
Symptoms Before Paralysis Attack in Hindi (Lakwa Kaise Hota Hai) – लकवा एक मस्तिष्क रोग है, जो मस्तिष्क में खून का संचरण पूरी तरह न होने से तथा रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार का रोग या क्षय हो जाने के कारण होता है.
इस रोग में रोगी के शरीर के आधे भाग के अंग ( दायी या बायी तरफ के) अपना कार्य करना बंद कर देते हैं. मुंह आधा टेढ़ा हो जाता है. गर्दन, आंख, नाक, गाल, टेढ़े हो जाते हैं और फड़कने लगते हैं तथा दर्द भी होता है. मुंह से लार गिरने लगती है तथा आवाज नहीं निकल पाती हैं या बदल जाती हैं. रोगी को बोलने में कष्ट होने लगता है. काम करते समय हाथों में सामान छूटना, हाथ पैर का कार्य न करना व कभी कभी पूरा शरीर अकड़ जाता है. रोगी व्यक्ति चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है.
लकवा होने के कारण Lakwa Ka Karan
लकवा होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें प्रमुख हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, बैड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से या कई बार रोगी को कोई लक्षण प्रतीत नहीं होते हैं तो उसको ब्लड क्लाटिंग की वजह से भी लकवा हो सकता है. अधिकतर रोगियों को धमनी और शिरा में खराबी होने के कारण लकवा होता है.
अचानक मस्तिष्क के किसी भाग की ओर जाने वाली रक्त वाहिनियों के फटने और उनके बंद होने के कारण एक या अधिक मांसपेशियों के पूरी तरह से काम करना बंद करने को लकवा या पक्षाघात कहते हैं. सेरेब्रल पल्सी और मोटर न्यूरान बीमारी के कारण, रीढ़ की हड्डी में चोट लगने या किसी रोग के कारण भी लकवा हो सकता है.
लकवा या पक्षाघात के प्रकार Types of Paralysis (Lakwa Ke Laskshan)
1. पूर्ण लकवा – इस प्रकार के लकवा रोग में रोगी का पूरा शरीर कार्य करना बंद कर देता है. रोगी का मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं रहता या मस्तिष्क कार्य करना बंद कर देता है.
2. एकांग लकवा – इस प्रकार के लकवे में रोगी के शरीर का एक हाथ तथा एक पैर प्रभावित होता है.
3. अर्धांग लकवा – इस प्रकार के लकवे में रोगी के शरीर का आधा भाग (दायां या बायां) प्रभावित होता है. इससे संबंधित अंगों में निश्चेतनावस्था (शरीर का आधा भाग कंपकंपाना या सुन्न पड़ जाना) में लकवा होता है. मस्तिष्क के दो भाग होते हैं. यदि दाएं भाग में अटैक आया तो शरीर का बायां भाग कार्य नहीं करता है और यदि बाएं भाग में अटैक हो तो दाएं भाग के अंग कार्य करना बंद कर देते हैं.
4. निम्नागं लकवा – इस प्रकार के लकवे में शरीर क़े नाभि के नीचे का संपूर्ण भाग अर्थात जांघें तथा पैरों के भाग सुन्न हो जाते हैं और कार्य करना बंद कर देते हैं.
5. स्वर तंत्र का लकवा – इस प्रकार के लकवे में रोगी का बोलना आंशिक रूप से बंद हो जाता है क्योंकि रोगी का मुंह वाला भाग सुन्न पड़ जाता है, जिसके कारण उसके बोलने की क्रिया नहीं हो पाती है और वह बोलने में असमर्थ हो जाता है.
6. आवाज का लकवा – इस प्रकार के लकवे के कारण रोगी को बोलने में बहुत कष्ट होता है क्योंकि इस अवस्था में रोगी की जीभ में ऐंठन तथा जकड़न हो जाती हैं.
7. मुंह का लकवा – इस प्रकार के लकवे में रोगी का मुंह तथा चेहरा टेढ़ा हो जाता है, आंखें खुली रहती है. मुंह तथा आंखों से पानी गिरता रहता है.
लकवा से बचने के उपाय Lakwa Se Bachne Ke Upay
- व्यक्ति को तनाव मुक्त रहना चाहिए. उसके लिए प्रतिदिन या सप्ताह में पाँच दिन योगासन, प्राणायाम, मेडिटेशन (ध्यान), प्रातः काल खुले वातावरण में 30-40 मिनट या 4 से 5 किलो मीटर तक टहलना जरूरी है.
- प्रत्येक व्यक्ति को ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखना चाहिए. खान पान संतुलित रखते हुए बाहर के तले भुने या अधिक तेज मसले युक्त भोजन से बचना चाहिए.
- व्यक्ति को खानपान द्वारा व शारीरिक अभ्यास द्वारा ब्रैड कोलेस्ट्रॉल से बचना चाहिए. खाने में प्रतिदिन लहसुन, अलसी के बीज, अदरक, मेथी आदि का सेवन करना चाहिए.
लकवा का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार Lakwa Ka Ayurvedic Gharelu Upchar
Gharelu Nuskha #1 – 250 ग्राम लहसुन को 1 किलो सरसों के तेल के साथ कड़ाही में डालकर उबाल लें. जब तेल और लहसुन अच्छी तरह पक जाए तो उसे उतार कर, ठंडा करके और छानकर शीशी में भरकर रख लें. इस तेल से शरीर के लकवाग्रस्त भाग की मालिश करें.
Gharelu Nuskha #2 – गाय का घी 10-10 बूंद की मात्रा में नाक में डालने से लकवा रोग में लाभ होता है.
Gharelu Nuskha #3 – राई, अकरकरा और शहद तीनो एक एक चम्मच ले. फिर राई और अकरकरा को कूटकर कपड़े से छान कर शहद मिला लें. इसे दिन में 3-4 बार जीभ पर मलते रहने से लकवा रोग में आराम मिलता है.
Gharelu Nuskha #4 – उड़द, कौंच के बीज, एरंड की जड़, बला, हींग और सेंधा नमक को बराबर बराबर मात्रा में लेकर,काढ़ा बनाकर लकवा ग्रस्त रोगी को पिलाने से आराम मिलता है और उसके हाथ पैर भी कार्य करने लगते है.
Gharelu Nuskha #5 – 25 ग्राम छिले हुए लहसुन को पीसकर दूध मे डालकर उबाल लें. खीर की तरह गाढ़ा होने पर इसे उतारकर ठंडा कर लें और फिर रोगी को खिलाएं.
Gharelu Nuskha #6 – सोंठ व उड़द को उबालकर इसका पानी पीने से लकवा रोग में बहुत आराम मिलता है.