
मुक्केबाज़ी सबसे प्राचीन खेल है| संभवतः आदिम युग से ही यह प्रचलन में है| इसे यद्धपि कुछ अलग नामों से जाना जाता था| महाभारत व रामायण काल में इसे ‘मोष्टिक युद्ध’ कहा जाता था| यह इन युंगों में काफी लोकप्रिय था और किन्ही उत्सवों पर इसका प्रदर्शन उन खेलो का एक आवश्यक अंग था| वैसे यह उस काल में भी सब खेलो से अधिक खतरनाक खेल माना जाता था| यह मल्ल-युद्ध और कुश्ती दोनों का मिला-जुला रूप था| समय के साथ-साथ इसका रूप बदलता चल गया| आज यही खेल बॉक्सिंग के नाम से सभ्य समाज में प्रचलित है और ओलंपिक खेलो में महत्वपूर्ण स्थान रखता है|
इंग्लैंड में सन् 1719 में आधुनिक मुक्केबाज़ी की शुरुआत हुई। इसका श्रेय जिम फिग को जाता है| उस समय यह खेल बिना दस्तानों के खेला जाता था। समय के साथ-साथ इसमे सुधार होते चले गए और यह खतरनाक खेल से शालीन खेल बनता चला गया। सन् 1743 में इसके नियम बनाए गए| सन् 1837 में इसके नियमो को पुनः संशोधित किया गया। यही से इस खेल में गददेदार दस्तानों,जूतो, 3-3 मिनट के राउंड व इसके मध्य एक मिनट के विश्राम का भी प्रावधान किया गया|
सर्वप्रथम बॉक्सिंग को विश्व ओलंपिक में सन् 1904 मे सम्मिलित किया गया। इसके पश्चात यह ओलंपिक का अभिन्न अंग बन गया। एशियाई खेलो में यह सर्वप्रथम 1954 में सम्मिलित किया गया| भारतीय बॉक्सिंग संघ की स्थापना सन् 1949 में की गए, जिसके फलस्वरूप भारत में प्रथम बार बॉक्सिंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता सन् 1950 में मुंबई में सम्पन्न हुई।
बॉक्सिंग रिंग का टाइप साइज Ring Size of Boxing
इस खेल के मैदान को रिंग कहा जाता है| इसका आकार कम-से-कम 12 फीट वर्गाकार और अधिक-से-अधिक 20 फीट वर्गाकार होता है| यह मंच के आकार का मैदान होता है, जो जमीन से दो-से तीन फीट की ऊंचाई पर होता है| इसमे चरो ओर रस्सियाँ लगी रहती है| इसका फर्श एक अंडर कवर से ढका रहता है|
दस्ताने | क्योकि मुक्केबाज़ी के लिए हाथ के अग्रभाग का प्रयोग किया जाता है, अतः उँगलियो को चोट से बचाने के लिए दस्ताने पहनते है| इनके ऊपर का भाग काफी नर्म होता है, जो घातक चोटों से बचाता है| आमतौर पर दस्तानों का भार 16 औंस होता है| |
पोशाक | प्रत्येक मुक्केबाज के लिए बनियान एवं निक्कर पहनना अनिवार्य होता है| दोनों एक ही समान रंग के होते है| दोनों प्रतियोगी अलग-अलग रंग की पोशाक धारण करते है| वे केवल कैनवास के जूते ही पहन सकते है| |
दंत कवच | इस खेल में दाँतो पर भी प्रहार हो सकता है और इस प्रहार से दांत क्षतिग्रस्त हो सकते है, अतः दाँतो के सुरक्षा के लिए दंत कवच का प्रयोग किया जाता है| यह एक प्लास्टिक का लचीला टुकड़ा होता है, जिसका आकार अर्द्ध चंद्राकार होता है| इसे दाँतो व मसूड़ों के बीच फंसा दिया जाता है| |
प्रोटेक्टर कप | यह एक ऐसा कवच है, जिससे लिंग की सुरक्षा की जाती है| मुक़ाबले के दौरान इस कप को जांघिए के अंदर धारण किया जाता है| |
हेडगार्ड | प्रत्येक मुक्केबाज अपने सिर की सुरक्षा के लिए सिर पर हेलमेट पहनता है| इससे सिर की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है| |
भार | प्रत्येक मुक़ाबले के लिए प्रतियोगियो का भार निश्चित किया जाता है| अपने से लगभग समान भार के प्रतियोगी के साथ ही दूसरा प्रतियोगिता में भाग ले सकता है| |
अवधि | जूनियर व सीनियर मुकाबलों के लिए समय की अवधि अलग-अलग होती है, इस खेल के लिए आयु के दृष्टिकोण से तीन वर्ग बनाए गए है- प्रत्येक राउंड दो मिनट का तथा हर राउंड के बाद एक मिनट का विश्राम| जूनियर के लिए भी 3 राउंड होते है| प्रत्येक राउंड दो मिनट का तथा हर राउंड के बाद एक मिनट का विश्राम| सीनियर के लिए 3 राउंड होते है| प्रत्येक राउंड के बाद एक मिनट का विश्राम होता है| |

