
के. एम. बीनामोल का जीवन परिचय (Biography Of KM Beenamol In Hindi Language)
के. एम. बीनामोल
जन्म : 15 अगस्त, 195
जन्मस्थान : कम्बोडिजल (केरल)
के.एम. बीनामोल का नाम तब चर्चा में आया, जब उसने अक्टूबर 2002 में होने वाले बुसान एशियाई खेलों में 2 स्वर्ण व एक रजत पदक जीता । बीनामोल ने 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता | इसके अतिरिक्त 400 मीटर की रिले दौड़ में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया | 4 * 400 मीटर की दौड़ में बीनामोल ने रजत पदक जीत कर खेल जगत में अपना नाम रोशन किया |
के. एम. बीनामोल का जीवन परिचय (Biography Of KM Beenamol In Hindi)
के.एम. बीनामोल केरल के इडुकी जिले के छोटे-से गाँव कम्बोडिंजल से है । वह मध्यम दर्जे के किसान परिवार से है । कम्बोडिंजल गाँव इडुकी जिले में आदिमली से 20 कि.मी. दूर पहाड़ियों पर स्थित है । यहां अधिकांश लोग किसान हैं और मैदानी भागों से कुछ दशक पूर्व आकर बसे हैं । बीनामोल की मां का नाम कुंजम्मा है तथा पिता का नाम मैथ्यू है ।
बीना ने बहुत छोटी-सी उम्र में खेलों में भाग लेना शुरू कर दिया था । जब वह पाराथोड हाई स्कूल में पढ़ती थी तब कोच राजू ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसकी प्रतिभा को कड़ी मेहनत व अभ्यास के द्वारा निखारने का प्रयास आरम्भ हो गया । 1990 से 1996 तक तिरुअनन्तपुरम के जी. वी. राजा स्पोर्ट्स स्कूल में वह कोच पुरुषोत्तमन से ट्रेनिंग लेती रही ।
1991 की राष्ट्रीय स्कूल मीट तथा 1992 की एशियन जूनियर मीट में भाग लेकर वह लोगों की नजरों में आई । फिर उसने राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया और वर्ष 2000 में सिडनी ओलंपिक में जाने के लिये चुनी गई । वहां उसने सेमी फाइनल तक पहुंचने में सफलता हासिल की । जकार्ता में उसने स्प्रिंट क्वीन पी. टी. उषा का 400 मीटर का रिकार्ड तोड़ दिया ।
उसके पश्चात् बुसान एशियाई खेलों में 2 स्वर्ण व एक रजत पदक जीतकर उसने ख्याति अर्जित की । बीनामोल की जीत पर पूरे गाँव में मिठाइयां बांटी गईं, पटाखे छोड़े गए । पूरे गांव को बीनामोल पर गर्व है । बस स्टैण्ड से बीनामोल के घर जाने वाली सड़क को लोग बीनामोल रोड कह कर पुकारने लगे हैं । इन्हीं एशियाई खेलों में बीनामोल के भाई के. एम. बीनू ने भी 800 मीटर दौड़ में रजत पदक प्राप्त किया |
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एशियाई खेलों के बाद वीनामोल को सेंमसंग मोस्ट वैल्यूड परफॉर्मेंस पुरस्कार के लिए चुना गया और उसे इसके पुरस्कारस्वरूप सैमसंग उत्पादों की पूरी रेंज दी गई | इस पुरस्कार के लिए बीनामोल का चयन बुसान एशियाई खेलों की कवरेज करने गए पांच पत्रकारों की जूरी ने किया था |
2004 में होने वाले एथेंस ओलंपिक से बीनामोल को बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन वह कोई स्थान नहीं पा सकी ।
बीनामोल 2004 के एथेंस ओलंपिक में 4*400 मीटर रिले में थी । हीट में राजविंद कौर, चित्रा सोमेन, मंजीत कौर और के. एम. बीनामोल थीं । इन्होंने रिले हीट में जीत कर फाइनल में जगह बनाई | इस टीम ने यहाँ पर अन्त में सातवां स्थान प्राप्त किया, जबकि कोलंबो में यह टीम बारहवें स्थान पर थी । बीनामोल के भाई के. एम. बीनू ने एथेंस में 400 मीटर में बेहतर दौड़ लगाई और सेमीफ़ाइनल तक जा पहुंचे । वह एशिया से बाहर अपनी पहली दौड़ लगा रहे थे | बिनू ने मिल्खा सिंह का रिकार्ड भी तोड़ दिया । बीनामोल का पूरा नाम कल्याथुसुखी मैथ्यूज है, जिसे के. एम. बीनामोल नाम से जाना जाता है ।
उपलब्धियां:-
- 1991 में राष्ट्रीय स्कूल मीट में भाग लेकर वह वर्चा में आईं |
- 1992 की एशियाई जूनियर मीट में भाग लिया |
- 2000 में सिडनी ओलंपिक में जाने के लिए चुनी गईं | वहाँ उन्होंने सेमीफ़ाइनल तक पहुँचने में सफलता प्राप्त की और पी.टी. उषा का 400 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ दिया |
- 2002 में हुए बुसान एशियाई खेलों में बीनामोल ने 2 स्वर्ण तथा एक रजत पदक जीते |
- उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार 2002-2003 के लिए प्रदान किया गया |
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