
कपिल देव का जीवन परिचय Kapil Dev Biography & Life History In Hindi Language
नाम : कपिल देव
जन्म : 6 जनवरी, 1959
जन्मस्थान : चंडीगढ़ (हरियाणा)
क्रिकेट के इतिहास में महान आलराउंडर के रूप में कपिल देव का नाम जाना जाता है । उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बन कर टीम को अनेक बार विजय दिलाई । 1983 में वर्ल्ड कप जीतकर उनके नेतृत्व में टीम ने इतिहास रच डाला । उसके तीन वर्ष बाद उनकी कप्तानी में इग्लैड में भारत ने सीरीज जीती ।
वह कुशल मीडियम पेस गेंदबाज, मध्यम क्रम के तेज हिट करने वाले बल्लेबाज, कुशल फील्डर तथा श्रेष्ठ कप्तान रहे । उन्हें हम आलराउंडर क्रिकेटर कह सकते हैं । कपिल देव का पूरा नाम कपिल देव रामलाल निखंज है । वह दाहिने हाथ के बल्लेबाज व दाहिने हाथ के तेज मध्यम गति के गेंदबाज रहे ।
कपिल देव एकमात्र भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्हें तीन राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं । 1979-80 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया । उन्हें ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से तथा 1991 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया ।
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70 के दशक में अन्तिम वर्षों तक भारतीय टीम में कोई अच्छा ‘ओपनिंग बॉलर’ नहीं था । तब कपिल का क्रिकेट में आगमन हुआ । वह दाहिने हाथ के मध्यम गति के अनूठे खिलाड़ी रहे जो अपने समय के सर्वश्रेष्ठ ‘हिटर’ रहे और वह मानवीय संवेदनाओं से पूर्ण एक श्रेष्ठ बल्लेबाज थे जिन्होंने अभूतपूर्ण सफलता प्राप्त की ।
कपिल देव के रनों तथा विकेट के रिकार्ड को छोड़ भी दिया जाए तो भी वह लोगों के बीच अत्यन्त लोकप्रिय रहे । साथ ही साथ मीडिया के भी चहेते रहे । उन्होंने कई बार अपनी बैटिंग अथवा बॉलिंग द्वारा मैच का रुख ही पलट दिया, जिस कारण उन्हें ‘लेजेन्ड’ खिलाड़ी कहा जाता है ।
कपिल देव केवल 17 वर्ष की उम्र में क्रिकेट में शामिल हो गए जब उन्होंने रणजी ट्राफी के पहले मैच में हरियाणा की ओर से खेलते हुए 1975 में रोहतक में केवल 39 रन देकर 6 विकेट ले लिए । उन्होंने क्रिकेट में अपने शुरुआती दिनों में (जम्मू कश्मीर के खिलाफ) 36 रन पर 8 विकेट, बंगाल के खिलाफ 20 रन पर 7 विकेट लेकर ख्याति अर्जित की ।
कपिल देव की शिक्षा डी.ए.वी. हाईस्कूल में तथा डी.ए.वी. कालेज, चंडीगढ़ में हुई | हरियाणा की टीम का कैप्टेन बन कर उन्होंने 24 रणजी मैच खेले । उनका पंजाब के विरुद्ध 1979-80 में बनाया गया 193 रन का स्कोर सर्वाधिक स्कोर है । उन्होंने दलीप ट्राफी के लिए नार्थ जोन का नेतृत्व किया और 1982-83 में सभी तीन मैच जीत कर चैंपियनशिप का रिकार्ड बना दिया । विश्व के चार आलराउंडर खिलाड़ियों में कपिलदेव का नाम शामिल है । अन्य तीन आलराउण्डर हैं- हेडली, बोथम और इमरान ।
कपिल देव ने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा प्रदान की और स्वयं भी प्रशंसा और प्रसिद्धि पाई । 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीता । यह उनकी अभूतपूर्व उपलब्धियाँ हैं ।
