
संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है । इस व्रत को माघ, श्रावण, मार्गशीर्ष और भाद्रपद में करने का विशेष महत्व है । भविष्य पुराण में कहा गया है कि जब मन संकटों से घिरा महसूस करे, तो गणेश चतुर्थी का व्रत करें । इससे कष्ट दूर होते हैं और धर्म, अर्थ, मोक्ष, विद्या, धन व आरोग्य की प्राप्ति होती है ।
गणेश चतुर्थी व्रत की पूजन सामग्री
गणेश जी की मूर्ती, चंदन, रोली, अबीर, धूपबत्ती, सिंदूर, कपूर, माला, फूल, 108 दूब, घी का दीपक. सुपारी, पान, यज्ञोपवीत, पंचामृत, पंचमेवा, सकोरे, बेसन के लड्डू का प्रसाद, आटा चौक पूरने के लिए, ऋतुफल (केला, संतरा, सेब आदि), चावल, गंगा जल व गणेश जी को चढ़ाने के वस्त्र, इत्र तथा हवन सामग्री ।
गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा की विधि (Ganesh Chaturthee Pooja Ki Vidhi)
व्रत रखनेवाला व्यक्ति दाएं हाथ में फूल, अक्षत, गंध व जल ले कर संकल्प करे कि ‘अमुक मास पक्ष और तिथि में विद्या, धन, समस्त रोगों और संकटों से मुक्ति के लिए गणेश जी को प्रसन्न रखने के लिए मैं संकष्ट चतुर्थी का व्रत कर रहा हूं ।’
इस संकल्प के बाद दिनभर मौन व्रत या उपवास रख रहे हैं । फिर सामर्थ्य के हिसाब से गणेश जी की मूर्ति को कोरे कलश में जल भर कर, मुंह बांध कर स्थापित करके उनका आह्वान करे । फिर गणेश जी का धूप-दीप, गंध, फूल, अक्षत, रोली आदि से पूजन सायंकाल में करे । पूजा के अंत में लड्डुओं का भोग लगाए । इसमें से 5 लड्डू गणपति को चढ़ा कर बाकी भक्तों में बांट दे । ब्राह्मण को दक्षिणा देते हुए बोले-
श्रीविप्राय नमस्तुभ्यं साक्षाद्देवस्वरूपिणे ।
गणेशप्रीतये तुभ्यं मोदकान वे ददाम्यहम । ।
चांद निकलने पर चंद्रमा का पूजन कर क्षीरसागर आदि मंत्रों से अर्ध्य दान करे । फिर गणपति को अर्ध्य देते हुए नमन करते हुए कहे कि ‘हे देव ! मेरे संकट दूर करें | आप फूल और दक्षिणा सहित 5 मोदक मेरे संकट दूर करने के लिए स्वीकार करें |’ वस्त्र से ढका पूजित कलस, दक्षिणा और गणेश जी की प्रतिमा पंडित को दे दें, फिर भोजन करें |
भादों मास की शुक्ल चतुर्थी को चाँद देखने से मना किया जाता है | लोक विस्वास है की इस चौथ के चाँद को देखने से झूठा कलंक लगता है | इस व्रत के उद्दापन का भी विधान है | कई लोग जीवन भर गणेश चतुर्थी का व्रत रखते हैं, तो कुछ 21 वर्ष तक रखते हैं | यदि संभव ना हो, तो 12 महीनों तक इस व्रत को करें | यह भी ना हो सके तो वर्ष के किसी एक महीने में यह व्रत करें | इसके बाद महीने की चतुर्थी को इसका उद्दापन करें |
उद्दापन की विधि
अपनी सामर्थ्य के अनुसार 1008, 108, 28, तथा 8 लड्डू से गणपति जी का हवन करें | केले के पेड़ और तोरण आदि से ऊंचा मंडप बनाएं | भक्तिपूर्वक गुरु की पूजा करें | अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान – दक्षिणा दें | गणपति जी की प्रसन्नता के लिए गुरु का पूजन करें |
हार माह आने वाली गणेश चतुर्थी के व्रत के बारे में ख़ास जानकारी –
चैत्र कृष्ण पक्ष – व्रत कथा – मकरध्वज राजा की कथा पढ़ें | इसमें ‘विकट’ गणेश जी पूजा करें | देसी घी और बिजौरे नीबू से हवा करने से निःसंतान स्त्रियों को संतान प्राप्ति होती हैं |
बैसाख कृष्ण पक्ष – धर्मकेतु नामक ब्राह्मण की कथा पढ़ें | ‘वक्रतुंड’ गणपति की पूजा करके कमलगट्टे के हलवे का भोजन करना चाहिए |
