
वर्तमान समय में विश्व में अंदर सबसे अधिक लोकप्रिय खेल फुटबाँल है| इस समय विश्व मे लगभग 150 देशों में यह खेल खेला जा रहा है| प्रारम्भिक ऐतिहासिक अध्ययन से यह पता चलता है कि इस खेल कि उत्पत्ति चीन से हुई| ईसा से 200 वर्ष पूर्व चीन में इस प्रकार का खेल खेला जाता था| प्राचीन ग्रीक में भी इससे मिलता-जुलता खेल प्रचलन में था, जो आजकल के जैसे मैदान में खेला जाता था| धीरे-धीरे इसका प्रसार यूरोप में हुआ एवं 14वी शताब्दी में इंग्लैंड के अंदर यह खेल अत्यधिक लोकप्रिय हुआ| ब्रिटिश काल में यह खेल भारत में भी खेला जाने लगा| वर्तमान समय में दक्षिणी अमेरिका एवं उत्तरी अमेरिका महाद्वीपो में यह खेल अत्यधिक लोकप्रिय है|
सन् 1863 में इस खेल के नियम बनाए गए| भारतीय फुटबाँल संघ कि स्थापना 1937 में कि गई| भारत में फुटबाँल सर्वप्रथम कलकत्ता में प्रसिद्ध हुआ| वहा मोहम्मद स्पोर्टिंग,महान बागान क्लब कि उस समय स्थापना हुई| लंदन ओलंपिक 1948 में भारत ने सर्वप्रथम भाग लिया|
खेल की प्रक्रिया How To Play The Game
फुटबाँल का खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है| प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी होते है, जिनमे से एक गोल-रक्षक होता है| खेल को नियमानुसार खिलाने के लिए एक रेफरी होता है तथा लाइनमैन भी नियुक्त किए जाते है| इस खेल कि अवधि 45-45 मिनट कि दो पारिया होती है, जिनमे पाँच मिनट का विश्राम काल होता है| टॉस जीतने वाली टीम गेंद को किक मारकर खेल शुरू करती है| खिलाड़ी पैरों से गेंद के साथ खेलते है|

खेल का मैदान Football Field Size
फुटबाँल के मैदान का आकार आयताकार होता है| मैदान कि लंबाई कम-से-कम 110 गज एवं अधिक-से-अधिक 130 गज होती है| मैदान कि चौडाई कम-से-कम 70 गज और अधिक-से-अधिक 80 गज होती है| खेल के मैदान के कुछ प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित प्रकार है-
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इस खेल की कुछ अन्य जानकारियां Some Terms of The Game
1. | गोल क्षेत्र – यह गोल पोस्ट के पास होता है इसका आकार 6 x 20 गज होता है| |
2. | पेनल्टी रेखा – इसका आकार 18 x 44 गज होता है| गोल क्षेत्र के ठीक आगे यह स्थित होता है| |
3. | टच रेखा – मैदान के लंबाई वाले दोनों किनारों को टच रेखा कहते है| |
4. | गोल रेखा – जिस रेखा पर गोल पोस्ट लगा होता है,उसे गोल रेखा कहते है| |
5. | पेनल्टी किक निशान – यह गोल पोस्ट के मध्य भाग से मैदान के अंदर की ओर 12 गज पर होता है| |
6. | पेनल्टी किक आर्क – पेनल्टी किक के निशान से 10 गज त्रिज्या का एक चाप (आर्क) लगाया जाता है| पेनल्टी किक के समय एक खिलाड़ी को छोड़कर सभी खिलाड़ी बॉल से 10 गज कि दूरी पर खड़े रहते है| |
7. | कॉर्नर आर्क – मैदान के चारों कोनों पर एक गज त्रिज्या का एक आर्क लगाया जाता है| कॉर्नर किक के समय बॉल को इसके मध्य में रखकर किक लगाना अनिवार्य माना गया है| |
