
इस खेल की शुरुआत इंग्लैंड से मानी जाती है| इसे वहा सन् 1873 में डब्ल्यू.सी. विंगफील्ड ने प्रचलित किया था| कभी इस खेल को हाथ से गेंद को मारकर खेला जाता था,किंतु इस प्रक्रिया में हाथ पर विपरीत प्रभाव पड़ता था| इसलिए कुछ समय बाद इसे लकड़ी की तख्ती से खेलना शुरू किया गया| सन् 1877 में टेनिस की विंबलडन प्रतियोगिता का आरंभ किया गया, फिर तो यह इतना लोकप्रिय हुआ कि घर-घर तक पहुच गया|
भारत में भी यह खेल तेजी से लोकप्रिय हुआ | भारतीय खिलाड़ियो ने, जिनमे विजय अमृतराज, आनंद अमृतराज, रामनाथ कृष्णन, रमेश कृष्णन एवं सानिया मिर्ज़ा प्रमुख है | इन्होंने इस खेल को शिखर तक पहुंचाया | भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय चैंपियनशिप सन् 1946 में कलकत्ता में खेली गई, जिसमे समंत मिश्रा ने मनमोहन लाल को फ़ाइनल में हराकर विजय प्राप्त की| भारत को ओलंपिक खेलो में सर्वप्रथम इस खेल को कांस्य पदक मिला | यह अभूतपूर्व कार्य लियेन्डर पेस ने कर दिखाया | उन्होंने 1996 के अटलांटा ओलंपिक खेलों में ब्राज़ील के फरनांडो मेलेजेनी को पराजित किया|
[जाने – ओलम्पिक खेलों पर निबंध Essay On Olympic Games]
टेनिस का मैदान Lawn Tennis Court Measurement
टेनिस का कोर्ट आयताकार होता है| सिंगल के लिए इसका आकार 78 गुणा 27 फीट और डब्ल्स के लिए 78 गुणा 36 फीट होता है| सफ़ेद रंग द्वारा सर्विस रेखा, मध्य रेखा, सीमा रेखाए, दाया कोर्ट, बायां कोर्ट आदि निशान लगाए जाते है| कोर्ट के बीचोबीच मध्य रेखा के ऊपर जाल बांधा जाता है, जो कोर्ट को दो भांगों में विभाजित कर देता है| जाल की ऊंचाई 3 फीट 6 इंच होती है| यह कोर्ट के दोनों ओर से 3 फीट बाहर की ओर होता है| जाल के दोनों सिरे एक-एक खंभे से बांध दिए जाते है| इन खंभो की ऊंचाई 3 फीट 6 इंच होती है|
रैकेट(Racket of Lawn Tennis) |
टेनिस खेलने के लिए रैकेट लोहे के फ्रेम अथवा ग्रेफाइट के बने होते है| इनका हलका होना जरूरी है| पुरुषों के रैकेट 13.5 से 14 औंस तथा महिलाओ के लिए 13 से 13.5 औंस तक भारी होते है| इन रैकेटों की बुनाई नाइलोन से बनाई गई तार से की जाती है| इसका हैंडल बहुत मजबूत होता है| |
गेंद |
गेंद की बाहरी सतह सपाट होनी चाहिए| यह सफ़ेद या पीले रंग की होनी चाहिए| गेंद का व्यास 21/2 इंच तक होना चाहिए| इसका भार 2 से 21/6 औंस होना चाहिए| |
सर्विस | इस खेल की शुरुआत सर्विस द्वारा की जाती है| सर्विस किस खिलाड़ी को करनी होती है| इसका निर्णय टॉस द्वारा किया जाता है| इसका टॉस रैकेट को हवा में उछालकर किया जाता है| इस प्रक्रिया को स्पिन कहा जाता है| टॉस जीतने वाला खिलाड़ी सर्विस करता है तथा विरोधी खिलाड़ी कोर्ट की दिशा चुनता है| सर्विस के लिए गेंद हवा में उछाली जाती है तथा इसके जमीन पर गिरने से पहले ही रैकेट द्वारा प्रहार करके दूसरे खिलाड़ी के पास पहुंचाया जाता है| सर्विस दूसरी तरफ के तिरछे कोर्ट में जानी चाहिए| यदि गेंद जाल को छूती हुई दूसरी तरफ कोर्ट में गिरती है,तो यह फाउल नहीं माना जाता| इसे लेट कहा जाता है| |
लॉन टेनिस सिंगल खेल के नियम – खेलने का तरीका
