दारुहल्दी के फायदे हिंदी में Daruhaldi Ke Fayde In Hindi

दारुहल्दी के फायदे हिंदी में Daruhaldi Ke Fayde In Hindi

दारुहल्दी के पेड़ हिमालय क्षेत्र में अपने आप झाड़ियों के रूप में उग आते हैं। यह बिहार, पारसनाथ और नीलगिरी की पहाड़ियों वाले क्षेत्रों में भी पाई जाती है। इसका पेड़ 5 से 16 फुट ऊंचा, कांटेदार, झाड़ीनुमा होता है, जिसका तना 8-9 इंच तक की मोटाई लिए होता है। पते कांटेदार और 2 से 3 इंच लंबे होते हैं। पुष्प 2-3 इंच लंबी मंजरियों पर गुच्छों में, सफेद या पीले रंग के (विभिन्न जातियों के अनुसार) लगते हैं।

पुष्प की तरह ही फल भी छोटे-छोटे, खट्टे-मीठे, नीलापन लिए लाल रंग के आपस में जुड़े हुए से लगते हैं। फल को जरिश्क के नाम से जाना जाता है। जड़ पीलापन लिए हुए छोटी-बड़ी गांठदार होती है। हलदी के समान पीले, कड़वे, हलकी गंध वाले जड़ के टुकड़े ही बेचे जाते हैं। डंठल और जड़ में पीलापन पूरी तरह समाए रहने के कारण ही इसका नाम दारुहल्दी पड़ा है। सामान्य हलदी से इसका कोई मेल नहीं है। इसकी 6 जातियां पाई जाती हैं, लेकिन गुणों में लगभग समान होती हैं। दारुहल्दी से तैयार किया गया घन सत्व रसौत के नाम से मिलता है।

यहा पर आप ये जानेंगे –

  1. ज्वर आने पर दारुहल्दी Fever Aane Per Daruhaldi
  2. दस्त में दारुहल्दी Diarrhea Me Daruhaldi
  3. दांत और मसूड़ों के रोग में दारुहल्दी का उपाय  Dant Aur Masudo Ke Rog Me Daruhaldi Ka Upaay
  4. पीलिया में दारुहल्दी का सेवन Jaundice Me Daruhaldi Ka Sevan
  5. श्वेत प्रदर के लिए  दारुहल्दी का सेवन Swetprader Ke Liye Daruhaldi Ka Sevan
  6. सूजन पर दारुहल्दी का लेप Sujan Per Daruhaldi Ka Lep
  7. घाव पर लगाये दारुहल्दी Ghaw Per Lagay Daruhaldi
  8. टूटी हड्डी जोड़ने  के लिए दारुहल्दी का सेवन  Broken Bone Connecting Ke Liye Daruhaldi Ka Sevan
  9. खूनी बवासीर होने पर दारुहल्दी Khooni Bavaseer Hone Per Daruhaldi
  10. मुंह के छाले के लिए दारुहल्दी  Mouth Ke Chaale Leye
  11. नेत्र रोग में दारुहल्दी Netrr Rog Me Daruhaldi

दारुहल्दी के विभिन्न भाषाओं में नाम Daruhaldi Ke Vibhinn Bhasaao Me Name

  1. संस्कृत (Daruhaldi In Sanskrit)– दारु हरिद्रा ।
  2. हिंदी (Daruhaldi In Hindi)– दारुहल्दी ।
  3. मराठी (Daruhaldi In Marathi) – दारु हलद।
  4. गुजराती (Daruhaldi In Gujarati) – दारु हलदर।
  5. बंगाली (Daruhaldi In Bangali) – दारु दरिद्रा ।
  6. लैटिन (Daruhaldi In Latin) — बर्बेरिस अरिस्टेटा (Berberis Aristata) ।

दारुहल्दी के औषधीय गुण Daruhaldi Ke Aushdhiy Gundaruhaldi

आयुर्वेदिक मतानुसार दारुहल्दी  गुण में लघु , स्वाद में कटु कषाय, तिक्त तासीर  में गर्म, अग्निवद्धक, पौष्टिक, रक्तशोधक, यकृत उत्तेजक, कफ नाशक, व्रण शोधक, पीड़ा, शोथ नाशक होती है। यह ज्वर, श्वेत व रक्त प्रदर, नेत्र रोग, त्वचा विकार, गर्भाशय के रोग, पीलिया, पेट के कृमि, मुख रोग, दांतों और मसूड़ों के रोग, गर्भावस्था की जी मिचलाहट आदि में गुणकारी है।

यूनानी चिकित्सा पद्धति में दारुहल्दी दूसरे दर्जे की सर्द और खुश्क तथा जड़ की छाल पहले दर्जे की गर्म और खुश्क मानी गई है। इसके फल जरिश्क, यूनानी में एक उत्तम औषधि मानी गई है। यह आमाशय, जिगर और हृदय के लिए बलवर्द्धक है। इसके सेवन से जिगर और मेदे की खराबी से दस्त लगना, मासिक धर्म की अधिकता, सूजन, बवासीर के कष्टों में आराम मिलता है।

वैज्ञानिक मतानुसार दारुहल्दी के रासायनिक संगठन का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसमें अनेक एल्केलाइड्स उपस्थित होते हैं, जिनमें बर्बरीन नामक पीले रंग का कड़वा, जल में घुलनशील एल्केलाइड प्रमुख होता है। बर्बरीन सल्फेट का उपयोग फोड़ों के इलाज में काफी लाभप्रद पाया गया है।

दारुहल्दी के विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलु नुस्खे  Daruhaldi Ke Vibhinn Rogo Me Prayog Aur Gharelu Nuskhe

1. ज्वर आने पर दारुहल्दी Fever Aane Per Daruhaldi Ka Prayog Kare

बुखार होने पर इसका प्रयोग किया जाता है | ज्वर के उपचार के लिए दारुहल्दी की जड़ का प्रयोग किया जाता है | दारुहल्दी की जड़ से तैयार किए काढ़े को 2 चम्मच की मात्रा में 3 बार पिलाने से ज्वर उतर जाता है।

2. दस्त में दारुहल्दी Diarrhea Ka Upchar Daruhaldi Se Kare

दस्त होने इसकी जड़ का प्रयोग किया जाता है | दारुहल्दी की जड़ की छाल और सोंठ समभाग मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा दिन में 3 बार जल से सेवन कराने से दस्त लगने बंद हो जाते हैं।

3. दांत और मसूड़ों के रोग में दारुहल्दी का उपाय  Dant Aur Masudo Ke Rog Me Daruhaldi Ka Upaay :

दांतों को मजबूत बनाने और मसूढ़ों को ठीक करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है | दारुहल्दी के फलों से बने काढ़े से गरारे करने से कुछ ही दिनों में मसूड़े मजबूत होंगे और दांत और मसूड़ों का दर्द दूर होगा।

4. पीलिया में दारुहल्दी का सेवन Jaundice Me Daruhaldi Ka Sevan :

पीलिया होने पर यह एक उपयोगी औषधि है | दारुहल्दी के काढ़े को बराबर की मात्रा में शहद मिलाकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पिलाते रहने से शीघ्र लाभ मिलता है।

5. श्वेत प्रदर के लिए  दारुहल्दी का सेवन Swet Prader Ke Liye Daruhaldi Ka Sevan :

श्वेत प्रदर होने पर दारुहल्दी का प्रयोग किया जाता है | इसके लिए दारुहल्दी, दालचीनी और शहद समभाग मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में 3 बार सेवन करने से रोग में लाभ मिलता है।

6. सूजन पर दारुहल्दी का लेप Sujan Per Daruhaldi Ka Lep

चोट लगने पर शरीर में सूजन हो जाती है | सूजन में दारुहल्दी उपयोगी औषधि है | दारुहल्दी का बनाया लेप 2-3 बार लगाने से सूजन की कठोरता दूर होकर दर्द में आराम मिलता है।

7. घाव पर लगाये दारुहल्दी Ghaav Par Lagay Daruhaldi

दारुहल्दी घाव लगने और चोट लगने पर लाभकारी है | दारुहल्दी का लेप चोट और घाव पर लगाने से खून जमता नहीं और शीघ्र ही भर जाता है।

8. टूटी हड्डी जोड़ने  के लिए दारुहल्दी का सेवन  Tooti Haddi Jodne Ke Liye Daruhaldi Ka Sevan :

दारुहल्दी की चूर्ण अंडे की सफेदी में समान मात्रा में मिलाकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से टूटी हड़ी शीघ्र जुड़ जाती है।

9. खूनी बवासीर होने पर दारुहल्दी Khooni Bavaseer Hone Per Daruhaldi  :

दारुहल्दी का तना, जड़ और फल समभाग में मिलाकर लेप तैयार करें। इसे गुदा और मस्सों पर लगाने से रोग में बहुत लाभ मिलता है।

10. मुंह के छाले के लिए दारुहल्दी  Mouth Ke Chaale Leye :

दारुहल्दी, मुलेठी और शहद को समभाग में मिलाकर छालों पर बार-बार लगाने से कष्ट में आराम मिलता है।

11. नेत्र रोग में दारुहल्दी Netrr Rog Me Daruhaldi :

दारुहल्दी का लेप आखें बंद कर पलकों पर लगाकर सोने से आखों का दर्द, लाली, किरकिराहट आदि कष्टों में लाभ होता है।