
आज यहाँ पर हम जानेगें जमालगोटा के फायदे और नुकसान Jamalgota Seeds Powder Benefits Hindi Me – Fayde और Nuksaan
भारत में जमालगोटा पंजाब, आसाम, बंगाल व दक्षिण भारत में अपने आप उगने वाला और बगीचों में लगाया जाने वाला वृक्ष है। यह मूल रूप से चीन में पैदा होता है। इसके वृक्ष सदाबहार किस्म के 15 से 20 फुट ऊंचे होते हैं। पत्ते लंबाई में 2 से 4 इंच, चिकने, पतले, नोकदार 3-5 सिराओं वाले होते हैं, जो सूखने पर हलके पीले पड़ जाते हैं। पुष्प, मंजरियों में छोटे-छोटे व सफेद रंग के होते हैं। फल, सफेद रंग के लगभग एक इंच लंबाई के आयताकार, तीन खंडों में विभक्त होते हैं। बीज अंडाकार, आधा इंच लंबे, बादामी भूरे रंग के, आसानी से आवरण हटने वाले होते हैं। एक फल से तीन बीज निकलते हैं। पुष्प ग्रीष्म ऋतु में और फल शीत ऋतु में लगते हैं।
जमालगोटा के विभिन्न भाषाओं में नाम Jamalgota Names In Various Languages
- संस्कृत (Jamalgota in Sanskrit) -जयपाल।
- हिंदी (Jamalgota in Hindi) – जमालगोटा।
- मराठी (Jamalgota in Marathi) – जमालगोटा।
- गुजराती (Jamalgota in Gujarati) – नेपाली।
- बंगाली (Jamalgota in Bengali) – जयपाल।
- अंग्रेजी (Jamalgota in English) -परगेटिव क्रोटोन (Purgative Croton) ।
- लेटिन (Jamalgota in Latin) – क्रोटोन टिगलियम (Croton Tiglium) |
जमालगोटा औषधीय गुण Jamalgota Seeds PowderKe Gun
आयुर्वेदिक मतानुसार जमालगोटा रस में कटु, गुण में तीक्ष्ण, देर में पचने वाला, प्रकृति में गर्म, विपाक में कटु, कफ़-पित्तदोष हर, तीव्र दस्तावर होता है। यह चर्म रोगों में, नपुंसकता, गंजापन, सर्पविषहर, श्वास रोग, संधिवात, जलोदर, मस्तिष्क ज्वर, कब्ज़, अंगों में सूजन, ब्रेन हेमरेज, कामा कडीशन में, सिर दर्द, पथरी, कटिशूल, सामान्य ज्वर एवं बिच्छू दंश में गुणकारी होता है।
यूनानी मतानुसार जमालगोटा चौथे दर्जे का गरम और खुश्क होता है। शारीरिक गर्मी बढ़ जाने से उत्पन्न विष के प्रभाव को यह बखूबी दूर करता है। इसे विरेचन के रूप में बलगमी और पित्त के रोगों में प्रयोग किया जाता है। पीलिया, कमर दर्द, पथरी, उपदंश, जलोदर, कब्ज़, पक्षाघात इत्यादि में यह गुणकारी है।
वैज्ञानिक मतानुसार जमालगोटा की रासायनिक बनावट का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसके बीजों में स्थिर तेल 30 से 45 प्रतिशत होता है, जिसमें क्रोटन रेजिन होता है। इसके अलावा कुछ उड़नशील तेल के कारण इसकी गंध काफी तेज होती है। इसके उपरोक्त तत्वों के कारण यह तीव्र विरेचक (तेज दस्तावर) होता है। मात्र एक बूंद तेल के प्रभाव से 5-10 दस्त लग सकते हैं। उन्माद, मिर्गी, आक्षेपक रोगों से इसे विरेचक के रूप में प्रयोग करना लाभदायक होता है।
जमालगोटा के हानिकारक प्रभाव Jamalgota Ke Nukasaan – Side Effects of Purgative Croton
