एलर्जी है तो होमियोपैथी है इसका बढ़िया उपचार – जाने कैसे

एलर्जी है तो होमियोपैथी है इसका बढ़िया उपचार - जाने कैसे

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मौसम में परिवर्तन या अनुवांशिकता | कई कारक होते हैं जिनके प्रति हमारा शरीर विपरीत प्रतिक्रिया दर्शाता है. किसी भी वातावरणीय कारक के प्रति जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली संवेदना दर्शाती है, उस प्रतिक्रिया को एलर्जी कहते हैं. एलर्जी कई कारणों से हो सकती है. आइए बाहरी तत्वों के प्रति इसी अस्वाभाविक प्रतिक्रिया के बारे में विस्तार से जानते हैं…..

हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता अनेकों वातावरणीय कारकों पर निर्भर करती है. कुछ कारक ऐसे भी होते हैं जिनसे उत्पन्न उत्तेजना के चलते हमारा शरीर विपरीत संवेदना दर्शाता है. बाहरी तत्वों के प्रति शरीर की इसी प्रतिक्रिया को एलर्जी कहा जाता है. एलर्जी पैदा करने वाले कारकों को एलर्जन नाम से जाना जाता है. हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की बाहरी तत्वों जैसे पराग कण, धूल, भोजन इत्यादि के प्रति दर्शायी जाने वाली अस्वाभाविक प्रतिक्रिया को हम एलर्जी बोलते हैं.

आज खान पान में हुए बदलाव के चलते हमारे स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ा है. खाद्य पदार्थों में मिलावट होना एक आम बात हो गई है. यह तो हम सभी जानते हैं कि पहले के समय में खानपान की वस्तुएं शुद्ध व मिलावट रहित होती थी.

इसी कारण हमारे बुजुर्ग 70-80 की आयु में भी स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते थे. वही खाद्य पदार्थों की मिलावट ने हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचाया है. यही मिलावट एलर्जी का भी कारण होती है. बढ़ते प्रदूषण और खानपान की अशुद्धता के कारण एलर्जी के मामलों में वृद्धि हो गई है. लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी पदार्थ के प्रति एलर्जिक होता है.

पर इस एलर्जी के कारण होने वाली शरीर की प्रतिक्रिया कभी-कभी हमें शर्मिंदा भी कर देती है. ऐसे में जरूरी है कि इसका उचित उपचार किया जाए.

किसी भी कारण या प्रकार की एलर्जी का उपचार करने का सर्वश्रेष्ठ विकल्प होता है होम्योपैथी. यह एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है जो स्वास्थ्य पर बिना कोई नकारात्मक प्रभाव डालें विकृति को दूर कर देती है. होम्योपैथी चिकित्सा आकस्मिक एलर्जी एवं जीर्ण रोंगो से उत्पन्न एलर्जी दोनों के लिए ही प्रभावकारी सिद्ध हुई है.

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इस बात का ज्ञान होना सबसे अधिक जरूरी है कि एक ही पदार्थ से अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग प्रकार की एलर्जी उत्पन्न हो सकती है. उदाहरण के लिए एक व्यक्ति को केले के सेवन से खांसी हो सकती हैं तो वहीं दूसरे व्यक्ति को केले के सेवन से पूरे शरीर में खुजली हो सकती है. कहने का अर्थ है कि एलर्जी का कारण एक होने के बावजूद उससे उत्पन्न प्रतिक्रिया में अंतर हो सकता है.

साधारणतः एलर्जी निम्न प्रकार की होती है –

  • शवसन तंत्र की एलर्जी
  • खाद्य पदार्थों की एलर्जी
  • त्वचा की एलर्जी
  • मौसम परिवर्तन के कारण उत्पन्न एलर्जी

एलर्जी होने का कारण

एलर्जी होने के अनेकों कारण होते हैं. अगर किसी व्यक्ति को किसी एक वस्तु से एलर्जी है तो वह जरुरी नहीं कि दूसरे को भी उस वस्तु से एलर्जी हो. विशेषज्ञों के अनुसार पृथ्वी पर मौजूद हर चीज से एलर्जी की विकृति हो सकती है. जब हम किसी के संपर्क में आते हैं, तब हमारा प्रतिरोधक तंत्र उसके विरुद्ध कार्य करना शुरू कर देता है. एलर्जन से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडिज का निर्माण होता है. इन एंटीबॉडिज से हिस्टामाइन नामक एक कैमिकल निकलता है जिसके प्रभाव के परिणामस्वरुप एलर्जी उत्पन्न होती है.

एलर्जी के प्रमुख कारण निम्न है.

  1. मौसम : मौसम में होने वाले परिवर्तनों के साथ जब हमारा शरीर संतुलन नहीं स्थापित कर पाता तब हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली प्रभावित होती है. इसी की वजह से एलर्जी होती है. उदाहरण के लिए कुछ लोगों को धूप में रैशेज हो जाते हैं.
  2. अनुवांशिकता : पारिवारिक इतिहास भी एलर्जी का एक मुख्य कारण होता है. अगर परिवार में किसी को एलर्जी है तो अन्य लोग भी इस समस्या से पीड़ित हो सकते हैं.
  3. पराग कण : फूलों में पाए जाने वाले पराग कण, जिनसे फूलों में महक आती है, के संपर्क में आने से भी कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है.
  4. प्रदूषण : प्रदूषण के कारण व्यक्ति एलर्जिक अस्थमा की समस्या से पीड़ित हो सकता है.
  5. खाद्य पदार्थ : खाद्य पदार्थ की सामग्री के किसी भी एक तत्व के प्रति एलर्जी होने पर व्यक्ति उस खाद्य पदार्थ के प्रति एलर्जिक हो जाता है. ऐसा ही दवा के प्रति एलर्जी में भी हो सकता है.
  6. सौंदर्य प्रसाधन : इनमें मौजूद कैमिकल्स के प्रति भी हमारा शरीर विपरीत प्रतिक्रिया दर्शा सकता है.

