Parwal (Pointed Gourd) Ki Kheti Kaise Karen – परवल की खेती

Parwal (Pointed Gourd) Ki Kheti kaise karen

Parwal (Pointed Gourd) Ki Kheti Kaise Karen – परवल की उन्नतशील खेती कैसे करें

परवल गर्मियों की मुख्य सब्जियों में से एक है । इस सब्जी के फलों में बहुत अधिक मात्रा में पोषक-तत्वों की मात्रा होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण है । इसकी खेती गर्मियों में भारत के कुछ मैदानी-भागों में अधिक होती है । जैसे- बिहार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली तथा आसाम व वेस्ट बंगाल के कुछ हिस्सों में की जाती है । यह कुकरविटस की एक स्वादिष्ट सब्जी समझी जाती है । उत्तरी बिहार एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश इसकी कृषि के लिए मुख्य समझे जाते हैं ।

परवल मनुष्य की पाचन-क्रिया को ठीक रखते हैं । इसका सेवन हृदय व दिमाग की बीमारी वाले मरीजों को कराया जाता है । यह सब्जी आसानी से पच जाती है । इसके सेवन से शरीर को लगभग सभी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है । सब्जी विटामिन ‘ए व सी’ दोनों का अच्छा स्रोत है ।

Parwal (Pointed Gourd) Ki Kheti kaise karen

परवल की खेती के लिये आवश्यक भूमि व जलवायु (Soil and Climate for Parwal kheti)

परवल की उत्तम खेती के लिये आर्द्रता वाली गर्मतर जलवायु अच्छी रहती है । क्योंकि इसकी खेती गर्मियों में की जाती है तथा दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में वर्षा ऋतु में अधिकतर उगाया जाता है । परवल के पौधे जाड़ों में पाले के कारण सूख कर मर जाते हैं तथा बाद में जड़ों से फिर से वसन्त ऋतु में नई कोपलें निकलने लगती हैं ।

इसे भी अन्य कुकरविटस की तरह भूमि में उगाया जाता है । लेकिन सबसे अच्छी भूमि बलुई दोमट रहती है । भूमि जल-निकास का उचित प्रबन्ध होना चाहिए । वर्षा ऋतु की फसल होने के कारण बाढ़ वाले इलाकों में गर्मियों में उगाना चाहिए ।

परवल की खेती के लिये खेत की तैयारी (Parwal Ki Kheti Ke Liye Khet Ki Taiyari)

इस फसल के लिये अधिक जुताई की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि रेतीली भूमि सर्वोत्तम रहती है जोकि दो-तीन बार की जुताइयों में तैयार हो जाती है | वर्षा-ऋतु की फसल होने के कारण मेड़-बंदी ठीक होनी चाहिए तथा क्यारियों के साथ नालियां बनाना जरूरी है जिससे अधिक पानी को फसल से बाहर निकाला जा सके ।

बगीचों में भी परवल को उगाया जाता है । बगीचे की भूमि की तैयारी करके लगाना चाहिए । बाउण्डरी दीवार या तार फेसिंग के साथ-साथ लगाना चाहिए । पौधे बड़े होने पर तारों या दीवारों पर चढ़ा देना चाहिए । मिट्‌टी को खोदकर व खाद मिलाकर बीज थामरों में बोना चाहिए ।

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खाद एवं उर्वरकों की मात्रा (Quantity of Manure and Fertilizers)

एक सफल उत्पादन के लिये अन्य कुकरविटस की तरह खाद देना चाहिए । गोबर की खाद 20-22 ट्रौली तथा यूरिया 40-50 कि.ग्रा., डाई अमोनियम सल्फेट 60 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से डालना चाहिए । यूरिया की आधी मात्रा को बोने के 25 दिन बाद पौधे बड़े होने पर कतारों में छिड़क देना चाहिए तथा आधी मात्रा को अन्य खादों के साथ मिट्टी में बुवाई से 4-5 दिन पहले मिला देना चाहिए ।

