
मानव की आदिकाल से यह आकांक्षा रही है कि वह भी पक्षियों की भांति खुले आकाश में विचरण करे| मानव ने पंख के स्थान पर कुछ ऐसे उपकरणों का सहारा लिया, जो उसे आकाश में उड़ा सकते थे| इसी आवश्यकता ने एक दिन गुब्बारे का आविष्कार किया| 21 नवम्बर, 1783 में फ़्रांस के कागज उत्पादक के दो पुत्रो ने ऐसा गुब्बारा बना लिया, जिसमे यदि गर्म हवा भर दी जाए तो वह आकाश में उड़ सकता था|
दो भौतिक शास्त्री जैंक चार्ल्स व सर रोहर्ट ने हाइड्रोजन गैस गुब्बारे मर भरकर आसमान में उड़ान को एक साहसिक खेल के रूप में प्रचलित किया| बहुत शीघ्र यह खेल लोकप्रिय हो गया और इसकी प्रतियोगिता का आयोजन होने लगा| कुछ देशों में जिनमे बेल्जियम, पोलैंड आदि प्रमुख है, ऐसी उड़ानों में रुचि दिखाई|
गुब्बारे का आकार व बनावट कैसी होती है ?
प्रारंभ में गुब्बारे सेलाफोन नाम कि चादर से बनाए जाते थे, लेकिन ये कम सुरक्षित माने गए, फिर प्लास्टिक कि फिल्म से बनाए जाने लगे| आगे चलकर रॉल्फ महोदय ने सामान्य आकार के गुब्बारे का निर्माण कराया|
यह गुब्बारा प्लास्टिक कि फिल्म से कम दबाव देता था, लेकिन यह भी सुधार के अंतर्गत एक प्रक्रिया का भाग था| आजकल जो गुब्बारे बन रहे है, वे लगभग 70 फीट ऊंचे व 50 फीट चौडें है| इनके साथ एक मजबूत टोकरी बांध दी जाती है, जिसमे चार व्यक्ति खड़े हो सकते है| गुब्बारे के मुंह की ओर ऐसे ईंधन का उपकरण लगा देते है, जिससे इसके अंदर की हवा को अधिक गर्म या ठंडा करके इसे किसी भी दिशा में ले जाया जा सकता है| ऐसे गुब्बारे 700 से 900 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकते है|
गुब्बारे को कैसे उड़ाते हैं ?
पहले ब्लास्टिंग की क्रिया से इसे जमीन से ऊपर उड़ाया जाता है| अंदर की हवा गर्म होने से यह हवा में उड़ने लगता है|
गर्म हवा के गुब्बारे में कौन सी गैस भरी जाती है?
आइये जाते हैं की गर्म हवा के गुब्बारे में कौन सी गैस भरी जाती है (Garm Hawa Ke Gubbare Me Kaun Si Gas Bhari Jati Hai). हर उस गुब्बारे में हीलियम गैस भरी जाती है जिसे ऊपर उड़ाया जाता है। इस प्रकार गुब्बारे के खेल में भी हीलियम गैस का ही उपयोग किया जाता है।