
झूलन गोस्वामी का जीवन परिचय (Jhulan Goswami Biography In Hindi Language)
नाम : झूलन गोस्वामी
जन्म : 25 नवम्बर, 1983
जन्मस्थान : चकदा (प. बंगाल)
झूलन गोस्वामी सितम्बर 2007 में अचानक सुर्ख़ियों में आईं, जब उन्हें विश्व विश्व की सबसे तेज गेंदबाज होने के नाते आई.सी.सी. रैंकिंग में ‘महिला क्रिकेट आफ द ईयर’ चुना गया । दक्षिण अफ्रीका के जोहेन्सबर्ग में हुए आई.सी.सी. पुरस्कारों में जब झूलन गोस्वामी का नाम पुकारा गया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए । वह उस स्थान को प्राप्त कर सकीं जहां अब तक भारतीय पुरुष क्रिकेटर नहीं पहुंच सका । 2007 में किसी भारतीय क्रिकेट को आई. सी. सी. का व्यक्तिगत अवॉर्ड नहीं मिला है ।
झूलन गोस्वामी का जीवन परिचय (Jhulan Goswami Biography In Hindi)
झूलन गोस्वामी का जन्म पश्चिमी बंगाल के नदिया जिले के ग्रामीण अंचल चकदा में हुआ था । 5 फुट 11 इंच लंबी झूलन को 24 वर्ष की आयु में आई.सी.सी. का ‘महिला क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ चुना गया । उनकी मां का नाम झरना तथा पिता का नाम निशित गोस्वामी है । उनके पिता इंडियन एयरलाइंस में कार्यरत हैं । झूलन को बाबुल नाम से भी पुकारा जाता है ।
बचपन में झूलन पड़ोस के लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं । जब उनके साथ खेलती थीं तो वे उन्हें गेंदबाजी नहीं करने देते थे क्योंकि वह बहुत धीमी गति से गेंद फेंका करती थीं और बच्चे उनकी गेंद पर चौक्के-छक्के लगाते । लड़के झूलन की गेंदबाजी का मजाक बनाया करते थे । इससे उन्हें गेंदबाज बनने की प्रेरणा मिली । उन्होंने अपनी गेंदबाजी की ओर ध्यान देना आरम्भ किया । इसके बाद एम.आर.एफ. एकेडमी से ट्रेंनिग लेकर झूलन ने कुछ टिप्स प्रसिद्ध खिलाड़ी डेनिस लिली से भी लीं । इसके बाद उनकी मेहनत रंग लाई और वह 120 कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करने लगीं जितनी गति प्राय: पुरुषों की टीम में होती है ।
आज उनकी गेंदबाजी एकदम सटीक रहती है । उनके रनअप में गजब लयबद्धता है । झूलन अपने कोच की प्रशंसा करना नहीं भूलतीं । ‘महिला क्रिकेटर ऑफ द इयर’ चुने जाने पर झूलन का अपने कोच स्वपन साधु, के बारे में कहना था- ”मेरे माता-पिता मेरे बारे में चिंता करते रहते थे लेकिन मेरे कोच स्वपन साधु ने उन्हें समझाया कि अब महिलाएं भी क्रिक्रेट खेलती हैं और पास में ही कोलकाता में महिला क्रिकेट खेली जाती है । मैं तब 13 वर्ष की थी जब मेरे माता-पिता ने कोलकाता जाकर क्रिकेट खेलने की अनुमति दे दी । आज मैं जहां भी हूं अपने कोच के ही कारण हूँ ।”
इसे भी पढ़ें- कपिल देव का जीवन परिचय
झूलन अपने क्रिकेट खेल के कारण चार बार बारहवीं की परीक्षा नहीं दे सकीं । वह चाहती हैं कि वह अगले वर्ष इस परीक्षा को अवश्य पास करें । एक बार 14 वर्ष की उम्र में झूलन दिसम्बर के सर्दी-भरे दिनों में न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के बीच ईडन गार्डेन (भारत) में होने वाले वर्ल्ड कप फाइनल को देख रही थीं । वे उस खेल को देखकर इतनी रोमांचित हो उठीं कि उन्होंने निश्चय किया कि वे एक दिन भारतीय टीम में अवश्य खेलेंगी । जब सितम्बर 2007 में उन्हें विश्व की सबसे तेज महिला गेंदबाजू होने के नाते ‘महिला क्रिकेटर ऑफ द इयर’ का पुरस्कार भारतीय क्रिकेट (पुरुष) कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी के हाथों मिला तो उन्हें लगा कि उनका स्वप्न पूरा हो गया है और वह भी एक बार नहीं, दो बार ।
