मोटापा कारण और उसका उपचार Motapa Ka Karan Aur Upchar

motapa kaise kam kare

आधनिक परिवेश में हृदय रोग, कैंसर, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह रोग आदि से अधिक तीव्र गति से मोटापे की विकृति स्त्री पुरुषों में दिखाई देती है. महानगरों में किसी सुबह सड़क के किनारे, किसी पार्क में जोगिंग करते मोटे स्त्री पुरुषों को देखा जा सकता है. महानगरों में किसी भी जिम में एक्सरसाइज करते मोटे स्त्री पुरुष की भीड देखी जा सकती हैं.

मोटापा अपने आप में आनुवांशिक रोग हो सकता है

अधिकांश परिवारों में देखा जाता है कि माता पिता, दादा दादी अधिक तंदुरुस्त व (मोटे) होते हैं तो उनके बच्चे भी मोटे होते हैं. सन् 1865 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक गेगर जॉन मेंडल ने उन गुणसूत्रों का पता लगाया था जो माता पिता के शरीर से आनुवंशिक तरीकों से संतान के शरीर में पहुंचते हैं. प्रत्येक गुणसूत्र में डी.एन.ए. (डिऑक्सी रिबे न्यूकित्सक एसिड) के सूक्ष्म अणु होते हैं. सुक्ष्म अणुओं को ‘जीन्स’ कहा जाता है. मोटे माता पिता की संतानें जन्म से ही मोटी होती है.

मोटापे की विकृति के अन्य कारण

अधिकांश स्त्री पुरुषों को अपने मोटापे का कारण पता नहीं चल पाता. किसी अन्य कारण से जब स्त्री पुरुष अपना शारीरिक परीक्षण कराते हैं तो किसी अंत स्रावी ग्रंथि की विकृति के कारण हार्मोन के उचित मात्रा में निर्माण नहीं होने के कारण मोटापे तीव्र गति से बढ़ रहा है.

पिट्यूटरी ग्रंथि, अग्न्याशय ग्रंथि, थायराइड ग्रंथि एडीनल ग्रंथि की विकृति से मोटापे की विकृति हो सकती है. पिट्यूटरी ग्रंथि से निकलने वाले दो तरह के हार्मोन शरीर में वसा (Fat) के शोषण को प्रभावित करते हैं. इनमें से एक हार्मोन वषा को संचित करने में सहायता करता है तो दूसरा हार्मोन कोशिकाओं से वसा को निकालने का कार्य करता है. जब दोनों हार्मोन शरीर में संतुलित अवस्था में रहते हैं तो शरीर में वसा की पाचन क्रिया संतुलित रहती है लेकिन जब किसी हार्मोन का संतुलन अधिकतम होता है तो शरीर में वसा का संचय अधिक होने से मोटापा बढ़ने लगता है. पिट्यूटरी ग्रंथि की विकृति के अलावा थायरॉइड ग्रंथि की विकृति भी मोटापे को बढ़ाती है.

थायराइड ग्रंथि थायरॉक्सिन नामक हार्मोन का निर्माण करती है. इस हार्मोन की सहायता से शरीर में वसा को जलाकर अधिक ऊर्जा प्राप्त की जाती है. इस हार्मोन से शरीर में वसा, जल और कार्बन ऑक्साइड का संतुलन बना रहता है. थायरॉइड की विकृति से वसा ऊर्जा में नहीं बदल पाती है और वसा शरीर में एकत्र होने लगती है और मोटापा बढ़ने लगता है.

एड्रीनल ग्रंथि से निकलने वाले कॉरटिसोल हार्मोन के अधिक स्रावित होने से कुशिंग रोग की उत्पत्ति होती है. कुशिंग रोग में अधिक मोटापे के लक्षण दिखाई देते हैं. इस रोग में कमर और स्तनो पर वसा का अधिक जमाव होता है. एड्रिनल ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने लगती है.

