
गिलोय के फ़ायदे | गिलोय के स्वास्थ्य लाभ Giloy Ke Fayde in Hindi. Find Tops 10 Amazing Benefits of Giloy: The Ayurvedic Root of Immortality
भारत में गिलोय की लता सर्वत्र पाई जाती हैं | बारहों मास सदा हरी-भरी रहने वाली यह लता कई बर्षो तक फलती-बढती रहती है | बेल वृक्षों की सहायता से फैलती है | नीम पर चढ़ी गिलोय को उत्तम गुण वाली औषधि माना जाता है | यों तो यह बेल खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों पर भी कुंडलाकार में मिलती है |
पत्ते ह्रदय के आकार के, पान के पत्तों के सामान व्यवस्थित तरीके से 2 से 4 इंच व्यास के चिकने होते हैं | पत्र डंठल 1 से 3 तथा पत्र वृंत 3-4 इंच लम्बा होता है | पुष्प छोटे-छोटे, पीले रंग के गुच्छों में लगते हैं, जो ग्रीष्म ऋतु में आते है | फल मटर के सामान अंडाकार, चिकने, गुच्छों में लगते है, जो पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं | इसके बीज मुड़े हुए, टेढ़े मिर्च के दानों के सामान, सफेद चिकने होते हैं |
यहाँ पर हम आपको निम्न टॉपिक पर जानकारी देंगे –
- गिलोय के विभिन्न भाषाओँ में नाम
- गिलोय के औषधीय गुण Giloy Ke Aushdheey Gun
- गिलोय के विभिन्न रोगों में प्रयोग Health Benefits of Giloy in Hindi
विभिन्न भाषाओँ में नाम
- संस्कृत (Giloy In Sanskrit) – गुडूची |
- हिंदी (Giloy In Hindi) – गिलोय |
- मराठी (Giloy In Marathi) – गुलबेल |
- गुजरती (Giloy In Gujarati) – गलो |
- बंगाली (Giloy In Bengali) – गुलंच |
- अंग्रेजी (Giloy In English) – गुलाचा |
- लैटिन (Giloy In Latin) – टीनोस्पोरा कोडिफोलिया (Tinospora Cordifolia )|
गिलोय के औषधीय गुण Giloy Ke Aushdheey Gun
आयुर्वेद साहित्य में गिलोय को ज्वर की महान् औषधि बताया गया है | यह सभी प्रकार के ज्वर मसलन मंद ज्वर, जीर्णज्वर, टायफाइड, मलेरिया आदि में एक उत्तम औषधि है | इससे गर्मी शांत होती है, कुनैन की तरह बढ़ाती नहीं|
आयुर्वेदिक मतानुसार गिलोय गुण में लघु (हलकी ), सिंग्ध, तासीर में गर्म, पचने पर मीठी, स्वाद में चरपरी, कड़वी, खाने में स्वादिष्ट, ग्राही, बलदायक, भूख बढ़ाने वाली, वात, पित्त और कफ नाशक, रक्तशोधक, धातुवर्धक, प्यास, जलन, ज्वर, वमन, पांडु, खांसी, बवासीर, आमवात, पथरी, प्रमेह, नेत्र, केश और चर्म रोग, अम्ल पित्त, उदर विकार, मुत्रावरोध, यकृत रोग, मधुमेह, कृमि, क्षय रोग आदि में गुणकारी होती है |
यूनानी चिकित्सा पध्दति के मतानुसार गिलोय को पहले दर्जे की गरम और खुश्क माना गया है | तिक्त होने से पेट के कीड़ों को मारने में यह सक्षम है | सभी प्रकार के ज्वरों में लाभदायक है |
वैज्ञानिक मतानुसार गिलोय की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है की इसमें बब्रेरिन एल्केलाइड, गिलोइन नामक कडुआ ग्लुकोसाइड, वसा अल्कोहल ग्लिस्टेरॅाल, अनेक प्रकार की वसा, अम्ल एवं उड़नशील तेल पाए जाते हैं | पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस और तने में स्टार्च भी मिलता है | परीक्षणों से ज्ञात हुआ है की वायरस पर गिलोय का प्राणघातक असर होता है | इसमें सोडियम सेलिसिलेट से अधिक दर्द निवारक गुण होता है |
क्षय रोग के जीवाणुओं की वृधि को रोक पाना, उनके सीस्ट बनने में रुकावट पैदा करना, इंसुलिन की उत्पति को बढ़ाकर ग्लूकोस का पाचन करना, रोग संक्रमणों को रोकने की क्षमता के कारण एंटीबायोटिक की तरह भी गिलोय कार्य करती है |
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गिलोय के विभिन्न रोगों में प्रयोग Health Benefits of Giloy in Hindi
1. दांतों में पानी लगना Giloy Se Teeth Me Pani Lagne Ka Upchar :
यदि किसी को दांतों में पाने लगने की समस्या है तो उसके लिए गिलोय का परायों काफी लाभकारी हो सकता है | गिलोय और बबूल की फली समान मात्रा में मिलाकर पिस लें और सुबह-शाम नियमित रूप से मंजन करें |
2. गिलोय से मधुमेह का उपचार : गिलोय का सत्व 15 ग्राम और घी 5 ग्राम मिलाकर दिन में 3 बार लें |
3. रक्तपित्त : मुलेठी, गिलोय और मुनक्का, तीनों 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं | एक कप की मात्रा में 2-3 बार सेवन करें |
4. खुजली : हल्दी को गिलोय के पत्तों के रस के साथ पीसकर खुजली वाले अंगों पर लगाएं | गिलोय का रस 3 चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पिएं |
5. बवासीर : छाछ (तक्र) के साथ गिलोय का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार लें |
6. मोटापा : हरड़, नागरमोथा और गिलोय बराबर की मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें | एक –एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार नियमित लें |
7. हिक्का रोग : सोंठ का चूर्ण गिलोय के चूर्ण में बराबर मिलाकर बार-बार सूंघें |
8. मुहांसे : नींबू का रस बराबर की मात्रा में गिलोय के रस में मिलाकर लगाएं |
9. सभी प्रकार के ज्वर में : गिलोय, सोंठ, धनिया, चिरायता, मिसरी सभी बराबर की मात्रा में मिलाकर पिस लें | एक-एक चम्मच दिन में 3 बार दूध से लें |
10. वमन : गिलोय का रस मिसरी मिलाकर 2-2 चम्मच 3 बार पिलाएं |
11. क्षय में : काली मिर्च, गिलोय, वंशलोचन, इलायची बराबर की मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ हप्तों तक नियमित लें |
12. प्रमेह : गिलोय का रस, हल्दी का चूर्ण और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच दिन में 3 बार नियमित रूप से 10-15 दिन सेवन करें |
13. कब्ज : गिलोय का चूर्ण बराबर की मात्रा में गुड़ के साथ मिलाकर 2 चम्मच सोते समय सेवन करने से कष्ट दूर होगा |
14. आमाशय की अम्लता, मस्तिष्क के अनेक विकार, पांडु, कामला, मूत्र विकारों, नेत्र विकारों में : गिलोय का रस सेवन करना लाभप्रद होता हैं |