
आज इस आर्टिकल में हम आपको बतायेगें कि समर्टफोन करता है।
स्मार्टफोन दो तरह की तकनीक को मिलाकर काम करता है – पहला सेल्लुलर रेडियो तकनीक (Cellular Radio) और दूसरा विशेष प्रकार से डिज़ाइन किये गए प्रोसेसरस (Processors)। जैसे – जैसे स्मार्टफोन टेक्निक में प्रगति हुई वैसे-वैसे एप्लीकेशन को बनाने वालों (Phone App Developers) ने फोन के हार्डवेयर को अधिक इस्तेमाल करने के लिए नए-नए तरीके निकाले। साथ ही उन्होंने फोन का इस्तेमाल करने वालो के लिए वायरलेस तकनीक (Wireless Technology) भी अच्छी तरह विकसित की और उसे भी अपने ऍप्लिकेशन्स के लिए इस्तेमाल किया।
बड़ी स्क्रीन और अच्छे टच (Big Screen and good touch) का इस्तेमाल किया गया। इससे एक साथ कई विंडो खोली जा सकती हैं और 10 फिंगर लिए टच भी ज्यादा सटीक बनाया गया और उसे के अनुसार Apps भी बने।
इससे मल्टीटास्किंग भी काफी आसान बन गयी, क्योकिअब एक साथ कई एप्लीकेशन खोलने के बावजूद फोन का परफॉरमेंस अच्छा रहा।
वॉइस, SMS और MMS की सुविधा
शुरुवाती मोबाइल फ़ोन को लम्बी बैटरी की जरूरत थी, क्योकि उन्हें अधिक दूरी पर लगे मोबाइल टावर के साथ रेडियो सिग्नल भेजने के लिए सम्पर्क करना होता था। उस समय 1G टेक्नोलॉजी में कम्युनिकेशन होता था, जिसकी बैंडविड्थ काफी नैरो (Narrow) होती थी। यह उसी प्रकार से था जैसे आज SMS और आवाज का कम्युनिकेशन (Voice Communications) होता है। आज 2G तकनीक के साथ हम आधुनिक प्रोटोकॉल जैसे GSM और CDMA को इस्तेमाल में लाते है जोकि मोबाइल फोन की काफी काम बैटरी का इस्तेमाल करते हैं। SMS कम बैंडविड्थ में भी काम करता है, और केवल 160 Bytes का ही इस्तेमाल करता है। 3G टेक्नोलॉजी के आने के बाद MMS भी उसी प्रोटोकॉल को यूज़ करके मल्टीमीडिया मैसेज भेज सकता है और वह भी अनलिमिटेड साइज का।
टच और Accelerometer Input कैसे काम करता है
स्मार्टफोन में उपलब्ध Accelerometer इस बात की नाप (measurement) करता है कि फोन पर कितना स्टैटिक या डायनामिक फाॅर्स लगा है और यह इनफार्मेशन फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को भी बता दी जाती है (static and dynamic force applied on mobile phone is communicated to operating system for processing it further)। हालाकि सभी Apps, Accelerometer का इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन फिर भी डिवाइस की लोकेशन को रिकॉर्ड किया जाता है और जब भी इसकी जरूरत होती है, तब इसे इस्तेमाल में लाते हैं। ज्यादातर Apps, टच इनपुट (Touch input) के माध्यम से काम करते है और कुछ Gesture से भी और उसी तरह के यूजर के इनपुट के आधार पर Program को execute कर देते है। जैसेकि यदि आप बहुत धीरे-धीरे अपनी फिंगर को मोबाइल स्क्रीन पर चला रहे है तो दूसरे पेज पर नहीं जाएगा, जबकि यदि तेजी से फिंगर स्लाइड किया जाए तो यह Acceleration के बेसिस पर समझ लेगा कि अगले पेज पर जाना है।
कैमरा और मइक्रोफ़ोन कैसे काम करते हैं Working of Camera and Microphone Input
स्मार्टफोन में लगे कैमरे का काम फोटो लेना या फिर वीडियो रिकॉर्ड करना होता है। माइक्रोफोन से कॉल की आवाज रिकॉर्ड करने और अन्य आवाज को रिकॉर्ड करने में किया जाता है। Apps developers ने इन दोनों को इस्तेमाल में लाने के लिए बहुत से नायाब तरीके निकाले हैं, जैसेकि QR code को स्कैन करने और म्यूजिक की पहचान करने और भी बहुत कुछ। QR code एक ऐसा डिजिटल कोड होता है जोकि बार-कोड जैसा ही होता है। लेकिन यह लम्बाई और ऊंचाई दोनों में होता है और इसे स्कैन करके किसी चीज या सेवा की पूरी जानकारी इकठ्ठा कर ली जाती है। म्यूजिक की पहचान करने वाले सेवा प्रदाता – किसी गाने की पहचान यूजर के माइक्रोफोन की आवाज को लेकर अपने डेटाबेस से compare करते हैं और यह काम इसी QR code की हेल्प से करती हैं। High-speed wireless इंटरनेट की हेल्प से यूजर को तुरंत इस सर्विस का रिजल्ट मिल जाता है, और इस रिजल्ट की हेल्प से, यूजर किसी गाने को डाउनलोड कर पाता है या उसे किसी ब्राउज़र की लिंक पर फॉरवर्ड कर दिया जाता है।
मोबाइल फ़ोन में 3-D वीडियो Acceleration क्या है और कैसे काम काम करता है
जैसे – जैसे स्मार्ट फ़ोन के लिए processor अधिक से अधिक पावरफुल होते गए, वैसे- वैसे ज्यादा रिसोर्स लेने वाले सॉफ्टवेयर बनाना और उन्हें इम्प्लीमेंट करना आसान होता गया, जैसे – 3-D वीडियो गेम, ज्यादा रिसोर्स लेने वाले ग्रफिक्स। इन्हे बनाने वाले कुछ अहम् है जैसे – ARM, NVIDIA और Qualcom के पावरफुल CPUs और इंटीग्रेटेड GPUs जोकि 3-D video इस्तेमाल करने वाले की ताकत को सपोर्ट करती है – जैसे Snapdragon S3। यह अधिक रफ़्तार से चलने वाली क्लॉक यूज़ करते है और कम पावर लेते हैं, जिससे कम हीट पैदा होती है। हालांकि अभी कम कीमत वाले फोन कम छमता के CPU और GPU का इस्तेमाल करते हैं।