भारत के गांव पर निबंध Essay On Indian Village In Hindi Language
भारत गावों का देश है | 2011 की जनगणना के अनुसार, भारतीय गांवों की संख्या 6.41 लाख से अधिक है, जिनमें देश की कुल जनसंख्या के 70% से अधिक लोग निवास करते हैं | अधिकतर भारतीय गांवों की आबादी एक हजार से पांच हजार के बीच हैं | कुछ ऐसे भी गांव हैं, जिनकी आबादी दस हजार से भी अधिक है | इन गांवों की अर्थव्यवस्था कृषि एवं कुटीर उद्योगों पर आधारित है |
लहलहाते हरे-भरे खेत, फलों के बाग ग्राम्य सौन्दर्य की प्रमुख विशेषताएं हैं | नदियों के किनारे बसे गांव की खूबसूरती देखते ही बनती है | ग्राम्य जीवन में त्यौहारों को विशेष महत्त्व दिया जाता है | होली हो या दीपावली या दुर्गापूजा गांवों में इन त्योहारों का मौलिक रुप दिखाई पड़ता है | शहरीकरण औद्योगीकरण के बाद से भारत की सभ्यता-संस्कृति पर पश्चिमी सभ्यता-संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से पड़ा है | किन्तु यह प्रभाव केवल शहरों तक ही सीमित है | भारत के गांव में आज भी भारतीय सभ्यता-संस्कृति पूर्ण रूप से संरक्षित है | इन्हीं कारणों से कहा जाता है कि असली भारत का चेहरा देखना हो तो इसके गावों में जाओ |
भारतीय गांवों की जितनी भी तारीफ की जाए, कम है, किन्तु इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत के अधिकतर गांव आज भी बुनियादी आवश्यकताओं से जूझ रहे हैं | इनमें से अधिकतर गांव सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक एंव राजनीतिक पिछड़ेपन के शिकार हैं | वहाँ अभी तक बिजली नहीं पहुंची है | लोग निरक्षर हैं | गावों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कुटीर उद्योगों के कम होने के कारण ग्रामीण लोग बेरोजगारी से ग्रस्त हैं | अस्पताल की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधी अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है | अभी भी ग्रामीण महिलाएं अरक्तता एवं कुपोषण की शिकार हैं | शिशुओं की देखभाल सही ढंग से नहीं होने के कारण उनकी मृत्यु-दर पर पूर्ण नियन्त्रण नहीं हो सका है | घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए ग्रामीण बच्चों को पढ़ाई पूरी करने से पहले ही विद्यालय छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ता है | अशिक्षा के कारण अंधविश्वास, रुढ़िवादिता एवं अन्य अनेक प्रकार की समस्याएं ग्राम्य जीवन को कष्टदायी बनाती हैं |
भारत गांवों का देश है | इसलिए यहां के गांव खुशहाल होने चाहिए थे, किन्तु ऐसा नहीं है | भले ही गांवों में लहलहाती हरी-भरी फसलें बरबस ही आदमी का मन मोहती हों, किन्तु ग्रामीणों की उदासी दूर करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है | गांवों के विकास पर ही भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास निर्भर करता है, क्योंकि कृषि प्रधान देश होने के कारण यहां के 51 प्रतिशत से अधिक लोग किसी-न-किसी रुप में कृषि अथवा कृषि संबंधी कार्यों में संलग्न हैं और ये लोग गांवों में ही रहते हैं | गांवों के विकास की इसी महत्ता के दृष्टिकोण से ग्रामीण विकास मंत्रालय के रूप में एक पृथक मंत्रालय का गठन किया गया था | यह मंत्रालय गांवों के विकास के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को कार्यान्वित करने का कार्य करता है | केंद्र सरकार ही नहीं राज्य सरकार भी गांवों के विकास एंव ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं कार्यन्वित करती रहती हैं | ग्रामीण बेरोजगारी तथा गरीबी निवारक कार्यक्रम, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, ग्रामीण आवास योजना, इंदिरा आवास योजना, केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, जननी सुरक्षा योजना इत्यादि योजनाएं ग्रामीण विकास को समर्पित कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाएं हैं |
गावों में तीव्र विद्युतीकरण करने के उद्देश्य से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, निर्धनता रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों की महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के लिए जननी सुरक्षा योजना, गांव में स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं की शुरुआत की गई है | 2010 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के लागू होने एवं प्राथमिक विद्यालयों में मध्यान भोजन योजना के कारण ग्रामीण बालकों में शिक्षा के प्रसार में तेजी आई है एंव उनके विद्यालय छोड़ने की दर में कमी आई है |
भारतीय गांवों की खुशहाली में सदा से किसानों का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा है | किन्तु, इधर कुछ वर्षों से शहरीकरण में आई तेजी के कारण न केवल गांवों का विकास अवरुद्ध हो गया था, बल्कि रोजगार के लिए ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन भी तेजी से होने लगा था | गांवों का वास्तविक विकास हो सके तथा ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन पर नियंत्रण हो इसके लिए ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने की आवश्यकता थी | इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अब तक शुरु की गई कई सरकारी योजनाओं, जैसे संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना, काम के बदले अनाज योजना इत्यादि के बावजूद भी ग्रामीणों को रोजगार मिलने की गारंटी नहीं होती थी जिसके कारण न सिर्फ ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन जारी था बल्कि गांव के विकास की गति भी मन्द थी | अतः ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देकर ही उनके शहर की ओर पलायन को नियंत्रित किया जा सका था, ऐसा करना गांवों के विकास की दृष्टि से भी अति महत्त्वपूर्ण था | इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत 2 फरवरी 2006 को की, जिसे अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के नाम से जाना जाता है |
कानूनन रोजगार की गारंटी मिलने के बाद न केवल ग्रामीण विकास को गति मिली है, बल्कि ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन भी कम हुआ है | जल-प्रबंधन, बाढ़-नियन्त्रण, भूमि-विकास ग्रामीण सड़क तथा बंजर भूमि विकास को भी इस योजना से गति प्राप्त हुई है | भारत जैसे कृषि प्रधान देश के वास्तविक विकास के लिए इसके गांव का विकास आवश्यक है और गांव के विकास के लिए योजना ग्रामीण गरीबी, बेरोजगारी तथा आर्थिक विषमता जैसी समस्याओं को दूर करने में जिस तरह से सहायक सिद्ध हो रही है उससे यह स्पष्ट निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम देश के संतुलित विकास के रुप में शीघ्र ही दिखाई पड़ने लगेंगे | इस योजना की और अधिक सफलता के लिए ईमानदारी और निष्ठा के साथ इसका कार्यान्वयन किए जाने की आवश्यकता है |
महात्मा गांधी ने कहा था- “भारत की आत्मा गांवों में बसती है | गांवों की समस्याओं का समाधान कर इनको विकसित एवं खुशहाल बनाए जाने की आवश्यकता है |” पिछले कुछ वर्षों में बढ़ते औद्योगीकरण के कारण शहरीकरण पर जोर दिया जा रहा है एवं विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना करने के लिए गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है | शहरीकरण के बदले यदि गांवों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया जाए, तो गांवों के विकास को सही अर्थों में गति मिल सकती है | शहरीकरण से गांव के प्राकृतिक सौंदर्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | गांवों के सौंदर्य को कायम रखते हुए ग्रामीण जीवन को खुशहाल करने की आवश्यकता है | भले ही ग्रामीण क्षेत्र पिछड़ेपन के शिकार हैं, किन्तु यहां जिस प्रकार की मनुष्यता देखने को मिलती है, वह शहरों में दुर्लभ है | आवश्यकता है इस मनुष्यता को प्रोत्साहन देने की, न कि इसे विलुप्त करने की, क्योंकि सही अर्थों में देखा जाए तो भारतीय सभ्यता-संस्कृति यहां के गांव में ही संरक्षित है |