
आइये जानते हैं कचनार के फायदे हिंदी में Kachnar Ke Fayde In Hindi
कचनार का वृक्ष पुरे देश में सर्वत्र पाया जाता है | बागों में सुन्दरता की वृध्दि के लिए यह विशेस रूप से लगाया जाता है | इसका पेड़ ऊँचाई में 15 से 20 फुट, झुकी हुई, कमजोर शाखाओं से युक्त होता हैं | इसकी छाल भूरे रंग की , लम्बाई मे जगह-जगह फटी होती है, जिसकी मोटाई एक इंच होती है | पत्ते प्रारंभ में जुड़े और किनारों पर स्वतंत्र दिव्खंडित 3 से 6 इंच लम्बे, 2 से 5 इंच चौड़े होते हैं | हृदयाकृति के पत्तों में 9 से 11 सीराएँ होती हैं | पुष्प की कलियाँ हरी, खिला फूल सफेद, लाल या पिला होता हैं | रंगों के अधार पर कचनार तीन प्रकार का होता है |
पतझर के समय यानि फरवरी-मार्च में वृक्ष पर फूल लगते हैं और फल मई तक लगते हैं | फली 6-12 इंच लंबी, लगभग एक इंच चौड़ी, चपटी, चिकनी होती हैं ,जिसमें 10-15 बिज लगते हैं | ये स्वाद मे कड़वे होते हें | सफेद कचनार ही मुख्य रूप से औषधि में प्रयुक्त होता हैं | शेष दो प्रकार के कचनार के गुण भी लगभग समान होते हैं |
यहाँ पर हम इनके बारे में जानेंगे –
- कचनार के विभिन्न भाषओं में नाम Kachnar Ke Vibheenn Bhasao Me Name
- कचनार के औषधीय गुण Kachnar Ke Aushdhiy Gun
- कचनार के उपलब्ध आयुर्वेदिक योग Kachnar Ke Uplabhad Ayurvedic Yog
- कचनार के विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलु नुस्खे Kachnar Ke Vibheenn Rogo Me Prayog Aur Gharelu Nuskhe
- शोथ ( सुजन ) पर कचनार से उपचार Sujan Par Kachnar Se Upchaar
- मुंह के छालों में कचनार लगाये Muh Ke Chaalo Me Kachnar Lagaye
- दांत का दर्द में कचनार से ईलाज Dant Ka Dard Me Kachnar Se Ilaaj
- बवासीर में कचनार से ईलाज Haemorrhoids Me Kachnar Se Ilaaj
- प्रमेह में कचनार से ईलाज Prameh Me Kachnar Se Ilaaj
- रक्त पित्त में कचनार का सेवन Rakt Pitt Me Kachnar Ka Sevan
- गण्डमाला होने पर कचनार का सेवन Gandmala Hone Par Kachnar Ka Sevan
- कब्ज में कचनार का सेवन Kabj Me Kachnar Ka Sevan
- मेदोरोग में कचनार का सेवन Medorog Me Kachnar Ka Sevan
- अरुचि में कचनार का सेवन Aruchi Me Kachnar Ka Sevan
- अफारा, गैस की तकलीफ में कचनार का सेवन Gas Ki Problum Me Kachnar Ka Sevan
- खांसी और दमे में कचनार का सेवन Khansi Aur Dame Me Kachnar Ka Sevan
कचनार के विभिन्न भाषओं में नाम Kachnar Ke Vibhinn Bhasao Me Name
- संस्कृत Kachnar In Sanskrit – काचनार |
- हिंदी Kachnar In Hindi – कचनार |
- मराठी Kachnar In Marathi – कांचन, कोरल |
- गुजरती Kachnar In Gujarati – चंपाकाटी |
- बंगाली Kachnar In Bangali – कांचन |
- अंग्रेजी Kachnar In English – माउन्टेन एबोनी (Mountain Ebony ) |
- लैटिन Kachnar In Latin – बाहिनिया वेरिएगेटा (Bauhinia Variegate ) |
कचनार के औषधीय गुण Kachnar Ke Aushdhiy Gun
आयुर्वेदिक मतानुसार कचनार रस में कषाय (कसैला ), ग्राही, शीतल, विपाक में कटु होता हैं | कफ, पित्त, गण्डमाला, व्रण, कोढ़, कृमि, रक्त विकार, प्रदर, क्षय खांसी, रक्तार्श, अतिसार, प्रवाहिका, अबुँद, गुद्भ्रंश, दंतशूल , मुख्पाक, संधिवात, शोथ नाशक गुण भी इसमें होते हैं | इसकी छाल त्वचा रोगों जैसे एक्जीमा, दाद, खाज-खुजली, फोड़ें-फुंसी आदि में उपयोगी है | अनेक बीमारियों में होने वाले रक्तस्त्राव को रोकने में इसका उपयोग लाभप्रद होता हैं |
यूनानी मतानुसार कचनार दसरे दर्जे की शीतल और खुश्क होती है | यह कब्ज उतपन्न करने वाली, कंठमाला, रक्त विकार, कृमि रोग, प्रमेह, खांसी, मासिक धर्म की अधिकता, दस्त, आमातिसार, जिगर की सुजन, पाचन की कमजोरी, मूत्र में रक्त जाना, बवासीर, गैस आदि रोग दूर करने में सक्ष्म होती है |
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वैज्ञानिक मतानुसार कचनार के रासायनिक तत्वों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है की इसकी छाल में टैनिन (कषाय द्रव्य) शर्करा और एक भूरे रंग का गोंद होता हैं | पीले रंग का तेल इसके बीजों में 16.5 प्रतिशत की मात्रा में निकलता है | बीज पौष्टिक और कामोद्दीपक होते हैं |
