
नीलम जसवन्त सिंह का जीवन परिचय (Neelam Jaswant Singh Biography In Hindi Language)
नाम : नीलम जसवन्त सिंह
जन्म : 8 जनवरी, 1971
जन्मस्थान : ग्राम जुलाना (हरियाणा)
नीलम जसवन्त सिंह देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में से एक हैं | उन्होंने पहले जूनियर स्तर पर, फिर सीनियर स्तर पर अपनी श्रेष्ठता साबित की है | वह सबसे अधिक वर्षों तक राष्ट्रीय चैंपियन रही हैं | उन्हें 1996 में पंजाब सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया था 1998 में भारत सरकार ने उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया।
नीलम जसवन्त सिंह का जीवन परिचय (Neelam Jaswant Singh Biography In Hindi)
नीलम जसवन्त सिंह ‘डिस्कस थ्रो’ (चक्का फेंक) की भारत की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक रहीं । उनका जन्म हरियाणा के जुलाना (जींद) गाँव में हुआ था । नीलम 1986 से जूनियर स्तर एथलेटिक्स में भाग लेकर विजय प्राप्त करती रहीं, बाद में सीनियर स्तर पर भी सफलता अर्जित की । वह आज भी देश में राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में सक्रिय हैं ।
वह जुलाना के सरकारी स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात सरकारी महिला कालेज पटियाला में पढ़ने चली गईं । उन्होंने सर्वप्रथम प्रसिद्धि तब पाई जब वह 1986 में देल्ली में हुए स्कूल खेलों में नया रिकार्ड स्थापित करके विजेता बनीं | इसके पश्चात् हिसार में जूनियर राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता जकार्ता के एशियाई फील्ड एंड ट्रैक मीट में नीलम ने कांस्य पदक जीता । बहुत कम एथलीटों को शुरुआत में इतनी सफलता मिल पाती है जितनी नीलम को मिलती गई |
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नीलम हर प्रतियोगिता में अपने खेल स्तर में सुधार करती गईं और जूनियर स्तर पर ही आगे बढ़ती गईं | 1988 में नीलम ने सिंगापुर में हुई एशियाई जूनियर ट्रैक एंड फील्ड मीट में दूसरी बार भाग लिया । इसके पश्चात् उनका कड़ा मुकाबला सीनियर स्तर पर आरम्भ हुआ । 1989 में उन्होंने दिल्ली में ए.टी.एफ. सीनियर वर्गों में भाग लिया और वह चौथे स्थान पर रह गईं । फिर 1989 में ही उन्होंने इस्लामाबाद में हुए सैफ खेलों में भाग लिया और वहाँ उन्होंने स्वर्ण पदक जीता ।
इस विजय के पश्चात् उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
नीलम की सफलता का राज उनका दृढ़ निश्चय व आगे बढ़ने की हिम्मत है । इसी कारण वह हर अगली प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करती चली गई हैं । शुरुआत में वह 50 मीटर तक चक्का फेंकती रही थीं जो 1997 तक 50.66 मीटर तक पहुंच चुका था । धीरे-धीरे वह अपने प्रसिद्ध चीनी प्रतिद्वन्द्वियों को भी हराती गईं ।
पहले नीलम ने 1995 में चेन्नई में हुए सैफ खेलों में 50.96 मीटर चक्का फेंक कर स्वर्ण पदक जीता था फिर उन्होंने 1996 में अपनी मेहनत व अभ्यास के दम पर चक्का तीन मीटर अधिक दूरी तक फेंका । 1997 में उनके कैरियर का सर्वश्रेष्ठ 50.66 मीटर की दूरी तक चक्का पहुंचा ।
1998 में नीलम ने अपना रिकार्ड बढ़ाते हुए चक्का 57.94 की दूरी तक फेंका । अगली प्रतियोगिता में भारत में उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप, फ्यूकोका (जापान) में अपने सर्वश्रेष्ठ से थोड़ा पीछे रह कर भी चक्का 59.19 मीटर की दूरी तक फेंका और रजत पदक प्राप्त किया ।
1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में नीलम ने कांस्य पदक जीता । 1998 के ही कसानोवा इन्टरनेशनल एथलीट मीट, अलमाटी कजाकिस्तान में स्वर्ण पदक प्राप्त किया । 1999 में त्रिवेन्द्रम में हुए राष्ट्रीय खेलों में नीलम ने अपना चक्का फेंक का रिकार्ड 60.28 मीटर तक कर दिखाया ।
अगस्त, 2000 में नीलम ने जकार्ता के एशियाई ट्रैक एंड फील्ड में स्वर्ण पदक प्राप्त किया लेकिन सिडनी ओलंपिक में नीलम ने सभी को निराश किया, जब वह अपना चक्का 55.26 मीटर तक ही फेंक सकीं ।
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नीलम ने अपने कोच जसवन्त सिंह से विवाह किया है । नीलम कपूरथला की रेलवे कोच फैक्टरी में कार्यरत हैं । 1996 में पंजाब सरकार ने उन्हें पुरस्कृत किया था । 1998 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया ।
उपलब्धियां :
1. नीलम जसवन्त सिंह चक्का फ़ेंक प्रतियोगिता (डिस्कस थ्रो) में भारत की सर्वश्रेष्ठ खिलाडियों में गिनी जाती हैं |
2. 1986 में नया रिकार्ड बनाते हुए दिल्ली में उन्होंने जूनियर स्तर पर नया रिकार्ड कायम किया ।
3. उसके बाद हिसार जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक ।
4. जकार्ता की एशियाई जूनियर ट्रेक एंड फील्ड मीट में नीलम ने कांस्य पदक जीता |
5. 1989 में इस्लामाबाद के सैफ खेलों में नीलम ने 50.96 मीटर चक्का फ़ेंक कर स्वर्ण पदक जीता |
6. 1998 में उन्होंने फ्यूकोका (जापान) में हुई एशियाई चैंपियनशिप में 59.19 मीटर चक्का फ़ेंक कर रजत पदक प्राप्त किया |
7. 1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता |
8. कसानोवा इन्टरनेशनल एथलीट मीट, अलमाटी (कजाकिस्तान) में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता |
9. 1999 में उन्होंने अपना प्रदर्शन बेहतर करते हुए त्रिवेन्द्रम में नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया और 60.28 मीटर की दूरी तक चक्का फेंका |
10. 1996 में पंजाब सरकार ने उन्हें पुरस्कृत किया |
11. 1998 में भारत सरकार ने उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया |
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