
जागेश्वर धाम मंदिर यात्रा अल्मोड़ा Jageshwar Dham Mandir – Jageshwar Dham History in hindi
जागेश्वर भगवान सदाशिव के बारह ज्योतिर्लिगो में से एक है। इसे योगेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। ऋगवेद में ‘नागेशं दारुकावने” के नाम से इसका उल्लेख मिलता है। महाभारत में भी इसका वर्णन है।
देवदार के घने जंगलों के बीच जागेश्वर तीर्थ कुमाऊँ के अल्मोड़ा जिले में पड़ता है। अल्मोड़ा शहर से इसकी दूरी लगभग 34 किलोमीटर है। यहां पहुंचने के लिए अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ राजमार्ग ही एकमात्र रास्ता है। खाने, पीने व रहने की अच्छी व्यवस्था है। कुमाऊँ मण्डल विकास निगम का एक गेस्ट हाउस भी यहां बना है।
हर वर्ष श्रावण मास में पूरे महीने यहां का पर्व चलता है। पूरे देश से श्रद्धालु यहां आते है | कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजन आदि चलता है। यहां विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं। यहां कुल 165 मंदिर हैं। जिनमें हिन्दुओं के सभी बड़े देवी-देवताओं के मंदिर हैं। दो मंदिर विशेष हैं। एक शिव और दूसरा शिव के महामृत्युंजय रूप का। महामृत्युंजय में जप आदि करने से मृत्यु तुल्य कष्ट भी टल जाता है।
ऐसी मान्यता है कि शिव का महामृत्युंजय रूप भारत में केवल जागेश्वर में ही है। जागेश्वर की हरी-भरी घाटी में नन्दनी और सुरभि नाम की दो छोटी-छोटी नदियां हैं। जिसे बाद में जटा गंगा कहते हैं। यहां एक कुण्ड भी है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा करने जाते हैं। मंदिर के नीचे शमशान घाट है। यहां शवदाह करना बड़ा पवित्र माना जाता है। जागेश्वर अपनी वास्तुकला के लिए काफी विख्यात है। बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित ये विशाल मंदिर बहुत ही सुन्दर हैं।
लोग मानते हैं कि इन्हें पांडवों ने बनवाया था। लेकिन इतिहासकार मानते हैं कि इन्हें कत्यूरी और चंद शासकों ने बनवाया था।