यहां तक पहुंचने के लिए झूलन ने कड़ी मेहनत की है । वह सुबह 4.30 बजे उठकर नदिया से दक्षिण कोलकाता के विवेकानंद पार्क तक लोकल ट्रेन से जाया करती थीं, जहां उनके कोच स्वप्न साधु उन्हें क्रिकेट की ट्रेनिंग दिया करते थे । एक दिन क्रिकेट खेलकर रात को देर से घर पहुंचने पर उनकी मां ने उन्हें कई घंटे घर के बाहर खड़े रखा था । झूलन के पिता भी उन्हें क्रिकेटर बनाने के पक्ष में नहीं थे ।
आज झूलन गोस्वामी को ‘नदिया एक्सप्रेस’ नाम से भी जाना जाता है । क्रिकेट आस्कर जीतने वाली झूलन ने भारत को जीत दिलाने में कई बार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उन्होंने यह अवॉर्ड फेवरिट मानी जा रही आस्ट्रेलिया की बल्लेबाज लिजा स्थालेकर और इंग्लैंड की क्लेयर टेलर को पीछे छोड़ कर जीता । झूलन ने अपना पहला टैस्ट मैच लखनऊ में इंग्लैंड की टीम के विरुद्ध 14-17 जनवरी 2002 को खेला था । तब वह केवल 18 वर्ष की थीं । उन्होंने 2007 तक 8 टैस्ट मैच खेले जिनमें 33 विकेट हासिल किए । उन्होंने 79 एकदिवसीय मैचों में 96 विकेट हासिल किए ।
झूलन के लिए वह यादगार खेल रहा जब 2006 में उनके ही बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर भारत को इंग्लैंड से विजय मिली । लीसेस्टर में हुई इस सीरीज में एक मैच (टांटन) में झूलन ने 78 रन देकर 10 विकेट हासिल किए । (33 रन पर 5 विकेट तथा 45 रन पर 5 विकेट) । इंग्लैंड की महिला खिलाड़ियों को इसके पूर्व किसी भारतीय पेसर द्वारा इतनी तेज गेंदबाजी का सामना नहीं करना पड़ा था, अत: ब्रिटिश मीडिया द्वारा झूलन की आलोचना भी की गई । तब भारत ने न केवल सीरीज जीती, बल्कि झूलन को ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ अवॉर्ड भी दिया गया ।
झूलन के अनुसार- ”ज्यादा लोग नहीं जानते कि महिलाएं भी क्रिकेट खेलती हैं । लेकिन अब मीडिया कवरेज के बाद भारत में महिला क्रिकेट को भी जाना जाने लगा है ।”
यद्यपि 2005 में आस्ट्रेलिया से विश्व कप हारना भारत की कमजोरी रही, लेकिन झूलन ने अपना खेल-प्रदर्शन बेहतर करते हुए उपकप्तानी हासिल कर ली ।
इसे भी पढ़ें- डायना इदुलजी का जीवन परिचय
एक दिवसीय मैचों में झूलन ने भारतीय महिला क्रिकेट में दूसरा स्थान प्राप्त किया है । उनसे अधिक विकेट लेने वाली नीतू डेविड रहीं जिन्होंने 130 विकेट लिए और वह खेल से रिटायर हो चुकी हैं । झूलन ने जून 2007 में भारत में हुए एफ्रो-एशिया टूर्नामेंट में एशियाई टीम की ओर से भी क्रिकेट खेला था ।
उपलब्धियां :
झूलन गोस्वामी 2007 में आई.सी.सी.अवार्ड्स में व्यक्तिगत अवार्ड पाने वाली एकमात्र भारतीय क्रिकेटर हैं ।
झूलन की गेंदबाज़ी की गति 120 कि.मी. प्रति घंटा है जो विश्व महिला क्रिकेट में सर्वाधिक है | अत: उन्हें आई. सी. सी. द्वारा विश्व की सबसे तेज महिला गेंदबाज आंका गया |
झूलन को सितम्बर 2007 में ‘महिला क्रिकेट ऑफ द इयर’ चुना गया | यह उपलब्धि क्रिकेट का ऑस्कर पाने के समान है ।
झूलन ने 8 टेस्ट मैचों में 33 विकेट लिए हैं तथा 540 रन बनाए हैं |
झूलन ने 79 एकदिवसीय मैचों में 96 विकेट लेकर भारत की दूसरी सर्वाधिक विकेट लेने वाली महिला क्रिकेटर बनने का गौरव पाया है |
झूलन ने 79 एकदिवसीय मैचों में 1994 रन बनाए हैं |
झूलन को मुंबई के कैस्ट्राल अवार्ड्स में (2006) ‘स्पेशल अवार्ड’ दिया गया |
Tags : Jhulan Goswami Biography In Hindi, Life Of Jhulan Goswami, Jhulan Goswami Achievement, Jhulan Goswami In Hindi, Jhulan Goswami History, Jhulan Goswami Information In Hindi, Jhulan Goswami Photo, Jhulan Goswami Jeevan Parichay.