पालागम्मी साईनाथ का जीवन परिचय Palagummi Sainath Biography In Hindi

Palagummi Sainath Biography In Hindi

पालागम्मी साईनाथ का जीवन परिचय (Palagummi Sainath Biography In Hindi Language)

Palagummi Sainath Biography In Hindi

नाम : पालागम्मी साईनाथ
जन्म : 1957
जन्मस्थान : (आन्ध्र प्रदेश)
उपलब्धियां : मैग्सेसे पुरस्कार (2007) |

देश की सच्ची और ठीक समय पर, स्थिति सामने लाना पत्रकारिता की मूल जिम्मेदारी है । वह लगातार और बिना समय गँवाए दिन-रात लग कर देश का सच्चा हाल उन सबके सामने रखती है, जिनको उनमें सुधार लाना है या उन पर काबू करना है । पालागम्मी साईनाथ ने प्रौढ़ और परिपक्व पत्रकार के रूप में देश की ताजा पत्रकारिता के बारे में यह धारणा बनाई कि वह अपनी जिम्मेदारी से चूक रही है और केवल बड़े उद्योगपतियों तथा बड़े सरकारी अधिकारियों के लिए काम कर रही है । इस एहसास के साथ साईनाथ ने पत्रकारिता की यह जिम्मेदारी अपने कँधे पर उठा ली । उनकी नजर में ग्रामीण निर्धन लोगों की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय थी और तुरन्त ध्यान देने की माँग करती थी | साईनाथ ने संघर्षपूर्वक अपनी सूझबूझ भरी क्षमता से, इनका हाल पहली जरूरत की तरह खुलकर उजागर किया और प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूर किया कि वह इस पर कार्यवाही शुरू करे । पी. साईनाथ के इस दायित्वपूर्ण काम के लिए उन्हें वर्ष  2007 का मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया ।

पालागम्मी साईनाथ का जीवन परिचय (Palagummi Sainath Biography In Hindi)

पालागम्मी साईनाथ का जन्म 1957 में आन्ध्र प्रदेश में हुआ था । भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति वी.वी. गिरी इनके दादा जी थे । साईनाथ की पढ़ाई मद्रास (अब चेन्नई) के लोयोला कॉलेज में हुई थी । वहाँ से वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली आए, जहाँ से इन्होंने इतिहास में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की । साईनाथ जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) एक्सीक्यूटिव काउन्सिल के सदस्य भी रहे ।

1980 में साईनाथ ने पत्रकारिता से अपना जीवन शुरू किया और ‘यूनाइटेड न्यूज ऑफ इण्डिया’ में लग गए । यहाँ काम करते हुए इन्हें किसी भी पत्रकार को मिलनेवाला सबसे बड़ा पुरस्कार दिया गया ।

इसे भी पढ़ें :- चंडी प्रसाद भट्ट का जीवन परिचय

यूनाइटेड इण्डिया से वह ‘ब्लिट्‌ज’ में चले आए, जो मुम्बई से प्रकाशित होने वाला एक महत्त्वपूर्ण साप्ताहिक पत्र था और उसकी प्रसार संख्या 6 लाख गिनी जाती थी । यहाँ उन्होंने पहले-पहल विदेशी मामलों का सम्पादन विभाग सम्भाला । फिर वह पत्र के उपसम्पादक हो गए । पी. साईनाथ का जुड़ाव ब्लिट्‌ज से दस वर्ष तक रहा ।

ब्लिट्‌ज से साईनाथ सोफिया पालिटेक्निक के स्पेशल मीडिया कोर्स के अतिथि प्रवक्ता (विजिटिंग फैकल्टी) हो गए, यहाँ से युवा महिला पत्रकारों की श्रृंखला देश को मिल रही है । इस संस्थान से साईनाथ का जुड़ाव अब भी बना हुआ है ।

