
अब्राहम लिंकन पर निबंध (Essay On Abraham Lincoln Life In Hindi Language)
लगातार असफलताओं के बावजूद भी बेहतर सफलता प्राप्त करने का जो अनुपम उदाहरण अब्राहम लिंकन ने अपने जीवन में प्रस्तुत किया वह किसी भी व्यक्ति के लिए प्रेरणा का अन्यत्र दुर्लभ स्त्रोत है | 22 वर्ष की उम्र में व्यापार में असफल होने के बाद 23 वर्ष की उम्र में राजनीति में कदम रखते हुए वे विधायक का चुनाव हार गए | 24 वर्ष की उम्र में उन्हें पुनः व्यापार में असफलता का सामना करना पड़ा | 26 वर्ष की उम्र में उनकी पत्नी का देहांत हो गया | 27 वर्ष की उम्र में उन्हें नर्व्स ब्रेक डाउन का शिकार होना पड़ा | 29 वर्ष की उम्र में स्पीकर का चुनाव हार गए | 31 वर्ष की उम्र में इलेक्टर का चुनाव हार गए | 39 वर्ष की उम्र में अमेरिकी कांग्रेस के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा | 46 वर्ष की उम्र में वे सीनेट का चुनाव हार गए | 47 वर्ष की उम्र में उपराष्ट्रपति का चुनाव हारे | 49 वर्ष की उम्र में दूसरी बार सीनेट के चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा | लगातार इतनी हारों के बाद शायद ही किसी की हिम्मत होती कि वह राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार बने | किन्तु, लगातार असफलताओं के बाद भी सफलता हासिल करने का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हुए 51 वर्ष की उम्र में अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति निर्वाचित होकर अब्राहम लिंकन ने न केवल यह साबित किया कि वे इस पद हेतु सर्वाधिक उपयुक्त उम्मीदवार थे, बल्कि असफलताओं से घबरा जाने वाले लोगों के लिए भी उन्होंने अद्वितीय एंव प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया |
अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 ई. को अमेरिका के केंचुकी नामक स्थान में एक गरीब किसान के घर हुआ था | उनके पिता का नाम टामस लिंकन एंव माता का नाम नैन्सी लिंकन था | जब वे मात्र 9 वर्ष के थे उनकी मां का देहांत हो गया, जिसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली | शायद यही कारण था कि लिंकन धीरे-धीरे अपने पिता से दूर होते चले गए | उनके माता-पिता अधिक शिक्षित नहीं थे इसलिए लिंकन की प्रारंभिक शिक्षा ठीक से नहीं हो सकी | किन्तु, कठिनाइयों पर विजय हासिल करते हुए उन्होंने न केवल अच्छी शिक्षा अर्जित की, बल्कि वकालत की डिग्री पाने में भी कामयाब रहे, लेकिन अपने मानवतावादी दृष्टिकोणों के कारण वेवकालत के व्यवसाय में असफल रहे | उसके बाद उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की |
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6 नवम्बर 1860 को अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद लिंकन ने ऐसे महत्त्वपूर्ण कार्य किए जिनका राष्ट्रीय ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय महत्व भी है | लिंकन की सबसे बड़ी उपलब्धि अमेरिका को ग्रह-युद्ध से उबारना था | इस कार्य हेतु 1865 ई. में अमेरिका के संविधान में 13वें संशोधन द्वारा दास-प्रथा के अन्त का श्रेय भी लिंकन को ही जाता है | लिंकन एक अच्छे राजनेता ही नहीं, बल्कि एक प्रखर वक्ता भी थे | प्रजातंत्र की परिभाषा देते हुए उन्होंने कहा, ‘प्रजातंत्र जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन है |’ वे राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी सदा न केवल विनम्र रहे, बल्कि यथासंभव गरीबों की भलाई के लिए भी प्रयत्न करते रहे | दास-प्रथा के उन्मूलन के दौरान अत्यधिक विरोध का सामना करना पड़ा, किन्तु अपने कर्तव्य को समझते हुए वे अंततः इस कार्य को अंजाम देने में सफल रहें | अमेरिका में दास-प्रथा के अंत का अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व इसलिए भी है कि इसके बाद ही विश्व में दास-प्रथा के उन्मूलन का मार्ग प्रशस्त हुआ | अपने देश में इस कुप्रथा की समाप्ति के बाद विश्व के अन्य देशों में भी इसकी समाप्ति में उनकी की भूमिका उल्लेखनीय रही |
लिंकन का व्यक्तित्व मानव के लिए प्रेरणा का दुर्लभ स्त्रोत था | वे पूरी मानवता से प्रेम रखते थे | शत्र-मित्र की संकीर्ण भावना से वे कोसों दूर थे | इससे संबंधित एक रोचक प्रसंग यहां प्रस्तुत है | गृह-युद्ध के दौरान एक दिन सायंकाल वे अपने सैनिकों के शिविर में गए | वहाँ सभी का हालचाल पूछा और काफी समय सैनिकों के साथ बिताते हुए घायल सैनिकों से बातचीत कर उनका उत्साहवर्द्धन किया | जब वे शिविर से बहार आए तो अपने साथ के लोगों से कुछ बातचीत करने के बाद शत्रु सेना के शिविर में जा पहुंचे | वहां के सभी सैनिक व अफसर लिंकन को अपने बीच पाकर हैरान रह गए | लिंकन ने उन सभी से अत्यंत स्नेहपूर्वक बातचीत की | उन सभी को हालाँकि यह बड़ा अजीब लगा, फिर भी वे लिंकन के प्रति आत्मीय श्रद्धा से भर गए | जब लिंकन शिविर से बाहर निकले तो सभी उनके सम्मान में उठकर खड़े हो गए | लिंकन ने उन सभी का अभिवादन किया और अपनी कार में बैठने लगे | तभी वहां खड़ी एक वृद्धा ने कहा, ‘तुम तो अपने शत्रुओं से भी इतने प्रेम से मिलते हो, जबकि तुम में तो उन्हें समाप्त कर देने की भावना होनी चाहिए |’ तब लिंकन ने मुस्कुराकर जवाब दिया, ‘यह कार्य मैं उन्हें अपना मित्र बनाकर भी कर सकता हूं |’ इस प्रेरक प्रसंग से पता चलता है कि लिंकन इस बात में विश्वास करते थे कि मित्रता बड़ी-से-बड़ी शत्रुता का अन्त भी कर सकती है | वे अपने शत्रुओं के प्रति भी उदारवादी रवैया अपनाने में विश्वास करते थे |
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हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि अमेरिका के अब तक के सभी राष्ट्रपतियों में लोकप्रियता के मामले में लिंकन शीर्षस्थ स्थान पर हैं | 14 अप्रैल 1865 को फोर्ड थियेटर में ‘अवर अमेरिकन कजिन’ नामक नाटक देखते समय जॉन विल्किस बूथ नाम के एक अभिनेता ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी | उनकी हत्या के बाद अमेरिका में विद्वानों की एक सभा में कहा गया, ‘लिंकन की भले ही हत्या कर दी गई हो, किन्तु मानवता की भलाई के लिए दास-प्रथा उन्मूलन का जो महत्वपूर्ण कार्य किया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता | लिंकन अपने विचारों एवं कर्मों के साथ हमारे साथ सदैव रहेंगे |’ उनके व्यक्तित्व का ही अनुपम प्रभाव था कि अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा, अब्राहम लिंकन के योगदान को समझते हुए अपने राष्ट्रपति पद हेतु शपथ ग्रहण करने से पहले उस स्थान पर गए, जहां से लिंकन ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी |