
डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम पर निबंध Essay On Dr APJ Abdul Kalam In Hindi Language
तमिलनाडु के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले एक बालक का यह सपना था कि वह एक दिन पायलट बनकर आसमान की अनंत ऊंचाइयों को नापे | अपने इस सपने को साकार करने के लिए उसने अखबार तक बेचा, मुफलिसी में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी | और आखिरकार आर्थिक तंगियों से संघर्ष करते हुए वह बालक उच्च शिक्षा हासिल कर पायलट के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा में सम्मिलित हुआ | उस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद भी उसका चयन नहीं हो सका, क्योंकि उस परीक्षा के द्वारा केवल 8 पायलटों का चयन होना था और सफल अभ्यर्थियों की सूची में उस बालक का स्थान नौवां था | इस घटना से उसे थोड़ी निराशा हुई पर उसने हार नहीं मानी | उसके दृढ़-निश्चय का ही कमाल था कि एक दिन उसने सफलता की ऐसी बुलंदियां हासिल की, जिसके सामने सामान्य पायलटों की उड़ाने अत्यंत तुच्छ नजर आती हैं | उस व्यक्ति ने भारत को अनेक मिसाइलें प्रदान कर इसे सामरिक दृष्टि से इतना संपन्न कर दिया कि पूरी दुनिया उसे ‘मिसाइल मैन’ के नाम से जानने लगी | इसके बाद एक दिन ऐसा भी आया जब वह व्यक्ति भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हुआ | चमत्कारी प्रतिभा का धनी वह व्यक्ति कोई और नहीं, भारत के 11 राष्ट्रपति रह चुके डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हैं, जिनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास की कथा से कम नहीं है |
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जिनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है, का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु राज्य में स्थित रामेश्वरम के धनुषकोडी नामक स्थान में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था | उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने एंव घर के खर्चे में योगदान के लिए अखबार बेचना पड़ता था | इसी तरह संघर्ष करते हुए प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम के प्राथमिक स्कूल से प्राप्त करने के बाद उन्होंने रामनाथपुरम के शर्वाटज हाईस्कूल से मैट्रिकुलेशन किया | इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए तिरुचिरापल्ली चले गए | वहां के सेंट जोसेफ कॉलेज से उन्होंने बी.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की | बी.एस-सी. के बाद 1958 ई. में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया |
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. कलाम ने हावरक्राफ्ट परियोजना एंव विकास संस्थान में प्रवेश किया | इसके बाद 1962 ई. में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए, जहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी3 के निर्माण में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | इसी प्रक्षेपण यान से जुलाई 1980 ई. में रोहिणी उपग्रह का अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया | 1982 ई. में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में वापस निदेशक के तौर पर आए तथा अपना सारा ध्यान गाइडेड मिसाइल के विकास पर केंद्रित किया | अग्नि मिसाइल एवं पृथ्वी मिसाइल के सफल परीक्षण का श्रेय भी काफी हद तक उन्हीं को जाता है | जुलाई 1992 ई. में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए | उनकी देखरेख में भारत ने 1998 ई. में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ | वैज्ञानिक के रूप में कार्य करने के दौरान अलग-अलग प्रणालियों को एकीकृत रुप देना उनकी विशेषता थी | उन्होंने अंतरिक्ष एंव सामरिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर नए उपकरणों का निर्माण भी किया |
डॉ. कलाम की उपलब्धियों को देखते हुए 1918 ई. में भारत सरकार ने उन्हें ‘पदमभूषण’ से सम्मानित किया, इसके बाद 1990 ई. में उन्हें ‘पदम विभूषण’ भी प्रदान किया गया | उन्हें विश्वभर के 30 से अधिक विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया | 1997 ई. में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया | वे ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं, जिन्हें यह सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है | अन्य दो राष्ट्रपति हैं- सर्वपल्ली राधाकृष्णन एंव डॉक्टर जाकिर हुसैन |
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने डॉक्टर कलाम को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया | विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी उनका समर्थन किया और 18 जुलाई 2002 को उन्हें 90% बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया | इस तरह उन्होंने 25 जुलाई 2002 को 11वें राष्ट्रपति के रूप में अपना पदभार ग्रहण किया | उन्होंने इस पद को 25 जुलाई 2007 तक सुशोभित किया | वे राष्ट्रपति भवन को सुशोभित करने वाले प्रथम वैज्ञानिक हैं | साथी ही वे प्रथम ऐसे राष्ट्रपति भी हैं जो अविवाहित रहे | राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल में उन्होंने कई देशों का दौरा किया एंव भारत का शांति का संदेश दुनिया भर को दिया | इस दौरान उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया एंव अपने व्याख्यानों द्वारा देश के नौजवानों का मार्गदर्शन करने एंव उन्हें प्रेरित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया |
सीमित संसाधनों एवं कठिनाइयों के होते हुए भी उन्होंने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान एवं प्रक्षेपास्त्रों के क्षेत्र में एक ऊंचाई प्रदान की | वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं | उन्होंने तमिल भाषा में अनेक कविताओं की रचना भी की है जिनका अनुवाद विश्व की कई भाषाओं में हो चुका है | इसके अतिरिक्त उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की है | ‘भारत 2020: नई सहस्त्राब्दी के लिए एक दृष्टि’, इग्नाइटेड माइंड्स : अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’, ‘इंडिया माय ड्रीम’, ‘विंग्स ऑफ फायर’ उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं | उनकी पुस्तकों का कई भारतीय एंव विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है | उनका मानना है कि भारत तकनीकी क्षेत्र में पिछड़ जाने के कारण ही अपेक्षित उन्नति-शिखर पर नहीं पहुंच पाया है | इसलिए अपनी पुस्तक ‘भारत 2020 : न्यू सहस्त्राब्दी के लिए एक दृष्टि’ के द्वारा उन्होंने भारत के विकास-स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए देशवासियों को एक विशिष्ट दृष्टिकोण प्रदान किया | यही कारण है कि वे देश की नई पीढ़ी के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं |
27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबन्धन संस्थान शिलोंग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार दिल का दौरा (हार्ट अटैक) हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े | गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई | और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके थे | अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं | 83 वर्ष से अधिक आयु के होने के बावजूद भी समाज सेवा एवं अन्य कार्य में व्यस्त रहते थे | वे भारत के सर्वधर्मसद्भावना के साक्षात् प्रतिक हैं | वे कुरान एंव भगवद्गीता दोनों का अध्ययन करते थे | आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि भारतवासी उनके जीवन एंव उनके कार्यों से प्रेरणा ग्रहण कर वर्ष 2020 तक भारत को संपन्न देशों की श्रेणी में ला खड़ा करने के उनके सपने को साकार करेंगे |