नीम के फायदे और नुकसान हिंदी में – Neem Ke Fayde Aur Nuksan Benefit Hindi

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नीम के फायदे और नुकसान हिंदी में – Neem Ke Fayde Aur Nuksan Benefit Hindi Me

इसका वृक्ष सारे भारत में बहुतायत में मिलता है। नीम तीन प्रकार का होता है। पहला सर्वत्र पाया जाने वाला, दूसरा महानीम (बकायन) (Meliaazadirachta), जिसमें फल गुच्छों के रूप में और पत्तियां कुछ बड़े आकार की होती हैं, तीसरा मीठा नीम  (Murraya koenigil spreng), जिसकी पत्तियां कढ़ी में डाली जाती हैं।

सामान्य नीम का वृक्ष 40 से 50 फुट ऊचा होता है। अनेक शाखाओं, प्रशाखाओं में विभक्त वृक्ष टहनियों के कारण यह सघन और छायादार बन जाता है। तना मोटा और छालयुक्त होता है। पते 9 से 15 की संख्या में एक दूसरे के सामने 1 से 3 इंच लंबे और आधे से डेढ़ इंच चौड़े, नुकीले, दंतुर होते हैं। सफेद रंग के छोटे-छोटे पुष्प मंजरियों में लगते हैं।

फल अंडाकार, गोल, कच्चे, हरे और पकने पर पीले रंग के लगते हैं, जिन्हें आम भाषा में निम्बोली के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक निम्बोली से एक बीज निकलता है, जिससे तेल प्राप्त होता है। वृक्ष के सारे अंग स्वाद में कड़वे होते हैं। वसंत ऋतु में तांबे के समान नए पते आते हैं, जबकि ग्रीष्म ऋतु में पत्तियां झड़ जाती हैं। वृक्ष के तने से गोंद भी प्राप्त होता है, जो पानी में घुल जाता है। औषधि के रूप में नीम के सारे अंग काम में आते हैं।

यहाँ पर आप ये जानेंगे

  1. बवासीर के लिए नीम Neem For Hemorrhoids
  2. दाद होने पर नीम से ईलाज Neem Treatment To The Ringworm
  3. कान का दर्द के लिए नीम Neem For Earache
  4. स्तनों का दूध सुखाने के लिए नीम Neem To Dry Milk Of Breasts
  5. फोड़े-फुसी और घाव होने पर नीम से उपचार Neem Treatment With Abscesses And Wounds
  6. ज्वर, मलेरिया में नीम का सेवन Neem Intake In Fever, Malaria
  7. दांत और मसूड़ों के रोग में नीम का उपयोग Neem Use In Tooth And Gum Disease
  8. गर्भ निरोध हेतु नीम Neem For Pregnancy
  9. सिर दर्द होने पर नीम Neem On Headache
  10. बालों की जुएं दूर करने के लिए नीम Neem To Remove Hair Yoke
  11. रक्त विकार में नीम Neem In Blood Disorder
  12. मुंह के छाले  के लिए नीम लाभकारी Neem Beneficial For Mouth Ulcers
  13. कुष्ठ रोग में नीम का सेवन Neem Intake In Leprosy
  14. कृमि रोग में नीम का सेवन Neem Intake In Worm Disease

नीम के विभिन्न भाषाओं में नाम Names In Different Languages Of Neem

  • संस्कृत में (Neem In Sanskrit) – निम्ब।
  • हिंदी में (Neem In HINDI) – नीम ।
  • मराठी में (Neem In Marathi) – कडूनिम्ब।
  • गुजराती में (Neem In  Gujarati) – लीमडी।
  • बंगाली में (Neem In Bangali) – निमगा ।
  • अंग्रेज़ी में (Neem In English) – नीम ट्री (NeemTree)  मगोंसा ट्री (Margosa Tree) |
  • लैटिन में (Neem In Latin) – एज़ाडिरेक्टा इण्डिका (Azadirachta Indica)

नीम के गुण और लाभ Neem Properties And Benefits

आयुर्वेदिक मतानुसार नीम गुण में हलका, ग्राही, रस में कटु, तिक्त, कषाय, तासीर में शीतल, विपाक में कटु, वात, पित्त और कफ़नाशक, रक्तशोधक, त्वचा रोग नाशक, कीटाणुनाशक होता है। यह मलेरिया, दंत रोग, कब्ज़, पीलिया, बालों के रोग, कुष्ठ, दाह, रक्त पित्त, सिर दर्द, नेत्र रोग, प्रदर आदि में गुणकारी होता है।

यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार नीम पहले दर्जे की गर्म और खुश्क होती है। अन्य मतानुसार यह पहले दर्जे की सर्द और खुश्क होती है। नीम का गोंद खून की गति को बढ़ाने वाला रक्तशोधक होता है। उपदंश और कुष्ठ की यह उत्तम औषधि है। होम्योपैथिक मतानुसार नीम पुराने जीर्ण रोगों की उत्तम दवा है। त्वचा रोग, कुष्ठ, कुनैन के दुष्प्रभावों को नष्ट करने में यह कारगर औषधि है।

वैज्ञानिक मतानुसार नीम के रासायनिक तत्वों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसकी छाल और पत्तों में कड़वा पदार्थ मार्गोसीन, सोडियम मार्गोसेट, निम्बिडिन, निम्बोस्टेरोल, निम्बिनिन, स्टियरिक एसिड, ओलिव एसिड, पामिटिक) एसिड, उड़नशील तेल और टैनिन पाया जाता है। बीजों से प्राप्त स्थिर तेल 45 प्रतिशत निकलता है, जिसमें गंधक, राल, एल्केलाइड, ग्लूकोसाइड और वसा अम्ल पाए जाते हैं। अल्प मात्रा में लोहा, कैल्शियम और पोटेशियम के लवण भी उपस्थित होते हैं।

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नीम का तेल गंध व स्वाद में कड़वा होता है, जो अनेक प्रकार के कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता रखता है। यह वातहर, व्रणशोधक, गर्भरोधक, दुर्गन्धनाशक, उत्तेजक, पायरिया, कुष्ठ, शीतपित्त में काफी गुणकारी होता है। आग से जली त्वचा के घावों पर लगाने से वे शीघ्र ठीक हो जाते हैं। नीम की गोंद में 26 प्रतिशत पेन्टोसन्स, 12 प्रतिशत गेलेक्टीन व अल्प मात्रा में अन्य प्रकार के अल्ब्यूमिन्स, ऑक्साइड्स भी पाए जाते हैं।

नीम के हानिकारक प्रभाव Harmful Effects Of Neem (Nuksan)

हालाकि नीम के बहुत सारे फायदे हैं और इसी कारण से इसके नुकसान को कोई अधिक महत्व नहीं देता है | लेकिन इसके कुछ नुक्सान भी हैं| जैसे – नीम का सेवन रुक्ष प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक होता है। जिनकी कामशक्ति निर्बल हो, उन्हें भी नीम का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए।

नीम के विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलु नुस्खे Use And Home Remedies In Various Diseases Of Neem

1. बवासीर के लिए नीम Neem For Hemorrhoids :

नीम और कनेर के पत्तों को समभाग लेकर पीस लें। तैयार लुगदी को गुदा पर लगाकर लंगोट बांधने से कुछ दिनों में मस्सों का कष्ट कम होगा। नीम का तेल भी मस्सों पर लगाना गुणकारी होता है।

2. दाद होने पर नीम से ईलाज Neem Treatment To The Ringworm :

जैसा कि आप जानते हैं कि नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण पाये जाते हैं | अतः यह त्वचा सम्बन्धी रोगों को ठीक करने में सहायक है |यदि को दाद की समस्या है तो उसमें नीम बहुत लाभकारी है | नीम के पत्तों को दही में पीसकर 2-3 बार नियमित रूप से दाद पर लगाएं। एक सप्ताह में दाद की समस्या समाप्त होने लगती है |

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3. कान का दर्द के लिए नीम Kaan Ke Dard Me Neem Ka Prayog

नीम अपने एंटीबैक्टीरियल गुण के कारण कान के रोगों के लिए भी लाभकारी है | कान के दर्द के लिए नीम के तेल का उपयोग किया जाता है | नीम का तेल गुनगुना गर्म कर 2-3 बूंद टपकाने से कान दर्द दूर होगा। ध्यान रहे कि तेल अधिक गर्म नहीं हो, वर्ना कान का पर्दा जल सकता है |

