
खो-खो खेल के नियम Kho Kho Game Rules And Ground Measurement Hindi Me
खो-खो पूर्णतया भारतीय खेल है (Kho Kho Is Completely Indian Origin)| इसका जन्म भारतीय परिवेश में हुआ| अभी तक इस खेल से संबधित प्रीतियोगिता का आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर ही संभव हो सका है| इसका आयोजन पुरुषों एवं महिलाओं के साथ-साथ वरिष्ठ एवं कनिष्ठ स्तर पर बालकों एवं बालिकाओं के लिए भी आयोजित किया जाता है|
ऐसी मान्यता है कि इस खेल की उत्पत्ति महाराष्ट्र में हुई | सन् 1914 में डेकन जिमखाना पूना द्वारा इस खेल मे प्रारम्भिक नियमों का प्रतिपादन किया गया था| महाराष्ट्र फ़िज़िकल एजुकेशन समिति द्वारा इस खेल से संबंधित साहित्य को क्रमशः को सन् 1935, 1938, 1943 एवं 1949 में विभिन्न चरणों में प्रकाशित कराकर प्रसारित किया गया| सन् 1960 में विजयवाड़ा में प्रथम राष्ट्रीय खेल का आयोजन किया गया|
इस समय इसका आयोजन प्रांतीय,राष्ट्रीय, विद्यालय स्तर पर किया जाता है| सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले को ‘एकलव्य’, महिला खिलाड़ियों को ‘महालक्ष्मी’ और बालकों को वीर अभिमन्यु पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया जाता है|
खेल का मैदान kho kho ground measurement
इस खेल के मैदान का आकार आयताकार होता है| समतल भूमि पर इस का रेंखाकन किया जाता है| खेल के मैदान की लंबाई 29 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर होती है| मैदान के चारों 1.5 चौड़ाई की लॉबी होती है| मैदान के बीच एक गली बनाई जाती है| इस गली की चौड़ाई 30 से.मी. होती है| यह मैदान को दो बराबर भांगों में बांट देती है| मैदान के दोनों सिरो पर गली के मध्य एक-एक पोल स्थापित किया जाता है, जिसकी ऊंचाई 120 से.मी. होती है और परिधि 30 से 40 से.मी. होती है| जिस सीमा-रेखा पर यह पोल लगा होता है, उस रेखा के समांतर 2.5 से.मी. का फासला होता है| ऐसी ही अगली 2 समांतर रेखाएं 2.30 मीटर दूरी पर खींची जाती है| इससे आगे सभी समांतर रेखाएं 2.30 मीटर की दूरी पर खींची जाती है| इन रेखाओं से गली में 30 से.मी. x 30 से.मी. के 8 वर्ग बन जाते है|
खेलने की प्रक्रिया How To Play Kho Kho Game
यह खेल दो टीमों के मध्य खेला जाता है| प्रत्येक टीम के 9 खिलाड़ी एवं 3 स्थानापन्न होते है| एक मैच मे चार पारियाँ होती है| प्रत्येक पारी की समायावधि 7 मिनट होती है| प्रत्येक टीम दो पारियों में बैठती है और दो पारियों में दौड़ती है| बैठने वाली टीम के खिलाड़ी को ‘चेंजर’ व दौड़ने वाले को ‘रनर’ कहते है| खेलने से पूर्व ‘रनर’ अपना नाम स्कोरर के पास अंकित कराते है|
आरंभ में तीन खिलाड़ी सीमा के अंदर होते है| इन तीनों के आउट होने पर दूसरे तीन खिलाड़ी अंदर आते है और खेलते है|