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष – दयादेव नामक ब्राह्मण की कथा पढ़ें | ‘मूषक रथ’ गणपति की पूजा करें | इस दिन घी से बना भोजन जैसे हलवा, पूरी, लड्डू आदि गणेश जी को समर्पित करें |
आषाढ़ कृष्ण पक्ष : राजा महिजित की कथा पढ़ें । इस पक्ष के गणपति ‘लंबोदर’ हैं । इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें ।
श्रावण कृष्ण पक्ष : संतानादि सर्वसिद्धिदायक की कथा पढ़ें । इसमें चंद्रमा के निकलने पर पूजन करें । इस दिन सफेद-तिल वाले जल से नहाए ।
भाद्र कृष्ण पक्ष : राजा नल की कथा पढ़ें । यह चतुर्थी संकटनाशिनी भी कहलाती है । इस दिन ‘एकदंत’ गणेश जी की पूजा करें ।
भाद्र शुक्ल पक्ष : स्यमंतक मणि की कथा पढ़ें । इस दिन सुबह सफेद-तिल के पानी से स्नान करें । इस दिन चंद्रमा के दर्शन ना करें । दोपहर में पूजा कर लें
आश्विन कृष्ण पक्ष : कृष्ण-बाणासुर की कथा पढ़ें । इसे संकठा चतुर्थी भी कहते हैं । इस दिन सिर्फ फलाहार करें । हल्दी और दूब का हवन करे |
कार्तिक कृष्ण पक्ष : वृत्रासुर दैत्य की कथा सुनें या पढ़ें । ‘पिंग’ गणेश की पूजा करें । व्रत और पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन करा कर खुद मौन रह कर भोजन करें । घी और उड़द मिला कर हवन करें ।
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष : महाराज दशरथ की कथा पढ़ें । ‘गजानन’ गणेश की पूजा के बाद अर्ध्य दें । जौ, चावल, चीनी, तिल व घी से हवन करें |
पौष कृष्ण पक्ष : राक्षस राज रावण की कथा सुनें । इस दिन ‘लंबोदर’ गणेश की पूजा करें । दूध की खीर में शुद्ध घी डाल कर हवन करें ।
माध कृष्ण पक्ष : ऋषिशर्मा नामक ब्राह्मण की कथा पढ़ें । ‘भालचंद्र’ गणेश की पूजा करें । तिल के 10 लड्डू बनाएं, 5 लड्डू उनको चढ़ाएं और बाकी 5 दान कर दें । खुद भी तिल के 10 लड्डुओं का भोजन करें ।
फाल्गुन कृष्ण पक्ष : विष्णु शर्मा नामक ब्राह्मण की कथा पढ़ें । इस दिन ‘हेरम्ब’ गणेश जी की पूजा करें । खीर में कनेर का फूल मिला कर गुलाबांस की लकड़ी से हवन करें । भोजन में घृत और चीनी लें ।
अधिकमास कृष्ण पक्ष : चंद्रसेन नामक राजा की कथा पढ़ें या सुनें । इस दिन ‘गणेश्वर’ की पूजा करें । लाल कनेर का फूल चढ़ा कर लड्डू से भोग लगाएं । लाल चंदन, रोली, चावल और दूब को अलग-अलग चढ़ाएं |
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Arrti Hindi Me)
सिद्धदाता गणेश काटो सकल क्लेश
सदा भवानी दाहिनी गौरी पुत्र गणेश ।
पांच देव रक्षा करें ब्रह्मा विष्णु महेश । ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा । । जय गणेश…
एकदंत दयावंत चार भुजाधारी ।
मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी । । जय गणेश…
आंधन को आँख देत कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया । । जय गणेश…
हार चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा ।
मोदक को भोग लगे, संत करे सेवा । । जय गणेश…
दीनन की लाज राखो शंभु सुतवारी ।
कामना को पूरा करो जग बलिहारी । । जय गणेश…
श्री गणेश वन्दना
वर्णानामर्थसंघानाम रसानाम छंदसामपि ।
मंगलानाम च कर्तारौ वंदे वाणीविनायकौ ।।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजंबू फल चारु भक्षणम ।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विंधेश्वर पादपंकजम ।।