बल्लेबाज के रूप में उन्होंने क्रिकेट की महान ऊंचाइयों को छू लिया । ‘टनब्रिजवेल्स, इंग्लैंड में जिंबाब्वे के विरुद्ध 175 अविजित रन बना कर उन्होंने भरपूर प्रशंसा बटोरी । 1983 के विश्व कप में कपिल देव ने 17 रन पर 5 विकेट के स्कोर पर खेलना आरम्भ किया और 60 ओवर में 266 रन पर टीम को पहुंचा दिया । उन्होंने अविजित 175 रन बना डाले । 1990 में इंग्लैंड के विरुद्ध टैस्ट खेलते हुए फालोआन बचाने के लिए एडी हेमिंग्ज की गेंद पर उन्होंने 4 बार 6 छक्के लगाकर सबको चौंका दिया । उनका 434 विकेट लेने का रिकार्ड है । कपिल ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने 5248 रन के साथ ही टैस्ट मैचों में 400 विकेट लिए हैं । किसी भारतीय द्वारा सबसे ज्यादा टैस्ट मैच खेलने का रिकार्ड भी कपिल देव के ही नाम है । उन्हें पिछले दिनों भारतीय क्रिकेट टीम का कोच भी बनाया गया था |
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वर्ग 2002 में विज्डन (लंदन) द्वारा कपिल देव को ‘इंडियन प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’ चुना गया । 35 सदस्यों की निर्णायक टीम ने सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़कर कपिल देव को चुना । उनका कहना था कि कपिल एक ऐसा खिलाड़ी था जो अकेले ही खेल के परिणामों की दिशा मोड़ सकता था । वह अपनी गेंदबाजी, बल्लेबाजी, फील्डिंग और कप्तानी से खेल का पासा पलट सकता था, इतनी सारी खूबियां किसी अन्य क्रिकेटर में नहीं हैं ।
कपिल देव ने 19 वर्ष की आयु में 1978-79 में पाकिस्तान के विरुद्ध पहला टेस्ट मैच खेला । उन्होंने 131 टैस्ट और 225 एक दिवसीय मैच अपने 16 वर्षीय क्रिकेट जीवन में खेले । विज्डन द्वारा 1983 में उन्हें ‘क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ पुरस्कार दिया गया । 1994-1995 का फरीदाबाद का एकदिवसीय मैच जो भारत-वेस्टइंडीज के बीच खेला गया वह उनका अंतिम एक दिवसीय मैच रहा । फिर उन्होंने सक्रिय क्रिक्रेट से संन्यास ले लिया ।
उपलब्धियां :
- कपिल देव तीन पुरस्कार जीतने वाले प्रथम क्रिकेटर हैं । उन्हें 1979-80 के लिए ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया, फिर उन्हें ‘पद्मश्री’ से और 1991 में उन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया |
- 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली क्रिकेट टीम के वह कप्तान थे ।
- 434 विकेट लेने का रिकॉर्ड कपिल देव के नाम है |
- रोहतक (हरियाणा) में रणजी ट्राफी के लिए खेलते हुए (1975 में) उन्होंने मात्र 17 वर्ष की आयु में 39 रन देकर 6 विकेट लिए | वह हरियाणा की ओर से पंजाब के विरुद्ध खेल रहे थे |
- उन्होंने जम्मू कश्मीर के विरुद्ध खेलते हुए 36 रन पर 8 विकेट तथा बंगाल के विरुद्ध 20 रन पर 7 विकेट लिए ।
- 1979-80 में उन्होने पंजाब के विरुद्ध अपना सर्वाधिक स्कोर 193 रन बनाया ।
- उनका प्रदर्शनीय खेल 1978 में हुआ जब उन्होंने पाकिस्तान में कराची में 48 गेदों पर 59 रन बनाए जिनमें 2 छक्के तथा 8 चौके शामिल हैं |
- वह क्रिकेट के चार सर्वश्रेष्ठ ऑलराउण्डरों में से एक हैं ।
कपिल देव ने भारतीय खिलाड़ी होने का अनोखा रिकार्ड बनाया जिसने 4000 रन भी बनाए और 400 विकेट भी लिए |
उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘बाय गाइस डिक्री’ लिखी है ।
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