कचनार के विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलु नुस्खे Kachnar Ke Vibheenn Rogo Me Prayog Aur Gharelu Nuskhe
1. सूजन पर कचनार से उपचार Sujan Par Kachnar Se Upchar :
शरीर के किसी भाग सूजन होने पर कचनार का प्रयोग किया जाता है | यह बहुत प्रभावी जड़ी होती है | इसके लिए कचनार की जड़ को पानी में घिसकर लेप बनाए | इसे गर्म कर सुजन पर गरम-गरम ही लगाएं | इसे लगाने से थोड़ी देर में आराम मिलेगा |
2. मुंह के छालों में कचनार लगाये Muhe Ke Chaalo Me Kachnar Lagaye :
मुह के छाले ठीक अकरने के लिए कचनार की छाल का प्रयोग किया जाता है | कचनार की छाल के काढ़े में थोड़ा- सा कत्था मिलाकर छालों पर लगाते रहने से शीघ्र लाभ मिलता है | अधिक समस्या होने पर इसे कई दिनों तक लगातार लगाना होगा |
3. दांत का दर्द में कचनार से ईलाज Dant Ka Dard Me Kanchnar Se Ilaaj :
दांत के दर्द को दूर करने के लिए कचनार का प्रयोग किया जाता है | इसके लिए कचनार की छाल को जलाकर राख बनाएं, फिर उससे मंजन करें | दांत दर्द दूर होकर मसूड़ों से रक्तस्त्राव की शिकायत दूर होगी |
4. बवासीर में कचनार से ईलाज Haemorrhoids Me Kachnar Se Ilaaj :
बवासीर एक भयानक रोग है जो अधिकतर कब्ज होने से होता है | इसलिए यदि परमानेंट इलाज करना चाहते है तो सबसे पहले कब्ज को ठीक करना होगा | बवासीर को ठीक करने के लिए कचनार की एक चम्मच छाल को एक कप तक्र के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से बवासीर में होने वाला रक्तस्त्राव बंद हो जाता हैं |
5. प्रमेह में कचनार से ईलाज Prameh Me Kachnar Se Ilaaj :
कचनार की हरी और सुखी कलियों का चूर्ण मिसरी की सामान मात्रा मिलाकर एक-एक चम्मच तीन बार कुछ हप्ते तक सेवन करने से प्रमेह में लाभ होगा |
6. रक्त पित्त में कचनार का सेवन Rakt – Pitt Me Kachnar Ka Sevan :
कचनार के सूखे फूलों का चूर्ण एक चम्मच की मात्र में शहद के साथ 3 बार सेवन करने और फूलों की सब्जी खाने से शारीर में से खून गिरने की सारी तकलीफें दूर होती हैं |
7. गण्डमाला होने पर कचनार का सेवन Gandmala Hone Par Kachnar Ka Sevan :
गंडमाला होने पर कचनार का प्रयोग किया जा सकता है | गंडमाला को ठीक करने के लिए सोंठ का चूर्ण कचनार की छाल के काढ़े में मिलाकर आधा कप की मात्रा में दिन में 3 बार पिलाएं | इसे लगातार 2-3 माह तक प्रयोग करने से फायदा होगा |
8. कब्ज में कचनार का सेवन Kabj Me Kachnar Ka Sevan :
कब्ज की समस्या को ठीक करने के लिए कचनार को काफी प्रभावी माना गया है | इसके लिए कचनार के फूलों का गुलकंद रात्रि में सोते समय दो चम्मच की मात्रा में कुछ दिनों तक नियमित सेवन करें | एक माह तक सेवन करने पर इसका असर समझ में आता है |
9. मेदोरोग में कचनार का सेवन Medorog Me Kachnar Ka Sevan :
मेदोरोग एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी को बड़ी परेशानी होती है | इसे ठीक करने के लिए कचनार का काढ़ा गुग्गुल के साथ दिन में दो बार, एक माह तक लें |
10. अरुचि में कचनार का सेवन Aruchi Me Kachnar Ka Sevan :
कई बार लोगों को खाना खाने का मन नहीं करता और अजीब सा जी रहता है | ऐसी स्थिति में कचनार की पुष्प्कलिकाएं घी में भुनकर सुबह-शाम रोजाना खाने से भोजन में रूचि जागृत होगी |
11. अफारा, गैस की तकलीफ में कचनार का सेवन Gas Ki Problum Me Kachnar Ka Sevan :
कचनार की छाल की काढ़ा 20 मिलीलीटर और आधा चम्मच पीसी आज्वायन मिलाकर भोजन के बाद सुबह-शाम पिने से अफारा, गैस की तकलीफ दूर होती है |
12. खांसी और दमे में कचनार का सेवन Khansi Aur Dame Me Kachnar Ka Sevan :
खांसी हो या दमा हो दोनों में कचनार उपयोगी होता है | शहद के साथ कचनार की छाल का काढ़ा दो चम्मच की मात्रा मे 3 बार सेवन करने से खांसी और दमे में आराम मिलता है | इसमें आराम धीरे – धीरे मिलता है अतः आपको धीरज रखना होगा |
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