खेल के नियंत्रक Boxing Game Referee Judge
मुक्केबाज़ी के सभी मुक़ाबले एक रेफरी, तीन, जज, एक समय-पालक द्वारा नियंत्रित किए जाते है| रेफरी रिंग में होता है| स्कोर पैड पर मुक्केबाज़ी के नाम इत्यादि के जानकारी लिखी जाती है| समय-पालक रिंग के एक ओर बैठता है| बाकी तीन दिशाओ में एक-एक जज बैठते है| सबकी सीटे इस प्रकार लगी होती है कि मुक़ाबले को सही-सही ढंग से देख सके| तीनों जज स्वतंत्रतापूर्वक अंक प्रदान करते है| अंक देने के लिए स्कोरिंग शीट प्रयोग में लाई जाती है| विजेता घोषित करने के लिए प्रत्येक जज स्कोरिंग शीट पर हस्ताक्षर करते है|
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बॉक्सिंग के खेल में स्कोरिंग कैसे होती है Scoring on Boxing Game
प्रत्येक राउंड में जो मुक्केबाज दूसरे मुक्केबाज को सबसे अधिक मुक्के मारता है, उसे राउंड के अंत में 20 अंक प्रदान किए जाते है| दूसरा मुक्केबाज उसी अनुपात मे कम अंक प्राप्त करता है| यदि दोनों प्रतियोगी बराबर-बराबर मुक्के मारे, तो दोनों को 20-20 अंक प्रदान किए जाते है| तीनों राउंड के अंको के योग से परिणाम घोषित किया जाता है|

फाउल कैसे होता है When It is Foul in Boxing
निम्नलिखित स्थितियो में खिलाड़ी को फाउल दिया जाता है-
1. | धराशायी प्रतियोगी पर लगातार प्रहार करते जाना| |
2. | प्रतियोगी मुक्केबाज को कसकर पकड़ लेना| |
3. | कंधा मारना| |
4. | कोहनी से प्रहार करना| |
5. | कमर के नीचे प्रहार करना| |
6. | कुश्ती करना| |
7. | निर्दयता दिखाना| |
8. | प्रतियोगी के गुर्दे पर प्रहार करना| |
9. | बिना विरोधी के प्रहार किए जान-बूझकर स्वयं ही गिर जाना| |
10. | प्रतियोगी को अपने सिर से टक्कर मारना| |
11. | बॉक्सिंग की रस्सियों का अनुचित प्रयोग करना| |
12. | एक ही समय पर कोनो पर दोहरा प्रयोग करना| |
13. | सिर अथवा शरीर के बल प्रतियोगी के ऊपर लेट जाना| |
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता National Prize Winner of Boxing
द्रोणाचार्य पुरस्कार Dronacharya Prize of Boxing in Hindi | Year |
ओमप्रकाश भारद्वाज | 1985 |
जी.एस. सिंधु | 1998 |
कैप्टन हवासिंह | 1999 |
ध्यानचंद पुरस्कार Boxing Dhyanchand Prize Winners | Year |
शाहुराव वी. बिराजदार | 2002 |
अर्जुन पुरस्कार Arjuna Prize Winners of Boxing in Hindi | Year |
एल. बड्डी डिसूजा | 1961 |
हवलदार पदम बहादुर मल | 1962 |
हवासिंह | 1966 |
हवलदार डेनिस स्वामी | 1968 |
हवलदार मुनि स्वामी वेनू | 1971 |
हवलदार चंद्रा नारायणन | 1972 |
हवलदार महताब सिंह | 1973 |
वीरेंद्र सिंह थापा | 1977 |
सी.सी. मचैया | 1978 |
बख्शीश सिंह | 1979 |
ईसाक अमलदास | 1980 |
हवलदार जी. मनोहरन | 1981 |
हवलदार कौर सिंह | 1982 |
जसलाल प्रधान | 1983 |
जयपाल सिंह | 1986 |
सीवा जयराम | 1987 |
गोपाल दिवांग | 1989 |
डी.एस. यादव | 1991 |
राजेन्द्र प्रसाद | 1992 |
मनोज पिंगले | 1993 |
वी. देवराजन | 1995 |
राजकुमार सांगवान | 1996 |
एन. जी. डिको सिंह | 1998 |
गुरुचरण सिंह | 1999 |
जितेंद्र कुमार | 1999 |
मुहम्मद अली कुमर | 2002 |
एम. सी. मैरी कोम | 2003 |
अखिल कुमार | 2005 |
विजेंदर | 2006 |
वर्गीस जानसन | 2008 |
एल सरिता देवी | 2009 |
दिनेश कुमार | 2010 |
सुरेन्जय सिंह | 2011 |
विकाश कृष्णन | 2012 |
कविता चहल | 2013 |
मनोज कुमार | 2014 |
मंदीप जंगरा | 2015 |
शिव थापा | 2016 |
देवेंद्रो लैशम ( Devendro Laishram ) | 2017 |
सोनिया लैथर ( Sonia Lather ) | 2019 |