
पुलेला गोपी चंद का जीवन परिचय (Pullela Gopichand Biography In Hindi Language)
नाम : पुलेला गोपी चंद
जन्म : 16 नवम्बर 1973
जन्मस्थान : नागंडला, आंध्र प्रदेश
11 मार्च 2001 को आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीत कर भारत के स्टार शटलर पुलेला गोपीचंद ने भारतीय खेल जगत में एक नया इतिहास लिख डाला । इससे 21 वर्ष पूर्व प्रकाश पादुकोने ने भारत में बैडमिंटन की ऊँचाइयों को छुआ था |
पुलेला गोपी चंद का जीवन परिचय (Pullela Gopichand Biography In Hindi)
गोपी चंद की आरम्भिक शिक्षा हैदराबाद के सेंट पॉल स्कूल में हुई तथा ए.वी. कालेज से उसने स्नातक परीक्षा पास की । फिर उसने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री प्राप्त की । पुलेला ने अपना प्रथम मैच 12 वर्ष की उम्र में दिल्ली में आयोजित ‘राष्ट्रीय प्रतिभा खोज कार्यक्रम’ में जीता । फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
पुलेला गोपी चंद ने 1991 से देश के लिए खेलना आरम्भ किया जब उनका चुनाव मलेशिया के विरुद्ध खेलने के लिए किया गया । उसके पश्चात् तीन बार (1998, 2000) ‘थामस कप’ में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और अनेक बार विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लिया है ।
उसने अनेक टूर्नामेंट में विजय हासिल कर भारत को गौरवान्वित किया है । उसने 1996 में विजयवाड़ा के सार्क टूर्नामेंट में तथा 1997 में कोलम्बो में स्वर्ण पदक प्राप्त किए । कामनवेल्थ खेलों में कड़े मुकाबलों के बीच रजत व कांस्य पदक भारत को दिलाए । 1997 में दिल्ली के ‘ग्रैंड प्रिक्स’ मुकाबले में उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा हुई जब उसने एक से एक अच्छे खिलाड़ियों को हराते हुए फाइनल में प्रवेश किया । यद्यपि फाइनल में वह हार गया । वर्ष 2000 के सिडनी ओलंपिक में बैडमिंटन के लिए भारतीय खिलाड़ियों में केवल पुलेला गोपी चंद का ही नाम था । प्रकाश पादुकोने के रिटायर होने के पश्चात् भारत में कोई उत्तम बैडमिंटन खिलाड़ी बचा ही नहीं था, तब पुलेला का आगमन हुआ जिसमें असीम संभावनाएं दिखाई दीं । अत: प्रकाश पादुकोने के बाद आगे बढ़ कर चमकने वाला बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपी चंद ही है । वह प्रतिभावान होने के साथ-साथ देखने में सुन्दर व आकर्षक भी है ।
वर्ष 2000 में गोपी चंद थामस कप के फाइनल में पहुंचा था तो यूं लगा था कि भारत खेलों में आगे बढ़ने लगा है । फिर जब गोपी चंद ने आल इंग्लैंड खिताब 2001 में जीता तब तो यूं लगने लगा कि मानो हमें चांद तक पहुंचने की सीढ़ी मिल गई हो । तब हमारे 6 खिलाड़ी विश्व के टॉप 100 खिलाड़ियों में शामिल हो गए थे लेकिन अब केवल 3 भारतीय खिलाड़ी ही उन टाप 100 खिलाड़ियों में है । 2001 में गोपी चंद विश्व की रैंकिंग में नं. 4 खिलाड़ी बन गया था ।
11 मार्च 2001 को ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीत कर भारत के स्टार शटलर पुलेला गोपी चंद ने भारतीय खेल जगत में एक नया इतिहास लिख डाला । इससे 21 वर्ष पूर्व प्रकाश पादुकोने ने भारत में बैडमिंटन की ऊंचाइयों को छुआ था । पिछले ओलंपिक के गोल्ड पदक विजेता और विश्व के नम्बर 1 खिलाड़ी को क्वार्टर फाइनल और फिर सेमी फाइनल विश्व बैडमिंटन मुकाबले में हराना और फिर फाइनल में भी हरा कर जीत जाना एक सपने जैसा था जैसा कि अक्सर भारतीय फिल्मों में हीरो के साथ होता है परन्तु गोपी चंद ने इसे असल जिंदगी में कर दिखाया ।
उसने निरन्तर प्रगति करते हुए 1998 में के.के. बिरला फाउंडेशन पुरस्कार प्राप्त किया । वर्ष 2000 में उसे आन्ध्रप्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित किया गया, उसे ‘दशक का खिलाड़ी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया । वर्ष 2001 में उसे ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ पुरस्कार प्रदान किया गया ।
पुलेला गोपी चंद इंडियन आयल कारपोरेशन के सेल्स विभाग में असिस्टेंट मेनेजर के पद पर कार्यरत है । वह अपना खेल बेहतर बनाने के लिए वर्ष में तीन महीने जर्मन क्लब के लिए खेलता है । अपने दस वर्षो के खेल जीवन में उसने अनेक विश्व स्तर के खिलाडियों को हराया है जिनमें ओलंपिक चैंपियन एलेन बूडी कुसूमा तथा लार्सेन शामिल हैं ।
उपलब्धियां
1998 में दिल्ली में राष्ट्रीय चैंपियनशिप मुकाबले में वह चैंपियन बना |
1998 में ही बैंगलूर के बी.पी.एल. आल इंडिया मुकाबले में चैंपियन बना |
1998 में कुआलालंपुर के राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत मुकाबले में कांस्य तथा टीम मुकाबले में रजत पदक प्राप्त किया जबकि आस्ट्रियन ओपन में वह रनर-अप रहा |
1999 के राष्ट्रीय चैंपियनशिप मुकाबले में नई दिल्ली में वह तीसरी बार राष्ट्रीय चैंपियन बना |
1999 के इम्फाल में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में 2 स्वर्ण व एक रजत पदक जीता ।
1999 के बी.पी.एल. ऑल इंडिया में वह 5वीं बार चैंपियन बना |
1999 में गोपी चंद ने एडिनबर्ग के स्काटिश ओपन व टोलूसे ओपन टूर्नामेंट में चैंपियनशिप हासिल की | इन दोनों मुकाबलों को जीतने वाला गोपी चंद प्रथम भारतीय खिलाड़ी बना |
1999 के एशियाई सेटेलाइट खेलों में चैंपियन बना ।
2000 में राष्ट्रीय खेलों में पुन: राष्ट्रीय चैंपियन बना |
2000 में कुआलालंपुर में थामस कप के फाइनल मुकाबले तक पहुंचा । यह इससे पूर्व के 12 वर्षों का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा क्योकि इन खेलों के फाइनल तक कोई अन्य भारतीय खिलाड़ी पहुंचा ही नहीं था |
2000 के मलेशिया ओपन कुआलालंपुर में मुकाबले में शीर्ष चार खिलाड़ियों में से एक रहा |
उसके उत्तम प्रदर्शन के लिए वर्ष 2001 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था | इस वर्ष उसे विश्व की नम्बर 10 रैंकिंग हासिल हुई | इससे पूर्व केवल प्रकाश पादुकोने ने यह रैंकिंग प्राप्त की थी |
2000 के सिडनी ओलंपिक के प्रि-क्वार्टर फाइनल तक ही पहुंच सका |
2001 में इंग्लैंड में होने वाली आल इंग्लैंड चैंपियनशिप में चैंपियन बना । इस मुकाबले में गोपी चंद ने चीन के चेन होंग को 15-2, 15-6 से हराया । फाइनल में विश्व के नं. 1 खिलाड़ी पीटर क्रिस्टियनसन को हराया, जबकि सेमी फाइनल में ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता जी जिंपेंग को क्वार्टर फाइनल में हराया था । इस प्रकार 21 वर्ष में पहली बार आल इंग्लैंड का चैंपियनशिप ख़िताब जीता | जून 2006 में पुलेला गोपी चंद को बैडमिंटन कोच नियुक्त कर दिया गया | उसका चयन इस उद्देश्य से किया गया ताकि दिल्ली में होने वाले 2010 के राष्ट्रमडंल खेलों में बैडमिंटन में देश को कम से कम एक स्वर्ण, दो रजत व कुछ कांस्य पदक अवश्य प्राप्त हो सकें । इस अवसर पर गोपी चदं का कहना था- ”यह जिम्मेदारी मेरे लिए बड़े सम्मान के साथ चुनौतीपूर्ण भी है ।”
इसके अतिरिक्त पुलेला गोपी चदं हैदराबाद में एक अत्यन्त सफल अकादमी चला रहे हैं, जहाँ से प्रशिक्षण लेकर 16 वर्षीय सायना नेहवाल ने बैडमिंटन में भारत का नाम समस्त विश्व में रोशन कर दिया है ।
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