
एक तालाब के किनारे घमंडी मोर रहता था | वह प्रतिदिन तालाब के किनारे जाता और अपनी सुंदरता को निहारता रहता | एक बार एक सफेद सारस वहां रहने के लिए आया | मोर ने सोचा वाह एक नया पक्षी मुझे इसके पास जाकर अपनी सुंदरता दिखानी होगी|
बहुत घमंड के साथ मोर सारस के पास गया और अपने सुंदर पंख फैला दिए| फिर उसके घमंड के साथ सारस को देखा और कहा|
Namaste सारस जी! कैसे हैं आप | मैं सोच रहा था कि आपको अपने सादे सफेद पंखों के साथ कैसा लगता होगा | वह बहुत साधारण से हैं और बिल्कुल अच्छे नहीं लगते |
यह सुनकर सारा बहुत जोर-जोर से हंसने लगा और उड़कर मोर के सामने आकर बैठा| फिर उसने कहा हमें अपने पंखों पर घमंड नहीं करना चाहिए| क्योंकि हमारे पंख हमारे उड़ने के लिए मिले हुए हैं | तुम्हारे पंख सुंदर हैं, लेकिन बेकार है | क्योंकि तुम उनसे ज्यादा देर तक उड़ नहीं सकते |
मैं अपने साधारण, लेकिन काम आने वाले पंखों से बहुत खुश हूं |मुझे बेकार के पंख नहीं चाहिए|
यह सुनकर मोर चुप रह गया और अपने घर वापस चला गया| उस दिन के बाद उसने यह सब दिखावा करना बंद कर दिया | उसके पंख बहुत सुंदर हैं |
There r so many mistakes in it!!!!!!😡😡😡😠
kuchh bataye to imrpove kiya jaay