8. | सेंटर सर्कल – मैदान के मध्य में 10 गज त्रिज्या का एक वृत्त बना होता है| खेल का प्रारम्भ इसी क्षेत्र के मध्य भाग से होता है| खेल किक ऑफ से शुरू होता है| |
9. | मैदान कि सभी रेखाओ कि चौडाई पाँच इंच होती है| |
10. | मैदान के चारों कोनों पर पाँच फीट ऊंचा झंडा लगाया जाता है| इस झंडे द्वारा मैदान के क्षेत्र का बोध होता है| |
फुटबॉल में कैसे क्या होता है Actions on Football Game
गेंद | फुटबाँल खेलने की गेंद गोलाकार होती है| इसकी बाहरी सतह प्रायः चमड़े की होती है तथा अंदर रबड़ का ब्लेडर होता है, जिसमे हवा भरी रहती है| इसकी सतह पर 9.00 से 10.5 पौंड प्रति इंच दबाव रहता है| गेंद कि परिधि 27 इंच से 28 इंच तक होती है| इसका भार 14 से 16 औंस तक होता है| |
गोल | गेंद जब गोल पोस्ट के बीच क्रास बार के नीचे से गोल रेखा के पार निकाल जाती है, तो गोल हो जाता है| अधिक गोल वाली टीम विजयी घोषित की जाती है| |
बॉल मारना | फुटबाँल के खेल में विभिन्न प्रकार से बॉल को पैरों से मारकर सही स्थान पर पहुंचाना पड़ता है| बॉल विभिन्न प्रकार से मारी जाती है, जैसे एक जगह पर रखकर,अधिक दूरी के लिए,जमीन से समानान्तर,कॉर्नर किक,पेनल्टी किक आदि| |
बॉल रोकना | विभिन्न परिस्थितियो में बॉल को पैरों से रोका जाता है| सामान्य रूप से बॉल को रोकते समय पैर की एड़ी को जमीन पर लगाकर रखते है तथा पैर का पंजा ऊपर कि ओर उठाए रखते है| |
पास देना | खेल मे व्यावहारिक रूप से एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को जो बॉल प्रदान करता है, उस प्रक्रिया को पास देना कहा जाता है| |
सिर से बॉल मारना | सिर से बॉल मारना या सिर के द्वारा बॉल को अपने नियंत्रण में लेना एक प्रमुख तकनीक के रूप मे मान्य किया जाता है| जब बॉल कंधों कि ऊंचाई से ऊपर होती है,तो खिलाड़ी सिर के माध्यम से बॉल को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास करता है| |
बॉल फेंकना (थ्रो-इन) | खेल के मैदान जब बॉल मैदान से बाहर चली जाती है,तो उसे मैदान के अंदर फेंका जाता है| जिस टीम के खिलाड़ी से गेंद बाहर चली जाती है, उसके विरोधी टीम के खिलाड़ी को यह अवसर मिलता है कि वह बॉल को दोनों हाथो से पकड़कर मैदान के बाहर से मैदान के अंदर फेंके| इसे थ्रो-इन कहते है| |
कॉर्नर किक | रक्षक टीम के किसी खिलाड़ी द्वारा गेंद खेले जाने के बाद गेंद खंभो के मध्य भाग को छोड़कर जमीन अथवा हवा में गोल रेखा के पार चली जाए, तो आक्रामक करने वाली टीम का खिलाड़ी पास वाले कॉर्नर फ्लैग के चौथाई वृत्त(आर्क) के अंदर से किक करेगा, अर्थात कॉर्नर किक लेगा| इस प्रकार के कॉर्नर किक से सीधे ही गोल किया जा सकता है| कॉर्नर किक करने वाले से विपक्षी टीम के खिलाड़ी खेलने से पहले ही 10 गज की दूरी पर रहेंगे| |
