
डॉ. मनमोहन सिंह पर निबंध (Short Essay on Dr Manmohan Singh In Hindi Language)
विश्व में वर्ष 2008 में आई आर्थिक मंदी से संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देश भी त्रस्त नजर आए, किंतु पूरी दुनिया इस बात से आश्चर्यचकित थी कि भारत जैसे विकासशील देश पर इसका कोई असर नहीं हुआ ! भारत ने यदि आर्थिक मंदी के बावजूद प्रगति हासिल की, तो इसमें इसकी आर्थिक नीतियों का बहुत बड़ा योगदान था और जिन आर्थिक नीतियों के कारण इसने यह करिश्मा कर दिखाया उनके निर्माण क्रियान्वयन में डॉ. मनमोहन सिंह की भूमिका प्रमुख रही है | यही कारण है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री दुनियाभर में एक कुशल अर्थशास्त्री के रूप में अधिक प्रसिद्ध हैं |
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पश्चिम पंजाब के गाह नमक स्थान (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था | उनके पिता का नाम श्री गुरमुख सिंह तथा माता का नाम श्रीमती किशन कौर था | जब भारत का विभाजन हुआ तो उनका परिवार अमृतसर में आकर बस गया |
डॉक्टर मनमोहन सिंह की प्रारंभिक शिक्षा ज्ञान आश्रम स्कूल में हुई | इसके बाद 1948 में उन्होंने मैट्रिकुलेशन तथा 1950 ई. में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की | उन्होंने 1952 ई. में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी में स्नातक प्रतिष्ठा की उपाधि तथा 1954 में इसी विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी के साथ स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की | स्नातकोत्तर परीक्षा में उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया था | इसके बाद उन्होंने लंदन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पी.एच.डी एंव ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल. की उपाधि प्राप्त की |
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उच्च शिक्षा प्राप्त कर वे स्वदेश लौट आए एंव अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में काफी ख्याति अर्जित की | 1957 ई. से लेकर 1959 ई. तक वे चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के वरिष्ठ प्रवक्ता रहे | 1959 से 1963 तक वे इसी विश्वविद्यालय में रीडर के पद पर कार्यरत रहे तथा 1963 ई. से 1965 ई. तक वहीँ प्रोफेसर के रूप में कार्य करने के बाद इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया | 1976 ई. में वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में ऑनरेरी प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए | इसके बाद वे अध्यापन का कार्य छोड़कर आर्थिक जगत की शीर्षस्थ संस्थाओं में कार्य करने लगे | इस दौरान उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में ऑनरेरी प्रोफेसर के पद को भी सुशोभित किया |
1972 ई. से 1974 ई. तक उन्होंने भारत में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष समिति की अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक सुधार समिति के डिप्टी के रूप में कार्य किया | 1972 ई. से 1976 ई. तक वे भारत के वित्त मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे | 1982 ई. से 1985 ई. तक वे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्यरत रहे | सन 1985 ई. में वे इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे तथा साथ ही 1985 से 1987 ई. तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष के पद पर भी कार्यरत रहे |
डॉ. मनमोहन सिंह को विश्वस्तरीय राजनीतिक पहचान तक मिली, जब 1991 से 1996 ई. के बीच वे नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के पद पर कार्यरत रहे | जब डॉ. मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने थे, उस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी | उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए आर्थिक उदारीकरण की नीति से भारत को आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर कर दिया | इसके बाद 1998 ई. एंव 2001 ई. में वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे |
2004 ई. में समय से पूर्व राष्ट्रीय गठबंधन सरकार द्वारा करवाए गए लोकसभा चुनाव में आशा के विपरीत भाजपा को कम सीटों पर विजय हासिल हुई एंव कांग्रेस अधिक सीटों पर जीत के साथ अन्य पार्टियों के सहयोग से सरकार बनाने में सफल रही | कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्वयं प्रधानमंत्री का पद अस्वीकार करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह को भारत का नया प्रधानमंत्री घोषित कर दिया | इस तरह 22 मई 2004 को डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के 15वें प्रधानमंत्री के रुप में शपथ ली | डॉ. मनमोहन सिंह ने इस पद पर रहते हुए अपने उत्तरदायित्वों का हमेशा सही ढंग से पालन किया | 2009 ई. में हुए लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए, जिनको 5 वर्षों का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला | 22 मई 2009 को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपनी दूसरी पारी प्रारंभ की |
डॉ मनमोहन सिंह की उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें भारत सरकार एवं विश्व के कई अन्य संस्थानों ने विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया | 1956 ई. में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में उन्हें ‘ऐडम-स्मिथ पुरस्कार’ से सम्मानित किया | 1987 ई. में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया | 1995 ई. में उन्हें इंडियन कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार प्राप्त हुआ | उन्हें 1993 ई. एंव 1994 ई. का ‘एशिया मनी अवार्ड फॉर फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर’ एंव इसके साथ ही 1994 ई. का ‘यूरो मनी अवार्ड फॉर द फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर’ भी प्राप्त हुआ | प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स द्वारा मार्च 2011 को जारी विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली 100 व्यक्तियों की सूची में भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को 18वां स्थान प्रदान किया गया |
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डॉ. मनमोहन सिंह ने कई अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का नेतृत्व किया है | भ्रष्टाचार से त्रस्त भारतीय राजनीति में जहां अधिकतर नेता दागदार हैं, वहीं डॉ. मनमोहन सिंह अपनी बेदाग एंव ईमानदार छवि के कारण न केवल जनता के बीच लोकप्रिय हैं बल्कि सभी राजनीतिक दलों में भी उनकी अच्छी साख है | अनुभवी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि उदारीकरण एंव वैश्वीकरण के इस दौर में भारत की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ विश्वस्तरीय आर्थिक प्रतिद्विन्द्ता के दृष्टिकोण से डॉ. मनमोहन सिंह जैसे अनुभवी अर्थशास्त्री के हाथ में देश की बागडोर के दूरगामी सकारात्मक परिणाम होंगे, जिससे यह देश आर्थिक जगत में नए मुकाम हासिल करेगा |
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