अपने अनुभव बटोरने के दौर में साईनाथ ने बहुत सी ऐसी स्थितियों का सामना किया, जिन्होंने इन्हें गढ़ने में अपना बहुत योगदान दिया । इन्होंने देश के दस सूखा पीड़ित राज्यों को घूमकर गहराई से देखा और उन्हें उनके बारे में बहुत कुछ ऐसा पता चला, जो उन्हें बेचैन कर गया । उनकी यह बेचैनी और उनकी यह जानकारी समय-समय पर, अलग-अलग माध्यम से सामने आती रही है । इस अनुभव से उन्हें न केवल अकाल, भूख से तथा व्यवस्था का सम्बन्ध समझ में आया, बल्कि उन्होंने पत्रकारिता के सम्बन्ध में भी बहुत कुछ जाना जो केवल सतही अध्ययन से नहीं जाना जा सकता । जानकारी के अतिरिक्त पी. साईनाथ के पास जितना कहने को है, उतनी ही, उनमें सही कहने की हिम्मत है । पत्रकारिता के क्षेत्र में, जोकि उनका कार्यक्षेत्र है, उनके पास बहुत है, जो वह कहते और बताते हैं । जैसे :

‘मैंने जान लिया कि पारम्परिक-चालू पत्रकारिता केवल सत्ता के पक्ष में रखी जाने वाली खिदमत है । पत्रकार प्राय: अपनी अन्तिम राय अधिकारियों को देता है । ऐसे माहौल में, कुछ पुरस्कार मेरे काम के लिए घोषित हुए, लेकिन मैंने उन्हें स्वीकार नहीं किया, क्योंकि वह मुझे खुद ही शर्मिंदा करते हुए लगते थे…’ पत्रकारों के बारे में वह बहुत तली से कहते हैं, यहाँ दो तरह के पत्रकार हैं, एक तो जेनुइन पत्रकार दूसरे वह जो केवल स्टेनोग्रॉफर हैं और साहबों से डिक्टेशन लेते हैं । साईनाथ के बारे में 1984 में खाजा अहमद अब्बास ने कहा कि, वह बेहद निर्भीक, अडिग, अथक तथा जुनून-भरे पत्रकार हैं…सबसे बड़ी बात, कि उन्हें भ्रष्ट नहीं किया, जा सकता…अब्बास ने कहा कि यह सिर्फ पी. साईनाथ हैं, जो राजा को नंगा कहने की हिमाकत कर सकते हैं ।

1991 में इन्टरनैशनल मौनीटरी फण्ड द्वारा भारत के आर्थिक सुधार के लिए मनमोहन सिंह ने काम हाथ में लिया । उस समय साईनाथ भी इस प्रोजेक्ट से जुड़े । यह समय साईनाथ की पत्रकारिता में महत्त्वपूर्ण था । उन्हें ऐसा लगा कि पत्रकारों की निगाह, खबरों से ज्यादा ‘मनोरंजन’ पर टिक रही है । वह शहरी अभिजात्य के फैशन, चमक-दमक की ओर ज्यादा झुक रहे हैं और उनका ध्यान देश की गरीबी तथा दूसरे कठिन सवालों से हट रहा है ।

उस दशा में इन्होंने खुलकर कहा कि अगर देश की मुख्य पत्रकारिता की धारा ऊपर के पाँच प्रतिशत लोगों को अपने केन्द्र में रखना चाहती है, तो मैं नीचे से पाँच प्रतिशत लोगों को अपनी पत्रकारिता का विषय बनाऊँगा ।

एक और दृष्टांत उनकी पत्रकारिता तथा उसके सम्बन्ध में उनकी स्पष्ट दृष्टि सामनें लाता है । 1993 में उन्होंने टाइम्स ऑफ इण्डिया में एक फैलोशिप के लिए आवेदन किया । इस बारे में दिए जा रहे इन्टरब्यू में उन्होंने अपनी योजना में ग्रामीण भारत की दशा का हवाला दिया, कि वह इसी विषय को काम के लिए चुनना चाहेंगे । इस पर इन्टरव्यू लेने वाले सम्पादक ने सवाल किया, कि  ‘अगर मैं कहूँ कि मेरे पाठक ऐसे किसी विषय में कतई दिलचस्पी नहीं रखते, तब…?

