
मुलेठी के फायदे और नुकसान Mulethi Powder Benefits in Hindi – Mulethi Ke Fayde Aur Side Effects
आज यहाँ हम जानेगे मुलेठी के फायदे इन हिंदी (Mulethi Ke Fayde Hindi Me)
हमारे देश में मुलेठी जम्मू-कश्मीर, सहारनपुर, देहरादून, हिमालय के तराई वाले खुश्क भागों में पैदा होती है। इसे ईरान, इराक, अफगानिस्तान, साइबेरिया, ग्रीस, सीरिया से भी आयात किया जाता है। इसका बहुवर्षीय पौधा ऊंचाई में 3 से 6 फुट होता है। पते अंडाकार, नोकदार, संयुक्त रूप से 4 से 6 जोड़े में और अंत में एक पत्ती पर समाप्त होते हैं। पुष्प आधे इंच से बड़े, लाल आभा लिए या बैंगनी रंग के लगते हैं। एक इंच लंबी, चपटी फलियों में 2 से 5 बीज निकलते हैं। जड़ और तना जो भूमिगत होता है, उसे छिलका हटाकर या वैसे ही सुखाकर औषधि प्रयोग में लिया जाता है। जड़ें अंदर से पीलापन लिए, स्वाद में मीठी, हलकी चरपरी लगती हैं। सूघने पर इनसे हलकी सुगंध आती है। इसे दो वर्ष तक किसी भी मौसम में सेवन कर सकते हैं। बीज चमकदार, लाल रंग के, एक सिरे से काले निकलते हैं, जो रतियों के वजन तौलने के काम आते हैं।
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मुलेठी के विभिन्न भाषाओं में नाम Melethi Ke Names
- संस्कृत (Mulethi In Sanskrit) – मधुयष्ट, यष्टिमधु।
- हिंदी (Mulethi In Hindi) – मुलहठी, मुलेठी।
- मराठी (Mulethi In Marathi) – जयेष्ठमधु।
- गुजराती (Mulethi In Gujrati) – जेष्ठमधु |
- बंगाली (Mulethi In Bengali) – यष्टिमधु |
- अंग्रजी (Mulethi In English) – किलोरिस रूट (Liquorice Root) ।
- लैटिन (Mulethi In Latin) – ग्लिसराइज़ा ग्लेब्रा (Glycyrrhiza Glabra)
मुलेठी के औषधीय गुण Mulethi Ke Aushadheey Gun
आयुर्वेदिक मतानुसार मुलेठी रस में मधुर (Sweet in taste), गुण में भारी, शीतल प्रकृति की, विपाक में मधुर, स्निग्ध, वात-पत नाशक, वीर्यवर्धक, नेत्रों के लिए हितकारी, स्वादिषु त्वचा की रंगत निखारने वाली, स्वर को सुधारने वाली, केशों के लिए बलवर्धक होती है। यह खांसी, दमा, कफ़, विकार, श्वास कष्ट, शुक्रदुर्बलता, मु अल्सर, अम्ल-पित, आंतों की ऐंठन, हिचकी, पेशाब की जलन, मिर्गी, कब्ज , बवासीर, श्वेत प्रदर में गुणकारी है।
यूनानी चिकित्सा पद्धति में मुलेठी दूसरे दर्जे की गर्म और पहले दर्जे की खुश्क, मीठी, रूखी, मूत्रल, नेत्र रोग में गुणकारी, मासिकधर्म को नियमित करने वाली, फोड़े को पकाने वाली, ब्रोंकाइटिस, यकृत रोग, दमा, खांसी, सिरदर्द, पेट के दर्द, प्यास में गुणकारी होती है। पौष्टिक होने से शुक्रमेह, यौनदुर्बलता दूर करने में सक्षम है।
वैज्ञानिक मतानुसार मुलेठी की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसमें ग्लिसीराइजिन नामक प्रमुख तत्व पाया जाता है, जो ग्लिसीराइजिक एसिड के रूप में विद्यमान होता है, जिसकी वज़ह से ही यह मीठी लगती है। इसका मीठापन चीनी से 59 गुना अधिक होता है। यह केवल जड़ में ही पाया जाता है और भिन्न-भिन्न प्रजातियों में 2-14 प्रतिशत तक हो सकता है। इसके अलावा ग्लाइकोसाइड स्टेरॉयड इस्ट्रोजन (गर्भाशय उत्तेजक), ग्लुकोज, सुक्रोज़, रेसिन, स्टार्च, उड़नशील तेल प्रोटीन और रंजक तत्व भी पाए जाते हैं। आइसोलिक्विरिटन ग्लाइकोसाइड मुलेठी में 2.2 प्रतिशत होने के कारण जड़ का रंग अंदर से पीलापन लिए होता है। यह मुख की लार ग्रंथियों को उतेजित व खाद्य पदार्थों के पाचन में मदद करता है।