4. स्तनों का दूध सुखाने के लिए नीम Neem To Dry Milk Of Breasts

यह बहुत दुखद परिस्थिति होती है | शिशु की मौत के बाद स्तनों के दूध को सुखाने के लिए निम्बोलियों का गूदा पीसकर गाढ़ा लेप दिन में 3 बार लगाकर ऊपर से ढीली ब्रा पहना दें। दो घंटे बाद पानी से साफ कर दें। नियमित प्रयोग से पूर्ण लाभ होगा।

5. फोड़े-फुसी और घाव होने पर नीम से उपचार fode – funsi Aur Ghaav ka Neem Se Upchar

नीम के एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण इसे कई प्रकार से प्रयोग किया जाता है | फोड़े-फुसी और घाव को ठीक करने के लिए यह बहुत लाभकारी है | नीम के पते, छाल और निम्बोली समभाग पीसकर बने लेप को दिन में 3 बार लगाने से फोड़े-फुसी और घाव शीघ्र ठीक हो जाते हैं।

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6. ज्वर, मलेरिया में नीम का सेवन Neem Intake In Fever, Malaria :

नीम के पते, निम्बोली, काली मिर्च, तुलसी, सोंठ, चिरायता सभी समभाग मिलाकर एक गिलास पानी में इतना उबालें कि आधा पानी उड़ जाए । फिर छानकर एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पिलाएँ।

7. दांत और मसूड़ों के रोग में नीम का उपयोग Neem Use In Tooth And Gum Disease :

नीम के फूलों से बने काढ़े से दिन में 3 बार गरारे करें और पतली टहनी को दांतों से चबा-चबाकर सुबह-शाम दातुन करते रहने से दांत और मसूड़ों के समस्त रोगों में आराम मिलेगा।

8. गर्भ निरोध हेतु नीम Garbh Nirodh Ke Liye Neem ka Prayog (Anti – Pregnancy)

नीम को  गर्भ निरोध के रूप में भे इस्तेमाल किया जाता है | इसका तेल इसमें प्रभावकारी होता है | नीम के तेल में भिगोई रूई का फोहा तर करके योनि में संभोग के पहले रखने से गर्भ स्थापना की संभावना नगण्य होती है।

9. सिर दर्द होने पर नीम Neem On Headache :

सिर में दर्द होने पर नीम एक पप्रभावी औषधि है | इसके लिए नीम की ताजी पत्तियां लें और उन्हें पीस लें और इसका रस निकाल लें | रस की 2-3 बूंद की मात्रा में नाक में टपकाने से सिर दर्द में लाभ होगा।

10. बालों की जुएं दूर करने के लिए नीम Neem To Remove Hair Yoke :

रात्रि में सोने से पूर्व बालों की जड़ों में उंगलियां घुमा-घुमाकर नीम का तेल लगाएं और सुबह नीम वाले साबुन से सिर धो लें। कुछ दिन नियमित प्रयोग करने से सारी जुएं और लीख दूर हो जाएंगी।

11. रक्त विकार में नीम Neem In Blood Disorder :

दूषित रक्त को शुद्ध करने के लिए नीम के पुष्पों का चूर्ण आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम नियमित सेवन करें और दोपहर को 2 चम्मच नीम के पत्तों का रस एक बार लें। सभी त्वचा रोगों में इससे आश्चर्यजनक लाभ होगा।

12. मुंह के छाले  के लिए नीम लाभकारी Neem Beneficial For Mouth Ulcers :

नीम की नई कोमल पत्तियां दिन में 3-4 बार चबाने से लाभ होगा। तथा रोजाना चबाने  से भी मुँह से बदबू भी नही आती है |

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13. कुष्ठ रोग में नीम का सेवन Neem iIntake In Leprosy :

नीम के सूखे पत्तों का चूर्ण और सम भाग हरड़ का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में 4-6 हफ्ते सुबह-शाम नियमित सेवन करने से रोग दूर होगा।

14. कृमि रोग में नीम का सेवन Neem Intake In Worm Disease :

पेट के कृमियों को नष्ट करने के लिए पत्तों के 2 चम्मच रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सोते समय कुछ दिन नियमित सेवन करें।

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