चिरायता पेड़ के उपयोग और फायदे Chirata Herb Health Benefits Hindi Me

चिरायता का पौधा काफी उपयोगी होता है और आयुर्वेद में इसका काफी इस्तेमाल होता है | आइये इस पेड़ के विषय में जानते हैं कि चिरायता क्या है ? चिरायता के क्या फायदे और नुकसान हैं ?

साथ ही हम जानेंगे कि –

  • चिरायता हर्ब के फायदे हिन्दी में chirata herb benefits in hindi
  • स्किन के लिए चिरायता Benefits of Chirata For Skin in Hindi
  • डायबिटीज में चिरायता के उपयोग chirata benefits diabetes
  • कील मुहासों का इलाज chirata benefits for acne
  • चिरायता का पानी पीने के फायदे benefits of drinking chirata water

चिरायता का विभिन्न भाषाओँ में नाम

  • संस्कृत (Chirata Name In Sanskrit) – किरात, किराततिक्त |
  • हिंदी (Chirata Name In Hindi)- चिरायता |
  • मराठी (Chirata Name In Marathi)- किराईत |
  • गुजरती (Chirata Name In Guajarati)- करियातु |
  • बंगाली (Chirata Name In Bengali)- चिरेता |
  • अंग्रेजी (Chirata Name In English)- चिरेट्टा (Chiretta) |
  • लैटिन (Chirata Name In Latin) – स्वेर्टिया चिरायता (swertia chirayita) |

चिरायता आम तौर पर आसानी से उपलब्ध होने वाला पौधा नहीं है | नेपाल मूल उत्पादक देश होने के कारण यहाँ अधिकता से पैदा होता है | भारत में हिमाचल प्रदेश में कश्मीर से लेकर अरुणाचल तक काफी ऊँचाई पर इसका पौधा होता है | मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के पहाड़ी क्षेत्रो में भी इसको उगाया जाता है | इसका एक दो वर्षीय पौधा 2 से 4 फुट ऊँचा होता है | पत्ते भालाकार, नोकदार, 2-3 इंच लम्बे और 3-4 सेंटीमीटर चौड़े, चिकने, पांच सिरयुक्त होते है | तना स्थूल, लम्बा और शाखा युक्त होता है | पुष्पदंडों पर हरे पीले रंग के बैंगनी आभायुक्त छोटे छोटे होते हैं | फल 6-7 मिलीमीटर व्यास के अंडाकार तथा बिज छोटे, चिकने, बहुकोणीय, बहुसंख्या में होते हैं | फूल वर्षा ॠतु में और फल अगस्त-सितंबर तक आते हैं | शरद ॠतु में जब फल पक जाते हैं, तब इनका संग्रह किया जाता है |

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चिरायता के औषधीय गुण

आयुर्वेदिक मतानुसार चिरायता रस में तिक्त, गुण में लघु, प्रकृति में गर्म, विपाक में कटु, प्रभाव में ज्वरहण, दाह्हन, कृमिनाशक होता है | यह त्रिदोष शामक, पलीहा यकृत वृध्दि को रोकने वाला, आमपाचक, दीपन, अजीर्ण, अम्लपित्त, कब्ज, अतिसार, तृष्णा, पीलिया, अग्निमांध, संग्रहणी, ह्रदय की दुर्बलता, रक्त पित्त, रक्त विकार, चर्म विकार, मधुमेह, गठिया, जीवनी शक्तिवर्धक, जीवाणु नाशक गुणों से यक्त होने के कारण इन बीमारियों में सफलता पूर्वक व्यवहार में लाया जाता है |

यूनानी चिकित्सा पध्दति के मतानुसार चिरायता दुसरे दर्जे का गर्म और खुश्क होता है | ज्वर निवारण में इसका प्रयोग जग प्रसिध्द है | यह ह्रदय और यकृत को ताकत देता है, अमाशय और यकृत की सुजन दूर करता है, मूत्र की रुकावट, गर्भाशय का दर्द, गुर्दे का दर्द, खुजली, चर्म रोग, खांसी, कब्जियत, आँखों की ज्योति बढ़ाने वाला, हाजमा, दुरुस्त कर भूख बढ़ाना और बिगड़े हुए बुखार में भी अत्यंत गुणकारी है |

Chirata Herb benefits hindi me

वैज्ञानिक मतानुसार चिरायता का रासायनिक विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है की इसमे पीले रंग का एक ओफेलिक एसिड, दो प्रकार के तिक्त चिरायानिन और एमेरोजेण्टिन नामक ग्लाइकोसाइड्स, दो क्रिस्टलीय फिनॉल जेन्टीयोपीक्रिन, पीले रंग के क्रिस्टल योगिक, सुअचिरिन नामक जैन्थोन होते हैं | उल्लेखनीय है कि एमेरोजेण्टिन नामक ग्लाइकोसाइड संसार के सबसे अधिक कड़वे पदार्थो में एक होता है | इसका कड़वापन ही इस औषधि का विशेष गुण होता है | इसका उपयोग मलेरिया, दमे की बीमारी, फ्लू, टाइफाइड, शक्ति वर्धक, संक्रमण रोधक, जीवाणु-कृमि नाशक, कालाजार जिसमें प्लीहा और यकृत दोनों बढ़ जाते है, में सफलतापुर्वक किया जाता है |

 

चिरायता के फायदे रोगों के उपचार में Chirata Herb Health Benefits Hindi Me

1.आग से जलने पर उत्पन्न घाव :  चिरायता के सिरके और गुलाब जल में पीसकर बने लेप को घाव पर लगाएं |

2. नेत्र रोग :  चिरायता को पानी में घिसकर आँखों पर लेप करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है और उसके अनेक रोगों में आराम मिलता है |

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3. सामान्य ज्वर : 4 चम्मच चिरायता का चूर्ण एक गिलास पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें | सुबह छानकर 3-3 चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार पिलाएं |

4. मलेरिया : चिरायते का काढ़ा एक कप की मात्रा में दिन में 3 बार कुछ दिनों तक नियमित रूप से पिलाने से रोग के सारे कष्टों में शीघ्र आराम मिलता है |

5. जीर्ण ज्वर में : चिरायता, सोंठ, वच, आंवला, गिलोय सभी बराबर की मात्रा में मिलाकर पिस लें और एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार दें |

6. कृमि रोग : चिरायता और आंवले से बनाया गया काढ़ा सोने से पूर्व एक कप की मात्रा में दे |

7. गर्भवती का वमन : चिरायते का चूर्ण शहद के साथ सेवन कराएं |

8. शोथ, सुजन : चिरायता और सोंठ बराबर की मात्रा में मिलाकर काढ़ा तैयार करें | और एक कप की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराएं |

9. चर्म रोग (chirata benefits for skin in hindi) : खुजली, फोड़े फुंसी जैसे चर्म रोगों में चिरायता का लेप लगाएं | इससे आपको काफी लाभ होगा |

10. यकृत और आमाशय की सुजन : चिरयाता का आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम लें |

11. गठिया, दमा, रक्त विकार, मूत्र की रुकावट, खांसी, कब्जियत, भूख न लगाना, पाचन की कमी, मधुमेह, श्वास नालिकाओं की सुजन, अम्ल पित्त और ह्रदय रोगों में चिरायता का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम शहद या देसी घी के साथ नियमित रूप से सेवन करना लाभदायक होता है |