आधुनिक परिवेश में मधुमेह रोग तीव्र गति से फैल रहा है. अग्न्याशय ग्रंथि अर्थात पैंक्रियाज की विकृति के कारण मधुमेह रोग की उत्पत्ति होती है. जब किसी विकृति के कारण पैंक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर देती है या कम कर देती है तो मधुमेह रोग की उत्पत्ति होती है और मधुमेह रोग में मोटापे की संभावना होती है.

मोटापा स्वयं में अनेक रोगों को जन्म देता है

मोटापा स्वयं एक रोग नहीं बल्कि अनेक रोगों को उत्पत्ति करता है. मोटापे के कारण शरीर इतना थुलथुल और भारी हो जाता है कि मोटे स्त्री पुरुष के लिए बिस्तर पर करवट बदलना भी मुश्किल हो जाता है. आठ दस सीढ़ियां चढ़ना मोटे स्त्री पुरुष के लिए बहुत कठिन हो जाता है. मोटे लोग अस्थमा (दमा), उच्च रक्तचाप व हृदय रोगों के शिकार बनते हैं.

मोटापे के कारण वृक्कों की विकृति अर्थात किडनी की विकृति होती है. मोटापा जोड़ों के दर्द की उत्पत्ति करता है. मोटापा रूमेटाइड गठियां रोग की उत्पत्ति करता है. गठियां रोग की सूजन और दर्द रोगों का चलना फिरना मुश्किल कर देता है. शारीरिक रूप से मोटे स्त्री पुरुषों में मोटापा बाधक बनता है. स्त्री पुरुष यौन जीवन का भरपूर आनंद नहीं उठा पाते है.

शरीर में मोटापे के लिए वसा ही जिम्मेदार

बहुत कम स्त्री पुरुष जानते होंगे कि शरीर में मोटापे के लिए वसा (चर्बी) ही जिम्मेदार होती है और वसा कोशिकाओं की विकृति बचपन में शिशु को पौष्टिक व वसा युक्त खाद्य पदार्थों घी, दूध, मक्खन, पनीर आदि के खिलाने से होती है. वसा शरीर को ऊर्जा (गर्मी) देने का कार्य करती है. जब भोजन में वसा की मात्रा बढ़ जाती है और शारीरिक श्रम नहीं करने से शरीर में वसा एकत्र होने लगती हैं तो मोटापा बढ़ने लगता है.

शरीर में वसा का संचय वसा कोशिकाओं में होता है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि शरीर में लगभग 30 अरब वसा कोशिकाएं होती है. वसा कोशिका का आकार भोजन में वसा युक्त पदार्थों के कारण सदैव परिवर्तित होता रहता है. भोजन में वसा की मात्रा कम करके अथवा शारीरिक श्रम करके वर्षा को नष्ट करके मोटापे पर नियंत्रण रखा जा सकता है.

मोटापा नष्ट करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा

आधुनिक परिवेश में मोटापा कम करने के लिए स्त्री पुरुष जिम जाते है, और मशीनों पर एक्सरसाइज़ करते है. अधिकांश स्त्रियां डायटिंग करती है लेकिन भोजन में वसा की मात्रा कम नहीं कर पाने के कारण मोटापा कम नहीं हो पाता .है टेलीविजन व पत्रिकाओं में सप्ताह में मोटापा कम कर देने के विज्ञापन भी बहुत देखे जा सकते हैं, लेकिन उन उपायों से भी बहुत हानि हो सकती है. शारीरिक श्रम करते हुए आयुर्वेदिक औषधि चिकित्सा से मोटापे को नष्ट कर सकते हैं.

भोजन में वसा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करके टमाटर, खीरा, मूली, चुकंदर आदि का सलाद अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए. दोपहर के बाद पॉप कॉर्न खाने से शरीर में फाइबर अधिक होने से मलावरोध नहीं होता और पाचन क्रिया संतुलित रहती है.

अमृतोघो गुग्गुल :- गुग्गुल की दो दो गोलियां खरल में पीसकर, सुबह शाम मधु के साथ अथवा हल्के गर्म जल के साथ सेवन करने से मोटापे की विकृति नष्ट होती है.