चेंजर टीम के आठ खिलाड़ी 30 x 30 से.मी. वर्ग में बैठते है और नौवां खिलाड़ी रनर्स को पकड़ने के लिए खड़ा होता है| वह दौड़कर ‘रनर’ टीम के एक खिलाड़ी को पकड़ने की कोशिश करता है| वह बैठे हुए खिलाड़ियों में से किसी एक को ‘खो’ देता है| तुरंत ‘खो’ मिलने वाला खिलाड़ी उठकर रनर को पकड़ता है तथा उसका स्थान पहले वाला खिलाड़ी ले लेता है| इस प्रक्रिया में यदि ‘चेंजर’ टीम का खिलाड़ी ‘रनर’ टीम के दौड़ने वाले खिलाड़ी को स्पर्श कर लेता है, तो चेंजर टीम को एक अंक प्राप्त हो जाता है| सभी रनरों के समय से पूर्व आउट होने पर उनके विरुद्ध एक ‘लोना’ दिया जाता है| खेल के अंत मे अधिक अंक अर्जित करने वाली टीम विजयी घोषित की जाती है|
[इसे भी पढ़ें – लॉन टेनिस गेम रूल्स – खेल के नियम]
खेलने के नियम Kho Kho Game Rules And Regulations
1. | बैठने व दौड़ने के लिए निर्णय टॉस द्वारा लिया जाता है| |
2. | रनर के दोनों पांव यदि सीमा से बाहर चले जाते है, तो वह आउट माना जाता है| |
3. | चेंजर टीम के सदस्यों के बैठने की एक विशेष व्यवस्था होती है| खिलाड़ी नं। एक, तीन, पांच और सात का मुंह एक दिशा में तथा खिलाड़ी नं। दो, चार, छह और आठ का मुंह दूसरी दिशा में होता है| |
4. | ‘रनर’ टीम का खिलाड़ी केंद्र गली से दूसरी दिशा में तब तक नहीं जा सकता, जब तक कि वह पोल के चारो ओर घूम नहीं लेता| |
5. | चेंजर टीम दौड़ने वाला खिलाड़ी बैठे हुए खिलाड़ी के पास जाकर पीछे से ऊंची आवाज में उसे ‘खो’ शब्द बोलता है| इसे ‘खो’ देना कहा जाता है| कोई भी खिलाड़ी ‘खो’ के लिए बिना उठकर भाग नहीं सकता| |
6. | ‘खो’ लेकर दौड़ने वाला खिलाड़ी उठता है, अपनी दिशा का चुनाव करता है तथा उस दिशा में दौड़ने लगता है| |
7. | ‘खो’ मिलने के पश्चात वह खिलाड़ी उठकर दौड़ता है तथा उसके स्थान पर ‘खो’ देना वाला खिलाड़ी बैठ जाता है| |
8. | खो लेने के पश्चात यदि उठने वाला खिलाड़ी सेंटर लाइन कि क्रॉस कर जाता है, तो उसे फाउल माना जाता है| |
9. | यदि अंक बराबर हो तो एक अतिरिक्त पारी का आयोजन किया जाता है| |
10. | यदि कोई खिलाड़ी घायल हो जाए, तो उसके स्थान पर स्थानापन्न खिलाड़ी मे से किसी एक को नियुक्त कर दिया जाता है| |
खो-खो की मूलभूत तकनीक Kho Kho Game Basic Techniques
खो-खो की स्पर्धा का आयोजन दो टीमों के बीच आयोजित किया जाता है (Kho Kho Is Played Between Two Teams)| एक निश्चित समय दोनों टीमों को प्रदान किया जाता है| इस अवधि में एक टीम को छूने वाली (चेंजर्स) व दूसरी को भागने वाली (रनर्स) के नाम से संबोधित किया जाता है| इस स्पर्धा के दौरान कुछ मूलभूत तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, जो निम्नलिखित है-
1. | खो देना |
2. | निर्देश लेना |
3. | स्तंभ कों छोड़ना |
4. | चहेरे घूमना |