बगीचों में खाद की मात्रा 200 ग्राम यूरिया तथा 300 ग्राम डी.ए.पी. देना चाहिए । डी.ए.पी. को बुवाई से पहले तथा शेष यूरिया को 1-2 चम्मच थामरों में डालना चाहिए ।

परवल की उन्नतशील जातियां (Improved Varieties of Parwal)

परवल की अभी कोई विशेष विकसित जातियां नहीं हैं । इस फसल को तना काटकर पैदा किया जाता है । फिर भी जो परवल उगाये जाते हैं उनके फल बहुत अच्छे गुणकारी हैं । फल अधिकतर छोटे गोल व लम्बे भी होते हैं तथा रंग अधिकतर हल्का हरा होता है । वेल काटते समय जोड़ अवश्य रहना चाहिए । जिससे नयी वेल बन सकें ।

कटिंग लगाने का समय (Time of Cutting Planting)

परवल की पौध के स्टैम कटिंग करके तैयार की हुई मिट्टी में लगाते हैं । पौधशाला में जब पौधों में जड़ें निकल आयें तो समझना चाहिए कि पौधे तैयार हैं । परवल के टुकड़े परिपक्व बेल (Mature Plants) से लेने चाहिए तथा तैयार पौधे को खेत में फरवरी-मार्च के महीने में स्थानांतरित करना चाहिए । फसल को बीज द्वारा भी तैयार किया जा सकता है लेकिन प्रजनन के कारण आधे से अधिक पौधों पर नए फूल ही आते हैं । जिनसे फल नहीं मिल पाता । कटिंग से 2% फूल नर बन जाते हैं ।

दूरी– कतारों-से-कतारों की दूरी 90 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी. रखनी चाहिए ।

सिंचाई व खरपतवार-नियन्त्रण (Irrigation and Weeds Control)

पौधों को लगाने के बाद तुरन्त सिंचाई करनी चाहिए तथा गर्मी के मौसम में फसल को 4-5 दिन के बाद नमी के अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए तथा वर्षा ऋतु में आवश्यकतानुसार पानी देना चाहिए ।

खरपतवारों को निकाई के समय उखाड़कर फेंक देना चाहिए । घास व अन्य खरपतवार जो जायद फसल के होते हैं उग आते हैं । निकाई-गुड़ाई के समय निकाल देना चाहिए ।

सहारा देना (Supporting)- पौधे कुकरविटस परिवार के होने के कारण लम्बे भी बढ़ते हैं । इन पौधों को तार बाउण्डरी, दीवार बाउण्डरी आदि द्वारा सहारा अवश्य देना चाहिए । जिससे खुली हुई हवा आदि मिल सके ।

फलों की तुड़ाई (Plucking)- फलों को बढ़ने पर हरे फलों को तोड़ लेना चाहिए । इस प्रकार से फलों को 2-3 दिन के बाद तोड़ते रहना चाहिए । अधिक पके फलों को तोड़ने से खटास पैदा हो जाती है तथा बीज भी पड़ जाते हैं । कुछ पके फलों का गूदा लाल भी होता है । फल जो कच्चे होते हैं उन पर धारियां पायी जाती हैं ।

पैदावार (Yield)- परवल की अच्छी देख-रेख पर औसतन उपज 150 क्विंटल 200 क्विंटल प्रति हैक्टर फल प्राप्त हो जाते है । बगीचे में भी 20-25 कि. ग्रा. वर्ग मी. में तैयार हो जाता है ।

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रोगों से परवल के पौधों की सुरक्षा कैसे करें Rogon Se Parwal Ke Paudhon Ki Suraksha Kaise Kare

कीट फुट पलाई अधिक लगता है । अन्य कुकर-विटस की तरह रोग व कीट लगते हैं तथा नियन्त्रण भी उसी तरह से करते हैं ।

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