मेदोहर विडंगादि लौह :- एक या दो गोली सुबह शाम मधु या गर्म जल के साथ सेवन करने से मोटापा नष्ट होने लगता है. इस लौह का इस्तेमाल करने से सभी तरह की स्थूलता नष्ट होती है.

बिंडगाध चूर्ण :- वायबिडंग, यवक्षार, सोंठ, जौ, आंवला लौह भस्म को खरल में बराबर मात्रा में घोटकर 3-3 ग्राम मात्रा में सुबह शाम मधु के साथ चाटकर सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है.

त्रिफलाघं तेल :- निर्गुंडी, पिप्पली, सोंठ, कुठ, सरसों आदि का तिल तेल के साथ पकाकर त्रिफला तेल बनाया जाता है. त्रिफलादि तेल की मालिश करने से स्थूलता नष्ट होती है. नस्य और वस्ति द्वारा इस्तेमाल करने से भी लाभ होता है.

त्र्यूषणादि लौह :- आयुर्वेद में मोटापा नष्ट करने के लिए त्र्यूषणादि लौह को अत्यंत गुणकारी कहा जाता है. इस लौह का निर्माण हरड़, बहेड़ा, आंवला, चव्य, चित्रक, काली मिर्च, पीपल, सोंठ, काला नमक, बविड् लवण, बाकुची और सेंधा नमक द्वारा किया जाता है. 4 से 6 ग्राम मात्रा में सुबह शाम मधु के साथ सेवन करने से स्थूलता नष्ट होती है. बायबिडंग अर्क 25 से 100 ग्राम मात्रा में सुबह शाम पीने से मोटापा की विकृति नष्ट होने लगती है. अग्निमंघ के क्वाथ (काढ़े) में तीन ग्राम अर्जुन वृक्ष की छाल का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है. कुछ सप्ताह में मोटापा कम होने लगता है. लौह भस्म 250 मिली ग्राम मात्रा में त्रिफला चूर्ण दो ग्राम और मधु मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से भरपूर लाभ होता है.

मोटापा कम करने के लिए घरेलू चिकित्सा

घी, दूध, मक्खन और डबल रोटी का नाश्ता बंद करके प्रतिदिन 250 ग्राम तक्र (मट्ठे) का सेवन करने से मोटापा कम होने लगता है. हाई ब्लड प्रेशर नहीं होने पर तक्र में नमक का इस्तेमाल कर सकते है.

  • ताजे पालक के 50 ग्राम रस में 10 ग्राम नींबू का रस मिलाकर कुछ सप्ताह सेवन करने से मोटापा कम होने लगता है.
  • चावलों को देर तक उबालकर, उसके मांड में थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर, हल्का गर्म गर्म सेवन करने से मोटापा कम होता है.
  • 250 ग्राम जल में 20 ग्राम नींबू का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा नष्ट होता है.
  • स्थूलता से पीड़ित गेहूं के आटे की रोटी छोड़कर जौ के आटे की रोटी खाने से शीघ्र मोटापा कम होने लगता है.
  • बेर के कोमल पत्तों को देर तक जल में उबालकर, क्वाथ बनाकर पीने से मोटापा नष्ट होता जाता है.

आहार विहार

भोजन में 30 प्रतिशत कैलोरी की मात्रा वसा से प्राप्त करना चाहिए. 30 प्रतिशत वसा में पशुओ से प्राप्त वसा (चर्बी) नारियल, पॉम आदि तेलों का केवल 10 प्रतिशत भाग ही होना चाहिए. शेष वसा सोयाबीन, सूरजमुखी आदि तेलों से प्राप्त करनी चाहिए. क्रीम निकाले दूध, दही का सेवन करने से बहुत लाभ होता है.

मोटापा कम करने के लिए सुबह शाम किसी पार्क में जाकर भ्रमण करना सबसे अच्छा व्यायाम है. जोगिंग व एरोबिक्स में भी मोटापा कम होता है. नदी व स्विमिंग पूल में तैरने से मोटापा कम होता है.