- खो देना – खो-खो के खेल (Kho Kho Game) में प्रतियोगिता के दौरान खो देना एक प्रमुख कौशल के रूप में माना जाता है| इसके लिए यह आवश्यक है कि खो देने वाला खिलाड़ी कों सही ढंग से छूकर खो दे एवं इस अवस्था में स्पष्ट आवाज में ‘खो’ बोलना आवश्यक है| खो प्राप्त करने के पश्चात दूसरा खिलाड़ी खेल कों तेजी से आगे बढ़ाता है| रनर कों छूने का प्रयास करता है| मध्य रेखा पर वर्ग में बैठे हुए खिलाड़ी एक-दूसरे कों खो देते है| साधारणतया थकान की स्थिति में ‘खो’ शब्द का प्रयोग करके दूसरे खिलाड़ी कों यह अवसर दिया जाता है कि वह भागने वाले खिलाड़ी कों स्पर्श करे|
- निर्देश लेना – निर्देश लेने से अभिप्राय है कि खिलाड़ी दोनों ओर के पोल (खंभो) का प्रयोग किस प्रकार करता है| वास्तव में खंभो के द्वारा किया जाता है| स्पर्धा के अंदर यह अनिवार्य है कि खिलाड़ी जिस दिशा में घूमता है, उसी दिशा में दौड़ करना अनिवार्य माना जाता है| ऐसी स्थिति में एक खंभे से दूसरे खंभे के पास पहुंचने पर ही दौड़ की दिशा में परिवर्तन मान्य है|
- खंभे कों छोड़ना – स्पर्धा के अंदर खंभे कों पकड़ना अथवा खंभे कों छोड़ना एक ऐसी कला है, जिसके द्वारा खिलाड़ी अपना शारीरिक संतुलन बनाए रखता है| इन खंभो के द्वारा खिलाड़ी जब तेज गति से दौड़ता हुआ आता है, उस समय स्वयं कों मैदान के बाहर जाने से रोकता है| खंभे कों छोड़ने में खिलाड़ी अपने शारीरिक लोच का लाभ उठाता है|
- चहेरे कों घूमना – जो खिलाड़ी मैदान के अंदर वर्गाकार स्थान में बैठे रहते है, उन्हे इतनी स्वतंत्रता है कि वह अपनी गरदन कों उस दिशा में घुमा सकते है, जिस दिशा में खिलाड़ी दौड़ रहा है या कोई अन्य गतिविधि कर रहा है|
खेल के निर्णायक Kho Kho Game Empires
इस खेल में प्रायः दो एम्पायर होते है (Two Empires In Kho Kho Game), जो लॉबी के बाहर अपने स्थान पर खड़े रहते है तथा मैच का संचालन करते है| वे केंद्रीय गली द्वारा विभाजित अपने स्थान से भी खेल की देख-रेख कर सकते है| दो एम्पायर के अतिरिक्त एक रेफरी भी होता है, जो एम्पायरों की सहायता करता है| पारी के अंत में वह दोनों टीमों के स्कोर तथा विजयी टीम की घोषणा करता है|
समयपाल और स्कोरर
Kho Kho Game में समयपाल होता है, जो समय का रिकॉर्ड रखता है तथा सीटी बजाकर खेल प्रारंभ होने व समाप्त होने का संकेत करता है| स्कोरर प्रत्येक पारी के अंको का हिसाब-किताब रखता है तथा इस बात का ध्यान रखता है कि प्रत्येक खिलाड़ी अपने निश्चित क्रम से आ रहा है अथवा नहीं| परिणाम निकलने से पूर्व वह समस्त शीट तैयार करता है तथा फ़ाइनल बनाकर रेफरी कों देता है|
अर्जुन पुरस्कार विजेता Kho Kho Game Arjun Award Winners
सुधीर भास्कर परब | 1970 |
कु. अचला सूबेराव देवरे | 1971 |
कु. भावना हंसमुखलाल पारिख | 1973 |
कु. नीलिमा चंद्र्कांत सरोलकर | 1974 |
जनार्दन इनामदार | 1975 |
कु. उषा बसंत नागरकर | 1975 |
शेखर आर. धारवाड़कर | 1976 |
हेमंत मोहन तकालकर | 1981 |
कु. सुषमा सरोलकर | 1982 |
कु. वीना नारायण परब | 1983 |
सत्यन प्रकाश | 1984 |
कु. सुरेखा भगवान कुलकर्णी | 1985 |
सुश्री शोभा नारायन | 1998 |