नारायण कार्तिकेयन का जीवन परिचय Narain Karthikeyan Biography In Hindi

Narain Karthikeyan Biography In Hindi

नारायण कार्तिकेयन का जीवन परिचय (Narain Karthikeyan Biography In Hindi Language)

Narain Karthikeyan Biography In Hindi

नाम : नारायण कार्तिकेयन
जन्म : 14 जनवरी, 1977
जन्मस्थान : कोयंबटूर (तमिलनाडु)

नारायण कार्तिकेयन विश्व में भारत के सबसे तेज फार्मूला वन ड्राइवर के रूप में जाने जाते हैं । इस बात को ब्रिटिश मोटरिंग प्रेस द्वारा भी स्वीकार किया गया है । नारायण कार्तिकेयन का पूरा नाम कुमार राम नारायण कार्तिकेयन है । आज वह युवाओं के गति का प्रतीक हैं और खिलाड़ी के रूप में एक आदर्श हैं ।

नारायण कार्तिकेयन का जीवन परिचय (Narain Karthikeyan Biography In Hindi)

नारायण के पिता जी.आर. कार्तिकेयन पूर्व भारतीय राष्ट्रीय रैली चैंपियन हैं । इसी कारण नारायण की कार के खेलों में रुचि बचपन से ही जागृत हो गई थी । उनका सपना था भारत का प्रथम फार्मूला वन ड्राइवर बनना और उन्होंने उस स्वप्न को जल्दी ही पूरा कर दिखाया ।

नारायण की पहली रेस चेन्नई के पास श्री पेरम्बूर में हुई जिसका नाम था ‘फार्मूला मारुति’ । मात्र 16 वर्ष की आयु में भाग लेकर नारायण ने विजेता बन कर दिखाया । उन्होंने फ्रांस के एल्फ विन्फील्ड रेसिंग स्कूल से ट्रेनिंग ली और 1992 को फार्मूला रिनॉल्ट कार की पायलट एल्फ प्रतियोगिता में सेमी फाइनलिस्ट बने ।

1993 में नारायण फार्मूला मारुति रेस में भाग लेने भारत आए । उन्होंने ‘फार्मूला वॉक्सहाल जूनियर चैंपियनशिप’ में ब्रिटेन में भी भाग लिया । यूरोपीय रेसिंग में अनुभव के बाद 1994 में ‘फार्मूला फोर्ड जेटी सीरीज’ में फाउंडेशन रेसिंग टीम में नम्बर दो ड्राइवर के रूप में उन्होंने ब्रिटेन में भाग लिया । उसी वर्ष एस्टोरिल रेस में वह जीत गए । वह ‘ब्रिटिश फार्मूला फोर्ड सीरीज’ में यूरोप में चैंपियनशिप जीतने वाले प्रथम भारतीय बने । इसके पश्चात् नारायण कार्तिकेयन ने ‘फार्मूला एशिया चैंपियनशिप’ की ओर रुख किया । 1995 में उन्होंने कार रेस में भाग लिया और अपनी काबिलियत को साबित किया । मलेशिया के शाह आलम में उन्होंने द्वितीय रहकर अपना प्रभाव छोड़ा । 1996 का वर्ष उन्होंने फार्मूला वन रेसों में ही बिताया और सभी प्रतियोगिताओं में भाग लिया । फार्मूला एशिया इन्टरनेशनल सीरीज में जीतने वाले वह प्रथम भारतीय ही नहीं प्रथम एशियाई भी थे ।

1997 में नारायण पुन: ब्रिटेन लौट गए ताकि ब्रिटिश फार्मूला ओपेल चैंपियनशिप में भाग ले सकें । इसमें उन्होंने पोल पोजीशन में भाग लिया और डोमिंगटन पार्क में जीत हासिल की । अंकों के मामले में ओवरआल उन्होंने छठा स्थान प्राप्त किया । 1998 में नारायण ने ब्रिटिश फार्मूला थ्री चैंपियनशिप में पहली बार भाग लिया उनके साथ कार्लिन मोटर स्पोर्ट टीम भी थी । उन्हें अगले तीन वर्षों तक इसी टीम के साथ थोड़ी-बहुत सफलता हासिल होती रही । उस वर्ष की दो रेसों के फाइनल में उन्होंने दूसरा-तीसरा स्थान प्राप्त किया । इन रेसों में उन्होंने स्पा फ्रेंकर चैम्पस एंड सिल्वर स्टोन में केवल 10 राउंड में भाग लिया था । वह ओवरऑल मुकाबले में 12 स्थान पर रहे ।

1999 में नारायण ने पांच बार चैंपियनशिप जीती जिसमें से दो बार ब्रांड्‌स हैच रेस में विजयी रहे । वह दो बार पोल पोजीशन, तीन बार सबसे तेज लैप, दो लैप का रिकॉर्ड बनाने में सफल रहे । इस वर्ष वह 30 ड्राइवरों के बीच चैंपियनशिप मुकाबले में छठे स्थान पर रहे । मकाऊ ग्रैंड प्रिक्स में वह छठे स्थान पर रहे ।

2000 में उन्होंने ब्रिटिश एफ 3 चैंपियनशिप मुकाबले में भाग लिया और चौथे स्थान पर रहे । स्पा फ्रेंकर चैंप्स बेल्जियम और कोरियाई सुपर प्रिक्स की अन्तरराष्ट्रीय रेस में भी वह पोडियम तक पहुंचने में सफल रहे । 2001 में नारायण ने फार्मूला निप्पन एक 3000 चैंपियनशिप में भाग लिया और प्रथम दस डाइवरों के बीच स्थान प्राप्त किया । 2001 में ही उन्होंने 14 जून को सिल्वरटोन के फार्मूला वन कार की जगुआर रेसिंग में भाग लिया और वह इसमें टेस्ट ड्रा करने वाले वह प्रथम भारतीय बने । उनकी परफार्मेंस से प्रभावित होकर उन्हें सिल्वरटोन के बेंसन एंड हेजेज जार्डन हांडा ईजे 11 में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया ।

2002 में नारायण ने टीम टाटा आर सी मोटर स्पोर्ट के साथ पोल पोजीशन लेकर टेलीफोनिका वर्ल्ड सीरीज में भाग लिया । उन्होंने ब्राजील के इन्टरलागोस सर्किट में सबसे तेज नान एफ वन लैप टाइम का रिकॉर्ड बनाया । 2003 में निसान की वर्ल्ड सीरीज में भाग लेते हुए कार्तिकेयन ने मिनार्डी टीक से दो रेस जीतीं और चैंपियनशिप में ओवरऑल चौथा स्थान प्राप्त किया ।

2004 में नारायण को रेस ड्राइव के लिए आमंत्रित किया गया परन्तु वह स्पांसरशिप फंड इकट्ठा न कर पाने के कारण इसमें भाग नहीं ले सके । वह निसान की वर्ल्ड सीरीज में भाग लेते रहे और स्पेन के वेलेन्सिया और फ्रांस के मैग्नी कोर्स में दो बार जीतने में सफल रहे ।

2005 में नारायण ने जार्डन फार्मूला वन टीम के साथ करार किया और वह भारत के प्रथम फार्मूला वन रैंकिंग ड्राइवर बन गए । मेलबर्न में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन शंघाई के ग्रैंड प्रिक्स में उनकी रेस क्रेश के साथ समाप्त हुई । 2005 के अंत तक जार्डन टीम को मिडलैंड ने टेकओवर कर लिया । लेकिन नारायण बड़ी राशि न देने के कारण इसके सदस्य नहीं बन सके ।

जनवरी 2006 में नारायण विलियम्स टेस्ट ड्राइवर के रूप में चौथे स्थान पर चुने गए । 2007 में वह विलियम्स के साथ ही रहे और उनका तीसरे स्थान पर प्रोमोशन कर दिया गया । नारायण मानते हैं कि विलियम्स में रेस ड्राइवर के स्थान पर टेस्ट ड्राइवर के रूप में भाग लेना उनके लिए फार्मूला वन टेक्नोलाजी के लिए अच्छा रहा ।

कार रेसिंग के अतिरिक्त नारायण कार्तिकेयन को ट्रैप एंड स्कीट शूटिंग, फ़ोटोग्राफी व टेनिस का शौक है । वह स्वयं को फिट रखने के लिए योग तथा मेडिटेशन करते रहते हैं । उनका एक उद्योगपति की बेटी पवर्णा से विवाह हुआ है । नारायण भारत के प्रथम फार्मूला वन रेसर ड्राइवर बनने का स्वप्न पूरा कर चुके हैं । उन्होंने कोयम्बटूर में ‘स्पीड एन कार रेसिंग’ नाम की मोटर रेसिंग अकादमी खोली है जिसमें वह अपने जैसे रेसिंग के शौकीन युवा भारतीयों को ट्रेनिंग देते हैं ।

उपलब्धियां :

नारायण कार्तिकेयन भारत के प्रथम फार्मूला वन कार ड्राइवर हैं |

उन्होंने 16 वर्ष की आयु में चेन्नई में फार्मूला मारुती में भाग लेकर विजय प्राप्त की ।

1992 में वह फार्मूला रिनाल्ट कार की पायलट एल्फ प्रतियोगिता में सेमी फाइनल तक पहुंचे ।

1995 में ‘फार्मूला एशिया चैंपियनशिप’ में वह द्वितीय स्थान पर रहे ।

1996 में नारायण ‘एशिया इंटरनेशनल सीरीज’ जीतने वाले प्रथम भारतीय ही नहीं, प्रथम एशियाई थे ।

1997 के ‘ब्रिटिश फार्मूला ओपेल चैंपियनशिप’ में उन्होंने डेमिंगटन में पोल पोजीशन लेकर जीत हासिल की ।

2001 में नारायण फार्मूला निप्पन एफ 3000 चैंपियनशिप मुकाबले में प्रथम दस लोगों में अपना स्थान बना सके ।

2005 में नारायण जार्डन फार्मूला वन टीम के सदस्य बने और भारत प्रथम फार्मूला वन ड्राइवर बने ।

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