एकल खेल एक खिलाड़ी द्वारा सर्विस देकर प्रारंभ किया जाता है| गेंद को प्राप्त करने वाला खिलाड़ी, जोकि रिसीवर कहलाता है,गेंद प्राप्त करते ही उसे वापस सर्विस की ओर उछालता है| सर्विस करते समय खिलाड़ी अपने कोर्ट में पीछे की तरफ खड़ा रहता है|
निम्नलिखित परिस्थिथियों में कोई भी खिलाड़ी अंक खो बैठता है-
- जब वह गेंद को रैकेट से दो बार मारता है|
- जब वह गेंद को कोर्ट में दोबारा टप्पा खाने से पहले उसे जाल के दूसरी तरफ लौटाने में विफल रहता है|
- जब गेंद खेलते समय खिलाड़ी का रैकेट उसके शरीर पर पहनी गई किसी वस्तु,जाल,खभों आदि से टकरा जाता है|
यदि गेंद कोर्ट में निर्धारित किसी रेखा पर टप्पा खाती है,तो वह वैध मानी जाती है|
यदि जमीन पर गिरने के बाद गेंद जाल,खंभा आदि से टकरा जाती है,तो सर्विस करने वाला खिलाड़ी अंक प्राप्त कर लेता है, लेकिन जमीन से गिरने से पहले यदि वह किसी वस्तु से टकरा जाती है, तो विपक्षी खिलाड़ी अंक पा लेता है|
[इसे भी जाने – खो-खो खेल के नियम]
लॉन टेनिस डबल खेल के नियम – खेलने का तरीका
यूलगल खेल के लिए कोर्ट 36 फीट चौडा होना चाहिए अर्थात सिंगल गेम (एकल) से हर ओर 4.5 फीट अधिक चौड़ा होना चाहिए| प्रत्येक सैट के शुरू होने पर जिस युगल को सर्विस करनी होती है, वह फ़ैसला करता है की कौन-सा पार्टनर सर्विस करेगा|
खिलाड़ी का पार्टनर,जिसने पहले सैट में सर्विस की है वह तीसरे सैट में भी सर्विस करेगा तथा जिसने दूसरे सैट में सर्विस की है वह चौथे में भी करेगा| इसी प्रकार शेष सैटों में होगा| यही क्रम सर्विस प्राप्त करने में होता है|
खेल के पॉइंट्स को कैसे पढ़े
टेनिस के खेल में अंकों की गणना गेम और सेट के आधार पर होती है| पहला अंक प्राप्त करने पर एक खिलाड़ी का स्कोर 15, दूसरे पर 30, तीसरे पर 40 तथा चौथा अंक पाने के बाद वह गेम जीत जाता है| यदि दोनों खिलाड़ी तीन-तीन अंक बनाते है, तो परिणाम ‘हिक‘ कहलाता है| यदि खिलाड़ी अलग अंक बनाता है, तो उसके पक्ष में लाभ अंकित होगा| यदि वही खिलाड़ी दोबारा अंक बना लेता है, तो वह बाजी जीत जाएगा,परंतु यदि दूसरा खिलाड़ी अंक बनाता है, तो वह फिर हिक कहलाएगा| यह क्रम इसी तरह चलता रहेगा,जब तक कि हिक के बाद कोई एक खिलाड़ी दो अंक न बना ले|
यदि कोई खिलाड़ी छह गेम जीत लेता है और वह विपक्षी से दो गेम आगे हो जाता है, तो वह सैट जीत जाएगा| जब किसी सैट में परिणाम 6 गेम ऑल पहुंच जाता है, तो टाई-ब्रेक पद्धति लागू होती है| यह जब तक चलती रहेगी,जब तक एक खिलाईद लगातार दो पाइंट नहीं जीत लेता|
लॉन टेनिस के अर्जुन पुरस्कार विजेताLawn Tennis Arjuna Awards Winner In Hindi |
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नाम | वर्ष |
आर.कृष्णन् | 1961 |
नरेश कुमार | 1962 |
जयंदीप मुखर्जी | 1966 |
प्रेमजीत लाल | 1967 |
विजय अमृतराज | 1974 |
श्रीमती निरुपमा मांकड | 1978 |
रमेश कृष्णन् | 1980 |
आनंद अमृतराज | 1985 |
लियंडर पेस (राजीव गांधी खेल रत्न) | 1990, 1996-97 |
महेश भूपति | 1995 |
गौरव नंदू नाटेकर | 1996 |
आसिफ इस्माइल | 1997 |
अख्तर अली | 2000 |
संदीप कीर्तने | 2001 |
सानिया मिर्ज़ा | 2004 |
सोमदेव वर्मन | 2011 |
साकेत माय्नेनी | 2017 |