराज :-

उस्तरे से सिर मुड़वा लेने के बाद उस पर भृगराज के पतों का रस दिन में 2-3 बार मलते रहने से कुछ हफ्तों में नए बाल घने निकलेंगे।
3. बाल कालेघने, लंबे बनाने के लिए भृंगराज :-
भृंगराज के पंचांग का चूर्ण और खाने वाले काले तिल सम मात्रा में मिलाकर सुबह खाली पेट 2 चम्मच की मात्रा में खूब चबा-चबाकर रोजाना खाते रहने से 4-6 महीनों में बालों का गिरना रुक कर वे स्वस्थ बन जाते हैं।
4. अनिद्रा को दूर करे भृंगराज :-
सोने से पूर्व भृगराज के तेल की सिर में मालिश करने से अच्छी नींद आ जाएगी।
5. बिच्छू दंश पीड़ा के लिए भृंगराज :-
मूंगराज के पत्तों को पीसकर दंश पर लगाने से आराम मिलेगा।
6. यकृत पीड़ा में इस्तेमाल करे भृंगराज
पत्तों के एक चम्मच रस में आधा चम्मच अजवायन चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से यकृत पीड़ा में लाभ मिलेगा।
7. जीर्ण उदरशूल होने पर भृंगराज :-
2 चम्मच पत्तों के चूर्ण में आधा चम्मच काला नमक मिलाकर जल के साथ सेवन करने से आराम मिलेगा।
8. शक्ति वर्द्धक भृंगराज :-
भृगराज के पत्तों का 100 ग्राम चूर्ण और 50-50 ग्राम खाने वाले काले तिल व आंवला चूर्ण मिलाकर 200 ग्राम मिस्री के साथ पीस लें। एक कप दूध के साथ सुबह-शाम 2 चम्मच की मात्रा में रोजाना सेवन करने से शरीर में शक्ति बढ़ती है और वीर्य में पुष्टता आती है।
9. आग से जलने पर भृंगराज का इस्तेमाल :-
भृगराज और तुलसी के पत्ते बराबर की मात्रा में मिलाकर पीस लें और तैयार लेप को आग के जले स्थान पर लगाएं, तुरंत आराम मिलेगा।
10. भृंगराज उच्च रक्तचाप में :-
भृगराज के पतों का रस 2-2 चम्मच की मात्रा में एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार नियमित सेवन करने से हाई ब्लडप्रेशर में कुछ ही दिनों में आराम मिलता है। एक बार बी.पी. नार्मल हो जाए, तो कब्ज़ियत की शिकायत पैदा न होने देंगे, तो वह सामान्य बना रह सकता है।
11. सिर दर्द में लाभकारी भृंगराज :-
सिर में भृगराज के पत्तों का रस लगाकर मालिश करने से सिर दर्द में राहत मिलेगी।माइग्रेन (अधकपाटी) का उपचार करने के लिए इसे नाक आसवन (नस्य) के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इस प्रयोजन के लिए, भृंगराज रस को समान मात्रा में बकरी के दूध में मिलाकर, उसकी 2 से 3 बूंदों को सूर्योदय से पहले दोनों नथुनों में डाला जाता है। अगर रोगी को सिरदर्द है जो सूर्योदय के साथ बढ़ता है और सूर्यास्त के बाद घटता है तो यह अत्यधिक प्रभावी है। आयुर्वेद में इस स्थिति को सूर्यव्रत कहा जाता है।
12. लिवर फाइब्रोसिस (यकृत तंतुरुजा) :-
भृंगराज चूर्ण में एंटी फाइब्रोटिक (तंतुमय विरोधी) प्रभाव भी है, जो हिपेटिक फाइब्रोसिस (यकृती तंतुमयता) को रोकने और उसका उपचार करने में मदद करता है। यह हिपेटिक स्टेललेट सेल्स (यकृत तारामय कोशिकाओं) के प्रसार को कम करता है। यह प्रभाव इसके ट्राइटरपेनॉयड (एचिनोसिस्टिक एसिड) के कारण हो सकता है। इसलिए, यह जड़ी बूटी लिवर फाइब्रोसिस (यकृत तंतुरुजा) को घटाने और उसके विकास को रोकने में भी मदद कर सकती है।
यह भी देखें
भृंगराज के बारे में आपने यहाँ पर जाना और आगे पढने के लिए –
- भृंगराज चूर्ण (Bhringraj Churna)
- भृंगराज की खेती (Bhringraj Ki Kheti)
- भृंगराज तेल oil (bhringraj tel banane ki vidhi)
- भृंगराज का पौधा कैसा होता है (Bhringraj Ka Podha Kesa Hota Hai)
- भृंगराज का पेड़ (Bhringraj Ka Padh)
- भृंगराज तेल बनाने की विधि (Bhringraj Tel Banane Ki Vidhi)
- भृंगराज तेल (Bhringraja Oil)
- गुंजादि तेल (गुँजा तेल) – (Gunjadi Oil (Gunja Tail)
- महा भृंगराज तेल (Mahabhringraja Oil)
- नीली भृंगादि तेल (Neelibhringadi Oil)