
कत्था के फायदे हिंदी में Benefits Of Kattha In Hindi – Yahan Jaane Kattha Khane Ke Fayde
भारत के जंगलो में कत्थे के वृक्ष पाए जाते हैं | विशेष रूप से उत्तर भारत की नदियों के पास खदिर वन मिलते हैं | इसका वृक्ष बबूल की जाति का आकार में मध्यम होता है | शाखाएं पतली और 11-12 सीकों के जोड़ों से युक्त होती हैं, जिनपर 30 से 50 जोड़ों में छोटे-छोटे पत्ते लगते हैं | शाखाएं कांटेदार होती हैं | पुष्प छोटे सफेद या हल्के पीले रंग के होते हैं | फली 2 से साढ़े तीन इंच लम्बी, आधा इंच चौरी, चमकीली, पतली कत्थई रंग की, 5 से 8 बीजों से युक्त होती है |
वृक्ष की छाल आधा से पौन इंच तक बहार से काले भूरे रंग की और अंदर से भूरे रंग की होती है | इसके वृक्ष का तना जब लगभग एक फुट चौरा हो जाता है, तब काटकर इसके छोटे-छोटे टुकड़े कर भट्ठियों में पकाकर काढ़ा बनाया जाता है, इसे जमाकर बट्टीयों (चौकोर आकार ) के रूप में बनाया गया पदार्थ कत्था कहलाता है
| रक्त कपिश या श्वेत कत्था औषधि और पान में उपयोग किया जाता है, जबकि रक्त या लाल कत्था खासतौर पर पान में लगाने के लिए बनाया जाता है | इसका औषधि में प्रयोग नहीं किया जाता |
यहा पर हम ये जानेंगे
- कत्था के विभिन्न भाषओं में नाम Kattha Ke Vibheenn Bhashao Me Name
- कत्था के औषधीय गुण Kattha Ke Aushdhiye Gun
- कत्था के हानिकारक प्रभाव Harmful Effects Of Catechu
- कत्थे के उपलब्ध आयुर्वेदिक योग Katthe Ka Uplabhad Ayurvedic Yog
- कत्था के औषधीय प्रयोग और घरेलु नुस्खे Kattha Ke Aushdhiye Pryog Aur Gharlu Nuakhe
- मुंह के छालों के लिए Kattha Muh Ke Chaalo Ke Liye
- व्रण, घाव पर Varrdh, ghaw Pr Kattha Se Upaaye
- दन्त रोगों में Dant Rogo Me Kattha Faydemand
- गले के रोग में कत्था से लाभ Gale Ke Rog Me Kattha Se Laabh
- खांसी में Khansi Me Katthe Ka Sevan
- पैर की अंगुलियों के बिच अन्दर का घाव Per Ki Anguliyo Ke Bich Ander Ka Ghaw Ke Liye Kattha
- स्वप्नदोष के लिए SavpanDosh Ke Liye Katthe Ka Sevan
- गुदभ्रंश रोग के लिए Gudhbrans Rog Ke Liye
- कुष्ठ रोग के लिए Kushth Rog Ke Liye
- अतिसार होने पर कत्था का सेवन Atisaar Hone Pr Katthe Ka Sevan
- श्वास, दमा में कत्था का सेवन Swaas, Dama Me Katthe Ka Sevan
कत्था के विभिन्न भाषओं में नाम Kattha Ke Vibenn Name
- संस्कृत Kattha In Sanskrit – खदिर |
- हिंदी Kattha In Hindi – कत्था |
- मराठी Kattha In Marathi – खैर |
- बंगाली Kattha In Bangali – विट्टखैर |
- गुजराती Kattha In Gujarati – गन्धिलो खैर |
- अंग्रेजी Kattha In English – कच ट्री (Cutch Tree)
- लैटिन Kattha In Latin – एकेशिया कटेचु (Acacia Ctechu)
कत्था के औषधीय गुण Kattha Ke Aushdhiye Gun 
आयुर्वेद के मतानुसार कत्था शीतल, कटु, तिक्त, कषाय, कुष्ठघ्न, मुख रोग, मोटापा, खांसी, व्रण, रक्त पित्त, रक्तमेह, रक्तस्त्राव रोकने वाला, शोथहर, अरुचि, वमन, अतिसार, कृमि रोग, प्रमेह, रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, योनि शैथिल्य दूर करने वाला, दंत रोग, मूत्र रोगों, त्वचा रोगों में गुणकारी है | यूनानी मतानुसार कत्था दुसरे दर्जे में शीत होने के कारण वातवर्धक है |
इसमें मसूढ़ों को दृढ़ करने वाले कषाय रस की अधिकता के कारण समस्त दंत मंजनो में इसका प्रयोग होता है | शीतल प्रकृति होने के कारण जहाँ तक कामशक्ति को घटाता है, वहीँ पान में लगाकर खाने से कामवर्धक प्रभाव पैदा करता है | इसे किडनी में स्टोन पैदा करने वाला भी माना जाता है |
