राजीव गांधी पर निबंध Essay On Rajiv Gandhi In Hindi

Essay On Rajiv Gandhi In Hindi

राजीव गांधी पर निबंध Essay On Rajiv Gandhi In Hindi Language

Essay On Rajiv Gandhi In Hindi

राजीव गांधी जैसे युवा नेता की दूरदर्शिता के फलस्वरुप ही देश कंप्यूटर-युग में प्रवेश कर सका है | जब कंप्यूटर के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसंधान के प्रयासों को उन्होंने बल देना शुरू किया था, तो लोगों ने इससे बेरोजगारी बढ़ने की बात कहकर उनकी तीव्र आलोचना की थी, किन्तु आज देश की प्रगति में कंप्यूटर की उपयोगिता एवं भूमिका से यह स्वाभाविक रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजीव गांधी अपने समय से कितना आगे चलते हुए पूरी सूझ-बूझ से निर्णय लिया करते थे | भारत आज सूचना प्रोद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है और इसमें कंप्यूटर की भूमिका अहम है | राजीव गांधी के नेतृत्व में देश ने आधुनिकीकरण एवं खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया |

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बम्बई में हुआ था | उनके पिता फिरोज गांधी, मां इंदिरा गांधी एंव नाना जवाहरलाल नेहरू, जो देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे, के संघर्षों को देखकर सम्भवतः एक दिन राजीव गांधी भी इस लड़ाई में कूद पड़ते, किन्तु सौभाग्यवश 15 अगस्त 1947 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल गई | आजादी के बाद जब राजीव गांधी के नाना जवाहरलाल नेहरु देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने, तो वे मां एंव छोटे भाई संजय गांधी के साथ दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए | उनकी प्रारंभिक शिक्षा यहीं के एक स्कूल शिव निकेतन में हुई | 1954 ई. में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव को देहरादून के वेल्हम विद्यालय भेजा गया | वहां से आई.एस.सी. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे सीनियर कैंब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए | पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया | जब वे कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी मां इंदिरा गांधी 1966 ई. में भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं | पढ़ाई खत्म करने के बाद विमान-चालक के प्रशिक्षण के दौरान 1968 ई. में इटली की सोनिया माइनो से उनका विवाह हो गया |

[इसे भी पढ़ें – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर निबंध Essay On Dr Rajendra Prasad In Hindi]

अपने नाना, पिता एंव मां के देश की राजनीति में अहम स्थान के बावजूद राजीव राजनीति में नहीं आना चाहते थे इसलिए विमान संचालन के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने 1970 ई. में इंडियन एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करना शुरू कर दी | 23 जून 1980 को अपने छोटे भाई संजय गांधी की मृत्यु के बाद न चाहते हुए भी खानदान की विरासत को संभालने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा | जून 1981 में वे अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए और साथ में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बनाए गए | 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा जघन्य हत्या के बाद शोकाकुल राजीव को समय की आवश्यकता को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर सम्भालनी पड़ी | वे अब तक के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, और राजनीति का भी उन्हें अधिक अनुभव नहीं था इसलिए कुछ लोगों को आशंका थी कि वे राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे, परंतु जिस कुशलता के साथ देश का संचालन करते हुए वे इसे आधुनिकीकरण के नए युग में ले गए, उससे उनके सभी आलोचक स्तब्ध रह गए | दिसंबर 1984 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो राजीव जी की अदभुत नेतृत्व-क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर अभूतपूर्व जीत हासिल हुई | 31 दिसंबर 1984 को राजीव गांधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में पुनः देश के प्रधानमंत्री बने |

अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय जनता के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए, नए कार्यक्रमों की शुरूआत की तथा विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत को अभूतपूर्व प्रतिष्ठा दिलाई | राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए उन्होंने 1985 ई. में राजनीतिक दल-बदल संबंधी विधेयक पारित करवाया | बेरोजगारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए 1988 ई. में व्यापक ऋण योजना तथा 1989 ई. में जवाहर रोजगार योजना का शुभारंभ किया | पंचायती राजव्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिकोण से 15 मई 1989 को बहुप्रतीक्षित 64वां पंचायतीराज विधेयक संविधान संशोधन प्रस्तुत किया | प्रथम बार प्रधानमंत्री बनते वक्त राजीव गांधी को पंजाब के आतंकवाद और असोम के आंदोलनकारियों से त्रस्त भारत मिला था, किन्तु अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं सूझ-बूझ से ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करने में वे सफल रहे | राजीव गांधी ने देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसी मिसाइल एंव प्रक्षेपास्त्रों का विकास करवाया | उन्हें अपने देश की युवा-शक्ति पर बड़ा मान था, यही कारण है कि देश की युवा-शक्ति की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का प्रस्ताव संसद में पारित करवाया | 1989 ई. के सामान्य चुनाव में अपने आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होने में कामयाब रहे किन्तु, अपने कुछ सहयोगियों के भीतरघात के कारण उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा | राजीव गांधी यदि चाहते तो उस समय जोड़-तोड़ की सरकार बना सकते थे, परंतु जनादेश का सम्मान करते हुए उन्होंने विपक्ष में बैठना स्वीकार किया | शाहबानो प्रकरण में ‘मुस्लिम लॉ’ के सम्मान की बात हो या अयोध्या में ‘रामलला के दर्शन’ की अनुमति हो उनके जैसा साहस समन्वय अतुलनीय है |

[इसे भी पढ़ें – सी. वी. रमन पर निबंध ]

राजीव गांधी अपने व्यवहार के अनुरूप सुरक्षा की परवाह किए बगैर जनता के बीच चले जाते थे | इसका लाभ उनके दुश्मनों ने उठाया और चेन्नई के पेरुम्बुदूर नामक स्थान पर एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए जाते समय एक आत्मघाती हमले में 21 मई 1991 को उनकी मृत्यु हो गई | जिस तरह इंदिरा गांधी की हत्या से पूरा देश स्तब्ध रह गया था, उसी तरह एक बार फिर अपने प्रिय युवा नेता की हत्या से भारतवासी शोकाकुल हो गए | उनके निधन से भारत को जो क्षति हुई उसकी पूर्ति असंभव है, पर भारत को कंप्यूटर-युग में ले जाने का उनका जो सपना था, वह आज साकार हो चुका है और भारत सूचना-प्रौद्योगिकी की सुपर-शक्ति बन चुका है | कृतज्ञ भारतवासी, देश की प्रगति में उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकते | उनका व्यक्तित्व एवं उनकी कार्यप्रणाली सदैव देश के युवा वर्ग का मार्गदर्शन करती रहेगी |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *