
कपूर के फायदे हिंदी में Kapoor Ke Fayde In Hindi
कपूर के वृक्ष भारत में निलगिरी, मैसूर और देहरादून के पर्वतीय क्षेत्रों में लगाए जाते हैं | इसके वृक्ष की ऊँचाई 100 फुट, चौराई 6 से 8 फुट होती हैं, जो सदाबहार होता है | तने की छाल ऊपर से खुरदुरी और मटमैली होती है, किन्तु अंदर से चिकनी रहती है | इसके पत्ते चिकने, एकांतर, सुगन्धित, पीताभ, हरित वर्ण लिए 2 से 4 इंच लंबे होते हें | पुष्प गुच्छों में छोटे-छोटे पीताभ श्वेत होते है | फल भी गुच्छों में, मटर के दाने के सामान गोल, गहरे रंग के होते है | फल पकने पर काले रंग के होते जाते हैं | बिज छोटे होते हैं | वृक्ष के सभी अंगों से कपूर की गंध आती रहती हैं | एव इन्हीं अंगो को पकाकर कपूर प्राप्त किया जाता हैं |
यों तो कपूर विभिन्न उत्पत्ति स्थान, निर्माण भेद और वर्ण भेद की दृष्टिकोण से अनेक प्रकार का होता है, लेकिन मुख्य रूप से भीमसेनी, चीनी और भारतीय कपूर के नाम से ज्यादा प्रचलित होता हैं | भीमसेनी कपूर अच्छा होता हैं, जो औषधि कार्य में प्राचीन काल से उपयोग में लिया जाता है | यह चीनी कपूर से भरी होता हैं और पानी में डूब जाता है |
जबकि चीनी कपूर पानी में डूबता नहीं | चीनी कपूर पिपरमेंट और अजवायन सत्व के साथ मिलाने से द्रव रूप में बदल जाता है | भारतीय कपूर तुलसी कुल की कपूरी तुलसी के पौधों से प्राप्त होता है | तुलसी के समान इस पौधा की पत्तियों से तीक्ष्ण सुगंध निकलती है | इसकी पत्तियों से 61 से 80 प्रतिशत कपूर मिलता है, जबकि बीजों से हलके पीले रंग का तेल 12.5 प्रतिसत की मात्रा में मिलता है | आमतौर पर कपूर कृत्रिम विधि से और वृक्ष के कोटरों से प्राकृतिक रूप से इकट्ठा किया जाता है | प्राकृतिक रूप से प्राप्त कपूर श्रेष्ठ माना जाता है |
यहाँ पर आप ये जानेंगे –
- कपूर के विभिन्न भाषओं में नाम Kapoor Ke Vibhinn Bhasao Me Name
- कपूर के औषधीय गुण Kapoor Ke Aushdhiy Gun
- कपूर के हानिकारक प्रभाव Kapoor ke Hanikarak Prabhav
- कपूर का विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलु नुस्खे Kapoor Ka Vibhinn Rogo Me Prayog Or Gharelu Nuskhe
- त्वचा रोगों Skin Disease में कपूर का प्रयोग Tavcha Roogo Me Kapoor Ka Pryog
- सर्दी जुकाम में कपूर Sardi Jukham Me Kapoor
- दांत दर्द में आजमाए कपूर Dant Dard Me Ajmaye Kapoor
- सिर दर्द Headache में कपूर का इस्तेमाल Sir Dard Me Kapoor Ka Istemaal
- नपुंसकता के लिए कपूर Napusangta Ke Liye Kapoor
- नेत्र रोग में लाभकारी कपूर Nettra Rog Me Labhkari Kapoor
- दूध सुखाने के लिए कपूर का प्रयोग Dudh Sukhane Ke Liye Kapoor Ka Pryog
- बिच्छू का डंक लगने पर कपूर का प्रयोग Bichu Ka Dank Lagne pr Kapoor Ka Pryog
- मुंह में छाले होने पर कपूर का इस्तेमाल Muhe Me Chaale Hone pr Kapoor Ka Istemaal
- प्रसव कष्ट होंने पर कपूर का सेवन Prasav Casht Hone Pr Kapoor Ka Sevan
- आमवात मे कपूर का उपयोग Amvaat Me Kapoor Ka Upyog
- रक्तपित्त में लाभकारी कपूर Rakthpith Me Labhkari Kapoor
- दमे में कपूर का सेवन Dame Me Kapoor Ka Sevan
कपूर के विभिन्न भाषओं में नाम Kapoor Ke Vibhinn Bhasao Me Name
- संस्कृत Kapoor In Sanskrit – कर्पुर, घनसार |
- हिंदी-, मराठी, गुजरती Kapoor In Hindi -, Marathi, Gujarati – कपूर |
- बंगाली Kapoor In Bangali – कर्पुर |
- अंग्रेजी Kapoor In English – कैम्फर ( Camphor ) |
- लेटिन Kapor In Latin– सिनेमोमम् कैम्फरा (Cinnamomum Camphora )|
कपूर के औषधीय गुण Kapoor ke Aushdheeya Gun
आयुर्वेदिक मतानुसार कपूर मधुर, तिक्त, कटु रस, लघु, तीक्ष्ण गुण, शीत प्रकृति का तथा विपाक में कटु होने के कारण त्रिदोषनाशक, तृष्णा शामक, दीपक, ज्वर दूर करने वाला, रुचिकारक, ह्रदय उत्तेजक, पसीना लेन वाला, कफ निस्सारक, वेदना शामक, वीर्यवर्धक, उदर रोग, शोथहर, कामोत्तेजक, गर्भाशय उत्तेजक, कृमि नाशक, दन्त पीड़ाहर, कटिशुल नाशक होता है |