एलर्जी के प्रमुख लक्षण

  1. त्वचा की एलर्जी : त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ जाना, रैशेज होना, लालिमा आना, सूजन
  2. नाक में एलर्जी : नाक बहना, अधिक खांसी चलना, बार बार छींक आना
  3. पूरे शरीर पर एलर्जी होना : सांस लेने में परेशानी, पूरे शरीर पर खुजली होना, बेचैनी, जी मिचलना
  4. खाद्य पदार्थ की एलर्जी : कब्ज, उल्टी, पेट दर्द, दस्त, जीभ का सूज जाना
  5. आंख की एलर्जी : आंखें लाल हो जाना, आंख से पानी बहना, आंखों में खुजली व जलन होना
  6. श्वसन तंत्र की एलर्जी : फेफड़ों में कफ का जमाव, सांस लेने में समस्या, सांस लेते समय सीटी की ध्वनि उत्पन्न होना.

एलर्जी का होम्योपैथिक उपचार

  1. श्वसन तंत्र की एलर्जी : श्वसन तंत्र की एलर्जी का मुख्य कारण सांस के माध्यम से शरीर में पराग कण, धूल का प्रवेश करना होता है. यह तत्व श्वास नलिका में रुकावट पैदा करते हैं जिससे रोगी को सांस लेने में परेशानी होती है. एलर्जी की प्रारंभिक अवस्था में पीड़ित को जुकाम हो जाता है. साथ ही उसकी नाक व आंख से पानी बहता है. रोगी को बार बार छींके आती है व बहुत खांसी भी चलती है. इसी से एलर्जिक अस्थमा की भी विकृति हो सकती है.

उपचार : आरम ट्रिफाइलम, आर्सेनिक, सल्फयूरिक एसिड

  1. आंखों की एलर्जी : आंखें हमारे शरीर का अत्यंत संवेदनशील अंग होती है. हमारी समस्त ज्ञानेंद्रियों में आंखें सबसे महत्वपूर्ण होती है. आंखों के बिना किसी कार्य को करने में हम असमर्थ हो जाते हैं. इनके बिना हम प्रकृति की खूबसूरती का आनंद भी नहीं ले सकते. कहने का अर्थ है आंखें जितनी महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूण है इनका ख्याल रखना. वातावरण में कई ऐसे कारक होते हैं जिनके कारण आंखों में एलर्जी हो जाती है. जैसे प्याज काटने से आंखों से पानी आता है, आंखों में धूल जाने से आंखें लाल पड़ जाती है, इत्यादि.

उपचार : एलीयम सीपा, एम्ब्रोसिया (रोग वुड)

  1. ज्वर : ठंडे वातावरण द्वारा या बरसाती मौसम में बुखार होना आम होता है. इसमें रोगी को सर्दी जुकाम भी हो सकता है.

उपचार : डलकामारा

  1. खाद्य पदार्थों की एलर्जी : खाद्य पदार्थों से एलर्जी होना आम बात है. किसी को कोई फल से एलर्जी होती है तो किसी को कोई सब्जी से. होम्योपैथी खाद्य पदार्थों द्वारा उत्पन्न होने वाली एलर्जी में भी बहुत अच्छा कार्य करती है.

उपचार : अर्टिका यूरेन्स (दूध पीने से हुए एलर्जी के लिए), फरेम मेटेलिकम (अंडे की एलर्जी के लिए), सल्फर (पके मांस की एलर्जी हेतु), सैक्रम ऑफ (चीनी से होने वाली एलर्जी के लिए), नक्स वोमिका (ठंडे पेय पदार्थो की एलर्जी), कार्बो वेज (अल्कोहल की एलर्जी), पलसेटिला (चर्बीदार चीजों की एलर्जी के लिए)

  1. त्वचा की एलर्जी : हमारी त्वचा बहुत संवेदनशील होती है. कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जिनके संपर्क में आने पर हमारी त्वचा उत्तेजित हो जाती है. यह होते हैं एलर्जन. एलर्जन के कारण अनेक त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे एग्जिमा, रैशेज, अर्टिकेरिया आदि उत्पन्न हो सकती है. त्वचा की एलर्जी होने पर लालिमा, खुजली, सूजन जलन के लक्षण दिखाई पड़ते हैं.

उपचार : एपिस मेल एवं अर्टिका यूरेन्स (अर्टिकेरिया के लिए), डलकामारा (एक्जिमा के लिए), आर्सेनिक (त्वचा की एलर्जी में जब गर्माहट में आराम मिल रहा हो)

  1. मौसमी एलर्जी : अचानक मौसम में परिवर्तन होने पर भी एलर्जी हो जाती है. इसका कारण होता है शरीर का उस परिवर्तन के साथ संतुलन स्थापित न कर पाना.

उपचार : डलकामारा (ठंडे एवं नम मौसम से होने वाली एलर्जी के लिए), एमोन कार्ब एवं रसटॉक्स (सुबह के समय एवं स्थिर रहने पर होने वाली एलर्जी के लिए), सैबाडिला, स्टीक्टा, सोरिनम, ट्यूबरकुलीनम, थायरॉइडीनम, नैट्रम म्यूर, अर्जेनटम नाइट्रिकम, फ्रेगेरिया वेसका, थुजा.

यह बात निश्चित है कि होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा किसी भी प्रकार की एलर्जी का लक्षणों के आधार का इलाज किया जा सकता है. यह चिकित्सा पद्धति ऐसी है जिसे लोग से पूर्ण निजात पाना संभव है.