गोल किक | आक्रामक टीम के किसी खिलद को छू लेने के पश्चात गेंद यदि बिना किसी अन्य खिलाड़ी के खेले मैदान से या हवा से गोल रेखा से पार चली जाती है, तो रक्षक टीम के खिलाड़ी गोल किक के हकदार बन जाते है| गेंद जिस स्थान से पार गई होती है, गोल क्षेत्र के आधे भाग से,जो उस रेखा के निकट होता है, गेंद जमीन पर रखकर किक लगाई जाती है| जब तक किक नहीं लगा ली जाती विरोधी टीम के सभी खिलाड़ी पेनल्टी क्षेत्र से बाहर रहते है| |
फ्री-किक | यदि एक खिलाड़ी विरोधी खिलाड़ी के रास्ते में किसी प्रकार कि बाधा बने,तो विरोधी टीम को फ्री किक दी जाती है| यह दो प्रकार कि होती है- प्रत्यक्ष फ्री किक, अप्रत्यक्ष फ्री किक| प्रत्यक्ष फ्री किक में दोषी टीम के विरुद्ध सीधा गोल किया जाता है| अप्रत्यक्ष फ्री किक में सीधा किक लगाकर गोल नहीं किया जाता| यह उसी स्थिति मे संभव है, यदि दूसरे खिलाड़ी स्पर्श के बाद गेंद गोल में जाए| |
पेनल्टी किक | जब खिलाड़ी द्वारा पेनल्टी क्षेत्र में नियम का उल्लघन किया गया हो, तो विरोधी टीम को पेनल्टी किक दी जाती है| इस प्रकार कि क्रिया में बॉल को बाहर गज के फासले पर गोल पोस्ट के मध्य में रखकर खिलाड़ी द्वारा तेज किक लगाया जाता है| इस प्रक्रिया में दोनों टीमों से एक-एक खिलाड़ी होता है| एक गोलकीपर एवं एक विपक्ष का खिलाड़ी| शेष अन्य खिलाड़ी बॉल से दस गज कि दूरी पर होते है| |
रेफरी एवं लाइन मैन | यह खेल तीन मुख्य व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है-एक रेफरी तथा दो लाइन मैन| रेफरी सम्पूर्ण खेल के नियमो पर निगरानी रखता है तथा लाइन मैन रेफरी के सहायक का कार्य करते है| |
फुटबाँल के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता
नाम | अर्जुन | पद्मश्री | द्रोणाचार्य | पद्मभूषण |
प्रदीप कुमार बनर्जी | 1961 | 1960 | _ | _ |
कोस्ता बिहारी पल | _ | 1962 | _ | _ |
तुलसीदास बलराम | 1962 | _ | _ | _ |
सूबिमल गोस्वामी | 1963 | 1963 | _ | _ |
जरनेल सिंह ढिल्लन | 1964 | _ | _ | _ |
अरुनलाल घोष | 1965 | _ | _ | _ |
यूसुफ खान | 1966 | _ | _ | _ |
पीटर थंगराज | 1967 | _ | _ | _ |
इंद्र सिंह | 1969 | _ | _ | _ |
सैयद नइमुद्दीन | 1970 | _ | _ | 1990 |
चंद्रशेखर प्रसाद सिंह | 1971 | _ | _ | _ |
शैलेन्द्रनाथ मन्ना | _ | 1971 | _ | _ |
मगन सिंह राजवी | 1973 | _ | _ | _ |
गुरदेव सिंह गिल | 1978 | _ | _ | _ |
प्रसून बनर्जी | 1979 | _ | _ | _ |
हबीब | 1980 | _ | _ | _ |
सुधीर करमाकर | 1981 | _ | _ | _ |
शांति मलिक | 1983 | _ | _ | _ |
सुब्रतो भट्टाचार्य | 1989 | _ | _ | _ |
ब्रह्मानन्द एस.के. शंखवाल्कर | 1997 | _ | _ | _ |
बाइंचंग भूटिया | 1989 | _ | _ | _ |
ब्रूनो कौतिन्हो | 2002 | _ | _ | _ |
आई.एम.विजयम | 2003 | _ | _ | _ |
दीपक कुमार मंडल | 2010 | _ | _ | _ |
सुनील क्षेत्री | 2011 | _ | _ | _ |
Subrata Paul | 2016 | _ | _ | _ |
Oinam Bembem Devi | 2017 | _ | _ | _ |
Gurpreet Singh Sandhu | 2019 | _ | _ | _ |