वैज्ञानिक मतानुसार कत्थे की रासायनिक बनावट का विश्लेषण करने पर इसमें कैटेचिन 4 से 17 प्रतिशत और कैटेचुटैनिक एसिड 50 प्रतिशत होती है | ये गर्म पानी में और अल्कोहल में आसानी से घुल जाते हैं | ये रक्त स्तम्भक ( कोएगुलेंट ) होने की वजह से रक्तस्त्राव को रोकते हैं | टैनिक एसिड के प्रभाव से कत्था ज्वर नाशक और पाचक होता है | यह आंतरिक म्युकस मेम्बरेन में संकोचन शक्ति भी पैदा करता है |
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कत्था के हानिकारक प्रभाव Harmful Effects Of Catechu
कत्थे का अधिक सेवन पुरुषत्व नाशक होता है | यह जननशक्ति को क्षीण करता है, जबकि पान में लगाकर खाने से कामवर्धक प्रभाव पैदा करता है |
कत्थे के आयुर्वेदिक योग Katthe Ka Ayurvedic Yog
खदिरारिष्ट, खदिरासव, खदिरादि चूर्ण, खदिरादि क्वाथ, खदिरादि वटी, खदिरादि घृत,खदिरादि तेल | विभिन्न रोगों में प्रयोग |
कत्था के औषधीय प्रयोग और घरेलु नुस्खे Kattha Ke Aushdhiye Pryog Aur Gharlu Nuakhe
1. मुंह के छालों के लिए Kattha Muh Ke Chaalo Ke Liye :
कत्थे को पानी में घिसकर रुई से छालों में लगाएं और राल तपकाएं | कुछ बार दोहराने से छाले ठीक हो जाएंगे |
2. व्रण, घाव पर Varrdh, ghaw Pr Kattha Se Upaaye :
कत्थे के पानी से व्रण और घाव धोकर कत्थे के महीन चूर्ण को बुरकने ( छिड़कने ) से वे जल्द ही ठीक हो जाते हैं | रक्तस्त्राव रुक जाता है |
3. दन्त रोगों में Dant Rogo Me Kattha Faydemand :
मंजन में कत्था मिलाकर दांतों और मसूढ़ो पर नियमित रूप से सुबह-शाम मलने से दांत संबधी समस्त रोग दूर हो जाते है |
4. गले के रोग में कत्था से लाभ Gale Ke Rog Me Kattha Se Laabh :
300 मिलीग्राम का चूर्ण जीभ पर डालकर चूसने से गला बैठना, आवाज रुकना, गले की खराश, मसूढ़ों का दर्द, छालों की पीड़ा सभी में आराम मिलता हैं | यह प्रयोग दिन में 5-6 बार कुछ दिनों तक नियमित करें |
5. खांसी में Khansi Me Katthe Ka Sevan :
कत्था, हल्दी और मिसरी एक-एक ग्राम की मात्रा में मिलकर चुसें और निगल जाएं | एक घंटे तक पानी न पिएं | प्रयोग दिन में 3 बार कुछ दिन करें |
6. पैर की अंगुलियों के बिच अन्दर का घाव Per Ki Anguliyo Ke Bich Ander Ka Ghaw Ke Liye Kattha :
पानी में अधिक समय तक कम करने से पैरों की अंगुलियों के बिच और अंदर सफेद घाव बन जाते हैं, जिनमें काफी दर्द होता हैं | इसे पहले कत्थे के पानी से धोएं , फिर सुखा चूर्ण बार-बार लगाने से कष्ट दूर होता है |
7. स्वप्नदोष के लिए SavpanDosh Ke Liye Katthe Ka Sevan :
पिसा हुआ एक ग्राम कत्था ठंढे पानी से (एक कप मात्रा में ) सोने से पूर्व सेवन करे | मूत्र त्याग कर सोने जाएं |
8. गुदभ्रंश रोग के लिए Gudhbrans Rog Ke Liye :
कत्था, मोम और घी बराबर की मात्रा में मिलाकर लगाएं |
9. कुष्ठ रोग के लिए Kushth Rog Ke Liye :
कत्थे के काढ़े को पानी में मिलाकर नियमित स्नान करें |
10. अतिसार होने पर कत्था का सेवन Atisaar Hone Pr Katthe Ka Sevan :
कत्था और बिल्वगिरी को सामान मात्रा में मिलाकर, इनकी एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराएं |
11. श्वास, दमा में कत्था का सेवन Swaas, Dama Me Katthe Ka Sevan :
कत्था, हल्दी और शहद बराबर की मात्रा में मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में 2-3 बार सेवन करें |
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