
चाइनीज सरसों की उन्नत खेती कैसे करें Chinese Sarso (Mustard) Ki Kheti Kaise Kare
चाइनीज सरसों का उपयोग भी आजकल शरद ऋतु मे फाइव स्टार होटलों में अधिक होने लगा है क्योंकि इसका प्रयोग साग बनाने, भुजिया, पकौड़ों तथा अन्य कई प्रकार से सब्जी के रूप में किया जाता है । यह सरसों अन्य सरसों से भिन्न होती है क्योंकि यह कुछ चिकनी व मुलायम पत्तों वाली होती है । पत्ते कुछ बड़े, हरे रंग के सुन्दर एवं आकर्षित लगते हैं । अच्छी फसल प्राप्त होने पर पत्तियों को बारीक काट-काटकर गर्मियों के लिये सुखाकर साग व अन्य सब्जियों के लिये भण्डारण कर लिया जाता है जिसका उपयोग गर्मियों में अधिक किया जाता है । हरी सब्जी होने से पोषक-तत्वों की अधिक मात्रा प्राप्त होती है जो अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है ।
चाइनीज सरसों की उन्नत खेती के लिए आवश्यक भूमि व जलवायु (Soil and Climate for Chinese Sarso Kheti)
भूमि सरसों के लिये सर्वोत्तम हल्की बलुई दोमट रहती है लेकिन इसकी खेती उपजाऊ वाली किसी भी भूमि में आसानी से की जा सकती है । यहां तक कि मैदानी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है । भूमि का पी.एच. मान 6.0-8.0 के बीच हो तो उगाया जा सकता है ।
यह फसल शरद ऋतु की होने से ठण्डी जलवायु चाहती है लेकिन 20 डी०सेग्रेड से लेकर 35 डी०सेग्रेड तापमान तक भी उगाया जा सकता है । बीज बनते समय गर्म मौसम की आवश्यकता पड़ती है ।
चाइनीज सरसों की उन्नत खेती के लिए खेत की तैयारी (Chinese Sarso Ki Kheti Ke Liye Khet Ki Taiyari)
सरसों के खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या ट्रैक्टर हैरो से करनी चाहिए तथा बाद की 2-3 जुताइयां देशी हल या ट्रिलर से करें तथा पाटा लगायें । इस प्रकार से खेत को ढेले रहित व सूखी घास रहित कर लेना चाहिए । तत्पश्चात् खेत में मेड-बन्दी कर आवश्यक आकार की क्यारियां बनाकर सरसों को लगाना चाहिए । सरसों की बड़ी क्यारियां ना बनाये ।
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चाइनीज सरसों की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Chinese Mustard)
सरसों की किस्मों की तरह सब्जी हेतु दो किस्में मुख्य हैं- 1. पूसा सरसों 2. जापानीज सरसों 3. गोभी सरसों ।
उपरोक्त सभी किस्में सब्जी के लिये उपयुक्त हैं । तेल के लिये इनका प्रयोग न किया जाये । सब्जी में पत्तियां एवं शाखाएं या डंठलों का प्रयोग अधिक किया जाता है ।
खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग (Use of Manure and Fertilizers)
सरसों के लिये अधिकतर यूरिया या नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की आवश्यकता पड़ती है । गोबर की खाद 8-10 टन प्रति हैक्टर तथा नाइट्रोजन 80 किलो तथा आवश्यकता पड़ने पर फास्फोरस व पोटाश 60 किलो प्रति हैक्टर देना चाहिए । नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई से पहले तथा आधी शेष मात्रा खड़ी फसल में बुवाई के 15 दिन बाद देनी चाहिए । इस प्रकार से उत्पादन अधिक मिलता है ।
बीज की मात्रा (Seeds Rate)
बीज की मात्रा 8-10 किलो प्रति हैक्टर प्रयोग करें जिससे खेत या क्यारी में स्थान खाली न रह पाये ।
बुवाई का समय एवं दूरी (Distance and Sowing Time)
सरसों की बुवाई अगेती मध्य सितम्बर या अगस्त के अन्तिम सप्ताह में करें तथा बाद तक बुवाई नवम्बर के माह तक करते हैं । पर्वतीय क्षेत्रों में अप्रैल से जुलाई तक करते रहते हैं जिससे सरसों लम्बे समय तक मिलती है ।
बीज की बुवाई की दूरी पंक्ति से पंक्ति 30 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सेमी. रखनी चाहिए । बीज को लाइन में बोयें तथा छिटकवा विधि का प्रयोग कम करें ।
सिंचाई (Irrigation)
सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है लेकिन कम पानी में भी यह फसल हो जाती है । बुवाई नमी में करें जिससे बीज अंकुरित हो सकें । प्रथम सिंचाई 15-20 दिन बाद करें तथा सब्जी के लिये एक या दो सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है । बीज तैयार करने तक 3-4 सिंचाइयों की जरूरत पड़ती है ।
निकाई-गुड़ाई (Hoeing)
निकाई-गुड़ाई की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती । लेकिन सिंचाई के बाद एक निकाई की आवश्यकता पड़ती है जिससे जंगली पौधे ना पनपे ।
तुड़ाई (Harvesting)
तुड़ाई पत्तियों व डंठलों कि की जाती है जिन्हें बंडल बनाकर बाजार या मंडी भेज दिया जाता है । ऊंचाई के हिसाब से काटें जिससे अगले कटान के लिए शीघ्र वृद्धि कर सकें । तुड़ाई 15 दिन के अन्तर से कर सकते हैं तथा यह तुड़ाई शाम के समय करें ।
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उपज (Yield)
सरसों के साग या पत्तियों की उपज प्रति हैक्टर 200-250 क्विंटल प्राप्त होती है । यदि बीज बनाना है तो बीज की उपज 6-7 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त होती है । क्योंकि बीज हल्का होता है ।
बीमारियां एवं कीट-नियन्त्रण (Diseases and Insect Control)
सरसों की फसल के लिये अधिक बीमारी नहीं लगती लेकिन पुरानी पत्तियों पर धब्बे बन जाते हैं । इन पर कंट्रोल करने के लिए इंडोफिल एम-45 के 1% के घोल का स्प्रे करें ।
कीट अधिकतर एफिडस (चेपा) लगता है । नियन्त्रण हेतु एन्डो-सल्फान, रोगोर का 1 ml/L के घोल का छिड़काव करें ।
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