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मुलेठी के हानिकारक प्रभाव या साइड इफ़ेक्ट Mulethi Ke Side Effects
गुर्दा और प्लीहा के लिए मुलेठी हानिकारक होती है। यदि अधिक मात्रा में सेवन करने से इसके दुष्परिणाम दिखाई पड़ें, तो गुलाब के फूल का सेवन कराएं |
मुलेठी का विभिन्न रोगों में प्रयोग Mulethi Benefits – Fayde Hindi Me
1. मुंह के छाले (Muh Ke Chhale Ka ilaj): मुलेठी की जड़ का टुकड़ा शहद लगाकर चूसते रहें। लाभ होगा। पेट, आंत के छाले (अल्सर) : जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करते रहने से अल्सर के घाव कुछ ही हफ्तों में भर जाएंगे। मिर्च-मसालों से परहेज रखना जरूरी है।
2. पेट दर्द (Pet Ke Dard Ka Upchar): पेट और आंतों की ऐंठन व क्षोभ से उत्पन्न दर्द में जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करें।
3. हिचकी (Hichki Aane Par Mulethi Choose): जड़ के टुकड़े को चूसते रहने से हिचकी दूर होगी।
4. नेत्र विकार (Ankhon Ke Roho Ka Upchar Meulethi Se): जड़ के चूर्ण में समभाग सौंफ का चूर्ण मिला लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार खाने से कुछ ही दिनों में आंखों की जलन, ज्योति की कमी दूर होगी।
5. सिर दर्द (Sir Me Dard Hoen par): बीजों को पीसकर सूघने से सर्दी-जुकाम से उत्पन्न सिर दर्द में आराम मिलेगा।
6. मिर्गी के दौरे में (Mirgi Ka Daura padne par): जड़ के महीन चूर्ण को घी में मिलाकर चटाने से दौरे में लाभ होगा।
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7. दुग्धवर्द्धन के लिए (Mahlion Ka Doodh Badhane Ke Liye): 2 चम्मच जड़ का चूर्ण और 3 चम्मच शतावर का चूर्ण एक कप दूध में मिलाकर उबालें। जब दूध आधा रह जाए, तो इसे आधा सुबह और आधा शाम को एक कप दूध के साथ पिलाएं। कुछ दिनों में ही अधिक दूध आने लगेगा।
8. रक्त वमन होने पर (Khoon Ki Ulti Hone Par): एक चम्मच जड़ का महीन चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम दें।
9. बलवर्धन हेतु : एक चम्मच जड़ का चूर्ण आधा चम्मच शहद और एक चम्मच घी के साथ मिलाकर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम रोजाना 5-6 हफ्ते तक सेवन करें।
10. शारीरिक जलन (Body Me Jalan Hone Par): लाल चंदन और मुलेठी समभाग पानी में पीसकर बने लेप को हाथ-पैर की जलन पर कुछ समय लगाकर रखें।
11. खांसी में (Khansi Ke Upchar): मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहें, राहत मिलेगी।
12. पेशाब में जलन (Peshab Me Jalan) : जड़ का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ लें।