निर्देशित मात्रा से अधिक सेवन करने से आमाशय व आतों में प्रदाह पैदा होकर दर्द, रक्त मिले दस्त होते हैं। पेट में अल्सर हो सकते हैं। बवासीर, प्रवाहिका, गुदभ्रंश, अम्लपित से पीड़ितों और छोटे बच्चों, बूढ़ों व गर्भिणी को जमालगोटा से बनी कोई भी औषधि हानिकारक हो सकती है, अतः प्रयोग से बचना चाहिए।
जमालगोटा के इस्तेमाल की मात्रा Jamalgota Uses Quantity
बीजों का चूर्ण 30 से 120 मिलीग्राम। तेल आधी से एक बूंद, मक्खन या शहद के साथ प्रयोग करें।
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जमालगोटा के विभिन्न रोगों में प्रयोग Purgative Croton Seeds Powder Benefits – Jamalgota Ke Fayde
1.जमालगोटा फॉर हेयर लॉस (गंजापन) : जमालगोटा बालों के लिए के लिए काफी उपयोगी है (jamalgota seeds are useful for hair) | नीबू के रस में जमालगोटे के बीज को पीसकर गंज पर लगाएं। सूखने पर कुछ ही देर में धो लें। यह प्रयोग रोजाना दोहराते रहें। यह है जमालगोटा ke bij ke fayde.
2. चर्म रोगों पर (Jamalgota Skin Rogo Ke Liye) : जमालगोटा को नारियल के तेल में पीसकर बने लेप को लगाएं।
3. सर्प विष (Snake Poison Ke Liye Jamalgota) : जमालगोटा का चूर्ण 100 मिलीग्राम की मात्रा में एक काली मिर्च के साथ पीसकर पानी के साथ पिलाने से वमन होकर विष निकल जाएगा। फल को घिसकर दंश के स्थान पर भी लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
4. सिर दर्द (Jamalgota For Headache Treatment) : जमालगोटा के बीज को पानी में घिसकर कनपटियों पर लेप करें। कुछ समय बाद पोंछकर घी लगा लें अन्यथा जलन होगी। इससे सिर दर्द में आराम मिलेगा।
5. बिच्छू का विष (Bichchoo Poison Ke Liye Jamalgota) : जमालगोटा को पानी में घिसकर दंश पर लगाने से जहर उतरेगा।
6. फोड़े–फुसी, मुहांसों पर : जमालगोटा और एरण्ड के बीज बराबर की मात्रा में पीसकर पानी में मिलाकर लेप बनाएं और लगाएं।
7. श्वास, दमा में (Dama Rog Ka Upchar) : जमालगोटा को गर्म कडे पर टुकड़े-टुकड़े करके डालें और उत्पन्न धुएं को मुंह से अंदर खींचकर नाक के बाहर निकालें। यह प्रयोग बार-बार दोहराएं। जले हुए जमालगोटा के टुकड़े को पान में रखकर चबाकर खाना भी अधिक गुणकारी होगा ।
8. पक्षाघात, संधिवात (Paralysis Ka Upchar) : तिल के तेल में जमालगोटा के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर मालिस करने से कष्ट कम होगा।
9. मस्तिष्क ज्वर में (Mental Fever Ka Upchar): सिर के बाल मुंड़वाकर 3 चम्मच जैतून के तेल में एक चम्मच जमालगोटा का तेल मिलाकर मालिश करना लाभदायक होता है।
10. ब्रेन हेमरेज व कॉमा (Brain Hemorrhage or Coma Treatment by Jamalgota): मक्खन या शहद के साथ जमालगोटा के तेल की एक बूंद जीभ के नीचे रख देना फायदेमंद होता है। आवश्यक होने पर दूसरे दिन भी यही प्रयोग दोहराया जा सकता है।
11. कब्ज़, जलोदर, सर्वागशोथ, मिर्गी, उन्माद, आक्षेपक रोगों में जमालगोटा का तेल एक बूंद की मात्रा में शहद या मक्खन के साथ रोजाना सोते समय दें।