यूनानी मतानुसार कपूर की तासीर तीसरे दर्जे की सर्द और खुश्क होती है | यह फोड़े- फुंसी, नकसीर, कृमि रोग, क्षय, जीर्ण ज्वर, अतिसार, हैजा, दमा, दिल की धड़कन, गठिया, जोड़ों का दर्द, टिटेनस, कुकर खांसी, फेफड़ों के रोगों में भी गुणकारी है |
वैज्ञानिक मतानुसार कपूर एक प्रकार का जमा हुआ उड़नशील तेल हैं, जो सफेद, पारदर्शक स्फटिकों, क्रिस्टल दानों, भुरभुरे टुकड़ों में प्राप्त होता है | इसमें एक विशेष प्रकार की सुगंधित तीक्ष्णता होती है | मुहं में रखते ही सुगंधित तीक्ष्णता का अनुभव होता है, जो बाद में ठंडक पहुंचाता है | यह जल में कम और अलकोहल, वानस्पतिक तेलों में घुल जाता है | जलाने पर शीघ्रता से जल उठता है और उड़नशील द्रव्य होने के कारण खुला रहने पर आसानी से उड़ जाता है | इसका रासायनिक सूत्र c10 H16 o होता है |
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कपूर के हानिकारक प्रभाव Kapoor ke Side Effect (Hanikarak Prabhav)
कपूर अधिक मात्र में सेवन करने से तीव्र विष लक्ष्ण उत्पन्न होते हैं,
जिनमें उदरशूल, उलटी, प्रलाप, भ्रम, पक्षाघात, मुत्रावरोध, संज्ञानाश, अवसाद, आक्षेप, दृष्टिमाँध, नीलिमा, मुख शोथ, अतिसार, नपुंसकता, तन्द्रा, दुर्बलता, रक्ताल्पता आदि हो सकते हैं |
कपूर का विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलु नुस्खे Kapoor Ka Vibhinn Rogo Me Pryoge OR Gharelu Nuskhe
1. त्वचा रोगों Skin Desease में कपूर का प्रयोग Tavcha Roogo Me Kapoor Ka Pryog :
कपूर को पीसकर नारियल के तेल मे मिलाएं और पीड़ित त्वचा पर दिन में 2 से 3 बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक लगाएं |
2. सर्दी जुकाम में कपूर से इलाज Sardi Jukham Me Kapoor :
कपूर की एक टिकिया को रुमाल में लपेटकर बार-बार सूंघने से आराम मिलता है और बंद नाक खुल जाती है |
3. दांत दर्द में आजमाए कपूर Dant Dard Me Ajmaye Kapoor :
हिंग और कपूर बराबर की मात्र मे मिलाकर छेद वाले दांत में भरकर कुछ समय दबाए रखने से दर्द से तुरंत आराम मिलता है |
4. सिर दर्द Headache में कपूर का इस्तेमाल Sir Dard Me Kapoor Ka Istemaal :
कपूर और चन्दन को तुलसी की रस में घिसकर लेप बनाएं और ललाट पर लगाएं | इससे सिर दर्द दूर होगा|
5. नपुंसकता के लिए कपूर Napusangta Ke Liye Kapoor :
घी में कपूर को घिसकर शिशन के ऊपर मालिश करें | प्रयोग नियमित रूप से कुछ हप्ते तक करें |
6. नेत्र रोग में लाभकारी कपूर Nettra Rog Me Labhkari Kapoor :
भीमसेनी कपूर को दूध में पीसकर साफ उंगली से आखों में अंजन करते रहने से अनेक प्रकार के नेत्र रोगों में लाभ होता है |
7. दूध सुखाने के लिए कपूर का प्रयोग Dudh Sukhane Ke Liye Kapoor Ka Pryog :
शिशु की मृत्यु के बाद स्तनों में अत्यधिक दूध की वृधि हो, तो पानी में घिसकर बनाया लेप स्तनों पर दिन में तीन बार लगाएं |
8. बिच्छू का डंक लगने पर कपूर का प्रयोग Bichu Ka DANK Lagne pr Kapoor Ka Pryog :
विष का प्रभाव दूर करने के लिए कपूर को सिरके में मिलाकर दंश के स्थान पर लगाएं |
9. मुंह में छाले होने पर कपूर का इस्तेमाल Muhe Me Chaale Hone pr Kapoor Ka Istemaal :
कपूर और मिसरी बराबर की मात्रा में मिलाकर चुटकी भर की मात्रा में इसे दिन में 3–4 बार चूसें |
10. प्रसव कष्ट होंने पर कपूर का सेवन Prasav Casht Hone Pr Kapoor Ka Sevan :
पके केले में 125 मिलीग्राम कपूर मिलाकर सेवन कराने से प्रसूता को प्रसव आसानी से हो जाता है |
11. आमवात में कपूर का उपयोग Amvaat Me Kapoor Ka Upyog :
तारपीन के तेल में कपूर मिलाकर पीड़ित अंग पर सुबह-शाम मालिश करें |
12. रक्तपित्त में लाभकारी कपूर Rakthpith Me Labhkari Kapoor :
गुलाब जल में थोडा सा कपूर पीसकर नाक में टपकाएं |
13. दमे में कपूर का सेवन Dame Me Kapoor Ka Sevan :
कपूर 125 मिलीग्राम और इतना ही हिंग मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से श्वास की तकलीफ में आराम मिलेगा |