
जे.आर.डी. टाटा पर निबंध Essay On JRD Tata In Hindi Language
जे.आर.डी. टाटा अर्थात जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 ई. को पेरिस में हुआ था | वे अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे | उनके पिता रतनजी दादाभाई टाटा पेरिस में निर्यात का कारोबार करते थे | उनकी मां सुजेन फ्रांसीसी थीं, इसलिए उनके बचपन का अधिकतर समय फ़्रांस में ही बीता | उनकी स्कूली शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल स्कूल में हुई | इसके अतिरिक्त उन्होंने पेरिस और योकोहामा में भी शिक्षा प्राप्त की |
स्कूली शिक्षा के बाद उन्हें फ़्रांस में अनिवार्य फौजी सेवा के लिए सेना में भर्ती कर लिया गया | सेना छोड़ने के बाद उनके पिता ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए कैंब्रिज भेजने के बारे में सोचा, किन्तु कुछ कारणों से उन्हें लगा कि जहाँगीर को टाटा इस्पात कारखाने के महाप्रबंधक जान पीटरसन का सहायक बनाना बेहतर होगा और इस तरह से जे.आर.डी. टाटा अपने पिता के व्यवसाय में उनके सहायक बन गए | 1926 ई. में अपने पिता की मृत्यु के बाद वे टाटा एंड संस में निदेशक और 1932 ई. में टाटा उद्योग समूह के प्रमुख सर नौरोजी सकाटवाला के निधन के बाद उन्हें उसका अध्यक्ष बनाया गया | उनके नेतृत्व में टाटा समूह रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग, ट्यूब, वोल्टास, टाटा सर्विसेज, टाटा एक्सपोर्ट, टाटा इंडस्ट्रीज लिमिटेड आदि अनेक कम्पनियाँ शुरू कीं | इन सबके अतिरिक्त होटल उद्योग एंव प्रिंटिंग के क्षेत्र में यदि इस समूह ने कीर्तिमान स्थापित किए तो in सबमें जे. आर. डी. टाटा का योगदान महत्वपूर्ण था |
भारतीय रेलवे के लिए लोकोमोटिव बनाने के उद्देश्य से 1945 ई. में जे.आर.डी. टाटा ने टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव (टेल्को) की स्थापना की | आज यह भारतीय रेलवे के लिए सर्वाधिक लोकोमोटिव उत्पादक कंपनी का रूप ले चुका है | इनके नेतृत्व में कई क्षेत्रों में टाटा समूह ने विश्व के कई देशों में अपनी कम्पनियाँ स्थापित की | कंप्यूटर की उपयोगिता को देखते हुए उन्होंने इस समूह को कंप्यूटर निर्माण के क्षेत्र में भी उतारा और अभूतपूर्व सफलता अर्जित की |
जे.आर.डी. टाटा न केवल सफल उद्योगपति बल्कि उत्कृष्ट प्रबंधक, जोशपूर्ण खिलाड़ी, लोकप्रिय वक्ता और एक उत्साही विमानचालक भी थे | उनके विमानचालक बनने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है | बचपन में पेरिस में वे जहाँ रहते थे, वहीं पास में लुईस ब्लेरायट नामक एक पायलट भी रहता था | वह इंग्लिश चैनल को पार करने वाला प्रथम विमानचालक था | जब उनकी आयु करीब 15 वर्ष थी, तब ब्लेरायट ने उन्हें विमान में चढ़ने का एक शानदार अवसर दिया | उसी समय विमान में उड़ते हुए उन्होंने यह कर लिया कि वे भी एक दिन पायलट बनेंगे | उन्होंने अपना यह सपना साकार करते हुए 1929 ई. में पायलट का कामर्शियल लाइसेंस प्राप्त किया और वे ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले प्रथम भारतीय बन गए | अपने इस शौक को व्यवसाय का रूप देते हुए उन्होंने टाटा एयरलाइन्स की स्थापना की | इसे ही 1953 ई. में राष्ट्रीयकरण के बाद एयर इंडिया नाम दिया गया | 1991 ई. में वे टाटा एंड संस से सेवानिवृत्त हुए तब उनकी आयु 87 वर्ष थी | उनकी सेवानिवृत्ति के बाद टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी में कुछ नियुक्तियों को लेकर जो विवाद प्रारंभ हुआ, उसे सुलझाने में भी उन्होंने अग्रणी भूमिका अदा की |
उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों, सम्मानों एंव उपाधियों से विभूषित किया गया | इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने उन्हें 1947 ई. में डी.एस.सी. एंव बम्बई विश्वविद्यालय ने 1981 ई. में एल.एल.डी. देकर सम्मानित किया | सन 1974 ई. में उन्हें इंडियन एयर फोर्स द्वारा ‘एयर वाइस मार्शल’ घोषित किया गया | 1992 ई. में उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया | यह पुरस्कार कला, साहित्य और विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए की गई विशिष्ट सेवा और जन सेवा में उत्कृष्ट योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है | देश के औद्योगीकरण को तेजी से आगे बढ़ाने और व्यापार, व्यवसाय एवं उद्योगों के क्षेत्र में साफ-सुथरी शैली स्थापित करने में उन्होंने जो महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी, उसके लिए वे इस सम्मान के वास्तविक हकदार थे | भारत के औद्योगीकरण में उनके योगदान के कारण ही उन्हें भारतीय उद्योग का पितामह कहा जाता है |
जे.आर.डी. टाटा का कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत एवं व्यापक तथा उनका व्यक्तित्व बहु आयामी व प्रभावशाली था | अपने जीवनकाल में उन्होंने विपुल धनराशि अर्जित की, लेकिन इसका प्रयोग हमेशा लोक हित में किया | 29 नवंबर 1993 को उन्होंने इस दुनिया से विदा ली | टाटा समूह उनके बताए रास्ते पर चलते हुए आज भी निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है | देश के औद्योगीकरण एंव प्रगति में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता | टाटा उद्योग समूह ने उनके नेतृत्व में जिन उद्योगों की स्थापना की उनकी बदौलत आज लाखों लोगों को रोजगार मिला है |