एम. सी. मेरी कॉम का जीवन परिचय MC Mary Kom Biography In Hindi

MC Mary Kom Biography In Hindi

एम. सी. मेरी कॉम का जीवन परिचय (MC Mary Kom Biography In Hindi Language)

MC Mary Kom Biography In Hindi

नाम : एम. सी. मेरी कॉम
जन्म : 1 मार्च 1983
जन्मस्थान : कांगथेई (मणिपुर)

एम.सी. मेरी कॉम भारत की ऐसी बाक्सिंग महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को सम्मान दिलाया है | उन्होंने 46 किलो वर्ग में लगातार 3 बार विश्व चैंपियन का खिताब जीता | मणिपुर में जन्मी मेरी कॉम के नाम पर खेल गाँव तक जाने वाली सड़क का नाम ‘मेरी कॉम रोड’ रखा गया है ।

एम. सी. मेरी कॉम का जीवन परिचय (MC Mary Kom Biography In Hindi)

मेरी कॉम ने 24 वर्ष की आयु में 2006 में तीसरी बार बॉक्सिंग की विश्व चैंपियनशिप जीत कर हैट्रिक लगाई । उनका जन्म मणिपुर के छोटे से स्थान कांगथेई के अत्यन्त गरीब परिवार में हुआ था । एम.सी. मेरी कॉम का पूरा नाम मंगते चुंगनेइजांग मेरी कॉम है जो उनके पिता एम टोंपू कॉम तथा मां सूनेखम कॉम ने रखा था । मंगते परिवार को अपनी बेटी मेरी कॉम की उपलब्धियों पर गर्व है ।

मेरी कॉम को मंगते परिवार ने बहुत मुश्किलों से क्रिश्चियन मॉडल हाई स्कूल तथा सेंट जेवियर, मोइरांग, मणिपुर के स्कूल में शिक्षा दिलाई । मेरी कॉम ने आदिमजाति हाईस्कूल, इम्फाल में हाई स्कूल की परीक्षा दी थी लेकिन वह इस परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हों सकीं । वह इस स्कूल की परीक्षा में दोबारा नहीं बैठना चाहती थीं, अत: उन्होंने स्कूल न जाने का निर्णय लिया और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से परीक्षा देने का निर्णय लिया ।

मेरी कॉम का रुझान एथलेटिक्स की ओर अधिक था और एथलेटिक्स में जाने पर उन्हें बॉक्सिंग की ओर आकर्षण प्रतीत हुआ । बारहवीं की किताबी शिक्षा उन्हें रुचिकर नहीं लग रही थी । उनकी तीन बहनों व एक भाई ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की थी, लेकिन वे भी ठीक-ठाक कमाई करने में असमर्थ थे । अत: मेरी कॉम का झुकाव बॉक्सिंग की ओर बढ़ता गया । घर की आर्थिक तंगी से भी परिवार परेशान था यद्यपि मेरी कॉम के पास अच्छे भोजन का इंतजाम नहीं था, परन्तु वह बॉक्सिंग में तत्परता से लड़ने को तैयार थीं ।

मेरी कॉम की ट्रेनिंग तीन कोचों द्वारा की गई थी, ये थे- इबोम्चा, नरजीत एंव किशन । आई.ओ. के ऑफीसर खोइबी सलाम ने मेरी को पूरी क्षमता से बाक्सिंग करने के लक्ष्य तक पहुंचाया । उनकी रोल मॉडल थीं लैला अली । मेरी ने जल्दी अपने खेल की बारीकियां सीख लीं और अपनी आशा और अपने कोचों की उम्मीद से बढ़कर कठिन से कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करके निपुणता हासिल कर ली ।.

वर्ष 2000 में मेरी ने राज्य चैंपियनशिप महिला बॉक्सिंग में विजय प्राप्त की, फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा । अपनी ‘किलर इस्टिंक्ट’ के कारण वह एक के बाद एक पदक जीतती रहीं । उनकी सदैव उस शिकारी की भांति कामना रही, जो बिना कुछ लिए वापस नहीं लौटता ।

मेरी ने 2000 से 2005 तक राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती और मणिपुर के लोगों को उनकी इस उपलब्धि पर गर्व है । मेरी कॉम ने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक पाने की शुरुआत दूसरी एशियाई महिला चैंपियनशिप, हिसार से की । उसके बाद उन्होंने तीसरी एशियाई महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप, ताइवान में भी स्वर्ण पदक जीता ।

एशियाई स्तर पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् मेरी कॉम ने विश्व स्तर पर भी सफलता प्राप्त की । पेनसिल्वेनिया (अमेरिका) में हुई पहली महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2003) में उन्होंने रजत पदक जीता । फिर अन्तल्य (टर्की) में हुई विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2000) में मेरी ने स्वर्ण पदक जीता । उन्होंने नार्वे तथा हंगरी की विश्व-चैंपियन में भी विजय प्राप्त की । जिस मेरी काम के पास बचपन में बाइबिल खरीदने के लिए पैसे नहीं थे- वही बड़ी होकर स्वर्ण पदक हासिल करती जा रही थीं ।

एम.सी. मेरी कॉम में कभी हिम्मत न हारने की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है । जब उन्हें अपने अभ्यास के लिए घरेलू प्रतियोगिताओं के लिए बीस हजार तथा अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए साठ हजार रुपयों की जरूरत पड़ती थी तो उनके रिश्तेदार व चर्च के लोगों ने मैरी को कभी निराश नहीं होने दिया । मेरी की सफलताओं को देखते हुए उन्हें पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी की ऑफर दी गई थी ।

मेरी कॉम की उपलब्धियों के लिए उन्हें सरकार द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया है । मणिपुर सरकार ने खेल गांव की ओर जाने वाली सड़क का नाम उनके नाम पर ‘मेरी कॉम रोड’ रख दिया है । मणिपुर के युवा तथा खेल विभाग ने उन्हें 13 लाख का एक फ़्लैट रहने के लिए प्रदान किया है । टाटा की ओर से भी उन्हें नौकरी की ऑफर दी गई है । उन्हें ‘क्वीन ऑफ द रिंग’ की संज्ञा भी दी गई है । अगस्त 2007 में उन्होंने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है । उनके पति का नाम के. ओनलर है ।

उपलब्धियां :

उन्होंने 2000 से 2005 तक राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत कर, स्वर्ण पदक प्राप्त किया है |

उन्होंने दूसरी एशियाई महिला चैंपियनशिप हिसार में स्वर्ण पदक जीता ।

मेरी ने तीसरी महिला एशियाई चैंपियनशिप, ताइवान में भी विजय प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया |

मेरी कॉम ने विश्व स्तर पर महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में विजय पाई है और भारत का मान बढ़ाया है | वह तीन बार विश्व चैंपियन बन चुकी हैं । इसके अतिरिक्त पहली विश्व महिला बाक्सिंग चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक प्राप्त किया था |

उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया जा चुका है ।

मेरी कॉम को ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया जा चुका है |

2007 में उनका नाम ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड’ के लिए भी नामांकित किया गया था ।

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