इस पर साईनाथ ने तुरन्त पलट कर सवाल किया :

‘आपका अपने पाठकों से आखिरी बार आमना-सामना कब हुआ था…जो आप उनकी रुचि के बारे में ऐसा दावा यहाँ बैठे-बैठे कर सकते हैं…?’

पी. साईनाथ को फैलोशिप मिल गई थी और उन्होंने देश के पाँच राज्यों से दस सबसे गरीब जिलों के अध्ययन का काम चुना था ।

इस काम के दौरान पी.साईनाथ ने की देश-भर में एक लाख किलोमीटर यात्रा की, जो सोलह विभिन्न सवारियों से पूरी हुई । इसमें पाँच हजार किमी. पैदल चलना हुआ । उस दौर में, जब पत्रकारिता के क्षेत्र में, टाइम्स ऑफ इण्डिया को पहले पेज से तीसरे पेज (पेज थ्री) पर शिफ्ट होने वाला अखबार कहा जाने लगा था तब पी. साईनाथ की इस फैलोशिप की 84 रिपोर्ट्स अठारह महीनों तक टाइम्स ऑफ इण्डिया में लगातार छपती रहीं थीं । और बाद में वह सामग्री उनकी पुस्तक ‘एवरीबडी लव्स ए गुड ड्राट’ (Everybody loves a good drought) में छपी । लगातार दो वर्षों तक यह किताब हिन्दुस्तान में नम्बर एक पर बनी रही । इसे पेंन्गुइन की ‘आल टाइम बैस्टसैलर’ कहा गया । गैर-सरकारी संगठनों ने इस किताब को अपने लिए एक महत्त्वपूर्ण गाइडबुक माना जिसकी बेबाक सीधे रिपोर्ट देने की शैली तथा विषय पर सटीक नजर इसे नायाब बना गई । इस किताब की जितनी भी रॉयल्टी साईनाथ के नाम आई, उसे उन्होंने नए ग्रामीण पत्रकारों को दिए जाने वाले पुरस्कार के लिए एक फण्ड को सौंप दिया ।

साईनाथ की पत्रकारिता ने बहुत सी संस्थाओं और इकाइयों को वैचारिक रूप से बेचैन किया तथा उन्होंने इससे बहुत कुछ सीखने का मौका पाया । टाइम्स ऑफ इण्डिया ने इनकी रिपोर्टिंग शैली को दूसरे अखबारों के सामने मॉडल के तौर पर रखा, जिसमें गरीबी तथा ग्रामविकास के मुद्दे बेहद साफ होकर सामने आए थे ।

कनाडा के एक डाकुमेंटरी फिल्म निर्माता ने साईनाथ के काम को केन्द्र में रख कर एक फिल्म बनाई ‘ए ट्राइब ऑफ हिज ओन’ । जब एक फिल्म फेस्टीवल में इस फिल्म को पुरस्कार मिला, तो उसके निर्माता ने पुरस्कार लेने जाते समय साईनाथ को साथ चलने का आमन्त्रण दिया क्योंकि यह फिल्म साईनाथ की ही प्रेरणा का नतीजा थी ।

इसे भी पढ़ें :- बी.जी. वर्गीज का जीवन परिचय

पी. साईनाथ को करीब तीस राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार तथा फैलोशिप दी गईं । उन्हें विभिन्न देशी विदेशी यूनिवर्सिंटी से मानद् उपाधियां प्राप्त हुईं ।

आजकल पी. साईनाथ अखबार ‘द हिन्दू’ में ग्रामीण मामलों के सम्पादक हैं ।

Tags : P Sainath, Journalist P Sainath, Palagummi Sainath The Hindu, Palagummi Sainath Biography, P Sainath Biography In Hindi, P Sainath In Hindi.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *