
मैनुअल आरों का जीवन परिचय (Manuel Aaron Biography In Hindi Language)
नाम : मैनुअल आरों
जन्म : 30 दिसम्बर 1935
जन्मस्थान : बर्मा (अब म्यांमार)
मैनुअल आरों ने राष्ट्रीय शतरंज की चैंपियनशिप का खिताब 9 बार जीता । वह ‘इन्टरनेशनल मास्टर’ बनने वाले प्रथम भारतीय हैं । मैनुअल प्रथम शतरंज खिलाड़ी हैं जिन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है ।
मैनुअल आरों का जीवन परिचय (Manuel Aaron Biography In Hindi)
कहा जा सकता है कि मैनुअल आरों ने भारत में शतरंज के खेल की वास्तविक शुरुआत की और विश्व-शतरंज में भारत की उभरती हुई शक्ति का अहसास कराने में मुख्य भूमिका निभाई । उन्होंने बेहतरीन खेल प्रदर्शन करके अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी बेहद अच्छी छाप छोड़ी ।
मैनुअल आरों ने भारतीय शतरंज के परिदृश्य पर वर्षों तक प्रभुत्व बनाए रखा । 50वें दशक के मध्य से 70वें दशक के अन्त तक मैनुअल आरों का नाम ही छाया रहा । वह ‘इन्टरनेशनल मास्टर’ का खिताब जीतने वाले प्रथम भारतीय बने ।
आरों ने शतरंज का राष्ट्रीय खिताब नौ बार जीता । 1969 से 1971 तक उन्होंने लगातार पांच वर्षों तक राष्ट्रीय खिताब पर कब्जा बनाए रखा । तमिलनाडु जैसे प्रदेश में, जहां शतरंज की विरासत पाई जाती है, उन्होंने 11 बार राज्य की चैंपियनपशिप जीती ।
1961 में एशियाई-आस्ट्रेलिया जोनल फाइनल में मैनुअल आरों ने आस्ट्रेलिया के सी.जे.एस. पर्डी को 3-0 से हराया तथा वेस्ट एशियाई जोनल में मंगोलिया के सुकेन मोमो को 3-1 से हरा दिया और वह ‘इन्टरनेशनल मास्टर’ बन गए । यह शतरंज के खेल की आरम्भिक दिनों की बात थी, अत: आरों की यह उपलब्धि बहुत बड़ी थी ।
इसके पश्चात् 1962 में मैनुअल ने ‘स्टाकहोम इन्टर जोनल’ के लिए क्वालीफाई कर लिया । परन्तु वहाँ लाजोस पोर्टिश तथा वोल्फगैंग अलमैन जैसे बड़े-बड़े ग्रैंडमास्टर से उनका मुकाबला हुआ और खेल समाप्त करने के समय वह अन्तिम स्थान पर रहे । उनकी उपलब्धियों के कारण उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया । मैनुअल आरों ‘अर्जुन पुरस्कार’ पाने वाले प्रथम शतरंज खिलाड़ी थे ।
आरों के नेतृत्व में भारतीय टीम ने कई बड़े मुकाबलों में हिस्सा लिया, जैसे जर्मनी के लीप्त में शतरंज के 1960 के ओलंपियाड में भारतीय टीम ने भाग लिया । 1962 के बल्गारिया के वर्ना में भी भारतीय टीम ने आरों की कप्तानी में भाग लिया । आरों ने 1964 में तेल अवीव शतरंज ओलंपियाड में भी भाग लिया ।
उपलब्धियां :
आरों ने शतरंज के खेल में अपनी अलग पहचान बनाई तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की इस क्षेत्र में उभरती शक्ति का अहसास कराया |
वह 9 बार शतरंज का राष्ट्रीय खिताब जीत कर विजेता बने, जिसमें 1969 से 1971 तक वह लगातार 5 वर्ष तक चैंपियन रहे ।
आरों भारत के प्रथम ‘इन्टरनेशनल मास्टर’ बने । 1961 में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की |
उन्होंने 1961 में मंगोलिया के सुकेन मोमो को ‘वेस्ट एशियन जोनल’ में 3-1 से हरा दिया ।
आरों ने 1961 में ‘एशियन-आस्ट्रेलियन जोनल’ में आस्ट्रेलिया के सी.जे.एल. पर्डी को हरा कर विजय प्राप्त की | उसके बाद ‘इन्टरनेशनल मास्टर’ का खिताब हासिल किया ।
उन्हें 1962 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया ।
आरों ने कई ओलंपियाड में भारत की ओर से भाग लिया तथा कई ओलंपियाड में उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने भाग लिया ।
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