दो मछलियां और एक मेंढक Panchtantra Ki Kahani Story In Hindi

दो मछलियां और एक मेंढक एक झील में रहते थे| दोनों मछलियां बहुत होशियार और गुणवान थीं लेकिन मेंढक सीधा-साधा जीव था| वह बहुत होशियार या गुणवान नहीं था, सामान्य ज्ञान में बड़ा-चढ़ा था| तीनों मित्र झील में कमल के फूलों के पास तैरते और बातचीत करते रहते थे| मछलियां अक्सर मेंढक को अपने गुणों की तारीफ सुनाती रहती और मेंढक चुपचाप सुनता रहता|

एक शाम मछुआरों का समूह झील पर आया| एक मछुआरे ने कहा यह झील मछलियों से भरी है, यदि हम सुबह-सुबह यहां मछली पकड़ने आ जाएं तो टोकरी भर-भर कर मछलियां ले जा सकते हैं, क्योंकि यहां कोई और मछुआरा नहीं आता| सभी मछुआरे उसकी यह सलाह बड़ी आसानी से मान गए|

दोनों मछलियां और मेंढक उनकी यह बात सुनकर बड़ी चिंता में पड़ गए| मेंढक ने घबराकर मछलियों से कहा कि तुमने इनकी बातें सुनी| कल सुबह हम सभी पकड़े जाएंगे इसलिए हमें यहां से जल्द से जल्द भाग जाना चाहिए| तो इस पर मछली ने जवाब दिया कि यह परेशानी वाली बात नहीं है| मुझे नहीं लगता कि हमें यहां से भाग जाना चाहिए| तुम्हें पता नहीं मैं सैकड़ों खूबियों वाली मछली हूं और कोई आम मछुआरा मुझे आसानी से नहीं पकड़ सकता| मैं अपनी होशियारी से अपने आप को बचा लूंगी| मेंढक मछली को देख रहा था तभी दूसरी मछली बोली मैं भी नहीं भाग रही, अगर तुम सैकड़ों खूबियों वाली मछली हो तो मैं हजारों खूबियों वाली मछली हूं| मैं अपनी बुद्धिमत्ता और चालाकी से अपने आप को बचा लूंगी| मैं किसी आम मछुआरे के लिए अपने घर को छोड़कर कहीं जाने वाली नहीं हूं|

‘बहुत अच्छा!’ मेंढक ने आह भर कर कहा – ‘लेकिन मैं अपनी पत्नी के साथ यह डील छोड़कर जा रहा हूं, क्योंकि मुझ में तुम्हारी जैसी खूबियां एक दम नहीं है और मेरा सामान्य ज्ञान यह कहता है कि जब ख़तरा पास हो तो हमें अपने परिवार के साथ किसी सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिए|’

मेंढक और उसकी पत्नी तैरकर पास ही किसी दूसरी झील में चले गए| मछलियां उन्हें दया की तरह देख रही थी| पहली मछली बोली यह कितने बेवकूफ हैं, इतने डरपोक हो कर भाग रहे हैं| अगली सुबह मछुआरे लंबे-चौड़े जाल लेकर झील के किनारे आ गए और उन्हें बार-बार झील में दूर-दूर तक फेकने लगे| उन्होंने सैकड़ों मछलियां पकड़ी| मेंढक की दोनो मित्र मछलियां बचने का उपाय सोचती रही पर वह सफल नहीं हो सकी| वह भी अन्य मछलियों के साथ जाल में फस गई| कछुए और मछलियों के साथ वे भी फंस कर मर गई|

मछुआरे खुशी-खुशी ढेर सारी मछलियां पाकर दूसरी झील के पास से गुजरे, जहाँ मेंढक रह रहे थे| उसने अपनी दोनों मित्र मछलियों को जाल में मरे हुए देखा| वह आह भरकर अपनी पत्नी से बोला था कि काश इन्होने भी मेरी बात मान ली होती| कभी-कभी सामान्यज्ञान सैकड़ों हजारों खूबियों से भी ज्यादा अच्छा होता है| मेरी मित्र सैकड़ों खूबियों वाली थी पर वे खूबियां भी उन्हें मछुआरे के जाल से बचा नहीं पायी|

Tags: Panchtantra Ki Kahani In Hindi, Panchtantra Story In Hindi Language, Panchtantra Story In Hindi Pdf, Panchtantra Story In Hindi With Moral

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *