पुनर्नवा के फायदे हिंदी में Punaranava Ke Fayde In Hindi

punaranava Ke fayde

पुनर्नवा के फायदे हिंदी में Punaranava Ke Fayde In Hindi

इसके संबंध में कहा जाता है कि जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाए अथवा जो रसायन व रक्तवर्धक होने से शरीर को फिर से नया बना दे, उसे पुनर्नवा कहते हैं। इसका सूखा पौधा वर्षा ऋतु में पुनः नया जीवन पाकर फूलने-फलने लगता है। इसका पौधा खेतों में, उसके आसपास, खाली पड़ी जमीन पर, बागों में, सड़कों के किनारे स्वतः ही उग जाता है। यह संपूर्ण भारत में खासकर गर्म प्रदेशों में बहुतायत से प्राप्त होता है।

इसकी दो जातियां मिलती हैं : पहली रक्त (लाल) पुनर्नवा और दूसरी श्वेत पुनर्नवा । रक्त पुनर्नवा घासनुमा होती है, जबकि श्वेत पुनर्नवा का पौधा बहुवर्षीय होता है । प्रतिवर्ष वर्षा में नए निकलना और ग्रीष्म ऋतु में सूख जाना इसकी विशेषता होती है। इसका पौधा 3 से 6 फुट ऊंचा होता है, जिसका तना लाल रग लिए कड़ा पतला और गोल होता है। जोड़ों पर तना कुछ मोटा होता है। शाखाएं अनेक और पते छोटे, बड़े दो तरह के होते हैं। पते कोमल, मांसल, गोल या अंडाकार, निचला तल सफेद होता है। पुष्प सफेद या गुलाबी छोटे-छोटे, छतरीनुमा लगते हैं। फल छोटे, चिपचिपे बीज से युक्त तथा पांच धारियों वाले होते हैं।

पुष्पों और फलों की बहार शीत ऋतु में आती है। जड़ 1 फुट लंबी, उंगली जितनी मोटी, गूदेदार, 2-3 शाखाओं से युक्त, उग्र गंध वाली तथा स्वाद में तीखी होती है। इसे तोड़ने पर दूध के समान स्राव निकलता है। औषधि प्रयोग के लिए इसकी जड़ और पते काम में आते हैं। सफेद पुनर्नवा का उपयोग ही उत्तम होता है।

यहा इसके बारे में ये जाने –

  1. स्तन के रोग में पुनर्नवा Rebirth in Breast Disease
  2. गर्भ में शिशु की मृत्यु होने पर पुनर्नवा Repeating when the baby dies in the womb
  3. नेत्र रोगों में पुनर्नवा Eye diseases in recycling
  4. शोथ, सूजन को दूर करे पुनर्नवा से Soth , Sujan Ko Dur Kre Punaranava Se
  5. पीलिया के लिए पुनर्नवा का सेवन Jaundice Ke Liye Punaranava Ka Sevan
  6. घाव, चोट पर लगाये पुनर्नवा Ghaw, Injury Per Lagay Punaranava
  7. एनीमिया, रक्ताल्पता के लिए उपयोगी पुनर्नवा Animia Ke Liye Upyogi Punaranava
  8. हृदय रोगों में पुनर्नवा Heart Diseases Me Punaranava
  9. रक्त प्रदर में पुनर्नवा का सेवन Raktprader Me Punaranava Ka Sevan
  10. मूत्र रोगों में पुनर्नवा से उपाय Injury Diseases Me Punaranava Se Upaay
  11. विष विकार निवारण हेतु पुनर्नवा का सेवन Vish Vikaar Nivaran Hetu Punaranava Ka Sevan
  12. मुंह के छाले के लिए पुनर्नवा Muhe Ke Chaale Ke Liye

पुनर्नवा के विभिन्न भाषाओं में नाम Punaranava Ke Vibhinn Bhasao Me Name

  • संस्कृत में (Punaranava In Sanskrit) – पुनर्नवा, शोथध्नी।
  • हिंदी में (Punaranava In HIndi) – गदहपूरना।
  • मराठी में (Punaranava In Marathi) – घेटुली, खापरा।
  • गुजराती में (Punaranava In Gujarati) – घोली, बसेड़ी।
  • बंगाली में (Punaranava In Bangali) – श्वेत गांदावले ।
  • अंग्रेज़ी में (Punaranava In English) – स्प्रेडिंग होगवीड (Spreading Hogweed)
  • लैटिन में (Punaranava In Latin) – बोअरहविया डिफ्यूज़ा (Boerhaavia Diffusa)

पुनर्नवा के औषधीय गुण Punaranava  Ke Aushdhiy Gunpunaranava Kegun

आयुर्वेदिक मतानुसार पुनर्नवा रस में मधुर, तिक्त, कषाय, गुण में लघु, रुक्ष, प्रकृति में गर्म, विपाक में मधुर, अग्नि प्रदीपक होती है। यह कफ, विष, वायु विकार, उदर रोग, शोथ, ज्वर, मोटापा नाशक होती है। इसका उपयोग कामला, श्वास, हृदय रोग, सुजाक, मूत्राल्पता, बेरी-बेरी, यकृत रोग, खासी, विष का दुष्प्रभाव दूर करने के लिए किया जाता है।

यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार पुनर्नवा दूसरे दर्जे की गर्म और रुक्ष होती है। गुर्दे के कार्यों में वृद्धि कर पेशाब की मात्रा बढ़ाना, खून साफ करना सूजन उतारना, भूक बढ़ाना, हृदय रोगो को दूर करने मे यह एक बहतरीन दवा हैं।

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वैज्ञानिक मतानुसार पुनर्नवा के रासायनिक संगठन का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसकी जड़ में पुनर्नवीन नामक एक एल्केलाइड 0.04 प्रतिशत और पोटेशियम नाइट्रेट 0.52 प्रतिशत पाए जाते हैं, जबकि अन्य 6.5 प्रतिशत उपस्थित होते हैं। इसके अलावा बीटा-साइटोस्टीराल, एल्फा साइटोस्टिराल,केयूसीएच कार्बेनिक अम्ल , लवण, सोडियम सल्फेट, क्लोराइड, एलेंटाइन,  फ्लोराइड भी पाए जाते हैं।  उपरोक्त तत्वों के कारण मूत्र की मात्रा दोगुनी हो होती है, हृदय सकोचन बढ़ता है, उसकी मसपेशियों केआई कायॅ-क्षमता मे वृध्दि होती है,  शिथिलता दूर होती है। यह विटामिन बी की कमी के कारण होने वाले बेरी-बेरी रोग में लाभदायक है। रक्त प्रदर में यह औषधि विशेष रूप से गुणकारी है।

पुनर्नवा के विभिन्न रोगों में प्रयोग और घरेलु उपचार Punaranava Ke Vibhinn Rogo Me Prayog Aur Gharelu Upchaar punaranava se upchaar

1. स्तन के रोग में पुनर्नवा Rebirth in Breast Disease :

पुनर्नवा की जड़ का बना लेप लगाने से स्तन का प्रदाह और घाव ठीक होगा।

2. गर्भ में शिशु की मृत्यु होने पर पुनर्नवा Repeating when the baby dies in the womb :

पुनर्नवा की 50 ग्राम ताजी जड़ का चूर्ण बनाकर 200 मिलीलीटर पानी में इतना पकाएं कि 50 मिलीलीटर ही शेष रह जाए। इसे छानकर गर्भिणी को पिलाने से गर्भपात में मृत शिशु प्रसव होकर बाहर निकल आएगा।

3. नेत्र रोगों में पुनर्नवा Eye diseases in recycling :

जड़ को गुलाब जल में घिसकर रोजाना सोते समय नेत्रों में लगाने से अनेक बीमारियां दूर होकर दृष्टि में सुधार होगा। आंतरिक रूप से पत्तों का रस 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार शहद के साथ दें।

4. शोथ, सूजन को दूर करे पुनर्नवा से Soth , Sujan Ko Dur Kre Punaranava Se:

पुनर्नवा के पत्तों का शाक नियमित रूप से सेवन करते हुए इसकी जड़ का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में 500 मिलीग्राम नौसादर के साथ गर्म जल के साथ सुबह-शाम लेने से शीघ्र आराम मिलता है।

5. पीलिया के लिए पुनर्नवा का सेवन Jaundice Ke Liye Punaranava Ka Sevan :

पत्तों का 2 चम्मच रस सुबह-शाम भोजन के बाद शहद से नियमित सेवन करने से और साथ ही जड़ के 108 टुकड़ों से बनी माला को धारण करने से रोग में लाभ होता है।

6. घाव, चोट पर लगाये पुनर्नवा Ghaw, Injury Per Lagay Punaranava:

पुनर्नवा की पत्तियों की लुगदी घाव, चोट पर बांधे, शीघ्र ही ठीक हो जाएंगे।

7. एनीमिया, रक्ताल्पता के लिए उपयोगी पुनर्नवा Animia Ke Liye Upyogi Punaranava :

जड़ का चूर्ण, मुनक्के और हलदी समभाग पीसकर एक चम्मच की मात्रा में नियमित रूप से सुबह-शाम एक कप दूध के साथ सेवन करें।

8. हृदय रोगों में पुनर्नवा Heart Diseases Me Punaranava :

जड़ का चूर्ण और सूखे पत्तों का चूर्ण समभाग मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में नियमित रूप से सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से हृदय के अनेक रोगों में लाभ मिलता है।

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9. रक्त प्रदर में पुनर्नवा का सेवन Raktprader Me Punaranava Ka Sevan :

पत्तो  का रस 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें।

10. मूत्र रोगों में पुनर्नवा से उपाय Injury Diseases Me Punaranava Se Upaay :

जड़ का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करते रहने से पेशाब की जलन, संक्रमण, रुकावट और पथरी की शिकायत में लाभ होगा।

11. विष विकार निवारण हेतु पुनर्नवा का सेवन Vish Vikaar Nivaran Hetu Punaranava Ka Sevan :

पते, जड़ और बीज का समभाग चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराएं। –

12. मुंह के छाले के लिए पुनर्नवा Muhe Ke Chaale Ke Liye :

पुनर्नवा की जड़ को दूध में घिसकर छालों में लगाने से आराम मिलेगा।

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